Friday, April 5, 2013

स्क्रीन पर लाल सलाम---विजय राजबली माथुर


आज फेसबुक पर आदरणीय डॉ मोहन श्रोतरीय साहब की यह टिप्पणी पढ़ी---
 http://www.facebook.com/mohan.shrotriya.1/posts/180761168743029

***यह बहु-दलीय प्रणाली को नष्ट करने की साज़िश तो नहीं है?***...............

सवाल यह है कि दूसरी पार्टियां इस खतरे को भांप क्यों नहीं पा रही हैं.?

-मोश्रो
मुझे प्रतीत होता है कि सभी पार्टियां और राजनीतिज्ञ सब कुछ समझ रहे हैं किन्तु जान बूझ कर सब कुछ होने दे रहे हैं। दूसरों की बात कहना अच्छा नहीं रहेगा इसलिए अपनी व्यक्तिगत बात से स्पष्ट करना चाहूँगा। परसों 3 अप्रैल को यशवन्त के पास अपनी पुस्तक टाईप कराने आए एक पूर्व विधायक महोदय ने उससे अपने विचारों पर राय देने को कहा था जिस पर उसने उनसे कहा कि आप जो बोल रहे हैं उसे वैसा ही टाईप करना मेरा ध्येय है किन्तु उस पर गौर करना मेरा लक्ष्य नहीं है। इस बात पर उन साहब का कहना था कि तुम ध्यान से नहीं कर रहे हो और तुमको मेरी बातों पर ध्यान देना चाहिए। रौब दिखाने के लिए उन्होने अपने क्षेत्रीय और सजातीय थानेदार से फोन पर बात करने के बीच मे अचानक फोन उसको देकर कहा इनसे बात कर लो। थानेदार साहब ने उससे कहा कि यह बहुत अच्छे हैं और इंनका काम ध्यान से करना। 

उनके जाने के बाद यशवन्त ने अपने कम्यूटर के स्क्रीन पर 'हंसिया और हथौड़ा' का निशान लोगो के रूप मे लगा दिया और पावर सेवर के रूप मे 'लाल सलाम' लिख दिया। अगले दिन अर्थात कल जब वह विधायक पुनः आए तो इतने परिवर्तन से उनको अपनी बात का जवाब मिल गया प्रतीत हुआ। इत्तिफ़ाकन उत्तर प्रदेश फारवर्ड ब्लाक के प्रदेश अध्यक्ष कामरेड राम किशोर जी भी अपने कार्य से आ गए उनको पहले उन पूर्व विधायक महोदय ने बरगलाना चाहा किन्तु उनके उत्तर से निरुत्तर हो गए। आज वह महोदय बिलकुल शांत रहे और एक कस्टमर की भांति ही अपने काम से मतलब रखा। 

यह दृष्टांत इसलिए दे रहा हूँ क्योंकि उन पूर्व विधायक महोदय को उनके ज़िले से ताल्लुक रखने वाले हमारी भाकपा के एक प्रादेशिक नेता जो जन्मना ब्राह्मण है ने हमे परेशान व भयभीत करने के उद्देश्य से हमारे पीछे लगाया है। (http://vidrohiswar.blogspot.in/2013/04/blog-post.html ---ब्लागर की श्वसुराल से संबन्धित दो ब्राह्मण राजनेताओं को भी हमारे परिवार को नुकसान पहुंचाने हेतु नियुक्त किया गया है।)

उक्त  पू विधायक महोदय अपनी पुस्तक मे 'एकांत मानव वाद' का बार-बार उल्लेख कर रहे हैं और पहले मुझसे राय मांगते रहे हैं। मैं अपनी निश्चित राय अपने ब्लाग पर देता रहता हूँ जो संकीर्ण और पोंगापंथी कामरेड्स तथा शोषणवादी पुरोहितों को एक साथ पीड़ादायक लगती है। इसी कारण भाकपा के वरिष्ठ पदाधिकारी ने अपने सजातीय संघी को बतौर कस्टमर बना कर हमारे यहाँ भेजा है। अतः मैं किसी कस्टमर को अपनी राय अलग से नहीं दे सकता यही उनको कहा था जिसके बाद उन्होने यशवन्त को घेरना चाहा था। 

इस क्षुद्र कृत एवं विगत  कटु अनुभव  के आधार पर मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूँ कि साम्यवादी दल स्वतः सत्ता मे आना ही नहीं चाहते हैं अतः डॉ श्रोतरीय साहब द्वारा उठाई गई पीड़ादायक बात का असर कहीं नहीं होने वाला है। 

जनता साम्यवादियों की ओर आशा भरी निगाहें रखती है किन्तु सम्पूर्ण बामपंथी वर्ग संकुचित दायरे से बाहर आना ही नहीं चाहता जिस कारण उसे जनता का सहयोग और 'मत'नहीं मिल पाता। पूंजीपति आज जातीय आधार पर खुद 'ट्रेड यूनियन्स' गठित करवाने लगे http://vidrohiswar.blogspot.in/2012/11/blog-post.htmlहैं;जमींदार/बिल्डर्स किसानों के संगठन अपने हित मे बनवाने लगे हैं। बामपंथियों के  आधार भूत जन-संगठन हुआ करते थे अब वे इसलिए शक्तिशाली नहीं हैं क्योंकि उनके प्रतिद्वंदी बन कर पूंजीपति समर्थक जन संगठन लोकप्रिय हैं। 
'लकीर के फकीर' के रूप मे साम्यवाद/बामपंथ 'धर्म' को नकारता है और पोंगापंथ-ढोंग-पाखंड को धर्म के रूप मे निरूपित करके स्वतः ही पूँजीपतियों/साम्राज्यवादियों को शक्ति प्रदान करता है। 'धर्म'='सत्य,अहिंसा(मनसा-वाचा-कर्मणा),अस्तेय,अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य'होता है जिसे 'अफीम' कह कर ठुकरा दिया जाता है नतीजतन साधारण जनता 'पूंजी' की 'पूजा' पद्धति को अपना कर लुटती -पिटती रहती है । क्यों नहीं हम सामाजिक सुधार तक अपना दायरा बढ़ा कर जनता को अपने साथ लाते?दोषी कौन?
बामपंथ 'भगवान'या गाड को नहीं मानते और नहीं समझना चाहते इस वैज्ञानिक तथ्य को कि-
'भ (भूमि)+ग (गगन-आकाश)+व (वायु-हवा)+I(अनल-अग्नि)+न (नीर -जल)' इन प्राकृतिक   पाँच तत्वों का समुच्य ही भगवान है और चूंकि ये तत्व खुद ही बने हैं इनको किसी ने बनाया नहीं है इसलिए ये ही 'खुदा' हैं। इन तत्वों का कार्य है-
G(जेनरेट)+O(आपरेट)+D(डेसट्राय) अतः ये ही गाड हैं। 
जब खुद समझेंगे तभी तो जनता को समझाएँगे?खुद को समझना ही नहीं है ;दक़ियानूसी ज़िद्द छोड़ नहीं सकते तो जनता को साम्राज्यवादियों/पूँजीपतियों के हितैषी पुरोहितवादियों के चंगुल से कौन छुड़ाएगा?दोषी कौन?


इस पोस्ट को यहाँ भी पढ़ा जा सकता है।

2 comments:

  1. सार्थक और सटीक आलेख जनमानस मैं एक सवाल पैदा करता हुआ-----

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों ख़ुशी होगी

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