गुरु मेष राशी और शनि के कन्या राशी में होने से षडाष्टक योग बन रहा है जिसके परिणामस्वरूप शासन तंत्र को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा ,श्रमिकों के कोप का सामना करना पड़ेगा.(पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ा कर सर्कार ने आग में घी झोंक ही दिया है).यान-खान दुर्घटनाओं के भी योग इससे उत्पन्न हो रहे हैं और स्वास्थ्य एवं राहत कार्यों हेतु विशेष व्यय करना पड़ेगा.
१० जुलाई को हुए हादसे से पूर्व ०२ जुलाई को ही 'कुछ इधर की कुछ उधर की' शीर्षक से लिखे लेख द्वारा इस प्रकार की दुर्घटनाओं की चेतावनी दी थी.परन्तु बुद्धिमान लोगों ने बचाव का कोई प्रबंध नहीं किया और अकाल मौत के मुंह में समां गए.अधिकृत रूप से कुल ७० मौतें बतायी जा रही हैं,यह कैसे संभव है?एक जेनरल कोच में सैंकडों यात्री सफर करते हैं और पूरा का पूरा कोच ध्वस्त हो जाए और एक भी मौत न हो? एस.-२ कोच भी चकनाचूर हो गया और तमाम कोच एक-दुसरे पर चढ गए और कुल मौतें हईं सिर्फ ७० यह बात बिलकुल अविश्वसनीय है.
'पं.बंगाल के बंधुओं से एक बेपर की उड़ान' शीर्षक से लिखे लेख में सुश्री ममता बैनर्जी से सावधान रह कर वोट देने की अपील की थी.परन्तु बंग-बंधुओं ने उपेक्षा की और ममता जी को सत्ता सौंप दी.हिंदुस्तान ,लखनऊ के १२ जुलाई के सम्पादकीय का अवलोकन करें (चित्र ऊपर)तो स्पष्ट होगा उनका ध्येय क्या था? इसी प्रकार पं.बंगाल का शासन अब चलेगा जैसा २२ जून को टाटा कारखाने में सरकारी संरक्षण में लूट से जाहिर भी हो जाता है.यह कह कर बच के नहीं भागा जा सकता ग्रहों के प्रकोप का मुकाबला कैसे करें? प्रत्येक बात का उपचार और उपाय होता है.यदि बचाव करेंगें तो बचेंगें नहीं तो पिसेंगे.मेरा इरादा तो सार्वजनिक रूप से कुछ स्तुतियों और प्रार्थनाओं को जो अर्वाचीन ऋषि-मुनियों द्वारा रचित हैं ब्लॉग पर देने का था.किन्तु ममता जी के पूर्व मंत्रालय के आधीन कार्य-रत भ्रष्ट सर्जन और 'गर्व से....'के प्रवक्ता द्वारा मेरे विचारों को 'मूर्खतापूर्ण कथा'कहने और उसका आर.एस.एस.के पिट्ठू ब्लागर्स द्वारा समर्थन करने के कारण उस प्रक्रिया को त्याग दिया.हालांकि उससे से असंख्य लोग लाभान्वित हो सकते थे.०२ जुलाई वाले लेख में आगे और भी कुछ चेतावनियाँ दी हैं.यदि समय रहते उपाय किये जाएँ तो घटनाओं को घटित होने से न रोक पाने के बावजूद जान-माल की सुरक्षा की जा सकती है.
ममता जी ने अपने दो वर्ष के रेल मंत्रित्व काल में रेलवे की सुरक्षा प्रणाली की और कतई ध्यान नहीं दिया.एक वर्ष से रेलवे बोर्ड में 'सदस्य यातायात' का पद खाली चला आ रहा है.यातायात की सुरक्षा कौन सुनिश्चित करे?यदि ये उपाय किये जाते तो भी इतनी जन-हानि नहीं होती.लेकिन बात जब 'गर्व से....'एवं संकीर्ण साम्प्रदायिकता के निर्वहन की हो तो वैज्ञानिक उपायों को कौन महत्त्व देता है?यदि अन्ना,रामदेव,रवि शंकर या आशा राम कुछ भी बहका दें तो लोग लपक कर उसे अपना लेंगे भले ही काफी नुक्सान भी उठाना पड़े .वैज्ञानिक उपाय बताना तो मूर्खतापूर्ण कथा के रूप में उपहास का हेतु बन जाता है.
