tag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post8324695013584814995..comments2024-02-11T08:46:41.916+05:30Comments on क्रांति स्वर: राष्ट्र की सार्वभौमिकता सर्वोपरि हैvijai Rajbali Mathurhttp://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-46322216634005457832011-08-20T11:03:12.786+05:302011-08-20T11:03:12.786+05:30रेखा जी जन-लोकपाल हो या सरकारी लोकपाल ये दोनों कार...रेखा जी जन-लोकपाल हो या सरकारी लोकपाल ये दोनों कारपोरेट घरानों का फाइदा पहुंचाने वाले हैं। शक्तिशाली 'लोकपाल'के गठन की आवश्यकता है जो आम गरीब-मेहनतकश जनता को लाभ दिला सके। जिंका कहीं कोई जिक्र तक नहीं है और अन्ना की भीड़ भी गुमराह कर बटोरे नौजवानों की है। फिर ये लोग एन जी ओ को लोकपाल के आधीन रखने पर क्यों नहीं राजी हैं?इस पर भी तो गौर कीजिये।vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-65452198069113848492011-08-20T08:25:28.235+05:302011-08-20T08:25:28.235+05:30अगर आपको प्रेमचन्द की कहानिया पसंद हैं तो आपका मेर...अगर आपको प्रेमचन्द की कहानिया पसंद हैं तो आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है |<br />http://premchand-sahitya.blogspot.com/अवनीश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/10974435719726977104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-8417390461582303982011-08-19T23:02:31.732+05:302011-08-19T23:02:31.732+05:30अगर आप की बात मान भी ली जाय तो केवल इतना और बता दी...अगर आप की बात मान भी ली जाय तो केवल इतना और बता दीजिये की जनलोकपाल यदि आ जाये तो फायदा किसका होगा. आज़ादी के बाद भी जहाँ भारत के सत्तर प्रतिशत लोगों की रातें अँधेरे में ही कटती है . जिस दिन देश आज़ाद हुआ था उस दिन भी महात्मा गाँधी अँधेरे में ही चुपचाप थे .रेखाhttps://www.blogger.com/profile/14478066438617658073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-61601039892203182942011-08-19T11:19:18.289+05:302011-08-19T11:19:18.289+05:30आज अपने देश की सार्वभौमिकता की परवाह किसी को भी नह...आज अपने देश की सार्वभौमिकता की परवाह किसी को भी नहीं है न ही आज की सरकार को और न ही जनता को।<br /><br />बहुत सही लिखा है आपने. ऐसा लगता है कि सब भेड़चाल के आदी हैं. सचमुच दुख होता है.Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-46762534135225695022011-08-19T04:21:24.722+05:302011-08-19T04:21:24.722+05:30यह बात सही है की जन लोकपाल सब कुछ ठीक नहीं कर देगा...यह बात सही है की जन लोकपाल सब कुछ ठीक नहीं कर देगा..पर मुस्किल यही तो है की जो काम नेताओं को कर देना था अब तक..वोह हो नहीं सका है...अब इस समय इस आन्दोलन विरोध करना उचित नहीं होगा...इस आन्दोलन की नक्सल से तुन्लना करना भी गलत है...पर सवाल यह है की पहल कैसे हो...कौन करे....अब तक कोई भी जनता को कोई इतने सही तरीके से आन्दोलन में नहीं जोड़ पाया है....दूसरी बात यह है की यह सोचना गलत है की अगर बिज़नस हाउस किसी आन्दोलन को समर्थन दे रहें है तो आन्दोलन गलत है....क्या भारत का बिज़नस हाउस सही लोगो को चंदा नहीं देता.....?Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1750404937191332592.post-58898844749710292802011-08-17T22:17:54.602+05:302011-08-17T22:17:54.602+05:30अमेरिका ने दिखा दिया कि वह न पाकिस्तान की न भारत क...अमेरिका ने दिखा दिया कि वह न पाकिस्तान की न भारत की ‘सार्वभौमिकता’की परवाह करता है।<br /><br />सच है... उन्हें भी सिर्फ अपने स्वार्थों की पूर्ति करना है... बेहतरीन विश्लेषण डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com