Tuesday, July 31, 2012

जन-क्रान्ति

'विद्रोह' या 'क्रांति' कोई ऐसी चीज़ नहीं है कि,जिसका फिस्फोट एकाएक -अचानक होता है बल्कि इसके अनन्तर 'अन्तर' के तनाव को बल मिलता रहता है। 'क्रांतिस्वर' ब्लाग का प्रारम्भ 02 जून 2010 को किया गया किन्तु इसमे प्रकाशित अधिकांश लेख पूर्व मे ही विभिन्न साप्ताहिक ,पाक्षिक और त्रैमासिक पत्र-पत्रिकाओं मे छ्प चुके थे जिंनका पुनर्प्रकाशन ब्लाग पर किया गया। 'सामाजिक' 'राजनीतिक,' 'आध्यात्मिक ' और 'ज्योतिष' सम्बन्धी विचारों का संकलन इस ब्लाग मे उपलब्ध है। फेसबुक पर विभिन्न ग्रुप्स मे उनके प्रवर्तकों ने मुझे भी शामिल किया हुआ है। इनमे से एक 'लाल झण्डा यूनिटी सेंटर' भी है। इसके प्रवर्तक ने मुझे भी एक एडमिन बनाया था और कुछ और लोगों को भी। एक अहंकारी एडमिन ने अकारण मेरे विरुद्ध ग्रुप मे पहले तो लिखा फिर मुझे ग्रुप से हटा दिया।  उस पर मैंने यह टिप्पणी दी थी-

''22 जूलाई 2012 ,"
"पोस्टको बिना पढे बिना समझे टिप्पणी करने वाले या अलग से उसके विपरीत पोस्ट लिखने वाले चरित्र मे कितने दोहरे हैं यदि सार्वजनिक रूप से खुलासा कर दिया जाये तो मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। पंडित जी अपने जाति-वर्ग के हितोंके संरक्षण हेतु यह तिकड़म कर रहे हैं। जो निष्कर्ष मैंने दिया है उसे मानने से तमाम मंदिरों मे राम की पूजा व्यर्थ हो जाएगी। अयोध्या विवाद का सवाल ही नहीं रहेगा तो पंडितों का रोजगार कैसे चलेगा? अतः साम्यवादी का चोला ओढे RSS के पंडित जी गुमराह कर रहे हैं उनको यह भी खटकता है कि एक गैर-ब्राह्मण क्यों और कैसे ज्योतिषी बन गया और क्यों और कैसे जनवादी-निष्कर्ष दे रहा है? उनको अपने व्यापारी,उद्योगपतियों के शोषण और लूट पर चोट महसूस हो रही है।"

कल जब 'लाल झण्डा यूनिटी सेंटर'मे यह पोस्ट दी थी तब उसके जवाब मे उन पंडित जी ने ग्रुप से मुझे एडमिन के नाते हटा दिया जबकि उसी ग्रुप मे मैं भी एडमिन था और उनकी असभ्य,अश्लील भाषा पर मैं भी उनको हटा सकता था किन्तु मैं लोकतान्त्रिक स्वतन्त्रता का पक्षधर हूँ और ऐसा नहीं किया। वह अब भी लोगों को गुमराह कर रहे हैं और उनके हितैषी ही मुझे सूचित कर रहे हैं उनकी गतिविधियां।


परंतु प्रश्न यह है कि,'राम' की तुलना 'ओबामा'से किया जाना तो पंडित जी का साम्यवाद है और उसके प्रतिवाद मे 'राम' को 'साम्राज्यवादी रावण' का ध्वंसकरता बताना उन पंडित जी की निगाह मे गैर कम्युनिस्ट आचरण है। एक ओर भाकपा ने भारतीय विद्वानों और समाज-सुधारकों के माध्यम से जनता के बीच स्थिति मजबूत बनाने का मसौदा जारी किया है तो दूसरी ओर इन्टरनेट जगत मे RSS के घुसपैठिया तथाकथित साम्यवादी विद्वान 'लाल झण्डा यूनिटी सेंटर ' को संकुचित घोंघे मे तब्दील करने पर आमादा हैं। कल 'दोहरा चरित्र' शीर्षक से नोट मे उनके द्वारा मुझसे अपना ज्योतिषीय विवरण मांगने का ब्यौरा सार्वजनिक किया जा चुका है।"
· · · Sunday at 9:16am



    • Rajyashree Tripathi Aap vaise Group se bahara hain... yahi achchh hai. Aapaki pratibha aur nirpekshita ka jahan samman ho, aap unhi ke saath sakriya hon, yah aagraha hai.
      वे क्या पोस्ट्स थीं जिनके कारण 'पोंगा साम्यवादी पंडित जी' ने मुझे ग्रुप से हटाया है उनको संग्रहीत करके ई-बुक के रूप मे प्रकाशित किया जा रहा है। यह पुस्तक 'प्रगतिशील लेखक संघ' के संस्थापक अध्यक्ष और प्रख्यात साहित्यकार 'मुंशी प्रेमचंद' जी के जन्मदिन पर उनको श्रद्धांजली स्वरूप समर्पित है।

