tag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post1662753841749454790..comments2024-02-11T08:46:41.916+05:30Comments on क्रांति स्वर: मनोज दास जी,बाम-पंथ और आध्यात्मिकताvijai Rajbali Mathurhttp://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-25822684590211196442012-06-15T15:33:13.643+05:302012-06-15T15:33:13.643+05:30'कर्म' सिद्धान्त का आशय योग्यता से था अर्थ...'कर्म' सिद्धान्त का आशय योग्यता से था अर्थात कर्म के अनुसार ब्राह्मण पिता का पुत्र शूद्र या और दूसरे वर्ण का भी हो सकता था और शूद्र वर्ण पिता का पुत्र ब्राह्मण भी हो सकता था। ये डिगरियाँ थीं। किन्तु आर्थिक विकास के साथ-साथ शोषण बढ़ा और ये डिगरियाँ/योग्यताएं वंशानुगत जातियों मे बादल दी गईं जो सर्वथा वैदिक सिद्धांतो के विपरीत हैं। 'हिंदूवादी' जो व्याख्या देते हैं वह अवैदिक और अवैज्ञानिक तथा लूट,शोषण और उत्पीड़न को बढ़ाने वाली हैं उनका खंडन करने की प्रबल आवश्यकता है।vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-59798780122747531812012-06-15T15:32:24.976+05:302012-06-15T15:32:24.976+05:30This comment has been removed by the author.vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-43387889559940734302012-06-15T14:08:51.675+05:302012-06-15T14:08:51.675+05:30आज आपकी पोस्ट पर अपनी और आपकी टिप्पणी पुऩः देखी. म...आज आपकी पोस्ट पर अपनी और आपकी टिप्पणी पुऩः देखी. मेरा मानना है कि जातिगत व्यवस्था को चलाए रखने के लिए 'पुनर्जन्म' और 'कर्म सिद्धांत' के कंबीनेशन का प्रतिपादन किया गया.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-81166535530162603832011-10-28T09:39:48.681+05:302011-10-28T09:39:48.681+05:30आदरणीय भूषण जी
आपके लिखने का आशय-'पुनर्जन्म...आदरणीय भूषण जी<br />आपके लिखने का आशय-'पुनर्जन्म'और उस पर आधारित 'कर्म सिद्धान्त'की 'अवहेलना'ने इस देश की बुद्धि को कुंड कर दिया है-होगा। <br />वस्तुतः 'जन्मगत'जाति-व्यवस्था ही शोषण-उत्पीड़न का आधार है।vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-63200443569315853192011-10-28T06:51:05.928+05:302011-10-28T06:51:05.928+05:30'पुनर्जन्म' और उस पर आधारित 'कर्म-सिद्...'पुनर्जन्म' और उस पर आधारित 'कर्म-सिद्धांत' ने इस देश की बुद्धि को कुंद कर दिया है. आपकी विचारों से सहमत हूँ. बढ़िया पोस्ट.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.com