Monday, January 28, 2019

नेशन- राष्ट्र की अवधारणा सामराज्यवाद की पोषक है ------ भगवत रावत






January 26 at 11:02 PM 
जन-कवि भगवत रावत ने कोई एक दशक पहले ये कविता लिखी थी। देश और राष्ट्र के अलग-अलग मतलबों को छूती यह कविता मोटी-मोटी किताबें पढ़ने का काम आसान कर देती है। देश एक राग है। तो आइये फ़र्क़ को समझें और इस राग को गुनगुनाएँ। तिग्मांशु धूलिया, रत्ना पाठक शाह और रसिका दुग्गल ने इस लंबी कविता का बेहतरीन पाठ किया है। मल्हार सलिल की फ़िल्म है। इसे ख़ुद भी देखें और बच्चों को भी दिखाएँ। अच्छी रचनाओं का प्रचार प्रसार होते रहना चाहिए।

The Wire
Published on Jan 26, 2019

गणतंत्र दिवस पर इस बार, लगभग बारह-तेरह वर्ष पहले लिखी जन कवि भगवत रावत (१९३९ -२०१२) की कविता 'देश एक राग है' प्रस्तुत है. जिसमें 'नेशन स्टेट' की अवधारणा को लेकर उनकी अपनी बहस शामिल है. 

भागवत रावत (१३ सितंबर १ ९ ३ ९ - २५ मई २०१२), भोपाल और झाँसी से एक प्रगतिशील हिंदी लेखक - कवि और निबंधकार थे। उन्होंने बुंदेलखंडी में भी लिखा है। लम्बे समय से चल रही गुर्दे की बीमारी के चलते,  73 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

This Republic Day we present before you the Hindi Poem, 'Desh Ek Raag Hai'. Written by Jan-Kavi Bhagwat Rawat almost 12-13 years back, the poem features his arguments and discussions (still relevant) on the idea of the 'nation state'.  

Bhagwat Rawat (13th September 1939 - 25th May 2012), was a progressive Hindi writer - poet and essayist, from Bhopal and Jhansi. He also wrote in the Bundelkhandi dialect. The writer passed away at the age of 73 after a long resistance to kidney failure.

Performed by: Tigmanshu Dhulia, Ratna Pathak Shah and Rasika Dugal
Cinematography by Bhumit Gujar
Sitar performed by Shruti Rawat
Music arranged by T S Dharmesh
Directed and produced by Malhar Salil, Parul Rawat
https://www.blogger.com/blogger.g?blogID=1750404937191332592#editor/target=post;postID=6074126682528570962




~विजय राजबली माथुर ©

Friday, January 25, 2019

हर औरत को अप्सरा दिखना ही क्यों जरूरी है ? ------ नमिता जोशी




औरत यानी उसे सुंदर ही होना चाहिए और सुंदर औरत यानी 34/26/34 फिगर, रंग गोरा, लंबे बाल, गुलाबी या कजरारी आंखें, मोरनी जैसी चाल और खूबसूरत आवाज। 

अब सवाल और वह भी सिर्फ महिलाओं से। ये ऊपर जो हमने खूबसूरती का पैमाना दिया है, इस पर सभी महिलाएं तो खरी नहीं उतरती होंगी/ नहीं न/ किसी न किसी पॉइंट पर ऊपर नीचे होंगी। रंग कुछ सांवला हो सकता है, बाल छोटे हो सकते हैं, वजन बढ़ा हुआ हो सकता है। तो क्या ऐसी महिलाएं सुंदर नहीं मानती खुद को/ मानती हैं न/ तो फिर ये पैमाना किसने बनाया उनके लिए/ पुरुषों ने। 