Saturday, July 28, 2012

नए महामहिम ---केंद्र मे गैर कांग्रेस/भाजपा सरकार का रास्ता साफ

महामहिम प्रणब मुखर्जी साहब की शपथ कुंडली का विश्लेषण भी।

"मैं इंदिरा जी के कहने पर झाड़ू भी लगाने को तैयार हूँ "--1982 मे तब के गृह मंत्री ज्ञानी ज़ैल सिंह जी ने उनको राष्ट्रपति पद के लिए नामित किए जाने पर यह कहा था। 1987 मे इन्दिरा जी के पुत्र राजीव गांधी को धमकी दी थी कि यदि उनकी आलोचना करने वाले प्रोफेसर के के तिवारी को मंत्री मण्डल से न बर्खास्त किया तो वह वेंकट रमन जी के राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार कर देंगे और अंततः प्रो तिवारी हटाये गए थे। जन मोर्चा नेता वी पी सिंह आदि ने वेंकट रमन जी से भेंट कर आश्वासन ले लिया था कि निर्वाचन के बाद वह राजीव गांधी को अनावश्यक समर्थन नहीं देंगे और विपक्ष की सरकार बनवाने मे मदद देंगे।

 वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी साहब ने अपनी राजनीति की शुरुआत 'बांग्ला कांग्रेस' से की थी। राजीव गांधी जी के अंतिम कार्यकाल मे आपने एक बार फिर कांग्रेस छोड़ कर अपनी 'समाजवादी कांग्रेस' बनाई थी जिसका विलय 1989 के चुनावों के समय पुनः कांग्रेस मे कर दिया था किन्तु राजीव जी बहुमत न प्राप्त कर सके। मुखर्जी साहब ने भी मुलायम सिंह आदि विपक्षी नेताओं को वेंकट रमन जी जैसा ही आश्वासन दे दिया था जिसके बाद उनको विपक्ष का भी व्यापक समर्थन मिला और वह बड़े बहुमत से विजयी हुये। आइये देखें क्या कहती है उनकी शपथ कुंडली- 

समाचार पत्रों मे प्रकाशित खबरों के अनुसार मुखर्जी साहब ने राष्ट्रपति पद की शपथ नई दिल्ली मे ,25 जूलाई 2012 की प्रातः 11-20 पर ग्रहण की। उस दिन विक्रमी संवत के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी (तुलसी दास जयंती)थी। तिथि -सप्तमी ,दिन-बुधवार,नक्षत्र-चित्रा और लग्न-कन्या तथा 'सिद्धि योग'  सभी शपथ ग्रहण हेतु शुभ थे। मुखर्जी साहब की नाम राशि 'कन्या' है और कन्या लग्न मे ही शपथ ग्रहण हुआ है चंद्र के भी वहीं रहने से राशि भी 'कन्या' ही थी। कन्या राशि का स्वामी 'बुध'-ज्ञान-बुद्धि-विवेक का होता है।

प्रथम भाव (लग्न)-कन्या जिसमे चंद्र,शनि,मंगल स्थित हैं।


तृतीय भाव-वृश्चिक का राहू।

नवे भाव मे-'वृष' के 'गुरु',शुक्र,केतू हैं।

एकादश भाव मे-'कर्क' के सूर्य और बुध।

मुखर्जी साहब ने अपने नाम के अनुकूल लग्न और राशि का तो चयन शपथ ग्रहण हेतु कर लिया किन्तु वहाँ उपस्थित 'चंद्रमा' उनके मस्तिष्क पर कार्यकाल के दौरान निरंतर भारी दबाव बनाए रखेगा। शनि-मंगल की युति उनको द्वंद मे फंसाए रहेगी। परंतु लग्न बुध की होने और बुध के सूर्य के साथ मजबूत स्थिति मे होने से वह समस्याओं पर बखूबी नियंत्रण प्राप्त कर लेंगे।

द्वितीय भाव 'जनता' का भाव होता है जिसमे 'तुला' राशि है और उसका स्वामी 'शुक्र' शुभ स्थान नवे मे अपनी ही 'वृष' राशि मे स्थित है जिसका अभिप्राय यह है कि मुखर्जी साहब को जनता का स्नेह व समर्थन पर्याप्त मिलेगा। हालांकि गुरु की ओर से झंझट भी खड़े हो सकते हैं परंतु गुरु का विरोधी शुक्र सबल होने से वह गुरु को काबू कर लेगा।

तृतीय भाव 'पराक्रम' और 'जनमत' का होता है जहां राजनीति का कारक 'राहू' बैठा है जो वृश्चिक राशि है जिसका स्वामी 'मंगल' लग्न मे बैठ कर शत्रुओं का संहार कर रहा है। इसका आशय यह है कि विवाद की स्थिति मे राष्ट्रपति महोदय दृढ़ता पूर्वक 'ठोस' निर्णय लेकर 'जनमत' का समर्थन प्राप्त कर लेंगे।

चतुर्थ भाव 'लोकप्रियता' व 'मान-सम्मान' का होता है। यहाँ गुरु की धनु राशि है और गुरु शुभ नवे स्थान मे बैठ कर लग्न ,तृतीय और पंचम स्थानों पर दृष्टिपात कर रहा है जो महामहिम के लिए शुभ हैं। अतः उनको पर्याप्त लोकप्रियता व मान-सम्मान मिलने के अच्छे योग हैं।

पाँचवाँ भाव 'लोकतन्त्र' का होता है जहां 'मकर' राशि है जिसका स्वामी 'शनि' अपने  मित्र ग्रह की राशि मे लग्न मे बैठा है। 'शनि' खुद ही जनता का कारक है और न्याय का भी। अर्थात समयानुकूल जनता के पक्ष मे ही महामहिम मुखर्जी साहब निर्णय लेकर 'लोकतन्त्र' को और मजबूत ही करेंगे।

सातवाँ भाव नेतृत्व का होता है जहां मीन राशि स्थित है जिसका स्वामी 'गुरु' नवे शुभ भाव मे है। यह स्थिति देश के भीतर और बाहर दोनों जगह मुखर्जी साहब के नेतृत्व को सराहना प्रदान करेगी। 

