कामरेड ए बी बर्द्धन जी ने तो 2014 में ही ममता बनर्जी पर एतराज न होने की बात कही थी।किन्तु वाम मोर्चा ने तब उनकी बात पर तवज्जो नहीं दी थी और नतीजा मोदी की ताजपोशी के रूप में सामने आया। अब इस खतरे से निबटने के लिए लालू प्रसाद जी 2019 में वामपंथियों का भी सहयोग चाहते हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश में सपा का भाजपा समर्थक खेमा जब अपनी ही सरकार को हरवा सकता है तब लालू जी की बात की कितनी कद्र करेगा ? फिर भी यदि लालू जी व वाम मोर्चा मिल कर एक व्यापक 'जनवादी मोर्चा ' सुश्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में गठित करने में सफल हो जाते हैं तो निश्चय ही सरकार बनाने में सफल हो जाएँगे।वाम मोर्चा को बर्द्धन जी की इस नसीहत को भी ( जिसका ज़िक्र छात्र नेता कन्हैया कुमार ने किया है ) ध्यान रखना चाहिए कि, लेफ्ट या वाम का मतलब सिर्फ कम्युनिस्ट होना नहीं है बल्कि वे सभी जनवादी दल जो सांप्रदायिकता व फ़ासिज़्म के विरोधी हैं लेफ्ट या वाम हैं। तामिलनाडू विधानसभा के आगामी चुनावों में राज्यसभा सदस्य ' रेखा जी ' को मुख्यमंत्री तथा आगामी लोकसभा चुनावों में ममता जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना सफलता प्राप्त करने हेतु आवश्यक है अन्यथा पुनः फासिस्ट सरकार के दोहराव की संभावना रहेगी।
कार्पोरेटी दलाल अवश्य ही ममता जी को पी एम बनने से रोकने की गंभीर साजिश करेंगे ।
केंद्र (दशम भाव मे )'शनि' उनको 'शश योग' प्रदान कर रहा है
जो 'राज योग' है।
ममता जी की कुंडली मे 'बुध-आदित्य'योग भी है वह भी 'राज योग' है। षष्ठम भाव का 'केतू' उनके शत्रुओं का संहार करने मे सक्षम है। सप्तम मे उच्च के 'ब्रहस्पति' ने जहां उनको अविवाहित रखा वहीं वह उनकी लग्न को पूर्ण दृष्टि से देखने के कारण 'बुद्धि चातुर्य'प्रदान करते हुये सफलता कारक है। जहां दशम मे उच्च का शनि उनको राजनीति मे सफलता प्रदान कर रहा है वहीं यही शनि पूर्ण दृष्टि से उनके सुख भाव को देखने के कारण सुख मे क्षीणता प्रदान कर रहा है। द्वितीय भाव मे शनि क्षेत्रीय 'मंगल' होने के कारण ही उनकी बात का प्रभाव उनके विरोधियों के लिए 'आग' का काम करता है जबकि यही जनता को उनके पक्ष मे खड़ा कर देता है।
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"अखिलेश ने ममता की मदद की यूपी विधानसभा चुनाव की कैम्पेनिंग के दौरान जब ममता ने नोटबंदी के खिलाफ लखनऊ में अपना विरोध प्रदर्शन किया था तो अखिलेश ने ही उनकी मदद की थी। खुद अखिलेश उन्हें रिसीव करने एयरपोर्ट गए थे। इससे पहले जब अखिलेश के परिवार में कलह चल रही थी तब भी ममता ने उन्हें फोन करके अपना समर्थन जाहिर किया था। मुलायम से नाराज थीं ममता बताया जाता है कि ममता बनर्जी पिछले प्रेसिडेंट इलेक्शन में मुलायम सिंह के यू-टर्न से काफी नाराज थीं। इस वजह से उन्होंने अखिलेश यादव को ही सपोर्ट करने पर फैसला लिया था।"
http://www.janshakti.co.in/category/national/-2019--177573
DCM साहब के अनुसार इसके राजनीतिक निहितार्थ नहीं हैं। पूर्व राज्यपाल के एम मुंशी साहब जब केंद्रीय शिक्षामंत्री के रूप मे ब्रिटिश काउंसिल इन इंडिया का उदघाटन करने गए थे तब उन्होने स्पष्ट कहा था कि, वह वहाँ एक राजनीतिज्ञ की हैसियत से नहीं आए हैं क्योंकि एक राजनीतिज्ञ जब कहे हाँ तब समझें शायद और जब कहे शायद तब समझें नहीं और नहीं तो वह कभी कहता ही नहीं। बड़ी ही सफाई से पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार की पराजय में स्पष्ट भीतरघात को नकार दिया गया है। राजनीतिक नहीं तो व्यापारिक निहितार्थ तो होंगे ही और रिश्तेदारी की बात तो कही ही गई है
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~विजय राजबली माथुर ©
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