अब दूसरा सवाल। ऑफिस में आपके काम को क्या आपकी खूबसूरती से तोला जाता है/ आपकी कामयाबी क्या इस बात पर निर्भर करती है कि आप ऊपर दिए गए पैमाने पर कितनी फिट बैठती हैं/ क्या इतनी खूबसूरत दिखने पर आपको पुरुषों के मुकाबले बेहतर पोजिशन या सैलरी देती है कंपनी/ नहीं न/ आपके टैलंट, आपकी मेहनत पर जब आपका प्रोफेशन निर्भर करता है तो उसमें आपके लुक्स मायने नहीं रखते। कितनी मोटी लड़कियां कंपनी में ऊंचे पदों पर हैं, कितनी सावंली लड़कियों के पास पूरी की पूरी टीम है बॉस के तौर पर। फिर एक महिला होकर बीजेपी की साधना सिंह ने यह कहने की हिमाकत कैसे की होगी कि मायावती न तो पुरुष जैसी दिखती हैं न महिला जैसी/ क्या मायावती बॉलिवुड में काम करती हैं, जो उनके लुक्स की वजह से उनके काम को तोला जाएगा। बल्कि अब तो बॉलिवुड भी इतना मैच्योर हो चुका है कि लुक्स की बजाय टैलंट को महत्व मिलने लगा है। तो ऐसे में अपनी मेहनत के बल पर राजनीति के क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने वाली मायावती को उनकी नीतियों की बजाय उनके लुक्स के लिए टोकना, उन पर हंसना कितना सही है ? 

दरअसल, हम सब जानते हैं कि चुनावी माहौल गर्म है और हर ओर से नेता अपने वोट बैंक को रिझाने और सामने वाले नेता को नीचा दिखाने के लिए लांछन लगाने में जुट गए हैं। लेकिन पिछले दिनों बीजेपी की एक महिला नेता साधना सिंह ने जिस तरह की बात बीएसपी सुप्रीमो मायावती के खिलाफ की, वह एक अलग ही लेवल है। उनके बयान पर काफी विवाद भी हुआ और माफी भी मांगी गई। लेकिन यह बयान जिस सोच को दर्शाता है वह राजनीतिक आरोप की लिस्ट में तो नहीं आता। आमतौर पर राजनीतिक लोगों पर उनकी नीतियों से सहमत न होने की बात की जाती है या फिर उनके काम करने तरीके पर उंगली उठाई जा सकती है, लेकिन अफसोस की बात है कि मायावती एक एेसी महिला नेता हैं, जो जातिगत, राजनैतिक और अपने लुक्स यानी तीन बातों को लेकर हमेशा से अपने विरोधियों के निशाने पर रही हैं। हैरानी की बात यह है कि इस तरह के बयान न सिर्फ पुरुष बल्कि उनकी महिला विरोधियों की तरफ से भी हमेशा आते रहे हैं। और तो और इंटरनेट और मोबाइल पर हजारों वॉट्सऐप जोक्स और मीम्स आपको मिल जाएंगे, जिसमें मायावती के लुक्स पर कॉमेंट कर हास्य पैदा करने की कोशिश की जाती है। इस सोच का नजारा हम अक्सर डीयू के चुनाव के दौरान देखते हैं जब पार्टियां एक से एक खूबसूरत दिखने वाली लड़कियों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट देती हैं और शहरों की दीवारें उन खूबसूरत लड़कियों के फोटोज से भर जाती हैं। दुख तब होता है जब महिलाएं भी इस तरह की सोच रखती हैं, जो कि जाने अनजाने उनके जेहन में पुरुषों द्वारा थोपी गई है। 

मामला यहीं पर नहीं रुकता। इससे पहले भी मायावती के खिलाफ मुलायम सिंह की तरफ से इस तरह के बयान आ चुके हैं कि उनका तो कोई रेप भी ना करे। यह डबल विडंबना है कि नहीं। एक तो आप उस महिला को सुंदर नहीं मानते ऊपर से आप एक सुंदर महिला को रेप के लायक समझते हैं। बीजेपी की ही महिला नेता शायना एन सी ने पिछले चुनावों के दौरान कह दिया कि उन्हें यह समझ नहीं आता कि मायावती ही हैं या शी। इसके अलावा मायावती को परकटी कहना, तेल लगाने वाली और पसीने की बदबू के लिए भी मजाक का विषय बनाया जाता रहा है। 


