Sindhu Khantwal
नोट बन्दी फ़ैसला:
"देश बुरे दौर से गुज़र रहा है" .....
पढ़िये..और अगर सहमत हैं तो शेयर कर
पहुँचाइये दिल्ली तक..
(न्यूज़ पोर्टल )
"ये दबदबा ये हुकूमत ये नश्शा ये दौलत
किरायेदार हैं सब घर बदलते रहते हैं..।"
मोहतरम प्रधान मंत्री साहब..
आपको याद होगा राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर और
तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का वाक़या
जब संसद की सीढ़ियों से उतरते हुये नेहरू के पैर फ़िसल जाने
पर उन्हें सँभालते हुये दिनकर जी ने कहा था..के सियासत के
क़दम जब जब भी लड़खड़ाये हैं...अदब और साहित्य ने उन्हें
संभाला है............आज उसी अदब और साहित्य का एक और
वंशज एक और बेटा देश की हक़ीक़त से आपको आगाह कर रहा है.....क्योंकि देश की बिकाऊ मीडिया आपके गुणगान और चाटुकारिता के अलावा शायद अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी को भूल चुकी है..।
नोट बंदी और कालेधन पर लगाम लगाने के लिये आपके इस फ़ैसले का देश एहतराम (सम्मान) करता है...क़ाबिले तारीफ़ क़दम..है आपका,
लेकिन हुज़ूर ..आपके पास सत्ता थी, आपके पास सिस्टम था, आपके पास ब्यूरोक्रेट्स से लेकर सरकारी मशीनरी का पूरा ज़खीरा था..और था नहीं अभी भी है....फ़िर आख़िर कैसे देश को इतनी बड़ी परेशानी, इतनी बड़ी मुसीबत में धकेल दिया...?
आप तो ऐसे डॉक्टर निकले जिसने बगैर दर्द का इंजेक्शन
दिये ही आपरेशन कर दिया...हुज़ूर एसी कमरों में बैठकर,
चार्टर्ड प्लेनों से सफ़र करते रहने से आम इंसान (जनता) का
दर्द नहीं महसूस किया जासकता, उसके लिये ज़मीनी हकीकत को समझना होगा...और ज़मीनी हकीकत ये है के..
आपके इस तुग़लकी फ़रमान से सबकुछ ठहर सा गया है..देश
की रफ़्तार थम सी गयी है..
एक बाप पैसे न होने की वजह से
अपनी बेटियों को ख़ुद फाँसी लगाकर मार देने और ख़ुद भी मर जाने के लिये बेबस है, ......एक माँ अपने नौनिहालों के दो घूँट दूध के पैसे के लिये पूरे दिन ATM और बैंकों के सामने लाइन में खड़ी होने के लिए मजबूर है,.... एक भाई अपनी जवान बहन के हाथ पीले करने के लिये शादी के पैसों के इंतज़ाम में सबके सामने हाथ फ़ैलाने को मजबूर है, एक किसान ख़ामोश और बदहवास है कि खेती के लिये खाद और बीज के पैसे कहाँ से लाये.....एक मरीज़ इलाज के पैसे न होने पर दम तोड़ने को मजबूर है, एक मज़दूर सुबह से शाम तक पसीना बहाने के बाद भी बिना मज़दूरी ख़ाली हाथ घर लौटने के लिये मजबूर है....
कोई सड़कों पर मर रहा है, कोई Atm और बैंक के सामने लगी लाइन में मर रहा है, कोई खेत की मेंड़ पर सदमें में मर रहा है, कोई अस्पताल की फ़र्श पर दवा के पैसे न होने की बजह से दम तोड़ रहा है, कोई घर में भूखे बच्चों के साथ आत्महत्या कर रहा है....
ये है आपके तुग़लकी फ़रमान की हकीकत..जो मीडिया आपको न ही बतायेगी और न ही दिखाएगी.......अब तो ऐसा लगता है उसका सिर्फ़ एक काम है आपकी जयजयकार करना...
आप देश से 50 दिन माँग रहे हो....ये बहुत छोटी बात है...देश की जनता आपको 50 के बदले 500 दिन देने के लिये तैयार है लेकिन .....आप देश को दर्द का इंजेक्शन0 देकर आपरेशन करो...क्योंकि कहीं ऐसा न हो दर्द हद से बढ़ जाये और लोग इस दर्द का इलाज ख़ुद ढूँढने सड़कों पर उतर आयें.जैसा के आपको बार बार देश की इंटिलिजेंस और ख़ुफ़िया एजेंसियाँ आगाह कर रही हैं ।
जागो हुज़ूर जागो नींद से
इससे पहले के हालात बेक़ाबू होजायें,
क्योंकि देश इस वक़्त बहुत बुरे दौर से गुज़र रहा है..।
साभार :
Sindhu Khantwal |
~विजय राजबली माथुर ©
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