वर्तमान हालात 

इस समय देश मे कन्या के शनि-मंगल विग्रह,अग्निकांड,उपद्रव, हिंसा,तोड़-फोड़,जन-संहार की स्थिति उत्पन्न किए हुये हैं। केंद्र सरकार 'जनाक्रोश' के भी केंद्र मे है। राष्ट्रपति पद के चुनाव मे अपने-अपने हितों के संरक्षण हेतु यू पी ए के प्रत्याशी को समर्थन देने वाले दल अब चुनाव के बाद यू पी ए को आँखें दिखा रहे हैं और 'मध्यावधि चुनावों' की संभावनाएं व्यक्त कर रहे हैं। ग्रह भी अराजकता की स्थिति बनाए हुये हैं। चुनावों की स्थिति मे एन डी ए और यू पी ए से कुछ दल टूट कर तीसरे गैर कांग्रेसी/गैर भाजपाई  गुट के साथ आ जाएँगे। इस तीसरे गुट को बहुमत न भी मिले तो भी कांग्रेस को मजबूरन इसे ही समर्थन देना होगा और राष्ट्रपति महोदय भी चुनाव अभियान के दौरान इस गुट के नेताओं को दिये गए अपने आश्वासन को पूर्ण करेंगे। अतः नए महामहिम के आगमन को केंद्र मे गैर कांग्रेस/भाजपा सरकार के गठन की मुहिम के रूप मे भी देखा जा सकता है।   


Tuesday, July 24, 2012

इन पोंगा पंडितों के रहते भारत मे साम्यवाद दूर की कौड़ी

19 अप्रैल  2012 को 'रेखा  -राजनीति मे आने की सम्भावना' मेरा लेख प्रकाशित हुआ और राष्ट्रपति महोदया ने 26 अप्रैल 2012 को 'रेखा जी' को राज्यसभा के लिए मनोनीत कर दिया तो अगले ही दिन 27 अप्रैल 2012 को  'साम्यवाद के पोंगा पंडित' इन महोदय ने मुझ से  संपर्क किया क्योंकि तब उनकी मान्यता यह थी -
क्रांति स्वर.....: बामपंथी कैसे सांप्रदायिकता का संहार करेंगे? ---
September 19, 2011
Arun Prakash Mishra

  • dekh liyaa ... bahut behtar

  • April 27
    Arun Prakash Mishra


    • Vijai ji, how much you charge?
      Arun


  • April 27
    Vijai RajBali Mathur
    • कामरेड आप क्यों चार्ज की चिंता करते हैं?अपना या परिवार के किसी भी सदस्य का आप निसंकोच पूछ सकते हैं। कई ब्लागर्स को जिनमे दो इस समय केनाडा मे हैं मैंने बिना किसी चार्ज के बताया है और उन्होने उसका लाभ भी उठाया है। वे अपनी विचार धारा के भी नहीं हैं। आप अपने हैं किसी प्रकार की चिंता किए बगैर संबन्धित व्यक्ति का जन्म समय,तारीख,स्थान और संभव हो तो दिन भी भेज देंगे मै विवरण तैयार कर दूँगा। विशेष प्रश्न हो तो उसका भी उल्लेख कर दें।


  • April 27
    Arun Prakash Mishra


    • 14:45
      3-Nov-1955
      kanpur
      videsh ki kyaa sthiti ban rahee hai?


  • April 27
    Vijai RajBali Mathur
    • कल दिन मे आपको विवरण गणना करके भेज दूँगा।


  • April 28
    Arun Prakash Mishra
    • dhanyavad aur aabhaar.

    • April 28
      Vijai RajBali Mathur
      • मिश्रा जी आपका विश्लेषण बना कर ई-मेल मे सेव कर लिया है। कृपया अपना ई-मेल एड्रेस दें जिससे आपको भेज सकें क्योंकि मेसेज मे न आ सकेगा।


    • April 28
      Arun Prakash Mishra
      • drapm@ymail.com

03-11-1955, 14-45 pm,कानपुर पर आधारित विश्लेषण

Vijai mathur
Apr 28

from: Vijai mathur vijai.jyotish@gmail.com
to: drapm@ymail.com
date: Sat, Apr 28, 2012 at 8:28 PM
subject: 03-11-1955, 14-45 pm,कानपुर पर आधारित विश्लेषण
mailed-by: gmail.com
अरुण प्रकाश मिश्रा जी,
नमस्ते,

 03-11-1955, 14-45 pm,कानपुर पर आधारित विश्लेषण 

आपके द्वारा दी गई उपरोक्त विषयक सूचना के अनुसार आपकी जन्म कुंडली संलग्नक के अनुसार निम्नवत होगी-

लग्न-कुम्भ,राशि-मिथुन,नक्षत्र-मृगशिरा तृतीय चरण,कार्तिक कृष्ण चतुर्थी,विक्रमी संवत-2012,शाक-1877,परिध योग,वनिज कारण,दिन-गुरुवार है। 
चतुर्थ भाव मे-वृष का केतू। 
पंचम भाव मे -मिथुन का चंद्रमा। 
सप्तम भाव मे-सिंह का ब्रहस्पति। 
अष्टम भाव मे -कन्या के बुध व मंगल। 
नवां भाव मे-तुला के सूर्य और शनि। 
दशम भाव मे-वृश्चिक के शुक्र व राहू। 

