Monday, August 16, 2010

काल सर्प योग क्या है?

अभी नाग पंचमी पर देश भर में काल-सर्प योग की शान्ति के विधान हुए होंगे.कहीं जीवित नाग छोड़े गए होंगे तो कहीं सोने या चांदी के नाग दान दिए गए होंगे.पंडित लोग नाग द्वारा शापित किया जाना काल सर्प योग का कारण बताते हैं जो कि वैज्ञानिक आधार पर सही नहीं है।असल में हमारी धरती जो २३.५ डिग्री अपनी धुरी पर झुकी हुई है उसके उत्तरी ध्रुव को राहू तथा दक्षिणी ध्रुव को केतु के रूप में ज्योतिष में शामिल किया गया है.जब किसी का जन्म अपनी धरती के दोनों ध्रुवों के बीच सारे ग्रहों के होने पर होता है तो उसकी कुंडली में यह काल सर्प योग बनता है.काल का मतलब समय-(टाइम) से है और सर्प का मतलब उस समय के बंधन से है जिसमें सब गृह राहू-केतु के बीच में यानी १८० डिग्री के बीच आ गए होते हैं।

सावन के महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी और फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को काल-सर्प योग की शान्ति के लिए ज्योतिष में वैज्ञानिक आधार पर सही माना गया है.इसलिए समाधान भी वैज्ञानिक आधार पर ही किया जाना चाहिएन की,दान-पुन के आडम्बर से इसे जोड़ा जाना चाहिए.अगर कोई गरीब इंसान सोना या चांदी या जीवित नाग का इंतजाम नहीं कर सकता तो क्या पोंगा पंथ में उसके काल-सर्प योग की शान्ति होगी ही नहीं?लेकिन वैज्ञानिक हवन प्रणाली से उसका भी समाधान उन ही होगा जितना किसी अमीर का.वैज्ञानिक उपायों में गरीब-अमीर का भेद नहीं होता और न ही लूट-खसोट की गुंजाइश होती है।
ऋग्वेद के मंडल ७ सूक्त ३५ मन्त्र ११ का विद्वान् कवी द्वारा किया गया अनुवाद देखें :-

भू -नभ अंतर्गत पदार्थ मंगलदायक हो जावें।
विज्ञानी प्रकृति के सारे गूढ़ रहस्य बतावें। ।

प्रकृति के नियमों का नियमबद्ध एवं क्रमबद्ध अध्ययन ही विज्ञान है और ज्योतिषीय विज्ञान का मूल उद्देश्य मानव जीवन को सुन्दर,सुखद और सम्रद्ध बनाना ही है। आज ज्योतिष के नाम पर ज़्यादातर जो हो रहा है वह विज्ञान सम्मत नहीं है। भोली जनता उसी में भटक कर परेशान हो रही है । सच कडुआ होता है और उसे कोई सुनना भी नहीं चाहता है.इसीलिए सच बोलने वालों की आवाज़ नक्कार खाने में तूटी की आवाज़ सिद्ध हो रही है । लेकिन जन -कल्याण सच पर ही टिके रहकर ही हो सकता है .ढोंग पाखण्ड में फंसकर भला किसी का भी नहीं होता है .आर्थिक सम्पन्नता समृद्धि का प्रतीक नहीं है जिस कारण धनवान भी परेशान होते हैं पर सच को अपनाना नहीं चाहते.जब लोग सुधरना ही न चाहें तो सुधार कैसे????


(नोट:रोमन से हिंदी में टाइप होने के कारण वर्तनी की कुछ गलतियां संभव हैं;यथा स्थान कृपया शुद्ध कर पढ़ें।)



Typist-Yashwant

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