Wednesday, March 14, 2012

धर्म की गलत व्याख्या और हत्याये



दोनों चित्र साभार-हिंदुस्तान-लखनऊ -14/03/2012 
पूर्व पुलिस कमिश्नर वाई पी सिंह साहब ने बहुत ही स्पष्ट ढंग से समझाया है कि किस प्रकार ईमानदार अफसरो को प्रताड़ित होना पड़ता है और भ्रष्ट अफसर,नेता व ठेकेदार मजे मे रहते हैं। सपा नेत्री शम्मी कोहली की हत्या भी ऐसे धंधे और राजनीति का घालमेल ही है। शम्मी कोहली का शराब का व्यवसाय था और उसी के बूते उन्हे सबसे पहले कांग्रेस ने आगरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ाया था जिसमे वह भाजपा से हार गई थी। सपा मे एक और शराब व्यवसाई नेत्री आशा खंडेलवाल थी अतः शम्मी कोहली कांग्रेस छोड़ कर बसपा मे चली गई। 2007 मे आगरा पूर्वी विधान सभा क्षेत्र से उन्होने अपने बेटे नितिन के लिए बसपा का टिकट मांगा था जो न मिलने पर 'बसपा कांशी राम'बना कर उसने चुनाव लड़ा और हारने के बाद माँ -बेटे सपा मे शामिल हो गए क्योंकि आशा खंडेलवाल सपा से बसपा मे चली गई थी। बाद मे आशा खंडेलवाल फिर सपा मे लौट भी आई। कमलानगर मे ही नितिन का टाटा इंडिकाम का फ्रेचाईजी भी था जो झगड़ो के कारण ही टाटा ने टेक ओवर कर लिया था।

आशा खंडेलवाल के तो लड़के ही झगड़ालू थे किन्तु शम्मी कोहली खुद भी बेटो के साथ-साथ झगड़ालू थी। आशा खंडेलवाल का समर्थक भट्टा-व्यवसाई मनोज अग्रवाल कई बार शम्मी कोहली द्वारा कार से खींच-खींच कर पीटा जा चुका था। शम्मी कोहली पुलिस अधिकारियों से भी दबंग व्यवहार रखती थी। अब उनके बेटे नितिन ने अपने भाई की पत्नी के विरुद्ध उनकी हत्या मे शामिल होने का इल्जाम लगाया है। अखबार मे शम्मी कोहली की उम्र 46 वर्ष दी है। 2007 मे यदि नितिन कोहली 25 वर्ष का रहा हो तो अब 30 वर्ष का होगा इस प्रकार उसके जन्म के समय शम्मी कोहली की उम्र 16 वर्ष रही होगी। तो क्या शम्मी कोहली का बाल-विवाह हुआ था?

क्या और क्यो व कैसे हुआ कानून की समस्या है। किन्तु हमारा उद्देश्य यह बताना है कि ऐसी समस्याएँ चाहे वे ईमानदार पुलिस अधिकारी नरेंद्र जी की हत्या हों या भ्रष्ट नेत्री शम्मी कोहली की हत्या केवल और केवल गलत सामाजिक परम्पराओं एवं गलत धार्मिकता के बोलबाले के कारण घटित होती हैं। शराब व्यवसाई आशा खंडेलवाल प्रतिवर्ष भागवत,देवी भागवत,रामायण आदि के पाठ करा कर पुरोहितो को ऊंची -ऊंची रकमे दक्षिणा मे भेंट करती हैं बदले मे ये तथा कथित धार्मिक पुरोहित आशा खंडेलवाल को दयालू,सहृदय और बेहद धार्मिक महिला घोषित करते रहते हैं जबकि उनका व्यवसाय ही अनैतिक है। इसी प्रकार शम्मी कोहली भी ढोंग-पाखंड के आडंबर करते रह कर धार्मिक मानी जाती थी। व्यापारी ,बिल्डर,आदि अपने कर्मचारियो को शराब पिला-पिला कर उनकी आदत बिगाड़ देते हैं जिसका खामियाजा उनकी पत्नी और बच्चो को भुगतना पड़ता है। अनेकों परिवारों को भुखमरी और बदहाली के कगार पर पहुंचाने वाली शराब की ये व्यापारी नेत्रिया धार्मिक पुरोहितो द्वारा धर्मपरायाण घोषित होने के कारण जनता मे भी श्रद्धा से देखी जाती रही है।

मै इस ब्लाग मे अनेकों बार 'धर्म' को स्पष्ट कर चुका हूँ किन्तु खेद  है कि तमाम पढे-लिखे समझदार लोग भी अंध-विश्वास और ढोंग-पाखंड को ही धर्म मानते है और मेरा उपहास उड़ाते हैं। केवल दो हतयाये तो उदाहरण मात्र है सम्पूर्ण देश मे प्रतिदिन बहुत कुछ अनैतिक घटित होता रहता है और जिम्मेदार लोग खुद आत्मावलोकन करने के बजाए राजनीति और राजनेताओ को दोषी ठहरा कर अपने कर्तव्य की इति श्री कर लेते हैं। जब तक समाज मे धर्म की अधार्मिक व्याख्याए प्रचलित रहेंगी और पुरोहितो का ढोंग-पाखंड पूजा जाता रहेगा समाज व राष्ट्र मे सर्वत्र अव्यवस्था एवं अशांति व्याप्त रहेगी। सबसे पहले आडंबर को हटा कर धर्म को शुद्ध करना होगा तभी सब कुछ स्वतः शुभ होगा।

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