Tuesday, July 24, 2012

इन पोंगा पंडितों के रहते भारत मे साम्यवाद दूर की कौड़ी

19 अप्रैल  2012 को 'रेखा  -राजनीति मे आने की सम्भावना' मेरा लेख प्रकाशित हुआ और राष्ट्रपति महोदया ने 26 अप्रैल 2012 को 'रेखा जी' को राज्यसभा के लिए मनोनीत कर दिया तो अगले ही दिन 27 अप्रैल 2012 को  'साम्यवाद के पोंगा पंडित' इन महोदय ने मुझ से  संपर्क किया क्योंकि तब उनकी मान्यता यह थी -
क्रांति स्वर.....: बामपंथी कैसे सांप्रदायिकता का संहार करेंगे? ---
September 19, 2011
Arun Prakash Mishra

  • dekh liyaa ... bahut behtar

  • April 27
    Arun Prakash Mishra


    • Vijai ji, how much you charge?
      Arun


  • April 27
    Vijai RajBali Mathur
    • कामरेड आप क्यों चार्ज की चिंता करते हैं?अपना या परिवार के किसी भी सदस्य का आप निसंकोच पूछ सकते हैं। कई ब्लागर्स को जिनमे दो इस समय केनाडा मे हैं मैंने बिना किसी चार्ज के बताया है और उन्होने उसका लाभ भी उठाया है। वे अपनी विचार धारा के भी नहीं हैं। आप अपने हैं किसी प्रकार की चिंता किए बगैर संबन्धित व्यक्ति का जन्म समय,तारीख,स्थान और संभव हो तो दिन भी भेज देंगे मै विवरण तैयार कर दूँगा। विशेष प्रश्न हो तो उसका भी उल्लेख कर दें।


  • April 27
    Arun Prakash Mishra


    • 14:45
      3-Nov-1955
      kanpur
      videsh ki kyaa sthiti ban rahee hai?


  • April 27
    Vijai RajBali Mathur
    • कल दिन मे आपको विवरण गणना करके भेज दूँगा।


  • April 28
    Arun Prakash Mishra
    • dhanyavad aur aabhaar.

    • April 28
      Vijai RajBali Mathur
      • मिश्रा जी आपका विश्लेषण बना कर ई-मेल मे सेव कर लिया है। कृपया अपना ई-मेल एड्रेस दें जिससे आपको भेज सकें क्योंकि मेसेज मे न आ सकेगा।


    • April 28
      Arun Prakash Mishra
      • drapm@ymail.com

03-11-1955, 14-45 pm,कानपुर पर आधारित विश्लेषण

Vijai mathur
Apr 28

from: Vijai mathur vijai.jyotish@gmail.com
to: drapm@ymail.com
date: Sat, Apr 28, 2012 at 8:28 PM
subject: 03-11-1955, 14-45 pm,कानपुर पर आधारित विश्लेषण
mailed-by: gmail.com
अरुण प्रकाश मिश्रा जी,
नमस्ते,

 03-11-1955, 14-45 pm,कानपुर पर आधारित विश्लेषण 

आपके द्वारा दी गई उपरोक्त विषयक सूचना के अनुसार आपकी जन्म कुंडली संलग्नक के अनुसार निम्नवत होगी-

लग्न-कुम्भ,राशि-मिथुन,नक्षत्र-मृगशिरा तृतीय चरण,कार्तिक कृष्ण चतुर्थी,विक्रमी संवत-2012,शाक-1877,परिध योग,वनिज कारण,दिन-गुरुवार है। 
चतुर्थ भाव मे-वृष का केतू। 
पंचम भाव मे -मिथुन का चंद्रमा। 
सप्तम भाव मे-सिंह का ब्रहस्पति। 
अष्टम भाव मे -कन्या के बुध व मंगल। 
नवां भाव मे-तुला के सूर्य और शनि। 
दशम भाव मे-वृश्चिक के शुक्र व राहू। 