इन सब का सम्मिलित प्रभाव इस प्रकार है-

सभ्य,शांत एवं कुलीन होने के साथ-साथ 'दार्शनिक' विचार धारा के धनी होंगे। दूसरों की सेवा-सहायता व सहानुभूति को सदा तत्पर रहते होंगे। खरी-खरी कहने मे हिचकिचाहट महसूस नहीं करते होंगे। क्रोध आपको जितना शीघ्र आता होगा उतना ही शीघ्र उतर भी जाता होगा। ऐसे संकेत हैं कि बचपन मे सिर मे चोट लगी होगी। जीवन के 52,54,55वे वर्ष अच्छे रहे होंगे। आगे 60वां वर्ष भी अच्छा रहने के योग हैं। आप खुद भी आराम कम करते होंगे और अधीनस्थों को भी आराम न करने देते होंगे। पत्नी भाव मे बैठा -ब्रहस्पति जहां एक ओर आपको विद्वान,कला-प्रिय,व गुणज्ञ बना रहा है वहीं यह आपकी पत्नी को सफल एवं समझदार भी बना रहा है एवं तुनक-मिजाज भी। काव्य,संगीत व नाटक मे भी आपकी अभिरुचि हो सकती है। वृद्धावस्था आनंदमय रहेगी-पूर्ण संतान-सुख प्राप्त रहेगा। 

उच्चाधिकार,मान-प्रतिष्ठा मे बाधाएँ उपस्थित होती होंगी। शत्रु अधिक होंगे व परेशान करने वाले होंगे। नवां भाव स्थित शनि ( जो लग्नेश भी है और  उच्च का भी है)तथा दशम भाव गत राहू आपको सक्रिय राजनीति मे सफलता अवश्य ही दिलाएँगे। आपके जैसा राहू डॉ राजेन्द्र प्रसाद,नेताजी सुभाष बॉस,सदा शिव कान्होजी पाटील,चंगेज़ खाँ एवं महात्मा गांधी की कुंडलियों मे भी था जिसने उन्हें राजनीति मे इतना मान दिलाया किन्तु इन सब को चतुर्थ के केतू ने जीवन के अंतिम वर्षों मे कष्ट भी प्रदान किया अतः आप 'बचाव एवं राहत प्राप्ति' हेतु अभी से ही-'ॐ कें केतवे नमः' का प्रतिदिन जाप 108 या कम से कम 27 बार पश्चिम की ओर मुंह करके तथा धरती और अपने बीच इंसुलेशन बनाते हुये किसी ऊनी आसन आदि पर बैठ कर करें और 'केतू' के दुष्प्रभाव को टालने का प्रयास करें। 

स्वास्थ्य -

कफ,सर्दी,दमा,पीलिया,त्रिदोष,क्षय,जलोदर,मोतिया,लीवर की खराबी,प्रमेह,रक्त-पित्त,सूजन,कैंसर आदि रगों के होने की संभावना है। वृद्धावस्था मे पेट एवं छाती के रोग भी हो सकते हैं। 

अतः आप खट्टी वस्तुओं एवं तेल से बनी चीजों का सेवन न करें। बीड़ी ,तंबाकू,शराब से दूर रहें। 

                                     शुभ                                                                                                अशुभ 


दिन-    सोम,शुक्र व मंगल ,ब्रहस्पतिवार ।                                                                                                  बुध व रविवार ।                                             शनिवार  -हानीदायक। 


रंग-  पीला,लाल,सफ़ेद,क्रीम।                                                                                                                  हरा व नीला।                                                  **************************

शुभ रंगों के वस्त्र धारण करें या कम से कम किसी एक रंग का रूमाल ही साथ रखें।                                           अशुभ रंगों का प्रयोग न करें न ही इन रंगों की पुताई कराएं। 

समय सारिणी 

19-11-1999 से 18-05-2008 तक समय शुभ व सफलता का था। 

19-05-2008 से 15-05-2009 तक 'भूमि' लाभ का समय था। 

16-05-2009 से 03-12-2011 तक हानीदायक समय था। 

04-12-2011 से 09-03-2014 तक लाभदायक समय चल रहा है। प्रयास करके पूरा लाभ उठा लें चूकें नहीं। 

10-03-2014 से 18-11-2016 तक वैसे तो समय सामान्य है और अधिक प्रयास करके ही लाभ उठा सकते हैं किन्तु इसी दौरान 60वा  वर्ष भी आएगा अतः 59 वर्ष पूर्ण करते ही विशेष प्रयास द्वारा विशेष लाभ उठा लें। ढील न होने दें। 

19-11-2016 से 21-10-2018 तक समय उन्नति,लाभ,सुख का रहेगा तदनुकूल प्रयास करते रह कर लाभ अवश्य लें। 

22-10-2018 से 21-05-2019 तक 'हानीकारक' समय है। बचाव एवं राहत प्राप्ति हेतु प्रतिदिन 108 बार-ॐ सों सोमाय नमः'का जाप करें। 

22-05-2019 से 18-10-2019 तक 'रोगकारक' समय रहने की संभावना है। प्रतिदिन-108 बार 'ॐ अंग अंगारकाय नमः'का जाप करें। 

19-10-2019 से 06-11-2020 तक चिंता एवं बाधा का समय है। इससे निबटने हेतु प्रतिदिन-108 बार 'ॐ रा राहवे नमः' का जाप करें। 

07-11-2020 से 08-11-2023 तक समय अनुकूल,धन लाभ का एवं शुभ है। सद्प्रयास से लाभ उठाएँ। 

दान न दें-

1-छाता,कलम,मशरूम,घड़ा,हरा मूंग,हरे वस्त्र,हरे फूल,सोना,पन्ना,केसर,कस्तूरी,हरे रंग के फल,पाँच-रत्न,कपूर,हाथी-दाँत,शंख,घी,मिश्री,धार्मिक पुस्तकें,कांसा और उससे बने बर्तन आदि।

2-सोना,नीलम,उड़द,तिल,सभी प्रकार के तेल विशेष रूप से सरसों का तेल,भैंस,लोहा और स्टील तथा इनसे बने पदार्थ,चमड़ा और इनसे बने पदार्थ जैसे पर्स,चप्पल-जूते,बेल्ट,काली गाय,कुलथी, कंबल,अंडा,मांस,शराब आदि।


