Sunday, March 25, 2012

येदियुरप्पा/रोड रेज़ और नवरात्र का स्वांग


Hindustan-Lucknow-24/03/2012
हिंदुस्तान,लखनऊ के 15 मार्च और 24 मार्च के अंको मे छ्पी ये स्कैन आप देख रहे हैं। दोनों बातो मे कोई अंतर नही है। जब अनैतिक व्यापार द्वारा अवैध धनार्जन होता है तो परिणाम ऐसे ही होते हैं जैसे इनमे व्यक्त किए गए हैं। आज समाज मे सिर्फ और सिर्फ पैसे वालों का सम्मान है कोई यह देखने -पूछने वाला नहीं है कि यह धन किस स्त्रोत से आ रहा है। जब गलत स्त्रोत से धन कमाया जाता है तो वह निकलता भी गलत तरीके से ही है। गाजियाबाद के एक जूनियर इंजीनियर जो पूरे सर्विस काल सिर्फ इसी लिए जूनियर ही बने रहे कि तभी वह कारखानों के मीटर चेक करके मालामाल हो सकेंगे। उन्होने अपनी इस काली कमाई को अपने बड़े बेटे के नाम से अपने सालों की काली कमाई से हो रहे बिल्डर व्यवसाय मे लगा दिया। रेत का खेल खेल कर अंधाधुंध पैसा इनके बेटे ने बचाया और क्रेताओ को उल्टे उस्तरे से ठगा। इनके पौत्र के जन्म पर लगभग एक लाख रुपया नर्सिंग होम मे खर्च हुआ तब जाकर इनकी पुत्र वधू और पौत्र की ज़िंदगी बच सकी। इनके दामाद ने इनकी बेटी को छोड़ कर दूसरी जगह विवाह रचा लिया और अब बुढ़ापे मे यह मुक़दमेबाज़ी कर रहे हैं।

झांसी से संबधित बिल्डर लुटेरिया तो नाम के मुताबिक लूटने का ही खेल खेलते हैं। लुटेरिया अपनी भाभी की सहेली के इशारे पर नाहक ही अपने से अंनजान व्यक्ति को भी परेशान करने मे आनंदानुभूति करते हैं। धन के नशे मे चूर ये लोग यह भी नहीं सोचते कि समाज मे सुख-दुख कुएं के रहट की तरह चलते हैं। एक खाली होता है तब दूसरा भरता  है।

आज कल नवरात्र चल रहे हैं इस प्रकार के ठग और लुटेरे दान के नाम पर ढोंग-पाखंड को खूब बढ़ावा दे रहे हैं। आम जनता तो बस पैसे वालों का अंधानुकरण करके अपने लिए आत्मघाती कदम उठा कर ही खुश होती है। स्वांग रचने वालो को खूब पूजा जाता है,जंतर-मंतर पर आज फिर ड्रामा खेला जा रहा है। शोषण और उत्पीड़न को ढकने का ढकन है भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन। IAS अधिकारियों की पत्नियों और पैसे वाले लुटेरो के NGOs रीढ़ हैं ऐसे बहकाने वाले आंदोलनो की। इंनका समर्थन करने वाले सरकारी अधिकारी ढ़ोंगी पूजा करते हुये अपने फोटो फेसबुक पर लगा का बड़े गौरान्वित महसूस करते हैं।

In this mechanical era (कल युग ) मे स्वांग,ढोंग और पाखंड ही धर्म के नाम पर पूजा जा रहा है। धर्म का मतलब दूसरों को नीचा दिखाना और अहंकार प्रदर्शन से आज लगाया जा रहा है। धर्म क्या है ?इसे न तो कोई जानना चाहता है और न ही वास्तविक धर्म को मानने को तैयार ही है। रोज ब रोज रोड रेज़ होते रहेंगे,खदाने लुटती रहेंगी और अखबारों मे खबरे छपती  रहेंगी हमे और आपको पढ़ने लिखने को मसाला मिलता रहेगा कुछ भी नहीं बदलेगा । 

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