इन सब का सम्मिलित प्रभाव इस प्रकार है-

सभ्य,शांत एवं कुलीन होने के साथ-साथ 'दार्शनिक' विचार धारा के धनी होंगे। दूसरों की सेवा-सहायता व सहानुभूति को सदा तत्पर रहते होंगे। खरी-खरी कहने मे हिचकिचाहट महसूस नहीं करते होंगे। क्रोध आपको जितना शीघ्र आता होगा उतना ही शीघ्र उतर भी जाता होगा। ऐसे संकेत हैं कि बचपन मे सिर मे चोट लगी होगी। जीवन के 52,54,55वे वर्ष अच्छे रहे होंगे। आगे 60वां वर्ष भी अच्छा रहने के योग हैं। आप खुद भी आराम कम करते होंगे और अधीनस्थों को भी आराम न करने देते होंगे। पत्नी भाव मे बैठा -ब्रहस्पति जहां एक ओर आपको विद्वान,कला-प्रिय,व गुणज्ञ बना रहा है वहीं यह आपकी पत्नी को सफल एवं समझदार भी बना रहा है एवं तुनक-मिजाज भी। काव्य,संगीत व नाटक मे भी आपकी अभिरुचि हो सकती है। वृद्धावस्था आनंदमय रहेगी-पूर्ण संतान-सुख प्राप्त रहेगा। 

उच्चाधिकार,मान-प्रतिष्ठा मे बाधाएँ उपस्थित होती होंगी। शत्रु अधिक होंगे व परेशान करने वाले होंगे। नवां भाव स्थित शनि ( जो लग्नेश भी है और  उच्च का भी है)तथा दशम भाव गत राहू आपको सक्रिय राजनीति मे सफलता अवश्य ही दिलाएँगे। आपके जैसा राहू डॉ राजेन्द्र प्रसाद,नेताजी सुभाष बॉस,सदा शिव कान्होजी पाटील,चंगेज़ खाँ एवं महात्मा गांधी की कुंडलियों मे भी था जिसने उन्हें राजनीति मे इतना मान दिलाया किन्तु इन सब को चतुर्थ के केतू ने जीवन के अंतिम वर्षों मे कष्ट भी प्रदान किया अतः आप 'बचाव एवं राहत प्राप्ति' हेतु अभी से ही-'ॐ कें केतवे नमः' का प्रतिदिन जाप 108 या कम से कम 27 बार पश्चिम की ओर मुंह करके तथा धरती और अपने बीच इंसुलेशन बनाते हुये किसी ऊनी आसन आदि पर बैठ कर करें और 'केतू' के दुष्प्रभाव को टालने का प्रयास करें। 

स्वास्थ्य -

कफ,सर्दी,दमा,पीलिया,त्रिदोष,क्षय,जलोदर,मोतिया,लीवर की खराबी,प्रमेह,रक्त-पित्त,सूजन,कैंसर आदि रगों के होने की संभावना है। वृद्धावस्था मे पेट एवं छाती के रोग भी हो सकते हैं। 

अतः आप खट्टी वस्तुओं एवं तेल से बनी चीजों का सेवन न करें। बीड़ी ,तंबाकू,शराब से दूर रहें। 

                                     शुभ                                                                                                अशुभ 


दिन-    सोम,शुक्र व मंगल ,ब्रहस्पतिवार ।                                                                                                  बुध व रविवार ।                                             शनिवार  -हानीदायक। 


रंग-  पीला,लाल,सफ़ेद,क्रीम।                                                                                                                  हरा व नीला।                                                  **************************

शुभ रंगों के वस्त्र धारण करें या कम से कम किसी एक रंग का रूमाल ही साथ रखें।                                           अशुभ रंगों का प्रयोग न करें न ही इन रंगों की पुताई कराएं। 

समय सारिणी 

19-11-1999 से 18-05-2008 तक समय शुभ व सफलता का था। 

19-05-2008 से 15-05-2009 तक 'भूमि' लाभ का समय था। 

16-05-2009 से 03-12-2011 तक हानीदायक समय था। 

04-12-2011 से 09-03-2014 तक लाभदायक समय चल रहा है। प्रयास करके पूरा लाभ उठा लें चूकें नहीं। 

10-03-2014 से 18-11-2016 तक वैसे तो समय सामान्य है और अधिक प्रयास करके ही लाभ उठा सकते हैं किन्तु इसी दौरान 60वा  वर्ष भी आएगा अतः 59 वर्ष पूर्ण करते ही विशेष प्रयास द्वारा विशेष लाभ उठा लें। ढील न होने दें। 

19-11-2016 से 21-10-2018 तक समय उन्नति,लाभ,सुख का रहेगा तदनुकूल प्रयास करते रह कर लाभ अवश्य लें। 