राहुल की कवायद मायावती को सत्ता में वापिस लाने हेतु
हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक एवं आई.बी.एन.-७ के मेनेजिंग एडिटर महोदय अन्य गणमान्य लोगों की भाँती ही आज कल श्री राहुल गांधी के गुण-गान में लगे हुए हैं.पूरी की पूरी कारपोरेट लाबी राहुल को किसानों के मसीहा के रूप में पेश कर रही है.प्राचारित किया जा रहा है राहुल २०१२ के चुनावों में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत यूं.पी. में दिला देंगें.बिहार में उनका करिश्मा देखा ही जा चूका है अब यहाँ भी देख लीजियेगा. राहुल गांधी जी की कृपा से मायावती जी आसान जीत के साथ सत्ता में वापिस आ जायेंगीं.
मुलायम सिंह जी जो बसपा को सत्ता में साझीदार बनाने का सर्व-प्रथम श्रेय रखते हैं.अब भाजपा के पूरक के रूप में कार्य कर रहे हैं.इसी लिए आर.एस.एस. समर्थित रामदेव जी का समर्थन करने में उन्होंने पल भर की भी देर नहीं की.यह बात पढ़े-लिखे लोगों को भले ही न समझ आये,परन्तु भोली समझी जाने वाली ग्रामीण जनता को खूब समझ में आती है.बाद में भाजपा ने भी बसपा को खूब सत्ता सुख दिलाया है.अब राहुल साहब प्रदेश सरकार की मुखालफत के नाम पर गांव वालों को भरमा रहे हैं.ऐसे में कांग्रेस की जितनी भी ताकत बढ़ेगी विपक्ष के वोट उतने ही बतेंगें और भाजपा को स्पष्ट लाभ होगा.परन्तु प्रदेश का मुस्लिम वोटर यदि भाजपा को सत्ता में आने देना चाहेगा तभी कांग्रेस को वोट देगा अन्यथा उसका थोक वोट भाजपा को हराने हेतु बसपा को ही मिलेगा जिसकी संभावना अधिक है.जाहिर है मायावती जी को राहुल के अभियान से लाभ ही लाभ है.यही कारण है जबानी हल्ले के अलावा राहुल के विरुद्ध कोई कारवाई बसपा सरकार ने नहीं की है.
क्या बसपा,भाजपा,कांग्रेस को एक साथ पराजित किया जा सकता है?
जवाब हाँ में हो सकता है यदि समझदारी से काम लिया जाए और बेवजह का अहंकार पाल कर नासमझी न बरती जाए तो.परन्ति ऐसी संभावना कम ही है जो अहंकार का त्याग किया जा सके.बिहार में लालू जी ने और यूं.पी.में मुलायम जी ने कम्यूनिस्ट आंदोलन को भारी क्षति पहुंचाई है एवं दोनों के सामने उसका परिणाम भी भुगतने को मिला है.गरीब किसान-मजदूर के हिमायती विधायिकाओं में नहीं पहुँच सके और उनका उत्पीडन-शोषण व्यापक रूप से बढ़ गया है.किसानों की उपजाऊ भूमि हडप कर सरकारें बिल्डरों को सौंप रही हैं जो कुछ राहत मिली है वह न्यायालय के कारण ही.
यदि मुलायम सिंह जी की कथनी और करनी एक है और वह सच में साम्प्रदायिक भाजपा को हराना चाहते हैं तो उन्हें अपनी सरकार बनाने का दावा छोडना होगा.कम्यूनिस्ट एवं किसान नेता का.अतुल कुमार अनजान जिनकी छवि भी उज्जवल है और जो जुझारू नेता भी हैं उनके नेतृत्व में मुलायम सिंह जी एक नया मोर्चा बनाने का मार्ग प्रशस्त करें भले ही इसके लिए उन्हें पूर्व कृत्य के लिए पश्चाताप भी करना पड़े,तब यह संभावना बन सकती है -कांग्रेस,भाजपा और बसपा जो तीनों वर्ग-चरित्र में एक ही हैं एक साथ सत्ता से दूर हो जाएँ.प्रदेश की जनता ऐसा ही चाहती भी है.अभी समय भी पर्याप्त है प्रयास किया जा सकता है,समय बीतने के साथ-साथ परिस्थितियां हाथ से निकलती जायेंगीं.
मुझे लगता है इस आंकलन को समझदार लोग दिवा स्वप्न कह कर उपहास उड़ाएंगें और फिर एक बार नासमझी का परिचय देंगें.