ऐसे और इससे भद्दे न जाने कितने मजाक मायावती के खिलाफ किए गए। सवाल यह है कि चुनावी माहौल में राजनीतिक तंज कसना अलग बात है, जातिगत टिप्पणियों के कोढ़ ने भी अपने देश के लोगों की मानसिकता को बीमार किया हुआ है, ये लुक्स को लेकर छोटी सोच का नया चलन महिलाओं के खिलाफ कितना सही है/ आम तौर पर साधारण दिखने वाले नेताओं या पुरुषों को अपने यहां रफ एंड टफ, सिंपल और जमीन से जुड़ा कहा जाता है। औरतों के लिए हर वक्त, हर जगह अप्सरा जैसा दिखना क्यों जरूरी है ? 
http://epaper.navbharattimes.com/details/12114-26128-2.html


Namita.Joshi@timesgroup.com





 ~विजय राजबली माथुर ©

Thursday, January 24, 2019

प्रियंका गांधी को खूब सोच-समझ कर ही निर्णय लेने होंगे ------ विजय राजबली माथुर

  
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BBC News Hindi

Published on Jan 23, 2019
कांग्रेस ने 2019 आम चुनाव से पहले प्रियंका गांधी को आधिकारिक तौर पर सियासी मैदान में उतार दिया है. कांग्रेस ने प्रियंका को पार्टी का महासचिव बनाया है और उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी दी है. प्रियंका गांधी ये ज़िम्मेदारी फ़रवरी 2019 के पहले हफ़्ते से संभालेंगी. राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ''प्रियंका और ज्योतिरादित्य को यूपी दो महीने के लिए नहीं भेजा है. मैंने इस मिशन के साथ दोनों को यूपी भेजा है कि सबके विकास के लिए वो काम करें. ताकि यूपी के युवा को जो चाहिए वो दे सकें. मुझे काफी खुशी है कि मेरी बहन बहुत कर्मठ और सक्षम हैं. हम यूपी की जनता को कहना चाहते हैं कि आपने अब बहुत समय वक़्त ज़ाया किया है. अब आप बीजेपी को हटाइए. हम यूपी को नंबर-1 प्रदेश बनाएँगे.'' प्रियंका के चुनाव लड़ने पर राहुल गांधी ने कहा, ''ये उनके ऊपर है. हम कहीं भी बैकफुट पर नहीं खेलेंगे. जहां मौका मिलेगा हम फ्रंटफुट पर खेलेंगे.'' रॉबर्ट वाड्रा ने प्रियंका को बधाई दी.

BBC News Hindi
Published on Jan 24, 2019


प्रियंका गांधी को कांग्रेस ने महासचिव बनाकर आम चुनावों का बिगुल फूंक दिया है. उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का ज़िम्मा सौंपा गया है. इससे पहले वो सक्रिय राजनीति से दूर रहती थीं और अपनी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के लिए आयोजित चुनावी रैलियों और सभाओं में हिस्सा लिया करती थीं. इन सभाओं में वो जब बोलती थीं तो अपने परिवार और जनता के बीच रिश्तों की बात किया करती थीं. साथ ही नरेंद्र मोदी पर भी हमला बोलने में हिचकती नहीं थी. आइए देखें कि अतीत में वो मोदी के बारे में क्या कहती आई हैं और आगे चलकर चुनावी सभाओं में कैसे सीन देखने को मिल सकते हैं  : 








 


जिस प्रकार किसी वनस्पति का बीज जब बोया जाता है तब अंकुरित होने के बाद वह धीरे-धीरे बढ़ता है तथा पुष्पवित, पल्लवित होते हुये फल भी प्रदान करता है। उसी प्रकार जितने और जो कर्म किए जाते हैं वे भी समयानुसार सुकर्म, दुष्कर्म व अकर्म भेद के अनुसार अपना फल प्रदान करते हैं। यह चाहे व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र में हों अथवा व्यवसायिक क्षेत्रों में। पालक, गन्ना और गेंहू एक साथ बोने पर भी भिन्न-भिन्न समय में फलित होते हैं। उसी प्रकार विभिन्न कर्म एक साथ सम्पन्न होने पर भी भिन्न-भिन्न समय में अपना फल देते हैं। 16 वीं लोकसभा चुनावों में भाजपा की सफलता का श्रेय RSS को है जिसको राजनीति में मजबूती देने का श्रेय इंदिरा जी व राजीव जी को जाता है। 

