tag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post4302525643344028545..comments2024-02-11T08:46:41.916+05:30Comments on क्रांति स्वर: पंडित विद्वान होता है पुजारी क़े रूप में वकील नहीं.vijai Rajbali Mathurhttp://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-19199959085184207242011-02-13T20:47:46.738+05:302011-02-13T20:47:46.738+05:30उत्तम ज्ञानोपदेश दिए आचार्य शास्त्री जी ने ! शिक्ष...उत्तम ज्ञानोपदेश दिए आचार्य शास्त्री जी ने ! शिक्षित और अर्ध शिक्षित का यही फर्क है. एक यथार्थ को पेश करता है जबकि दूर्सरा उसी बात को ढोंग-पाखण्ड के लिए प्रस्तुत करता है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-52737617782559518522011-02-13T16:00:02.552+05:302011-02-13T16:00:02.552+05:30आपके ब्लॉग शीर्षक को सार्थक करता एक आलेख और इसमें ...आपके ब्लॉग शीर्षक को सार्थक करता एक आलेख और इसमें वर्णित शास्त्री जी के क्रांतिकारी विचार एक प्रचलित धारणा पर पुनर्विचार के लिये प्रेरित करती है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-91689212870099519132011-02-13T11:09:22.274+05:302011-02-13T11:09:22.274+05:30आचार्य रामरतन शास्त्री जी के विचार स्वागतेय है।
उ...आचार्य रामरतन शास्त्री जी के विचार स्वागतेय है। <br />उनका यह विचार क्रांतिकारी है- मनुष्य को ईश्वर से तादात्म्य स्थापित करने के लिए किसी बिचौलिए की जरूरत नहीं। भक्त को स्वयं प्रयास करना चाहिए।<br />इस श्रेष्ठ लेख के लिए आपके प्रति आभार।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-58081734345843779302011-02-13T11:01:22.857+05:302011-02-13T11:01:22.857+05:30मनुष्य है ही इसलिए कि,वह मननशील प्राणी है.मनुष्य अ...मनुष्य है ही इसलिए कि,वह मननशील प्राणी है.मनुष्य अपने अध्ययन,मनन एवं बुद्धी,ज्ञान व विवेक से सही और गलत की पहचान स्वंय कर सकता है.कौन ढोंगी है और कौन नहीं इस सम्बन्ध में संत कबीर की वाणी यह है-<br />साधू ऐसा चाहिए जैसे सूप सुभाय,<br />सार सार को गहि देये थोथा देये उडाये.<br />डा. मोनिका जी से मैं भी सहमत हूँ कि लोग सही बात लिखते-बताते नहीं हैं.सही बताने वाले बहुत कम ही हैं स्वंय ब्रह्मण होते हुए भी शस्त्री जी ने सच्चाई बयां की इसी लिए मैंने उन्हें उद्धृत किया.शीघ्र ऐसे कथावाचक के विचार दूंगा जो वास्तव में बहुत अच्छे हैं परन्तु उसका खुद का आचरण ठीक उल्टा है.vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-75866259242119865832011-02-13T06:18:51.886+05:302011-02-13T06:18:51.886+05:30ढोंग और पाखंड की पहचान ही तो मुश्किल होती है, वरना...ढोंग और पाखंड की पहचान ही तो मुश्किल होती है, वरना उसके उन्मूलन के पक्ष में कौन नहीं.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-20441787931760944372011-02-12T22:15:02.718+05:302011-02-12T22:15:02.718+05:30आग्रह स्वीकारने का आभार ......इन बातों की वैज्ञानि...आग्रह स्वीकारने का आभार ......इन बातों की वैज्ञानिक व्याख्या और इस विस्तार से कहीं पढने को कम ही मिलता है ......सार्थक पोस्ट्स का स्वागत ...... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com