https://www.facebook.com/aquil.ahmed.7927/posts/458395827647852
**
****************************************************************************************
****************************************************************************************
अकील अहमद साहब की उपरोक्त पोस्ट व उस पर आई टिप्पणियों का संदर्भ हैं मेरे ये ताज़ातरीन पोस्ट्स :
*****
*****
*****
ठीक ऐसा ही निष्कर्ष है अभिषेक श्रीवास्तव साहब का :
http://www.hastakshep.com/hindi-news/nation/2015/02/25/
*********
ऐसा नहीं है कि मैंने अचानक इस प्रकार की राय दी हो जिस पर अकील अहमद साहब को यह पोस्ट लिखनी पड़ी। 2011 में जबसे कारपोरेट भ्रष्टाचार के संरक्षण में RSS प्रेरित और मनमोहन सिंह जी के आशीर्वादयुक्त हज़ारे/केजरीवाल/रामदेव आंदोलन चला था मैं लगातार अपने ब्लाग के माध्यम से व फेसबुक पर भी उसके विरुद्ध राय देता आ रहा हूँ---http://krantiswar.blogspot.in/
एक लेख का यह फोटो और उसी से एक अनुच्छेद नीचे दिया जा रहा है जिससे स्पष्ट हो जाएगा कि 1990 में मेरा जो आंकलन था वह आज भी उतना ही सटीक है बल्कि उस पर जिस प्रकार अमल हो रहा है अपनी गफलत के कारण वामपंथ आज भी उसका मुक़ाबला करने में न केवल असमर्थ है वरन हज़ारे/केजरीवाल के RSS प्रेरित उस षड्यंत्र में फँसता नज़र आ रहा है जो कि देश के लिए सुखद स्थिति नहीं है।
http://krantiswar.blogspot.in/2011/09/blog-post_25.html
"संघ की तानाशाही:
डा
सुब्रह्मण्यम स्वामी,चंद्रास्वामी और चंद्रशेखर जिस दिशा मे योजनाबद्ध ढंग
से आगे बढ़ रहे हैं वह निकट भविष्य मे भारत मे संघ की तानाशाही स्थापित
किए जाने का संकेत देते हैं। 'संघ विरोधी शक्तियाँ' अभी तक कागजी पुलाव ही
पका रही हैं। शायद तानाशाही आने के बाद उनमे चेतना जाग्रत हो तब तक तो डा
स्वामी अपना गुल खिलाते ही रहेंगे।"
***********
जिस प्रकार सम्पूर्ण वामपंथ हज़ारे/केजरीवाल से सम्मोहित है उसके मद्दे नज़र वह दिन दूर नहीं जब यह कहा जाएगा-'पाछे पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत '।
(विजय राजबली माथुर )
~विजय राजबली माथुर ©
इस पोस्ट को यहाँ भी पढ़ा जा सकता है।
*******************************************************************************
No comments:
Post a Comment
इस ब्लॉग पर प्रस्तुत आलेख लोगों की सहमति -असहमति पर निर्भर नहीं हैं -यहाँ ढोंग -पाखण्ड का प्रबल विरोध और उनका यथा शीघ्र उन्मूलन करने की अपेक्षा की जाती है.फिर भी तर्कसंगत असहमति एवं स्वस्थ आलोचना का स्वागत है.किन्तु कुतर्कपूर्ण,विवादास्पद तथा ढोंग-पाखण्ड पर आधारित टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं किया जाएगा;इसी कारण सखेद माडरेशन लागू है.