आज से 63  वर्ष  पूर्व  इन्दिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनी थीं । यदि  27 मई 1964 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का निधन होने  के तुरंत  बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री गुलज़ारी लाल नन्दा को  कांग्रेस अपना नेता चुन कर स्थाई प्रधानमंत्री बना देती तो कांग्रेस की स्थिति सुदृढ़ रहती किन्तु इन्दिरा जी पी एम नहीं बन पातीं। इसलिए समाजवाद के घोर विरोधी लाल बहादुर शास्त्री जी को पी एम पद से नवाजा गया था जिंनका 10/11 जनवरी 1966 को ताशकंद में निधन हो गया फिर कार्यावाहक पी एम तो नंदा जी ही बने किन्तु उनकी चारित्रिक दृढ़ता एवं ईमानदारी के चलते  उनको कांग्रेस संसदीय दल का नेता न बना कर इंदिराजी को पी एम बनाया गया। 1967 के चुनावों में उत्तर भारत के अनेक राज्यों में कांग्रेस की सरकारें न बन सकीं। केंद्र में मोरारजी देसाई से समझौता करके इंदिराजी पुनः पी एम बन गईं। अनेक राज्यों की गैर -कांग्रेसी सरकारों में 'जनसंघ ' की साझेदारी थी। उत्तर प्रदेश में प्रभु नारायण सिंह व राम स्वरूप वर्मा (संसोपा), रुस्तम सैटिन व झारखण्डे राय(कम्युनिस्ट ), प्रताप सिंह (प्रसोपा), पांडे  जी आदि (जनसंघ) सभी तो एक साथ मंत्री थे। बिहार में ठाकुर प्रसाद(जनसंघ ), कर्पूरी ठाकुर व रामानन्द तिवारी (संसोपा ) एक साथ मंत्री थे। मध्य प्रदेश में भी यही स्थिति थी। इन्दिरा जी की नीतियों से कांग्रेस को जो झटका लगा था उसका वास्तविक लाभ जनसंघ को हुआ था। जनसंघी मंत्रियों ने प्रत्येक राज्य में संघियों को सरकारी सेवा में लगवा दिया था जबकि सोशलिस्टों व कम्युनिस्टों ने ऐसा नहीं किया कि अपने कैडर को सरकारी सेवा में लगा देते। 


1974 में जब जय प्रकाश नारायण गुजरात के छात्र आंदोलन के माध्यम से पुनः राजनीति में आए तब संघ के नानाजी देशमुख आदि उनके साथ-साथ उसमें शामिल हो गए।


1977 में मोरारजी देसाई की जनता पार्टी की केंद्र सरकार में आडवाणी व बाजपेयी साहब जनसंघ  कोटे से  तो राजनारायन संसोपा कोटे से मंत्री थे। बलराज माधोक तो मोरारजी देसाई को 'आधुनिक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ' कहते थे। जनसंघी मंत्रियों ने सूचना व प्रसारण तथा विदेश विभाग में खूब संघी प्रविष्ट करा दिये थे।  


1977 में उत्तर प्रदेश में राम नरेश यादव (पूर्व राज्यपाल, मध्य प्रदेश) की जनता पार्टी सरकार में कल्याण सिंह(जनसंघ), मुलायम सिंह(संसोपा ) आदि सभी एक साथ मंत्री थे। पूर्व जनसंघ गुट के मंत्रियों ने संघियों को सरकारी सेवाओं में खूब एडजस्ट किया था। 

