स्मृति दिवस 08 अक्तूबर पर विशेष
धनपत राय उर्फ मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जूलाई 1880 और मृत्यु 08 अक्तूबर 1936 को हुई थी। अपने सम्पूर्ण साहित्य लेखन मे प्रेमचंद जी ने आम गरीब आदमी की पीड़ा को समझा और उसका निदान बताने का प्रयास किया है। जिस प्रकार अपने लेखन से उन्होने दासता के विरुद्ध आवाज उठाई थी,उसी प्रकार लेखको के उत्पीड़न के विरुद्ध भी उन्होने सक्रिय भूमिका अदा की। उनके सक्रिय योगदान से लखनऊ के रिफ़ाह-ए-आम क्लब मे 10 अप्रैल 1936 को 'प्रगतिशील लेखक संघ' की स्थापना हुई थी। प्रलेस के पहले अधिवेशन के स्वागताध्यक्ष थे -चौधरी मोहमद अली साहब रुदौलवी।चौधरी साहब के स्वागत भाषण के बाद सर्वसम्मती से प्रेमचंद जी को अधिवेशन का अध्यक्ष बनाया गया था। उन्होने पैतालीस मिनट मे पंद्रह पृष्ठों का भाषण पढ़ा था।
प्रेमचंद जी की प्रेरणा से प्रलेस ने एक घोषणा पत्र भी स्वीकार किया था। सज्जाद जहीर साहब को संगठन का महामंत्री बनाया गया था। प्रेमचंद जी की पुण्य तिथि (08 अक्तूबर 2011)को प्रगतिशील लेखक संघ के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य मे हीरक जयंती समारोह भी लखनऊ मे ही मनाया जा रहा है। इसका उदघाटन डा नामवर सिंह द्वारा किया जाना प्रस्तावित है।
अभी 24 सितंबर 2011 को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा प्रेमचंद साहित्य पर एक गोष्ठी सम्पन्न हुई थी जिसमे दीप प्रज्वलन डा रामवीर सिंह ,केंद्रीय हिन्दी संस्थान,आगरा द्वारा किया गया था। डा रामवीर सिंह जी कमलानगर ,आगरा मे हमारे पड़ौसी रहे हैं और वह अपनी बारात मे भी हमे ले गए थे। उनके लखनऊ आगमन पर इस कार्यक्रम मे अपनी अस्वस्थता के कारण भाग न ले सकने का अफसोस है। परंतु उनके द्वारा व्यक्त विचारों को इस स्कैन के माध्यम से प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
हिंदुस्तान25/09/2011 |
मुंशी प्रेमचंद जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteनमन ऐसे महान रचनाधर्मी को....... सार्थक पोस्ट
ReplyDeleteमुंशी प्रेमचंद ने अपने सरल लेखन से सबका मन मोह लिया था ।
ReplyDeleteउनकी पुण्य तिथि पर उन्हें विनम्र श्रधांजलि ।
मुंशी जी मेरे भी सबसे प्रिय लेखक हैं उनके बारे मेन जानकारी देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार मेरी ओर से भी उन्हें विनम्र एवं भावभीनी श्र्धांजलि।
ReplyDeleteआपको कभी समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/