विदेश की स्थिति- 

जन्म कुंडली का प्रथम भाव- आत्मा,मस्तिष्क और शरीर का प्रतिनिधित्व करता है,तृतीय भाव -विदेश यात्रा का और नवां भाव -लंबी यात्राओं का। 

आपका लग्नेश 'शनि' नवम भाव मे शुक्र की राशि मे आत्मा के कारक सूर्य के साथ स्थित है। तृतीयेश 'मंगल'अष्टम भाव मे बुध की राशि मे और बुध के साथ स्थित है जबकि बुध की दूसरी राशि मे चंद्र जो मन का कारक होता है स्थित है । शुक्र दशम भाव मे मंगल की राशि मे राहू जो शनि सदृश्य फल देता है के साथ स्थित है। 

इस प्रकार आपके प्रथम 'लग्न' भावके स्वामी 'शनि' का तृतीय भाव के अधिपति मंगल के साथ शुक्र का वहाँ स्थित होने से एवं नवम भाव के स्वामी से उसकी राशि मे वहीं स्थित होने से घनिष्ठ संबंध है। 

ग्रहों के अनुसार आपको लंबी विदेश यात्राएं सम्पन्न करते हुये काफी समय विदेश मे गुजारने के हैं और उन्हीं के अनुरूप आप विदेश यात्राएं करते रहेंगे। 

जहां तक मेरा निष्कर्ष है आप विदेश मे बसेंगे नहीं क्योंकि आपको 'राजनीति' मे सक्रिय भूमिका निभानी है और उसके लिए आपको देश सेवा करनी ही होगी। अब से अक्तूबर 2018 तक महा दशा और अंतर्दशा के हिसाब से आपका समय आपके पक्ष मे है ,आप खुद अपने हिसाब से निर्णय करके इस दौरान सक्रिय होंगे। 

हम चाहते हैं कि आप शीघ्र राजनीति मे उच्च पद ग्रहण करें। हमारी शुभ कामनाएँ आपके साथ हैं। हम भी कह सकेंगे कि ये महान व्यक्ति हमारे पूर्व परिचित हैं। 
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लेकिन अफसोस यह कि यह व्यक्ति महान नहीं हैं। पत्रकार 'यशवन्त  सिंह' के जेल जाने पर मदन तिवारी जी,अमलेंदू उपाध्याय जी एवं दयानन्द पांडे जी के लेखों को मैंने भी शेयर किया और पत्रकार की रिहाई की मांग का समर्थन किया। तभी से यह भड़क गए और इनहोने यशवन्त सिंह की गिरफ्तारी को जायज ठहराया क्योंकि इनके खुद के संबंध विनोद कापड़ी से रहे हों प्रतीत होते हैं। 'लाल झण्डा यूनिटी सेंटर'-फेसबुक के ग्रुप मे मैं और यह साहब दोनों ही एडमिन थे। मैंने तो इनकी असभ्य एवं अश्लील भाषा प्रयोग (वह भी तब जब यह मुझसे निशुल्क सेवाएँ प्राप्त कर चुके थे)के बावजूद 'लोकतान्त्रिक स्वतन्त्रता' के भाव के कारण इनको नहीं निकाला किन्तु इनहोने मुझे उस ग्रुप से ब्लाक कर दिया । मुझे न तो ग्रुप से हटने पर कोई हानि है और न ही यदि यह मुझे भाकपा से भी निकलवा देंगे (जैसा कि उपरोक्त टिप्पणी से स्पष्ट होता है)तो कोई हानि होगी।वैसे भाकपा के तीन वरिष्ठ नेताओं ने मुझसे कुंडलियाँ बनवाई हैं। लखनऊ के ज़िला सचिव जो मुस्लिम संप्रदाय से हैं श्री कृष्ण को 'साम्यवाद का प्रयोग्कर्ता' बताने मे नहीं झिजकते हैं। प्रदेश सचिव जो ब्राह्मण जाति मे जन्मे हैं 'शिव की जटाओं से गंगा निकालने' की बात कहने मे नहीं शर्माते। राष्ट्रीय एक सचिव  ने 02 फरवरी 2011 की जनसभा मे खुले आम राम चरित मानस से उद्धरण दिये थे। अगर साम्यवाद को जन-प्रिय बनाना है तो जनता को समझाना ही होगा। 'स्टालिन' तक को कम्युनिस्ट न मानने वाले पोंगा साम्यवादी पंडित ए पी मिश्रा जी कुछ ज़्यादा ही प्रकांड विद्वान हैं वह और तरक्की करें,हमारी शुभकामनायें हैं। 


प्रेस और जनता के बीच भाकपा द्वारा जो नया मसौदा जारी किया गया है उसके अनुसार पार्टी भारत के विद्वानों के उद्धरण लेकर जनता के बीच जाना चाह रही है। मेरे प्रयास पहले से ही अपने ब्लाग के माध्यम से इस दिशा मे चल रहे थे और चलते रहेंगे। लेकिन ए पी मिश्रा जैसे 'साम्यवादी पोंगा पंडितों' के रहते भारत मे साम्यवाद का  प्रचार व प्रसार असंभव है क्योंकि ये लोग प्रचलित व्यवस्था मे अपना हित निहित होने के कारण उसका पोषण और पुष्टि करते रहते हैं। यदि 'मनसा-वाचा-कर्मणा' यह साम्यवाद के पोषक होते तो यूनिटी सेंटर को 'ए पी डिक्टेटरशिप सेंटर'मे न तब्दील करते और वस्तुस्थिति को समझते। यह शख्स इतने गरूर मे भरा हुआ है कि देखिये इंनका प्रवचन-