 1975 में संघ प्रमुख मधुकर दत्तात्रेय 'देवरस ' ने जेल से बाहर आने हेतु इंदिराजी से एक गुप्त समझौता किया कि भविष्य में संकट में फँसने पर वह इंदिराजी की सहायता करेंगे। और उन्होने अपना वचन निभाया 1980 में संघ का पूर्ण समर्थन इन्दिरा कांग्रेस को देकर जिससे इंदिराजी पुनः पी एम बन सकीं।परंतु इसी से प्रतिगामी नीतियों पर चलने की शुरुआत भी हो गई 'श्रम न्यायालयों ' में श्रमिकों के विरुद्ध व शोषक व्यापारियों /उद्योगपतियों के पक्ष में निर्णय घोषित करने की होड लग गई।इंदिराजी की हत्या के बाद 1984 में बने पी एम राजीव गांधी साहब भी अपनी माता जी की ही राह पर चलते हुये कुछ और कदम आगे बढ़ गए । अरुण नेहरू व अरुण सिंह की सलाह पर राजीव जी ने केंद्र सरकार को एक 'कारपोरेट संस्थान ' की भांति चलाना शुरू कर दिया था।आज आप को 2014 में बनी मोदी  सरकार कारपोरेट के हित में  दिख रही है तो यह उसी नीति का ही विस्तार है। 

 1989 में उन्होने सरदार पटेल द्वारा लगवाए विवादित बाबरी मस्जिद /राम मंदिर का ताला खुलवा दिया। बाद में वी पी सिंह की सरकार को बाहर से समर्थन देने के एवज में भाजपा ने स्वराज कौशल (सुषमा स्वराज जी के पति) जैसे लोगों को राज्यपाल जैसे पदों तक नियुक्त करवा लिया था। सरकारी सेवाओं में संघियों की अच्छी ख़ासी घुसपैठ करवा ली थी। 


आगरा पूर्वी विधान सभा क्षेत्र मे 1985 के परिणामों मे संघ से संबन्धित क्लर्क कालरा ने किस प्रकार भाजपा प्रत्याशी को जिताया  वह कमाल पराजित घोषित कांग्रेस प्रत्याशी सतीश चंद्र गुप्ता जी के  अलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती देने से उजागर हुआ। क्लर्क कालरा ने नीचे व ऊपर कमल निशान के पर्चे रख कर बीच में हाथ का पंजा वाले पर्चे छिपा कर गिनती की थी जो जजों की निगरानी में हुई पुनः गणना में पकड़ी गई। भाजपा के सत्य प्रकाश 'विकल ' का चुनाव अवैध  घोषित करके सतीश चंद्र जी को निर्वाचित घोषित किया गया। 

ऐसे सरकारी संघियों के बल पर 1991 में उत्तर-प्रदेश आदि कई राज्यों में भाजपा की बहुमत सरकारें बन गई थीं।1992 में कल्याण सिंह के नेतृत्व की सरकार ने बाबरी मस्जिद ध्वंस करा दी और देश में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए। 1998 से 2004 के बीच रही बाजपेयी साहब की सरकार में पुलिस व सेना में भी संघी विचार धारा के लोगों को प्रवेश दिया गया। 

2011 में सोनिया जी के विदेश में इलाज कराने जाने के वक्त से डॉ मनमोहन सिंह जी हज़ारे / केजरीवाल के माध्यम से संघ से संबंध स्थापित किए हुये थे जिसके परिणाम स्वरूप 2014 के चुनावों में सरकारी अधिकारियों / कर्मचारियों ने भी परिणाम प्रभावित करने में अपनी भूमिका अदा की है :





1967,1975 ,1980,1989 में लिए गए इन्दिरा जी व राजीव जी के निर्णयों ने 2014 में भाजपा को पूर्ण बहुमत तक पहुंचाने में RSS की भरपूर मदद की है। प्रियंका गांधी वाडरा, राहुल गांधी अथवा जो भी भाजपा विरोधी लोग राजनीति में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं उनको खूब सोच-समझ कर ही निर्णय आज लेने होंगे जिनके परिणाम आगामी समय में ही मिलेंगे। 'धैर्य',संयम,साहस के बगैर लिए गए निर्णय प्रतिकूल फल भी दिलवा सकते हैं।  


