आज ०२ जूलाई को हमारे नगर में होम्योपैथी के जनक डा.हैनीमेन का निर्वाण दिवस मनाया जा रहा है और ०४ जूलाई को स्वामी विवेकानंद का भी निर्वाण दिवस है,इधर ग्रहों की आकाशीय स्थिति में भी जो परिवर्तन हो रहा है उसका भी व्यापक प्रभाव होगा अतः आज कुछ इधर की कुछ उधर की ---
महात्मा हैनीमेन जर्मनी में उत्पन्न हुए थे और वहीं पर एलोपैथी प्रेक्टिस करते थे.काफी धन कमा चुकने के बाद उन्हें बोद्ध हुआ कि,वह तो माला-माल हो गए किन्तु सभी मरीजों को सम्पूर्ण लाभ इस चिकित्सा पद्धति से न हो सका.उन्होंने प्रेक्टिस बंद कर दी और अनुसंधान में लग गए.एक दिन अचानक 'सिनकोना'की पत्तियां चबा लेने पर उन्हें कंपकपी लगने लगी.रासायनिक विश्लेषण करने के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सादृश्य से सादृश्य का इलाज करने पर लाभ होता है क्योंकि 'सिनकोना'से बनी दवा 'कुनैन' मलेरिया के उपचार में काम आती थी और उसकी ताजी पत्तियां चबाने पर उसी के लक्षण उभरने लगे थे.
डा.हैनीमेन अब महात्मा हैनीमेन हो गए ,उन्होंने जन-कल्याण हेतु अनेक अनुसन्धान करके एक नयी चिकित्सा पद्धति का आविष्कार किया जो आज उन्हीं के नाम पर 'होम्योपैथी'कहलाती है.इस चिकित्सा पद्धति में लक्षणों के आधार पर दवा दी जाती है और व्यक्ति -विशेष पर आधारित होती है.अर्थात-स्त्री-पुरुष,मोटा-पतला,गोरा-काला,बच्चा-बड़ा के आधार पर एक ही बीमारी के लिए अलग-अलग दवा दी जाती है.ये दवाएं ज्यादातर 'शुगर आफ मिल्क'से बनी मीठी-मीठी गोलियों में दी जाती हैं,वैसे 'मदर टिन्चर' और 'रेकटी फाईड-स्प्रिट'द्वारा भी दवाओं का प्रयोग किया जाता है.
देश के ८ से १० प्रतिशत तथा यूं.पी. के १५ प्रतिशत बच्चों में पढाई सम्बंधित परेशानी आम हैं.चिकित्सा विज्ञान में इस रोग को 'लर्निंग डिसेबिलिटी'कहा जाता है.यों तो होम्योपैथी में अनेकों दवाएं इस रोग की हैं.परन्तु यदि याद-दाश्त कम हो तो परिक्षा से १० दिन पूर्व से 'एनाकार्डियम' ३० शक्ति में ४ टी.डी एस सेवन कराने से बच्चा परीक्षा में सुगमता से सफल हो जाता है उसे याद की बातें ध्यान में बनी रहती हैं.
इसी प्रकार आज 'सीजेरियन' एक विकट समस्या है ,एलोपैथी में इसका प्रचलन अत्यधिक है,जो लोग आर्थिक रूप से समृद्ध और उतावले नहीं हैं वे होम्योपैथी द्वारा सुरक्षित लाभ उठा सकते हैं.'कोलोफाइलम'की ३० शक्ति ४ टी डी एस मात्रा आनुमानित प्रसव तिथि से एक माह पूर्व देना प्रारम्भ किया जाए तो बिना आपरेशन के नार्मल डिलीवरी हो जायेगी.आर्य वैदिक पद्धति में तो इस हेतु छः विशेष मन्त्र भी हैं जिनके द्वारा हवन करके बिना किसी दवा प्रयोग के आपरेशन बगैर नार्मल डिलीवरी हो सकती है.(कृपया कर्मकांडियों के झूठ से सावधान रहें क्योंकि उनके पास ये मन्त्र नहीं होंगें,किसी भी पुजारी के पास भी ये मन्त्र नहीं होंगें ).
मांस-पेशियों में या किसी चोट के कारण बदन में दर्द हो तो बायोकेमिक 'मेग्नीशिया फास'६ शक्ति में ४ टी डी एस सेवन करें या शीघ्रता हेतु १०-१० -१० मिनट के अंतराल पर ३ मात्रा गोलियां चूसें या गर्म पानी में घोल कर लें तो तत्काल राहत मिल सकती है.
