tag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post965206648596086834..comments2024-02-11T08:46:41.916+05:30Comments on क्रांति स्वर: विनाश के खण्डहर पर पुनर्निर्माण की पताका ---विजय राजबली माथुर vijai Rajbali Mathurhttp://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-55147356226526155422013-07-22T08:57:50.155+05:302013-07-22T08:57:50.155+05:30
Kuldeep Singh Deepposted toJanvaadi Jan Manch जनव...<br />Kuldeep Singh Deepposted toJanvaadi Jan Manch जनवादी जन मंच<br />आज़ लीक से हटकर बात करने का इरादा है .<br /><br />दोस्तों ,<br />इस धर्म भीरु देश में वामपंथ की दुर्दशा के लिये हम सब जिम्मेदार हैं , मेरा ऐसा मानना है . ज़हाँ हर काम भगवान के नाम पर या रब या अल्लाह या गोड के नाम पर शुरू किया जाता है , वहीँ थोडा सा ज्ञान प्राप्त कर लेने वाले तथाकथित कम्युनिस्ट (चाहे उसने दास कैपिटल का एक भी पन्ना न पढ़ा हो ,और मार्क्सवाद क्यों ज़रुरी है इस बात से अनभिज्ञ ही क्यों न हो) अपने आप को नास्तिक कहलाना बहुत पसंद करता है .<br />लेकिन इस देश में ज़हाँ एक बहुत बड़ा तबका मंदिरों , मस्जिदों गिरिजे या गुरूद्वारे में नित जाता हो वहां आप इनके बगैर कैसे अपने आप को सर्वाइव कर पायेंगे ये किसी से छिपा नहीं है ,धर्म व्यक्तिगत आस्था का सवाल है इसे मार्क्सवाद और वामपंथ से जोड़ना बेमानी और निरर्थक ही साबित हो रहा है .<br />चाहे हम धर्म में विश्वास ना करते हों पर जो कर रहें हैं उन्हें करने दें और उन्हें यह समझायें की इस व्यवस्था से आम जन का भला है , लेकिन उल्टा हम धर्म के अस्तित्व पर सवालिया निशान लगाकर बेकार कि बहस खड़ी कर देते हैं और उन्हें बिदका देते हैं . अब इस बात पर विचार करना बहुत ज़रुरी हो हो गया है जब हम सिमटते जा रहे हैं . क्या वक्त के साथ चलना न्यायोचित नहीं हैvijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.com