 चूंकि इन महाशय ने अपनी थीसिस मे स्टालिन को गलत साबित किया है इसलिए सारी दुनिया को मान लेना चाहिए कि स्टालिन कम्युनिस्ट नहीं था यह है इनकी अवधारणा। जो यह कहें उसे पूरी दुनिया माने और यह खुद किसी की बात भी नहीं सुन सकते।साम्राज्यवादियो के हित मे इस व्यक्ति ने स्टालिन की आलोचना की तो उस पर डाकटरेट मिलना ही था।  यदि ऐसे लोगों के हाथ मे साम्यवाद को लागू करने का प्रोग्राम दे दिया जाये तो यह सब कुछ गुड-गोबर कर डालेंगे जिससे सारी योजना ही ध्वस्त हो जाये। इंनका उद्देश्य तो यथा-स्थिति बनाए रख कर अपने जन्म-जाति बंधुओं के व्यापार (ढोंग-पाखंड-आडंबर)को बल प्रदान करना है। इनकी कुंडली का विश्लेषण जो इनको भेजा था उसकी कापी ऊपर प्रस्तुत कर दी है। किन्तु जो बातें उस विश्लेषण मे देना उचित नहीं समझा था उनको भी अब उजागर करना आवश्यक है।

 हालांकि किसी की जन्म पत्री का विश्लेषण गोपनीय रखा जाता है और किसी दूसरे को नहीं बताया जाता है परंतु इस अहंकारी और उच्छ्श्रंखल व्यक्ति का विश्लेषण असाधारन और विशेष परिस्थितियों मे सखेद  सार्वजनिक करना पड़ रहा है। क्योंकि जैसा कि इनकी उपरोक्त टिप्पणियों से स्पष्ट है कि यह अपनी फेसबुक वाल तथा लाल झण्डा यूनिटी सेंटर ग्रुप मे मेरे प्रति कुत्सित टिप्पणियाँ सार्वजनिक रूप से करते आ रहे हैं। अतः इंनका चरित्र उजागर करना लाजिमी हो गया था।

पूना मे प्रवास कर रही एक ब्लागर महोदया ने भी 'रेखा' वाले मेरे आलेख की खिल्ली उड़ाई थी जबकि वह अपने बच्चों की चार कुंडलियाँ मुझसे बनवा चुकी थीं। परंतु चेतावनी के बाद फिर उनकी गतिविधियां फिलहाल रुक गई जबकि  विदेश मे प्रवास कर रहे  पंडित ए पी मिश्रा जी बार-बार ,लगातार फेसबुक और इसके ग्रुप मे मेरे विरुद्ध अनावश्यक विष-वमन करते जा रहे हैं। 'जनहित' मे दी गई स्तुतियों को इस शख्स ने 'चाशनी की जलेबी' और मेरे वाचन को 'भारी आवाज़' बताया है। 'स्तुतियाँ' मैंने नहीं रची हैं वे विद्वानों की खोज हैं। मुझे सिर्फ  लोगों के भले का संदेश देना था अपनी आवाज़ को लोकप्रिय बनाना उद्देश्य न था जो पहले गायन सीख कर आता। 'मोटे फ्रेम का चश्मा' अपनी हैसियत या पसंद के अनुसार लगाता हूँ। कोई दूसरा कौन होता है हिदायत देने वाला फिर उम्र मे पौने चार वर्ष छोटे एहसान फरामोश ए पी मिश्रा जी की बातों पर तवज्जो क्यों दी जाये?

यह महाशय अपने कुटुम्ब के साथ द्वेष रखते होंगे। यह ज़रूरत से ज़्यादा कपटी एवं स्वार्थी होंगे। जलाघात एवं वृक्षाघात का इनको सामना करना पड़  सकता है। पुत्रों की ओर से भी इनको दुख मिल सकता है। इनके व्यवहार से इनकी पत्नी का स्वास्थ्य कमजोर रहता होगा और उनको उदर संबंधी रोगों-लीवर /किडनी का भी सामना करना पड़ सकता है। चूंकि इनहोने सार्वजनिक ग्रुप मे मेरे ज्योतिषीय ज्ञान की खिल्ली उड़ाई है अतः इन्हें मेरे द्वारा बताए गए उपायों एवं मंत्रों का सहारा नहीं लेना चाहिए क्योंकि मखौल उड़ाते हुये मंत्रों का प्रयोग उल्टा भी पड़ सकता है। नैतिकता का भी यही तक़ाज़ा है कि जिस बात की खिलाफत करते हैं उससे लाभ न उठाएँ। 

परंतु अहम सवाल तो यह है कि 'साम्यवादी सोच' के लोग इनको साथ लेकर किसका भला कर सकेंगे ?जनता का तो नहीं ही। जब तक ऐसे लोग साम्यवादी विचार धारा मे रहेंगे तब तक भारत मे 'साम्यवाद' की कल्पना दिवा-स्वप्न ही है।

