हिंदुस्तान ,लखनऊ,12 नवंबर,2011 के समपादकीय और उसी पृष्ठ पर प्रकाशित वैज्ञानिक सुमन सहाय जी के लेख के स्कैन से विस्तृत वर्णन मिल जाएगा। ब्लाग जगत मे अनेक डॉ,इंजीनियर और वैज्ञानिक भी हैं और एक वैज्ञानिक ब्लाग एसोसिएशन भी है परंतु ब्लाग्स मे या फेस बुक पर तीन दिनो तक कोई समाचार नहीं दीखा और आज प्रथम पृष्ठ पर छोटी सी खबर के साथ ये लेख पढ़ने को मिले। डॉ खुराना का निधन विश्व के साथ -साथ भारतीय विज्ञान जगत की भी क्षति है।
एक महान वैज्ञानिक को हमारे देश की सरकारों ने तथा साथ ही हमारे वैज्ञानिकों ने भी उपेक्षित रखा। इसी वजह से जब उन्हे 'नोबुल'पुरस्कार मिला और भारत मे उन्हे अपना बताने की होड मची तो उन्होने बड़ी पीड़ा के साथ कहा था कि वह अब भारतीय नहीं हैं और उन्होने अमेरिकी नागरिकता ले ली है एवं अमेरिकी नागरिक की हैसियत से ही उन्हे यह पुरस्कार मिला है। तब यहाँ के समाचार पत्रों ने स्व अमृत लाल नागर समेत अनेक साहित्यकारों तथा दूसरे लोगों के साक्षात्कार छाप कर यह बताया था कि उनमे से किसी को ऐसा पुरस्कार मिलने पर वे अपने को भारतीय ही बताएँगे। एक प्रकार से यह डॉ खुराना का तिरस्कार करना ही था।
अब भी उनके निधन का समाचार विलंब से ही प्रकाश मे आया है। जो भी हो वह जन्म से भारतीय थे और भारत सरकार तथा यहाँ के लोगों को चाहिए जैसा कि 'सुमन सहाय 'जी ने सुझाव भी दिया है कि अब भी डॉ हर गोविंद खुराना के नाम पर उनकी स्मृति मे पुरस्कार या शिक्षा संस्थानों का नामकरण कर के उन्हे श्रद्धांजली दे सकते हैं।
डॉ खुराना एक महान वैज्ञानिक और डॉक्टर थे . लेकिन जैसा की होता है , हमारे रवैये से क्षुब्ध रहे जो स्वाभाविक था .
ReplyDeleteपिछली सदी के इस महान शोधकर्ता को शत शत नमन और विनम्र श्रधांजलि .
उनका निधन एक अपूरनीय क्षति है।
ReplyDeleteश्रद्धांजलि!
ReplyDeleteहमारी परंपरा प्रतिभा को उपेक्षित करने की है. शायद आगे चल कर हम मानव संसाधनों की कद्र कर पाएँ.
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