महात्मा हैनीमेन ने मानवता -हित में सस्ती,अचूक और निरापद चिकित्सा पद्धति उपलब्ध कराई है उनके आज निर्वाण दिवस पर हम उनका साभार स्मरण करते हैं.
विवेकानंद जी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है.उनके हाथ में हंस योग था और वे ३५ वर्ष की आयु पूर्ण करके इस संसार को छोड़ गए,किन्तु अत्यल्प समय में भी उन्होंने देश,समाज और सम्पूर्ण मानवता के लिए जो सन्देश दिया वह सदैव लागू किया जा सकता है.स्वामी जी पर साम्यवाद का पूरा प्रभाव था और इसी लिए उनका कहना था कि,जब तक सारे संसार में प्रत्येक गरीब की झोंपरी में दीपक नहीं जलता और प्रत्येक परिवार को रोटी नसीब नहीं होती संसार में खुश हाली नहीं आ सकती.
अफ़सोस की बात है कि साम्यवादियों के स्थान पर संघियों ने स्वामी विवेकानंद के विचारों को तोड़-मरोड़ कर साम्प्रदायिक रंग में रंग डाला है.'विवेकानंद विचार मंच'के माध्यम से संघ विवेका नन्द जी का साम्प्रदायिक प्रयोग कर रहा है जब कि स्वामी जी के विचार साम्यवाद का प्रचार-प्रसार करने में सहायक हैं.
श्री शेष नारायण सिंह जी ने अपने ब्लाग में पहले ही स्पष्ट किया था कि,अन्ना का भाजपा साम्प्रदायिक प्रयोग कर रही है,उसकी पुष्टि -हिंदुस्तान,लखनऊ के प्रथम पृष्ठ में छपे इस समाचार से होती है.
०४ जूलाई को स्वामी विवेकानंद जी की पुण्य-तिथि है ,इस अवसर पर हमें जनता को जाग्रत करना चाहिए कि स्वामी जी वस्तुतः क्या कहते थे,वह क्या चाहते थे.यह साम्यवादियों का कर्तव्य है कि स्वामी विवेकानंद के विचारों का साम्प्रदायिक दरुपयोग न होने दें.
वर्षा ऋतु में आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नव-रात्र होते हैं जिन्हें अब गुप्त रखा गया है (कर्मकांडियों द्वारा)जबकि सभी को अपने स्वास्थ्य रक्षा हेतु इस अवधि में हवन करना चाहिए जिससे पर्यावरण भी शुद्ध रहता है कीटाणुओं से छुटकारा भी मिलता है.
इस अवसर पर इधर हो रहे ग्रहों के परिवर्तन का असर क्या-क्या हो सकता है,निर्णय सागर पंचांग के अनुसार कुछ का उल्लेख प्रस्तुत है-
राहू-मंगल एक-दुसरे से सप्तम अर्थात १८० डिग्री पर हैं जिनके प्रभाव से जन,धन की क्षति और प्रथ्वी पर उथल-पुथल होने की संभावना है.
सूर्य-शुक्र के एक ही राशि (मिथुन)में होने से वर्षा अच्छी हो ही रही है.कृषी को लाभ रहेगा.
गुरु मेष राशी और शनि के कन्या राशी में होने से षडाष्टक योग बन रहा है जिसके परिणामस्वरूप शासन तंत्र को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा ,श्रमिकों के कोप का सामना करना पड़ेगा.(पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ा कर सर्कार ने आग में घी झोंक ही दिया है).यान-खान दुर्घटनाओं के भी योग इससे उत्पन्न हो रहे हैं और स्वास्थ्य एवं राहत कार्यों हेतु विशेष व्यय करना पड़ेगा.
२३ जूलाई से २६ सितम्बर २०११ तक शुक्र तारा अस्त रहेगा.इसके प्रभाव से व्यापारियों के प्रति शासन का कडा रुख रहेगा.मिथुन राशि वालों पर तथा मालवा,गुर्जर सौराष्ट्र भाग में आपदाएं असर डालेंगीं. पश्चिमी तट पर सागर में चक्रावात आदि आने से क्षति होगी.सेना और सेक्रेटरीज के लिए भारी रहेगा.