Sunday, July 22, 2012

साम्यवाद के शत्रु ये मार्क्सवादी' ---

हिंदुस्तान,लखनऊ,29 -04 --2012

क्या यह एक कार्टूनिस्ट की कपोल कल्पना है या हकीकत इसे जानने के लिए इस आलेख को गंभीरता से पढ़ना और समझना पड़ेगा। जब मार्क्स का आविर्भाव हुआ था उस समय यूरोप खास कर जर्मनी और इंग्लैंड मे कारखांनदारों द्वारा मजदूरों का शोषण चरम पर था और वहाँ प्रचलित ईसाई धर्म लोगों को कुरीतियों मे जकड़े हुआ था। इसलिए मजदूरों की दशा सुधारने के लिए जो नियम मार्क्स ने निर्धारित किए उनमे धर्म को बिलकुल वर्जित कर दिया। आज हमारे देश के 'मार्क्सवादी' महर्षि कार्ल मार्क्स के इसी नियम को उस प्रकार चिपकाए हुये हैं जिस प्रकार एक बंदरिया अपने मारे हुये बच्चे की खाल को चिपकाए हुये घूमती है। मार्क्स ने तो यह भी कहा था कि जब सम्पूर्ण औद्योगीकरण हो जाएगा और शोषण चरम पर पहुँच जाएगा तब मजदूर वर्ग संगठित होकर 'सर्व हारा वर्ग का अधिनायक वाद' स्थापित कर लेगा। क्या ऐसा ही हुआ ? कदापि नहीं 1917 मे जब रूस मे जार के विरुद्ध क्रांति हुई तो रूस एक कृषि प्रधान देश था और यह क्रांति विभिन्न छोटे-छोटे दलों ने मिल कर की थी जिंनका बहुमत था जिसे रूसी भाषा मे 'बोलेश्विक' कहते हैं इसी लिए इस क्रांति को 'बोलेश्विक क्रांति' कहते हैं। इस क्रांति मे वहाँ की कम्युनिस्ट पार्टी का भी योगदान था किन्तु यह कम्युनिस्टों के नेतृत्व मे नहीं हुई थी। व्लादीमीर इलीच लेनिन जो एक स्कूल इंस्पेक्टर के बेटे थे स्व-निर्वासित थे वह तो सफल क्रांति के बाद रूस लौटे और सरकार का नेतृत्व अपने हाथ मे लेकर वहाँ कम्युनिस्ट शासन उन्होने स्थापित कर दिया। जिसे आगे स्टालिन ने मजबूत किया।

इसी प्रकार जब 1949 मे माओत्से तुंग के नेतृत्व मे चीन मे कम्युनिस्ट शासन स्थापित हुआ तब चीन भी एक कृषि प्रधान देश था। अतएव रूस और चीन दोनों बड़े देशों मे बगैर औद्योगीकरण पूर्ण हुये ही कम्युनिस्ट क्रांतियाँ कर दी गई जो मार्क्स के कथनानुसार गलत कदम था किन्तु इसे कोई मार्क्सवादी गलत नहीं कहता। उनकी सनक और ज़िद्द केवल धर्म के संबंध मे है और भगवान शब्द के संबंध मे। ये तथाकथित मार्क्सवादी विद्वान संकीर्ण सोच को त्यागना ही नहीं चाहते। कई बार समझाने का प्रयत्न किया है कि धर्म -हिन्दू,ईसाई ,इस्लाम आदि-आदि संप्रदाय नहीं हैं इनमे से एक ईसाइयत को देख और धर्म मान कर मार्क्स ने उसे अफीम कहा था। वस्तुतः धर्म=जो शरीर को धरण करने योग्य है,जैसे सत्य,अहिंसा (मनसा-वाचा-कर्मणा),अस्तेय,अपरिग्रह और ब्रह्मचर्यमार्क्स ने इनका विरोध कब और कहाँ किया है?लेकिन जड़ मार्क्सवादी इसलिए धर्म के विरुद्ध हैं कि ऐसा मार्क्स का कथन है। इसी प्रकार भ (भूमि)+ग (गगन-आकाश)+व (वायु-हवा)+I(अनल-अग्नि)+न (नीर-जल)=प्रकृति के इन पाँच तत्वों के मेल को भगवान कहते हैं और चूंकि ये खुद बने हैं इनको किसी ने बनाया नहीं है अतः इन्हे 'खुदा' भी कहते है। G(जेनेरेट)+O(आपरेट)+D(डेसट्राय) करने के कारण इनको ही गाड भी कहते हैं। जब मार्क्स ने इस पर विचार ही नहीं किया फिर विरोध करने के लिए मार्क्स की आड़ लेना कौन सी अक्लमंदी है?

विदेश मे बैठे और उद्योगपतियों-व्यापारियों के हितैषी एक महाशय जो खुद को बड़ा मार्क्सवादी चिंतक विचारक बताते नहीं अघाते मुझ पर इसलिए आक्रोशित हैं क्योंकि मैं मदन तिवारी जी,अमलेंदू उपाध्याय जी ,दयानन्द पांडे जी के आलेखों को शेयर करके युवा साहसी पत्रकार 'यशवन्त सिंह' का समर्थन कर रहा हूँ। यह तथाकथित कामरेड विनोद कापड़ी आदि उतपीडकों के हितचिंतक हैं। इन साहब ने फेसबुक के  'लाल झण्डा यूनिटी सेंटर' ग्रुप मे क्या लिखा एक बानगी देखें-




  •  पहले यह क्या रहे और अब क्यों बदले?---
  •  
  • Vijai RajBali Mathur

    • कृपया मेरा यह आलेख देखने का कष्ट करें-

      http://krantiswar.blogspot.com/2011/09/blog-post_18.html

      धन्यवाद!