१० जुलाई को हुए हादसे से पूर्व ०२ जुलाई को ही 'कुछ इधर की कुछ उधर की' शीर्षक से लिखे लेख द्वारा इस प्रकार की दुर्घटनाओं की चेतावनी दी थी.परन्तु बुद्धिमान लोगों ने बचाव का कोई प्रबंध नहीं किया और अकाल मौत के मुंह में समां गए.अधिकृत रूप से कुल ७० मौतें बतायी जा रही हैं,यह कैसे संभव है?एक जेनरल कोच में सैंकडों यात्री सफर करते हैं और पूरा का पूरा कोच ध्वस्त हो जाए और एक भी मौत न हो? एस.-२ कोच भी चकनाचूर हो गया और तमाम कोच एक-दुसरे पर चढ गए और कुल मौतें हईं सिर्फ ७० यह बात बिलकुल अविश्वसनीय है.
'पं.बंगाल के बंधुओं से एक बेपर की उड़ान' शीर्षक से लिखे लेख में सुश्री ममता बैनर्जी से सावधान रह कर वोट देने की अपील की थी.परन्तु बंग-बंधुओं ने उपेक्षा की और ममता जी को सत्ता सौंप दी.हिंदुस्तान ,लखनऊ के १२ जुलाई के सम्पादकीय का अवलोकन करें (चित्र ऊपर)तो स्पष्ट होगा उनका ध्येय क्या था? इसी प्रकार पं.बंगाल का शासन अब चलेगा जैसा २२ जून को टाटा कारखाने में सरकारी संरक्षण में लूट से जाहिर भी हो जाता है.यह कह कर बच के नहीं भागा जा सकता ग्रहों के प्रकोप का मुकाबला कैसे करें? प्रत्येक बात का उपचार और उपाय होता है.यदि बचाव करेंगें तो बचेंगें नहीं तो पिसेंगे.मेरा इरादा तो सार्वजनिक रूप से कुछ स्तुतियों और प्रार्थनाओं को जो अर्वाचीन ऋषि-मुनियों द्वारा रचित हैं ब्लॉग पर देने का था.किन्तु ममता जी के पूर्व मंत्रालय के आधीन कार्य-रत भ्रष्ट सर्जन और 'गर्व से....'के प्रवक्ता द्वारा मेरे विचारों को 'मूर्खतापूर्ण कथा'कहने और उसका आर.एस.एस.के पिट्ठू ब्लागर्स द्वारा समर्थन करने के कारण उस प्रक्रिया को त्याग दिया.हालांकि उससे से असंख्य लोग लाभान्वित हो सकते थे.०२ जुलाई वाले लेख में आगे और भी कुछ चेतावनियाँ दी हैं.यदि समय रहते उपाय किये जाएँ तो घटनाओं को घटित होने से न रोक पाने के बावजूद जान-माल की सुरक्षा की जा सकती है.
ममता जी ने अपने दो वर्ष के रेल मंत्रित्व काल में रेलवे की सुरक्षा प्रणाली की और कतई ध्यान नहीं दिया.एक वर्ष से रेलवे बोर्ड में 'सदस्य यातायात' का पद खाली चला आ रहा है.यातायात की सुरक्षा कौन सुनिश्चित करे?यदि ये उपाय किये जाते तो भी इतनी जन-हानि नहीं होती.लेकिन बात जब 'गर्व से....'एवं संकीर्ण साम्प्रदायिकता के निर्वहन की हो तो वैज्ञानिक उपायों को कौन महत्त्व देता है?यदि अन्ना,रामदेव,रवि शंकर या आशा राम कुछ भी बहका दें तो लोग लपक कर उसे अपना लेंगे भले ही काफी नुक्सान भी उठाना पड़े .वैज्ञानिक उपाय बताना तो मूर्खतापूर्ण कथा के रूप में उपहास का हेतु बन जाता है.
राहुल की कवायद मायावती को सत्ता में वापिस लाने हेतु
हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक एवं आई.बी.एन.-७ के मेनेजिंग एडिटर महोदय अन्य गणमान्य लोगों की भाँती ही आज कल श्री राहुल गांधी के गुण-गान में लगे हुए हैं.पूरी की पूरी कारपोरेट लाबी राहुल को किसानों के मसीहा के रूप में पेश कर रही है.प्राचारित किया जा रहा है राहुल २०१२ के चुनावों में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत यूं.पी. में दिला देंगें.बिहार में उनका करिश्मा देखा ही जा चूका है अब यहाँ भी देख लीजियेगा. राहुल गांधी जी की कृपा से मायावती जी आसान जीत के साथ सत्ता में वापिस आ जायेंगीं.
