Thursday, March 19, 2015

कामरेड जितेंद्र रघुवंशी की नज़र में कार्ल मार्क्स



उपरोक्त में एक तो कामरेड जितेंद्र रघुवंशी जी लिखित उनका लेख है जिससे उनके क्रांतिकारी विचारों का परिचय होता है दूसरा 'ताज महोत्सव' के परिप्रेक्ष्य में व्यक्त उनके नाट्य- कला के प्रति वेदनात्मक अभिव्यक्ति।
भाकपा,आगरा की कार्यकारिणी में मुझे जितेंद्र जी के साथ कार्य करने का अवसर मिला है IPTA के उनके कार्यक्रमों को देखने भी अधिकांशतः जाते ही थे। उनके साथ व्यक्तिगत रूप से भी विचारों का आदान-प्रदान होता रहता था।

 आगरा से मेरे लखनऊ आने के बाद भी वास्तविकता जानने हेतु मुझ पर ही उन्होने भरोसा किया जबकि बड़े-बड़े दिग्गजों से उनके यहाँ पर संपर्क पहले से ही मौजूद थे। पी एच डी होल्डर एक ब्राह्मण कामरेड ने 60-70 sms भेज कर राष्ट्रीय सचिव कामरेड अतुल अंजान साहब के बारे में अनर्गल-भ्रामक अफवाह उड़ा दी थी जो कि उनके आश्रयदाता वरिष्ठ ब्राह्मण कामरेड द्वारा एक इंगलिश मेगज़ीन में छ्पवाई गई थी :
  • January 11, 2014
  • Jitendra Raghuvanshi
    1/11, 10:53pm
    Jitendra Raghuvanshi

    Anjan ji kee kya nayee khabar hai?
  • January 12, 2014
  • Vijai RajBali Mathur
    1/12, 3:41pm
    Vijai RajBali Mathur

    भाई साहब, लाल सलाम , मैं आपके प्रश्न का आशय समझ नहीं पाया था इसलिए आपके मोबाईल व घर पर फोन किया था। आप शायद कार्यक्रम में होंगे। 10-12-2014 का उनका यह बयान जो उन्होने खुद शेयर किया है आपको संलग्न कर रहा हूँ। वैसे आपको कोई नई बात ज्ञात हो तो सूचित करने का कष्ट करें।

उनका फेसबुक पर लिखा  यह संदेश ही उनका अंतिम संदेश बन गया है। उनकी बातों व यादों को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। :
(विजय राजबली माथुर )
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यही लेख 'साम्यवाद (COMMUNIST)' ब्लाग पर भी उपलब्ध है :
http://communistvijai.blogspot.in/2015/03/blog-post_19.html
  ~विजय राजबली माथुर ©
 इस पोस्ट को यहाँ भी पढ़ा जा सकता है। 
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1 comment:

Anonymous said...

कामरेड जितेंद्र रघुवंशी के ऊपर बहुत बेहतरीन लेख प्रस्‍तुत किया है आपने।