tag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post8991907687248239419..comments2024-02-11T08:46:41.916+05:30Comments on क्रांति स्वर: विक्रमी संवत,आर्यसमाज और साम्यवाद --- विजय राजबली माथुर vijai Rajbali Mathurhttp://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-77823499547387713622011-11-21T23:59:56.466+05:302011-11-21T23:59:56.466+05:30ऋग्वेद का यह संदेश न केवल संसार के सभी मानवों अपित...ऋग्वेद का यह संदेश न केवल संसार के सभी मानवों अपितु सभी जीव धारियों के कल्याण की बात करता है।<br /><br />सच है ...और प्रगतिशीलता के नाम ऐसे विचरों की अवहेलना सच में दुखद है ..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-34184047090522760512011-11-21T19:34:20.062+05:302011-11-21T19:34:20.062+05:30आपने बहुत ही सरल शब्दों में बहुत बढ़िया वर्णन किया...आपने बहुत ही सरल शब्दों में बहुत बढ़िया वर्णन किया है। आभार .... समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत हैPallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-31964480441449177782011-11-21T18:21:09.044+05:302011-11-21T18:21:09.044+05:30मनोज जी
आप निसंकोच अपनी समस्या मुझे मेल कर दीजिये...मनोज जी <br />आप निसंकोच अपनी समस्या मुझे मेल कर दीजिये मै समाधान करने का अवश्य ही प्रयास करूंगा और जवाब आपको मेल कर दूंगा।vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-31541318913753080312011-11-21T18:15:46.770+05:302011-11-21T18:15:46.770+05:30आपसे बहुत कुछ सीखने को है मुझे।
मेरी भी कुछ व्य्क...आपसे बहुत कुछ सीखने को है मुझे।<br /><br />मेरी भी कुछ व्य्कतिगत समस्या का समाधान कर देंगे क्या?मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-78357888607913419442011-11-21T17:09:32.056+05:302011-11-21T17:09:32.056+05:30वे मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता
मैं बेक़र...वे मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता <br />मैं बेक़रार हूं आवाज़ में असर के लिए...<br /><br /><b>जानिए कि परम धर्म क्या है ? </b><br /><br />जो इंसान ख़ामोश चीज़ों तक की जबान जानता हो, वह इतना बहरा कैसे हो जाता है कि धर्म की उन हज़ारों ठीक बातों को वह कभी सुनता ही नहीं, जिनका चर्चा दुनिया के हरेक धर्म-मत के ग्रंथ में मिलता है लेकिन अपना सारा ज़ोर उन बातों पर लगा देता है जिन पर सारी दुनिया तो क्या ख़ुद उस धर्म-मत के मानने वाले भी एक मत नहीं हैं।<br />यह कैसा अन्याय है ?<br />यह कैसा अंधापन है ?<br />कैसे मूर्ख हैं वे, जो इन अंधों को अपना साथी और अपना गुरू बनाते हैं ?<br />अपने अंधेपन को ये जानते तक नहीं हैं और कोई बताए तो मानते भी नहीं हैं।<br />जो आंख वाले हैं, उनकी नैतिक जिम्मेदारी है कि वे अंधों को मार्ग दिखाएं।<br />अंधों को मार्ग दिखाना परोपकार है, धर्म है बल्कि परम धर्म है।<br />कौन है जो इस धर्म की आलोचना कर सके ?<br />शुभकामनायें !<br /><br /><a href="http://vedquran.blogspot.com/2011/09/blog-post_25.html" rel="nofollow"><b>जानिए <br />कि परम धर्म क्या है ?</b></a>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.com