मुलायम सिंह जी जो बसपा को सत्ता में साझीदार बनाने का सर्व-प्रथम श्रेय रखते हैं.अब भाजपा के पूरक के रूप में कार्य कर रहे हैं.इसी लिए आर.एस.एस. समर्थित रामदेव जी का समर्थन करने में उन्होंने पल भर की भी देर नहीं की.यह बात पढ़े-लिखे लोगों को भले ही न समझ आये,परन्तु भोली समझी जाने वाली ग्रामीण जनता को खूब समझ में आती है.बाद में भाजपा ने भी बसपा को खूब सत्ता सुख दिलाया है.अब राहुल साहब प्रदेश सरकार की मुखालफत के नाम पर गांव वालों को भरमा रहे हैं.ऐसे में कांग्रेस की जितनी भी ताकत बढ़ेगी विपक्ष के वोट उतने ही बतेंगें और भाजपा को स्पष्ट लाभ होगा.परन्तु प्रदेश का मुस्लिम वोटर यदि भाजपा को सत्ता में आने देना चाहेगा तभी कांग्रेस को वोट देगा अन्यथा उसका थोक वोट भाजपा को हराने हेतु बसपा को ही मिलेगा जिसकी संभावना अधिक है.जाहिर है मायावती जी को राहुल के अभियान से लाभ ही लाभ है.यही कारण है जबानी हल्ले के अलावा राहुल के विरुद्ध कोई कारवाई बसपा सरकार ने नहीं की है.
क्या बसपा,भाजपा,कांग्रेस को एक साथ पराजित किया जा सकता है?
जवाब हाँ में हो सकता है यदि समझदारी से काम लिया जाए और बेवजह का अहंकार पाल कर नासमझी न बरती जाए तो.परन्ति ऐसी संभावना कम ही है जो अहंकार का त्याग किया जा सके.बिहार में लालू जी ने और यूं.पी.में मुलायम जी ने कम्यूनिस्ट आंदोलन को भारी क्षति पहुंचाई है एवं दोनों के सामने उसका परिणाम भी भुगतने को मिला है.गरीब किसान-मजदूर के हिमायती विधायिकाओं में नहीं पहुँच सके और उनका उत्पीडन-शोषण व्यापक रूप से बढ़ गया है.किसानों की उपजाऊ भूमि हडप कर सरकारें बिल्डरों को सौंप रही हैं जो कुछ राहत मिली है वह न्यायालय के कारण ही.
यदि मुलायम सिंह जी की कथनी और करनी एक है और वह सच में साम्प्रदायिक भाजपा को हराना चाहते हैं तो उन्हें अपनी सरकार बनाने का दावा छोडना होगा.कम्यूनिस्ट एवं किसान नेता का.अतुल कुमार अनजान जिनकी छवि भी उज्जवल है और जो जुझारू नेता भी हैं उनके नेतृत्व में मुलायम सिंह जी एक नया मोर्चा बनाने का मार्ग प्रशस्त करें भले ही इसके लिए उन्हें पूर्व कृत्य के लिए पश्चाताप भी करना पड़े,तब यह संभावना बन सकती है -कांग्रेस,भाजपा और बसपा जो तीनों वर्ग-चरित्र में एक ही हैं एक साथ सत्ता से दूर हो जाएँ.प्रदेश की जनता ऐसा ही चाहती भी है.अभी समय भी पर्याप्त है प्रयास किया जा सकता है,समय बीतने के साथ-साथ परिस्थितियां हाथ से निकलती जायेंगीं.
मुझे लगता है इस आंकलन को समझदार लोग दिवा स्वप्न कह कर उपहास उड़ाएंगें और फिर एक बार नासमझी का परिचय देंगें.
आपकी बात सही है ..समय रहते सुरक्षात्मक कदम उठाये जाये ..... इस विशिष्ट विवेचन का आभार
ReplyDeleteआप के आंकलन बहुत सही प्रतीत हो रहे हैं.
ReplyDeleteराहुल को आगे कर के अब कांग्रेस अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रही है इसमें कोई दो राय नहीं .
अन्ना ,रामदेव जो कहें सर आँखों पर लेकिन कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बात करे तो उसे नज़रंदाज़ कर दिया जाता है.आज लगभग सभी काम ,नाम और दाम से चलते हैं .
2 जुलाई के लेख में स्पष्ट रूप से जन धन कि क्षति यान खान दुर्घटनाओं के बारे में ग्रहों के योग का वर्णन था.रेल दुर्घटनाएं और मुंबई बम विस्फोट से उनकी पुष्टि होती है.यदि बचाव के उपाय किये जाते तो इन से हुए नुक्सान से बचा जा सकता था.
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