एक आर्यसमाजी विद्वान ने 'मानव' की निम्नलिखित पहचान बताई है। यदि हम सभी 'मानव' बन जाएँ तो निश्चय ही आज से प्रारम्भ वर्ष 2012 हम सब को मंगलमय प्रतीत होगा-
त्याग-तपस्या से पवित्र-परिपुष्ट हुआ जिसका 'तन'है,
भद्र भावना -भरा स्नेह-संयुक्त शुद्ध जिसका 'मन' है।
होता व्यय नित-प्रति पर-हित मे, जिसका शुचि संचित 'धन'है,
वही श्रेष्ठ -सच्चा 'मानव'है,धन्य उसी का 'जीवन' है।
सन 1857 की 'क्रान्ति' की विफलता के बाद सन 1875 की चैत्र प्रतिपदा को स्वामी दयानन्द 'सरस्वती' ने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की अलख जन-जन मे जगाने हेतु 'आर्यसमाज' की स्थापना की थी। उन्होने एक सुस्पष्ट राजनीतिक अवधारणा प्रस्तुत की थी। हालांकि आज उनके आर्यसमाज पर अधिकांशतः आर एस एस का नियंत्रण दिखाई देता है जो उनके सिद्धांतों के सर्वथा विरुद्ध चलता है। मथुरा के भजनोपदेशक विजय सिंह जी ने स्वामी दयानन्द के मंतव्य को इस प्रकार स्पष्ट किया है-(और इस नव-वर्ष की पवन-बेला मे हम इसी प्रकार की व्यवस्था को भारत मे स्थापित किए जाने की सदाशा करते हैं)-
जिस दिन वेद के मंत्रों से धरती को सजाया जाएगा।
उस दिन मेरे गीतों का त्योहार मनाया जाएगा। ।
खेतों मे सोना उपजेगा झूमेगी डाली-डाली।
वीरानों की कोख से पैदा होगी जिस दिन हरियाली। ।
विधवाओं के सूने मस्तक पर लाली जब ।
दीन अनाथों निराश्रितों के घर-घर होगी खुशहाली । ।
निर्धन की कुटिया मे जिस दिन दीप जलाया जाएगा।
खलियानों की खाली झोली भर जाएगी मेहनत से। ।
इन्सानों की मजबूरी जब टकराएगी दौलत से।
सदियों की मासूम लड़कपन जाग उठेगा गफलत से। ।
कर्म वीर पौरुष के बेटे जब जूझेंगे किस्मत से।
भूखे बच्चों को जिस दिन भूखा न सुलाया जाएगा। ।
जिस दिन काले बाज़ारों मे धन के चोर नहीं होंगे।
जिस दिन मदिरा के शौदाई तन के चोर नहीं होंगे। ।
जिस दिन सच कहने वालों के मन कमजोर नहीं होंगे।
अंडे मांस के खाने वाले आदम खोर नहीं होंगे। ।
झूठी रस्मों को जिस दिन नीलाम कराया जाएगा ।
वीर शहीदों के जिस दिन कुर्बानी की पूजा होगी। ।
बिस्मिल और सुभाष की जब जिन्दगानी की पूजा होगी।
वीर शिरोमणि झांसी वाली रानी की पूजा होगी। ।
सब कुछ दिया देश के हित उस दानी की पूजा होगी।
दयानन्द के स्व्प्नो को साकार बनाया जाएगा। ।
आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें माथुर जी ।
ReplyDeleteनववर्ष की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
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