१३ अगस्त २०११ को रक्षाबंधन (श्रावणी पूर्णिमा)भी शनिवार को पड़ रही है जबकि ३० जून की अमावस्या भी शनिवार को थी.परिणामतः रोग-शोक की वृद्धि,निर्धन लोगों पर कष्ट,पशुओं तथा मनुष्यों के स्वास्थ्य में न्यूनता,रहने की संभावना है.लिहाजा सर्कार द्वारा विशेष व्यय भी संभावित है.अन्ना को खुला साम्प्रदायिक समर्थन मिलने से जनता के बीच सौहाद्र नष्ट होने की भी सम्भावना प्रबल है.१९७४ में लोकनायक जयप्रकाश के सप्तक्रांति आन्दोलन में घुस कर भ्रष्टाचार को आवरण बना कर जनसंघ ने अपनी ताकत बढ़ा ली थे,फिर १९८८-८९ में वी.पी.सिंह के बोफोर्स भ्रष्टाचार आन्दोलन में घुस कर उनकी सर्कार को नचाया -गिराया और अंततः १९९८-२००० तक खुद के नेत्रित्व में सरकार चलाई.आज फिर अन्ना -आन्दोलन में घुस कर भाजपा-संघ अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं न कि भ्रष्टाचार का खात्मा करना.बगैर धार्मिक भ्रष्टाचार दूर किये आर्थिक भ्रष्टाचार दूर करने की बातें केवल आकाश-कुसुम तोडना ही है.
इसी प्रकार आज 'सीजेरियन' एक विकट समस्या है ,एलोपैथी में इसका प्रचलन अत्यधिक है,जो लोग आर्थिक रूप से समृद्ध और उतावले नहीं हैं वे होम्योपैथी द्वारा सुरक्षित लाभ उठा सकते हैं.'कोलोफाइलम'की ३० शक्ति ४ टी डी एस मात्रा आनुमानित प्रसव तिथि से एक माह पूर्व देना प्रारम्भ किया जाए तो बिना आपरेशन के नार्मल डिलीवरी हो जायेगी.आर्य वैदिक पद्धति में तो इस हेतु छः विशेष मन्त्र भी हैं जिनके द्वारा हवन करके बिना किसी दवा प्रयोग के आपरेशन बगैर नार्मल डिलीवरी हो सकती है.(कृपया कर्मकांडियों के झूठ से सावधान रहें क्योंकि उनके पास ये मन्त्र नहीं होंगें,किसी भी पुजारी के पास भी ये मन्त्र नहीं होंगें ).
मांस-पेशियों में या किसी चोट के कारण बदन में दर्द हो तो बायोकेमिक 'मेग्नीशिया फास'६ शक्ति में ४ टी डी एस सेवन करें या शीघ्रता हेतु १०-१० -१० मिनट के अंतराल पर ३ मात्रा गोलियां चूसें या गर्म पानी में घोल कर लें तो तत्काल राहत मिल सकती है.
महात्मा हैनीमेन ने मानवता -हित में सस्ती,अचूक और निरापद चिकित्सा पद्धति उपलब्ध कराई है उनके आज निर्वाण दिवस पर हम उनका साभार स्मरण करते हैं.
स्वामी विवेकानंद
विवेकानंद जी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है.उनके हाथ में हंस योग था और वे ३५ वर्ष की आयु पूर्ण करके इस संसार को छोड़ गए,किन्तु अत्यल्प समय में भी उन्होंने देश,समाज और सम्पूर्ण मानवता के लिए जो सन्देश दिया वह सदैव लागू किया जा सकता है.स्वामी जी पर साम्यवाद का पूरा प्रभाव था और इसी लिए उनका कहना था कि,जब तक सारे संसार में प्रत्येक गरीब की झोंपरी में दीपक नहीं जलता और प्रत्येक परिवार को रोटी नसीब नहीं होती संसार में खुश हाली नहीं आ सकती.
अफ़सोस की बात है कि साम्यवादियों के स्थान पर संघियों ने स्वामी विवेकानंद के विचारों को तोड़-मरोड़ कर साम्प्रदायिक रंग में रंग डाला है.'विवेकानंद विचार मंच'के माध्यम से संघ विवेका नन्द जी का साम्प्रदायिक प्रयोग कर रहा है जब कि स्वामी जी के विचार साम्यवाद का प्रचार-प्रसार करने में सहायक हैं.
श्री शेष नारायण सिंह जी ने अपने ब्लाग में पहले ही स्पष्ट किया था कि,अन्ना का भाजपा साम्प्रदायिक प्रयोग कर रही है,उसकी पुष्टि -हिंदुस्तान,लखनऊ के प्रथम पृष्ठ में छपे इस समाचार से होती है.
Hindustan-Lucknow-02/07/2011 |
०४ जूलाई को स्वामी विवेकानंद जी की पुण्य-तिथि है ,इस अवसर पर हमें जनता को जाग्रत करना चाहिए कि स्वामी जी वस्तुतः क्या कहते थे,वह क्या चाहते थे.यह साम्यवादियों का कर्तव्य है कि स्वामी विवेकानंद के विचारों का साम्प्रदायिक दरुपयोग न होने दें.