~विजय राजबली माथुर ©

सत्ता का अहंकार , दलितों का तिरस्कार : मायावती को गाली ------ आरफा खानम शेरवानी








   ~विजय राजबली माथुर ©

Tuesday, January 22, 2019

क्या 2014 का लोकसभा और बाद के चुनावों को हैक किया गया था ? ------ NDTV India

NDTV India
Published on Jan 22, 2019

क्या 2014 का लोकसभा चुनाव और उसके बाद के चुनावों को हैक किया गया था, यह सवाल फिर से उठा है, जिसे हम ईवीएम मशीन को देवता मानकर विश्वास करते हुए मज़ाक में उड़ा देते हैं. लंदन में आज एक ऐसी प्रेस कांफ्रेंस हुई है जिसमें इस तरह की बातें कहीं गईं हैं, अगर वो सही हैं तो गंभीरता से लिया जाना चाहिए. कई पत्रकार प्रेस कांफ्रेंस में किए गए दावों का मज़ाक उड़ा रहे हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है. मगर सिर्फ हैकिंग की बात नहीं हुई है, कुछ हत्याओं का जिक्र हुआ है, शुजा के शरण लिए जाने के दस्तावेज़ का ज़िक्र है जिसकी जांच हो सकती है. ईवीएम पर पहले भी सवाल उठे हैं. चुनाव आयोग ने पूरा मौका दिया है कि कोई इसे जांच कर ले मगर बात उठती है और इन दिनों ठंडी पड़ गई थी। क्या इस प्रेस कांफ्रेंस के बाद फिर से सवाल उठेगा. क्या जो सवाल उठे हैं, बातें बताई गई हैं वो बी ग्रेड हिन्दी सिनेमा की कहानी है या फिर इन्हें बी ग्रेड इसलिए बताया जा रहा है ताकि सवालों के जवाब तक पहुंचने से पहले ही सवालों को खत्म कर दिया जाए.
https://www.youtube.com/watch?v=VLgrV6IfIew









   ~विजय राजबली माथुर ©

Monday, January 21, 2019

Shuja 's press conference how the machines can be hacked ? ------ The Quint

  

Syed Shuja, a US-based cyber expert who claims he was a part of the team which designed Electronic Voting Machines (EVMs) used in India, alleges that the 2014 general elections in India were rigged. Shuja is holding a press conference in London claiming that he can demonstrate how the machines can be hacked.
Shuja, who is addressing the meet via a video conference, claims that he was attacked a few days ago.

Congress leader Kapil Sibal is also present at the event.

In the press conference, Shuja alleged that 2014 Lok Sabha elections were rigged
He also claimed that Gopinath Munde was murdered as he was aware of EVM hacking
Telecom giant Reliance Communications helped the BJP to get low frequency signals to hack EVMs, alleged Shuja
He also claimed that slain journalist Gauri Lankesh agreed to run the story for him, but she was killed

Shuja said that other than the BJP, the SP, BSP and the AAP too approached him to know if EVMs could be hacked
Syed Shuja said that the Congress lost 201 seats in 2014 due to EVM tampering.
Syed Shuja claims slain journalist Gauri Lankesh agreed to run the story for him, but she was killed. He further claims Lankesh filed an RTI to find out who manufactured cables used in the EVMs, following which she was killed.


“She was waiting to run the story, but she was murdered,” he alleged.
When asked if AAP approached him to hack elections, he claims they approached him to be able to demonstrate to the world that this could be done.
In response to a question, Syed Shuja claims he will provide the evidence he submitted to the US authorities for his asylum application to journalists.

West Bengal CM Mamata Banerjee said that democracy must be protected and that the Opposition parties discussed the issue of EVMs on 19 January.


Telecom giant Reliance Communications helped the BJP to get low frequency signals to hack EVMs, claims Syed Shuja.

“Reliance Communications have the network to transmit the data, BJP is the beneficiary. There are nine places in India where there are facilities. The employees don’t know that they are tampering with EVMs. They think they are doing data entry,” alleges Shuja.

Shuja claims EVMs have been hacked since 2014 as well. He also alleges if his people hadn't intercepted the BJP attempts to hack in Chhattisgarh, Madhya Pradesh and Rajasthan, they would have won those states as well.
Syed Shuja claims he is in the US because he was able to claim asylum there. He also said that he submitted proof to the US to get asylum which he claims is with the US authorities.
Shuja claims he met a famous Indian journalist and told him the whole story about the EVM rigging. He says the journalist "shouts every night" on TV debates.
In Delhi state elections in 2015, we managed to intercept the transmission, resulting in the AAP winning 67 out of 70 seats. Otherwise the BJP would have swept, he claims.
Syed Shuja claims that other than the BJP, the SP, BSP and the AAP too approached him to know if EVMs could be hacked.