22-10-2018 से 21-05-2019 तक 'हानीकारक' समय है। बचाव एवं राहत प्राप्ति हेतु प्रतिदिन 108 बार-ॐ सों सोमाय नमः'का जाप करें। 

22-05-2019 से 18-10-2019 तक 'रोगकारक' समय रहने की संभावना है। प्रतिदिन-108 बार 'ॐ अंग अंगारकाय नमः'का जाप करें। 

19-10-2019 से 06-11-2020 तक चिंता एवं बाधा का समय है। इससे निबटने हेतु प्रतिदिन-108 बार 'ॐ रा राहवे नमः' का जाप करें। 

07-11-2020 से 08-11-2023 तक समय अनुकूल,धन लाभ का एवं शुभ है। सद्प्रयास से लाभ उठाएँ। 

दान न दें-

1-छाता,कलम,मशरूम,घड़ा,हरा मूंग,हरे वस्त्र,हरे फूल,सोना,पन्ना,केसर,कस्तूरी,हरे रंग के फल,पाँच-रत्न,कपूर,हाथी-दाँत,शंख,घी,मिश्री,धार्मिक पुस्तकें,कांसा और उससे बने बर्तन आदि।

2-सोना,नीलम,उड़द,तिल,सभी प्रकार के तेल विशेष रूप से सरसों का तेल,भैंस,लोहा और स्टील तथा इनसे बने पदार्थ,चमड़ा और इनसे बने पदार्थ जैसे पर्स,चप्पल-जूते,बेल्ट,काली गाय,कुलथी, कंबल,अंडा,मांस,शराब आदि।


विदेश की स्थिति- 

जन्म कुंडली का प्रथम भाव- आत्मा,मस्तिष्क और शरीर का प्रतिनिधित्व करता है,तृतीय भाव -विदेश यात्रा का और नवां भाव -लंबी यात्राओं का। 

आपका लग्नेश 'शनि' नवम भाव मे शुक्र की राशि मे आत्मा के कारक सूर्य के साथ स्थित है। तृतीयेश 'मंगल'अष्टम भाव मे बुध की राशि मे और बुध के साथ स्थित है जबकि बुध की दूसरी राशि मे चंद्र जो मन का कारक होता है स्थित है । शुक्र दशम भाव मे मंगल की राशि मे राहू जो शनि सदृश्य फल देता है के साथ स्थित है। 

इस प्रकार आपके प्रथम 'लग्न' भावके स्वामी 'शनि' का तृतीय भाव के अधिपति मंगल के साथ शुक्र का वहाँ स्थित होने से एवं नवम भाव के स्वामी से उसकी राशि मे वहीं स्थित होने से घनिष्ठ संबंध है। 

ग्रहों के अनुसार आपको लंबी विदेश यात्राएं सम्पन्न करते हुये काफी समय विदेश मे गुजारने के हैं और उन्हीं के अनुरूप आप विदेश यात्राएं करते रहेंगे। 

जहां तक मेरा निष्कर्ष है आप विदेश मे बसेंगे नहीं क्योंकि आपको 'राजनीति' मे सक्रिय भूमिका निभानी है और उसके लिए आपको देश सेवा करनी ही होगी। अब से अक्तूबर 2018 तक महा दशा और अंतर्दशा के हिसाब से आपका समय आपके पक्ष मे है ,आप खुद अपने हिसाब से निर्णय करके इस दौरान सक्रिय होंगे। 

