Wednesday, February 26, 2014

जयललिता का जयगान और उसके उल्टे परिणाम ---विजय राजबली माथुर

  






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Digest this: #RajyaSabha MPs Sachin Tendulkar and actress Rekha have spent "zero" rupee on development in their respective adopted areas in the last 2 years.



एस श्रीनिवासन साहब का निष्कर्ष यों ही नहीं ठुकराया जा सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारों को इस तरह छोड़ा जाना जनता में विपरीत प्रभाव डाल सकता है विशेष कर अन्य प्रदेशों में तो ऐसा होगा ही। जयललिता जी के जन्मदिवस पर समर्थकों द्वारा 'संसद' की आकृति का केक काट कर खा जाना भी 'संसदीय लोकतन्त्र' के लिए खतरे की घंटी ही सुनाता है। 

फिर पटकनी खाएँगे प्रकाश करात :


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सी पीएम महासचिव खुद को आधुनिक राजनीति का चाणक्य भले ही समझते रहें लेकिन उनको पटकनियाँ खाते रहने की आदत और शौक है। पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह के ज्योति बसु को 1996 में प्रधानमंत्री बनाने के सुझाव को ठुकरा कर भी उन्होने पटकनी ही खाई थी जिस पर बाद में कामरेड ज्योति बसु को 'ऐतिहासिक भूल' कह कर स्वीकारना ही पड़ा था। 

फिर 2012 में ममता बनर्जी द्वारा प्रणव मुखर्जी के विरोध को वास्तविक मानते हुये राष्ट्रपति चुनाव में उनको समर्थन देकर भी वाह ताज़ातरीन पटकनी खा चुके थे क्योंकि ममता जी ने बड़ी चतुराई से अंतिम क्षणों में प्रणव मुखर्जी साहब को खुला समर्थन दे दिया था। 

अपनी गलतियों से कोई सबक न सीखते हुये उन्होने इस बार जयललिता जी को पी एम बनाने का झण्डा बुलंद किया है जबकि जयललिता जी के बारे में एस श्रीनिवासन साहब का निष्कर्ष बिलकुल सटीक और व्यावहारिक है। 

CPI के आफ़िशियल पेज पर संलग्न फोटो यह बताता है कि  1964 में स्थापित पार्टी सी पी एम  के महासचिव साहब देश की सर्वाधिक पुरानी पार्टी CPI के महासचिव को तुच्छ समझते हैं तभी तो कामरेड सुधाकर रेड्डी साहब को अपने से पीछे की पंक्ति में स्थान दिलवाया है।1885 में स्थापित कांग्रेस के 1977 में जनता पार्टी में विलीन होने के बाद 1925 में स्थापित CPI ही आज सबसे पुरानी पार्टी है । केंद्रीय सत्ता में भागीदार इन्दिरा कांग्रेस की स्थापना तो 1969 ई में ही हुई है। 

सी पी आई को पृष्ठभूमि में धकेलना और जयललिता जी से हाथ मिलाना प्रकाश करात साहब को एक नई पटकनी देने वाला ही साबित होने जा रहा है। तामिलनाड में मार्क्सवादी फिल्म निर्माता जेमिनी गनेशन की पुत्री राज्यसभा सदस्य 'रेखा' ,उत्तर-प्रदेश में बसपा-मायावती जी तथा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ मोर्चा बनाना चाहिए था जो कि करात साहब की ज़िद्द के चलते संभव न हो सकता था। 

सी पी एम के समर्थक 'टाईम्स आफ इंडिया' की प्रस्तुति के माध्यम से 'रेखा' को अकर्मण्य सिद्ध कर रहे हैं जिसमें बताया गया है कि पिछले दो वर्षों में उन्होने 'सांसद निधि' का धन व्यय नहीं किया है। वस्तुतः ऐसा करके 'रेखा'जी ने एक आदर्श ही स्थापित किया है। वह कला-क्षेत्र 'फिल्म' से संबन्धित हैं जहां उनको सरकारी धन लगाने की क्या ज़रूरत थी जिसे अन्य जनोपयोगी कार्यों में व्यय किया  जा सकता है? किन्तु  NGOs चलाने वाले CPM के लोग इसे इसलिए गलत बता रहे हैं कि ऐसा न करके रेखा जी ने IAS अधिकारियों,NGOs संचालकों,सरकारी कर्मचारियों द्वारा 'लूट' किए जाने का मार्ग अवरुद्ध कर दिया है। 


जहां CPM के NGOs संचालक सांसद निधि द्वारा लूट में सहयोगी न होने पर 'रेखा' जी की आलोचना कर रहे हैं वहीं CPI के राष्ट्रीय सचिव कामरेड अतुल कुमार अनजान साहब का कहना है-"देश से भ्रष्टाचार खत्म कराने के लिए सांसद व विधायक निधि का समाप्त होना बहुत ज़रूरी है। "

"राज्येश'बुध' की महादशा मे 12 अगस्त 2010 से 23 फरवरी 2017 तक की अंतर्दशाये भाग्योदय कारक,अनुकूल सुखदायक और उन्नति प्रदान करने वाली हैं। 24 फरवरी 2017 से 29 जून 2017 तक बुध मे 'सूर्य' की अंतर्दशा रहेगी जो लाभदायक राज्योन्नति प्रदान करने वाली होगी।
अभी तक रेखा के किसी भी राजनीतिक रुझान की कोई जानकारी किसी भी माध्यम से प्रकाश मे नहीं आई है ,किन्तु उनकी कुंडली मे प्रबल राज्य-योग हैं। जब ग्रहों के दूसरे परिणाम चरितार्थ हुये हैं तो निश्चित रूप से इस राज्य-योग का भी लाभ मिलना ही चाहिए।"
19 अप्रैल 2012 को इसी ब्लाग में मैंने यह विश्लेषण दिया था और 26 अप्रैल 2012 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जी ने 'रेखा'जी को राज्यसभा सदस्य मनोनीत करने की घोषणा कर दी थी। इस निष्कर्ष को देखते हुये जयललिता जी की अपेक्षा यदि वांम मोर्चा ने 'रेखा जी' को आगे करके तमिल पी एम की कल्पना की होती तो स्थिति लाभप्रद रहती। किन्तु जब ज्योतिष को मानते नहीं तो उसके निष्कर्ष पर कैसे ध्यान दे सकते थे? अब हो सकता है कि इन्दिरा कांग्रेस रेखा को आगे करके लाभ उठा ले।" 

यदि 2014 के चुनावों के बाद 'रेखा' जी अथवा 'ममता' जी की अगुवाई में कांग्रेस एक बार फिर सत्ता पर काबिज होती है तो  इसके लिए प्रकाश करात साहब व उनकी सी पी एम ही उत्तरदाई होगी जिसने 'दीवार पर लिखे को ' न पढ़ने की कसंम  खा रखी है। 


~विजय राजबली माथुर ©
 इस पोस्ट को यहाँ भी पढ़ा जा सकता है।

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