“SP, BSP asked if they can do anything. We contacted Congress, we thought we could help them. The AAP wanted to hack to show the world that EVMs are hackable,” he said.
Syed Shuja, a US-based cyber expert, who has designed EVMs used in India, claims late Maharashtra BJP leader and Union Minister Gopinath Munde was aware of the EVM hacking in 2014.


He also claims the NIA officer investigating Munde's death, Tanzil Ahmed, was planning to file an FIR noting he had been murdered, but was himself killed.
Syed Shuja alleges that the 2014 general elections were rigged. UP, Gujarat, MP, Rajasthan, Chhattisgarh and Delhi results were rigged during the general elections, he claims.


The EVMs were hacked by the BJP using a modulator which transmits military-grade frequency, he claims.
Syed Shuja claims that in April 2014 they realised signals were being emitted from the machines during the Lok Sabha elections.

They tried to set up a meeting with BJP leaders, thinking they could blackmail the BJP with what they knew.

The expert claims when he and his team went to meet a BJP leader in a Hyderabad suburb, the team was shot. Shuja too was also allegedly shot in the attack but survived.


Shuja claims that to cover up the incident, a communal violence incident was 'arranged' in Kishangarh, Hyderabad. His dead colleagues were allegedly passed off as the people killed.
The expert's name is Syed Shuja. He claims he worked for the ECIL from 2009-2014. He says he is not present at the meeting because he was attacked four days ago.

The Election Commission was invited to be here but are not present, he claims. Political parties were also invited, but only Kapil Sibal from the Congress is attending the event, he adds.

Shuja claims that he was part of a team which designed the EVMs used in the 2014 elections.

He claims he will show how the hacking can be done, supposedly using EVMs actually used in recent elections, and will say which elections have been tampered with.


Shuja clarifies that he and his team were instructed by ECIL to find out if EVMs could be hacked, and find out how to do this.
A US-based cyber expert, Syed Shuja, who has designed Electronic Voting Machines (EVMs) used in India, is holding a press conference in London claiming that he can demonstrate how the machines can be hacked.

Shuja, who is addressing the meet via a video conference claims that he was attacked a few days ago. He is showing how the hacking can be done, supposedly using EVMs actually used in recent elections, and will say which elections have been tampered with.


Congress leader Kapil Sibal is also present at the event.
A US-based cyber expert, who has designed EVMs used in India, is set to demonstrate that the machines can be hacked.

Questions over manipulation of Electronic Voting Machines have been a fixture of mainstream Indian politics since 2009, when senior BJP leader LK Advani alleged that EVMs weren’t foolproof. Current BJP spokesperson GVL Narasimha Rao wrote an entire book on the topic in 2010, in which Advani noted that many countries like Germany had banned their use.

After the BJP came to power in the Centre in 2014, Opposition parties took up the baton, alleging tampering of EVMs at regular intervals.

The most recent example of this was when the AAP and the Congress raised concerns about malfunctions and alleged attempts to tamper with EVMs during the recent round of state elections. Three percent of EVMs in Madhya Pradesh experienced glitches during the elections in November 2018, and there were a string of suspicious incidents in Madhya Pradesh, Chhattisgarh and Rajasthan involving EVMs.
The Election Commission has insisted that EVMs cannot be hacked, noting that the EVMs can’t be tampered with remotely since they don’t have networking devices which can be accessed by Bluetooth or Wi-Fi.

Tampering would therefore require physically opening up the machine, which the EC claims cannot be done without them knowing. The Election Commission has also cited the efforts made to randomise which EVMs are used for which constituencies, and insist they will use VVPAT along with all EVMs to ensure transparency.