हम चाहते हैं कि आप शीघ्र राजनीति मे उच्च पद ग्रहण करें। हमारी शुभ कामनाएँ आपके साथ हैं। हम भी कह सकेंगे कि ये महान व्यक्ति हमारे पूर्व परिचित हैं। 
Picture 004.jpg
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लेकिन अफसोस यह कि यह व्यक्ति महान नहीं हैं। पत्रकार 'यशवन्त  सिंह' के जेल जाने पर मदन तिवारी जी,अमलेंदू उपाध्याय जी एवं दयानन्द पांडे जी के लेखों को मैंने भी शेयर किया और पत्रकार की रिहाई की मांग का समर्थन किया। तभी से यह भड़क गए और इनहोने यशवन्त सिंह की गिरफ्तारी को जायज ठहराया क्योंकि इनके खुद के संबंध विनोद कापड़ी से रहे हों प्रतीत होते हैं। 'लाल झण्डा यूनिटी सेंटर'-फेसबुक के ग्रुप मे मैं और यह साहब दोनों ही एडमिन थे। मैंने तो इनकी असभ्य एवं अश्लील भाषा प्रयोग (वह भी तब जब यह मुझसे निशुल्क सेवाएँ प्राप्त कर चुके थे)के बावजूद 'लोकतान्त्रिक स्वतन्त्रता' के भाव के कारण इनको नहीं निकाला किन्तु इनहोने मुझे उस ग्रुप से ब्लाक कर दिया । मुझे न तो ग्रुप से हटने पर कोई हानि है और न ही यदि यह मुझे भाकपा से भी निकलवा देंगे (जैसा कि उपरोक्त टिप्पणी से स्पष्ट होता है)तो कोई हानि होगी।वैसे भाकपा के तीन वरिष्ठ नेताओं ने मुझसे कुंडलियाँ बनवाई हैं। लखनऊ के ज़िला सचिव जो मुस्लिम संप्रदाय से हैं श्री कृष्ण को 'साम्यवाद का प्रयोग्कर्ता' बताने मे नहीं झिजकते हैं। प्रदेश सचिव जो ब्राह्मण जाति मे जन्मे हैं 'शिव की जटाओं से गंगा निकालने' की बात कहने मे नहीं शर्माते। राष्ट्रीय एक सचिव  ने 02 फरवरी 2011 की जनसभा मे खुले आम राम चरित मानस से उद्धरण दिये थे। अगर साम्यवाद को जन-प्रिय बनाना है तो जनता को समझाना ही होगा। 'स्टालिन' तक को कम्युनिस्ट न मानने वाले पोंगा साम्यवादी पंडित ए पी मिश्रा जी कुछ ज़्यादा ही प्रकांड विद्वान हैं वह और तरक्की करें,हमारी शुभकामनायें हैं। 


प्रेस और जनता के बीच भाकपा द्वारा जो नया मसौदा जारी किया गया है उसके अनुसार पार्टी भारत के विद्वानों के उद्धरण लेकर जनता के बीच जाना चाह रही है। मेरे प्रयास पहले से ही अपने ब्लाग के माध्यम से इस दिशा मे चल रहे थे और चलते रहेंगे। लेकिन ए पी मिश्रा जैसे 'साम्यवादी पोंगा पंडितों' के रहते भारत मे साम्यवाद का  प्रचार व प्रसार असंभव है क्योंकि ये लोग प्रचलित व्यवस्था मे अपना हित निहित होने के कारण उसका पोषण और पुष्टि करते रहते हैं। यदि 'मनसा-वाचा-कर्मणा' यह साम्यवाद के पोषक होते तो यूनिटी सेंटर को 'ए पी डिक्टेटरशिप सेंटर'मे न तब्दील करते और वस्तुस्थिति को समझते। यह शख्स इतने गरूर मे भरा हुआ है कि देखिये इंनका प्रवचन-

 चूंकि इन महाशय ने अपनी थीसिस मे स्टालिन को गलत साबित किया है इसलिए सारी दुनिया को मान लेना चाहिए कि स्टालिन कम्युनिस्ट नहीं था यह है इनकी अवधारणा। जो यह कहें उसे पूरी दुनिया माने और यह खुद किसी की बात भी नहीं सुन सकते।साम्राज्यवादियो के हित मे इस व्यक्ति ने स्टालिन की आलोचना की तो उस पर डाकटरेट मिलना ही था।  यदि ऐसे लोगों के हाथ मे साम्यवाद को लागू करने का प्रोग्राम दे दिया जाये तो यह सब कुछ गुड-गोबर कर डालेंगे जिससे सारी योजना ही ध्वस्त हो जाये। इंनका उद्देश्य तो यथा-स्थिति बनाए रख कर अपने जन्म-जाति बंधुओं के व्यापार (ढोंग-पाखंड-आडंबर)को बल प्रदान करना है। इनकी कुंडली का विश्लेषण जो इनको भेजा था उसकी कापी ऊपर प्रस्तुत कर दी है। किन्तु जो बातें उस विश्लेषण मे देना उचित नहीं समझा था उनको भी अब उजागर करना आवश्यक है।