    • क्रांति स्वर.....: बामपंथी कैसे सांप्रदायिकता का संहार करेंगे?
      krantiswar.blogspot.com
      अरे भई लीडर नहीं,मैं तो प्लीडर हूँ प्राफेसर नहीं-प्रूफ़ रीडर हूँ . आग फूस की मत मुझको समझो,न एक बबूला हूँ. मत समझो मुझको छैनी,मैं तो एक वसूला हूँ मिट्टी का माधव मैं नहीं,कहलो शेर ए मिटटी हूँ मत समझना मुझको अणु विभु से भारी तुम- परमाणु की एक गिट्टी हूँ
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  • September 19, 2011
    Arun Prakash Mishra
    • dekh liyaa ... bahut behtar


  • September 19, 2011
    Vijai RajBali Mathur

    • धन्यवाद मिश्रा जी।


  • April 27
    Arun Prakash Mishra


    • Vijai ji, how much you charge?
      Arun


  • April 27
    Vijai RajBali Mathur
    • कामरेड आप क्यों चार्ज की चिंता करते हैं?अपना या परिवार के किसी भी सदस्य का आप निसंकोच पूछ सकते हैं। कई ब्लागर्स को जिनमे दो इस समय केनाडा मे हैं मैंने बिना किसी चार्ज के बताया है और उन्होने उसका लाभ भी उठाया है। वे अपनी विचार धारा के भी नहीं हैं। आप अपने हैं किसी प्रकार की चिंता किए बगैर संबन्धित व्यक्ति का जन्म समय,तारीख,स्थान और संभव हो तो दिन भी भेज देंगे मै विवरण तैयार कर दूँगा। विशेष प्रश्न हो तो उसका भी उल्लेख कर दें।


  • April 27
    Arun Prakash Mishra


    • 14:45
      3-Nov-1955
      kanpur
      videsh ki kyaa sthiti ban rahee hai?


  • April 27
    Vijai RajBali Mathur
    • कल दिन मे आपको विवरण गणना करके भेज दूँगा।


  • April 28
    Arun Prakash Mishra
    • dhanyavad aur aabhaar.


  • April 28
    Vijai RajBali Mathur
    • मिश्रा जी आपका विश्लेषण बना कर ई-मेल मे सेव कर लिया है। कृपया अपना ई-मेल एड्रेस दें जिससे आपको भेज सकें क्योंकि मेसेज मे न आ सकेगा।


  • April 28
    Arun Prakash Mishra
    • drapm@ymail.com
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट होगा कि पंडित ए पी मिश्रा जी ने मुझसे अपना ज्योतिषीय विश्लेषण मंगवाया था जो मैंने उनके द्वारा दी  गई  आई डी पर भेज दिया था। पत्रकार यशवंत सिंह के मामले मे वह मुझसे यशवंत सिंह का समर्थन करने के कारण रुष्ट हो गए और अनर्गल बयानबाजी 'लाल झण्डा यूनिटी सेंटर' ग्रुप मे करने लगे जब उनकी असलियत बताने की बाबत कहा तो उन्होने मुझे उस ग्रुप से हटा कर ब्लाक कर दिया। वस्तुतः ऐसे ही पोंगा-पंडितों ने भारत मे साम्यवाद को अछूत बना रखा है। ये लोग जन-हितैषी विश्लेषण ही बर्दाश्त नहीं कर सकते तो जनता का हित क्या खाक करेंगे? साम्यवादी सिद्धांतों को तो जनता से दूर रखने के दोषी हैं ही ये दकियानूस लोग।---21 july  2012



उपरोक्त के अवलोकन से बिलकुल साफ-साफ स्पष्ट है कि पहले तो तथा कथित कामरेड ए पी मिश्रा जी ने मुझसे अपना ज्योतिषीय विवरण हासिल किया फिर 'भस्मासुर' की भांति मुझ पर ही प्रहार करने लगे। माननीय विवेकानंद त्रिपाठी जी का कथन बिलकुल सही है। किन्तु जब पंडित ए पी मिश्रा जी लगातार आक्रमण किए जा रहे हों तब चुप रहने का मतलब खुद को गलत साबित करना होता। मिश्रा जी के और भी हमले देखें-


इन पंडित जी की भाषा का तमाशा तो दिखा ही दिया है।'लाल झण्डा यूनिटी सेंटर' ग्रुप  मे मैं भी एडमिन था इनकी भाषा मे अभद्रता और अश्लीलता के आधार पर मैं भी इनको हटा सकता था किन्तु 'लोकतान्त्रिक स्वतन्त्रता' का पक्षधर होने के कारण मैंने ऐसा नहीं किया। किन्तु खुद एडमिन होने का लाभ लेकर इन पंडित जी ने मुझे ग्रुप से हटा दिया लेकिन खुद CPM पॉलिट ब्यूरो को क्या आदेश दे रहे हैं देखिये-


विदेश मे बैठे यह पंडित जी बड़ी एप्रोच वाले हैं क्यों नहीं लखनऊ,भाकपा को आदेश देते मुझे हटाने वास्ते?न तो मैं किसी ग्रुप से न किसी राजनीतिक दल से व्यक्तिगत लाभ उठाता हूँ जो मुझे कोई घाटा होगा। मैंने सदैव लोगों को अपना समय और दिमाग खर्च कर मदद ही दी है जो यह पंडित जी खुद भी लाभ ले चुके हैं।

पी मिश्रा जी सरीखी सोच के मार्क्सवादी ही आज भारत मे साम्यवाद के सबसे शत्रु हैं जो 'राम' की तुलना 'ओबामा' से किए जाने को साम्यवादी सोच बताते हैं और मेरे द्वारा 'राम' को 'साम्राज्यवादी रावण' का संहारकर्ता बताना उनको गैर साम्यवादी लगता है। एक ओर भाकपा अपने नए दस्तावेजों द्वारा भारतीय विद्वानों के माध्यम से भारत की जनता से निकट संबंध बनाना चाहती है दूसरी ओर विदेश मे बैठे ए पी मिश्रा जी और भारत मे उनके पिछलग्गू उल्टी गंगा बहाने मे लगे हैं ताकि 'साम्यवाद' जनता से दूर ही बना रहे एवं शोषकों की लूट बदस्तूर जारी रहे। यही चिंता है कार्टून कार राजेन्द्र धोड़पकर जी की।