Mukesh Aseem
17-05-2020
दुनिया भर की मेहनतकश जनता की लूट पर आधिपत्य की इन दोनों की होड कोविड महामारी से उत्पन्न संकट में और भी अधिक गलाकाट हो गई है। इसी नाते दोनों की ओर से अभी एक भयानक प्रोपेगैंडा युद्ध छेड दिया गया है।
एक ओर सर्वाधिक विकास और अमीरी का दम भरने वाला ट्रंप नीत अमरीका कोरोना से निपटने में अपनी व्यवस्था के गरीब मुल्कों की तरह ढह जाने की असफलता से ध्यान हटाने के लिए वैश्विक मीडिया के जरिये 'चीनी वाइरस' साजिश को तो जोरों से प्रचारित कर ही रहा है, अमरीकी समाज में श्वेत प्रभुत्ववादी फासिस्ट ताकतों को बढावा दे न सिर्फ चीनियों बल्कि सभी 'अ'श्वेत एशियाई, अफ्रीकी, अरब व हिस्पैनिक नस्ल अल्पसंख्यकों के खिलाफ उसी तरह नफरत फैलाने में लगा है जैसे भारत में हिंदुत्ववादी मुसलमानों के खिलाफ। श्वेत प्रभुत्ववादियों ने भारतीयों समेत इन अल्पसंख्यकों पर बहुत सारे हमले भी किये हैं। याद रहे लिंचिंग का 'उत्सव' अमरीकी श्वेत प्रभुत्ववादियों की पुरानी स्थापित परंपरा है।
दूसरी ओर लुटेरे गिरोह की सरदारी की होड में चैलेंजर होने के नाते चीनी फर्जी कम्युनिस्ट गिरोह की प्रोपेगैंडा शैली भिन्न है। वह सीधा हमला बोलने के बजाय हर मुमकिन तरीके से दुनिया को यह बताने में जुटा है कि अमरीका सहित पुराने साम्राज्यवादी देश दिवालिया व अक्षम हो चुके हैं जबकि चीनी सरकार और पूँजीपति हर स्थिति से कुशलता से निपटने में सक्षम और जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय स्रोत हैं। अतः भविष्य की ताकत वही है और अमरीकी प्रभाव में उसके साथ संबंध बिगाड़ने का जोखिम उठाना ठीक नहीं।
किंतु आर्थिक क्षेत्र में इन दोनों की अर्थव्यवस्था संकट में है और दोनों का शासक पूँजीपति वर्ग मजदूरों के खून को हर मुमकिन तरह से निचोडने में लगा है। अमरीकी शासक खुलेआम कह रहे हैं कि जो वृद्ध, बीमार, अपंग, कमजोर, असहाय पूँजीपतियों के लिए श्रम नहीं कर सकते उनकी जान क्यों बचाई जाये तो दुनिया का सबसे बड़ा पूँजीपति 'कम्युनिस्ट' जैक मा मजदूरों को कह रहा है कि '996' या सप्ताह में 72 घंटे श्रम शक्ति नहीं दे सकते तो मालिकों की ओर से जहन्नुम में जाओ। और ठीक वही सारे पूँजीवादी देशों के शासक वर्ग कर रहे हैं।
इन दोनों लुटेरों में से किसी एक को भी आजादी या विकास की स्वप्नभूमि मान उसके फेक प्रोमोटिड प्रोपेगैंडा पर भरोसा रखने वाले बस गहरे भ्रम का शिकार हैं। विश्व का कोई पूँजीवादी आज मानव समाज की तरक्की में रत्ती भर योगदान नहीं दे सकता बल्कि वे कोरोना से भी बडे संकट पैदा करने वाले हैं। अपने देश के पूँजीपतियों समेत दुनिया भर के पूँजीपतियों के विरुद्ध मजदूर वर्ग की अंतरराष्ट्रीय एकता आज सर्वाधिक जरूरी बन गई है।
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~विजय राजबली माथुर ©
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