गुप्त नवरात्र (०२ जूलाई-०९ जूलाई २०११)
वर्षा ऋतु में आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नव-रात्र होते हैं जिन्हें अब गुप्त रखा गया है (कर्मकांडियों द्वारा)जबकि सभी को अपने स्वास्थ्य रक्षा हेतु इस अवधि में हवन करना चाहिए जिससे पर्यावरण भी शुद्ध रहता है कीटाणुओं से छुटकारा भी मिलता है.
इस अवसर पर इधर हो रहे ग्रहों के परिवर्तन का असर क्या-क्या हो सकता है,निर्णय सागर पंचांग के अनुसार कुछ का उल्लेख प्रस्तुत है-
राहू-मंगल एक-दुसरे से सप्तम अर्थात १८० डिग्री पर हैं जिनके प्रभाव से जन,धन की क्षति और प्रथ्वी पर उथल-पुथल होने की संभावना है.
सूर्य-शुक्र के एक ही राशि (मिथुन)में होने से वर्षा अच्छी हो ही रही है.कृषी को लाभ रहेगा.
गुरु मेष राशी और शनि के कन्या राशी में होने से षडाष्टक योग बन रहा है जिसके परिणामस्वरूप शासन तंत्र को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा ,श्रमिकों के कोप का सामना करना पड़ेगा.(पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ा कर सर्कार ने आग में घी झोंक ही दिया है).यान-खान दुर्घटनाओं के भी योग इससे उत्पन्न हो रहे हैं और स्वास्थ्य एवं राहत कार्यों हेतु विशेष व्यय करना पड़ेगा.
२३ जूलाई से २६ सितम्बर २०११ तक शुक्र तारा अस्त रहेगा.इसके प्रभाव से व्यापारियों के प्रति शासन का कडा रुख रहेगा.मिथुन राशि वालों पर तथा मालवा,गुर्जर सौराष्ट्र भाग में आपदाएं असर डालेंगीं. पश्चिमी तट पर सागर में चक्रावात आदि आने से क्षति होगी.सेना और सेक्रेटरीज के लिए भारी रहेगा.
१३ अगस्त २०११ को रक्षाबंधन (श्रावणी पूर्णिमा)भी शनिवार को पड़ रही है जबकि ३० जून की अमावस्या भी शनिवार को थी.परिणामतः रोग-शोक की वृद्धि,निर्धन लोगों पर कष्ट,पशुओं तथा मनुष्यों के स्वास्थ्य में न्यूनता,रहने की संभावना है.लिहाजा सर्कार द्वारा विशेष व्यय भी संभावित है.अन्ना को खुला साम्प्रदायिक समर्थन मिलने से जनता के बीच सौहाद्र नष्ट होने की भी सम्भावना प्रबल है.१९७४ में लोकनायक जयप्रकाश के सप्तक्रांति आन्दोलन में घुस कर भ्रष्टाचार को आवरण बना कर जनसंघ ने अपनी ताकत बढ़ा ली थे,फिर १९८८-८९ में वी.पी.सिंह के बोफोर्स भ्रष्टाचार आन्दोलन में घुस कर उनकी सर्कार को नचाया -गिराया और अंततः १९९८-२००० तक खुद के नेत्रित्व में सरकार चलाई.आज फिर अन्ना -आन्दोलन में घुस कर भाजपा-संघ अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं न कि भ्रष्टाचार का खात्मा करना.बगैर धार्मिक भ्रष्टाचार दूर किये आर्थिक भ्रष्टाचार दूर करने की बातें केवल आकाश-कुसुम तोडना ही है.
डा.हैनीमेन एवं स्वामी विवेकानंद पर ज्ञानवर्द्धक जानकारी....
ReplyDeleteहोम्योपेथी के बारे में अच्छी जानकारी प्रदान की है ।
ReplyDeleteसभी उपयोगी हैं ।
लेकिन सिजेरियन के बारे में सहमत होना कठिन है । सिजेरियन के कारण अक्सर मेकेनिकल होते हैं जैसे पेल्विस का छोटा होना । या बच्चे का टेढ़ा होना आदि । इन्हें ठीक नहीं किया जा सकता ।
आपने कुछ इधर की कुछ उधर की के ज़रिए बहुत ही कहत्वपूर्ण जानकारी दी है। आभार आपका।
ReplyDeleteबहुत जानकारीपरक विचार .... आभार
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