 हालांकि किसी की जन्म पत्री का विश्लेषण गोपनीय रखा जाता है और किसी दूसरे को नहीं बताया जाता है परंतु इस अहंकारी और उच्छ्श्रंखल व्यक्ति का विश्लेषण असाधारन और विशेष परिस्थितियों मे सखेद  सार्वजनिक करना पड़ रहा है। क्योंकि जैसा कि इनकी उपरोक्त टिप्पणियों से स्पष्ट है कि यह अपनी फेसबुक वाल तथा लाल झण्डा यूनिटी सेंटर ग्रुप मे मेरे प्रति कुत्सित टिप्पणियाँ सार्वजनिक रूप से करते आ रहे हैं। अतः इंनका चरित्र उजागर करना लाजिमी हो गया था।

पूना मे प्रवास कर रही एक ब्लागर महोदया ने भी 'रेखा' वाले मेरे आलेख की खिल्ली उड़ाई थी जबकि वह अपने बच्चों की चार कुंडलियाँ मुझसे बनवा चुकी थीं। परंतु चेतावनी के बाद फिर उनकी गतिविधियां फिलहाल रुक गई जबकि  विदेश मे प्रवास कर रहे  पंडित ए पी मिश्रा जी बार-बार ,लगातार फेसबुक और इसके ग्रुप मे मेरे विरुद्ध अनावश्यक विष-वमन करते जा रहे हैं। 'जनहित' मे दी गई स्तुतियों को इस शख्स ने 'चाशनी की जलेबी' और मेरे वाचन को 'भारी आवाज़' बताया है। 'स्तुतियाँ' मैंने नहीं रची हैं वे विद्वानों की खोज हैं। मुझे सिर्फ  लोगों के भले का संदेश देना था अपनी आवाज़ को लोकप्रिय बनाना उद्देश्य न था जो पहले गायन सीख कर आता। 'मोटे फ्रेम का चश्मा' अपनी हैसियत या पसंद के अनुसार लगाता हूँ। कोई दूसरा कौन होता है हिदायत देने वाला फिर उम्र मे पौने चार वर्ष छोटे एहसान फरामोश ए पी मिश्रा जी की बातों पर तवज्जो क्यों दी जाये?

यह महाशय अपने कुटुम्ब के साथ द्वेष रखते होंगे। यह ज़रूरत से ज़्यादा कपटी एवं स्वार्थी होंगे। जलाघात एवं वृक्षाघात का इनको सामना करना पड़  सकता है। पुत्रों की ओर से भी इनको दुख मिल सकता है। इनके व्यवहार से इनकी पत्नी का स्वास्थ्य कमजोर रहता होगा और उनको उदर संबंधी रोगों-लीवर /किडनी का भी सामना करना पड़ सकता है। चूंकि इनहोने सार्वजनिक ग्रुप मे मेरे ज्योतिषीय ज्ञान की खिल्ली उड़ाई है अतः इन्हें मेरे द्वारा बताए गए उपायों एवं मंत्रों का सहारा नहीं लेना चाहिए क्योंकि मखौल उड़ाते हुये मंत्रों का प्रयोग उल्टा भी पड़ सकता है। नैतिकता का भी यही तक़ाज़ा है कि जिस बात की खिलाफत करते हैं उससे लाभ न उठाएँ। 

परंतु अहम सवाल तो यह है कि 'साम्यवादी सोच' के लोग इनको साथ लेकर किसका भला कर सकेंगे ?जनता का तो नहीं ही। जब तक ऐसे लोग साम्यवादी विचार धारा मे रहेंगे तब तक भारत मे 'साम्यवाद' की कल्पना दिवा-स्वप्न ही है।

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इस ब्लॉग पर प्रस्तुत आलेख लोगों की सहमति -असहमति पर निर्भर नहीं हैं -यहाँ ढोंग -पाखण्ड का प्रबल विरोध और उनका यथा शीघ्र उन्मूलन करने की अपेक्षा की जाती है.फिर भी तर्कसंगत असहमति एवं स्वस्थ आलोचना का स्वागत है.किन्तु कुतर्कपूर्ण,विवादास्पद तथा ढोंग-पाखण्ड पर आधारित टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं किया जाएगा;इसी कारण सखेद माडरेशन लागू है.