The Election Commission even organised a hackathon in June 2017 where they challenged doubters to hack one of their EVMs, but only two parties, the NCP and the CPM participated. Neither ended up taking the challenge because of the conditions imposed by the EVM, and other parties had refused to take part after the EC said they couldn’t tamper with the motherboard of the EVMs.
https://www.thequint.com/news/india/evm-hacking-demonstration-press-conference-london-uk-live-updates

~विजय राजबली माथुर ©

Wednesday, January 16, 2019

बसपा - सपा गठबंधन से डरी भाजपा के काँपते कदम ------ अभिसार शर्मा

  
12-01-2019 


Published on Jan 15, 2019


2019 लोक सभा चुनाव के लिये BSP और समाजवादी पार्टी के बीच ऐतिहासिक गठबंधन हुआ है। बीजेपी इस कदर डरी हुई है के उसके अध्यक्ष को पानीपत की तीसरी लड़ाई और अत्याचारी हमलावर अहमद शाह अब्दाली की याद आ रही है। गोदी मीडिया यानी सरकार का चाटुकार मीडिया गठबंधन को बदनाम करने के रोज कोई ना कोई नये शिगूफे गढ़ रहा है। न्यूज़ चक्र मे अभिसार शर्मा इस साजिश का ज़बरदस्त पर्दाफाश कर रहे हैं ।
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~विजय राजबली माथुर ©

Thursday, January 3, 2019

पी एम के साक्षात्कार की समीक्षा : अभिसार शर्मा / बाबी नक़वी द्वारा

 NewsClickin
Published on Jan 2, 2019

2019 में मोदी ने मीडिया को पहला इंटरव्यू दियाI इसकी ख़ासियत यह रही कि इसमें देश के तमाम विवादास्पद मुद्दों पर सवाल उठाये गएI मगर अधिक्तर मुद्दों पर प्रधानमंत्री ने गोल-मोल जवाब दिये, कुछ मुद्दे तो छुए भी नहीं। आज अभिसार शर्मा न्यूज़चक्र के इस खास एपिसोड मे मोदी के बड़े इंटरव्यू का एक एक पहलू आपके सामने रखने जा रहे हैं। पेश है उनके इंटरव्यू की सबसे गहन समीक्षा।: 
Smita Prakash , ANI








June 29, 2016 
Pm से मुलाकात हो रही है

प्रधानमंत्री के साथ साक्षात्कार की व्यवस्था करना लंबा खींचा और दुर्वह प्रक्रिया हो सकती है. मैं पिछले अगस्त को पहला हाथ अनुभव करने का अवसर था.
संयुक्त अरब अमीरात में उनकी यात्रा के आगे, मैंने अरब दुनिया में दो देशों और भारत की भूमिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर एक साक्षात्कार का अनुरोध किया । कई दिनों के लिए नौकरशाह के साथ कई ईमेल का आदान-प्रदान करने के बाद, मुझे एक बहुत ही वरिष्ठ अधिकारी से एक कॉल मिली: " बॉबी, मेरे पास अच्छी खबर और बुरी खबर है । कौन सा आप पहले सुनना चाहते हैं?"
मुझे नहीं पता था कि क्या कहना है. इससे पहले कि मैं बोल सकता था, उसने कहा कि " pm ने सहमति दी है." फिर उसने दो अन्य प्रकाशनों का उल्लेख भी किया होगा । मैं बहुत निराश था क्योंकि यह अब एक विशेष साक्षात्कार नहीं था. मेरा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन कुछ विरोध के साथ इसे स्वीकार करने के लिए.
फिर मुझे पूर्व स्वीकृति के लिए अपने प्रश्नों को भेजने के लिए कहा गया था. और फिर सुरक्षा निकासी के लिए कई अनुरोधों का पालन किया: मेरे ड्राइवर, कार पंजीकरण नंबर, फोटोग्राफर के विवरण और उसके उपकरण आदि की सूची.
अंतिम क्षण तक, मैं इस बैठक के स्थान और समय के बारे में कोई सुराग नहीं था. मुझे बताया गया था कि यह स्वतंत्रता दिवस पर अपने लाल किले के भाषण के बाद कभी भी हो सकता है. 14 अगस्त को हुए कॉल करने के बाद, मुझे दिल्ली में अपने संपर्क का फोन नंबर दिया गया था. इस व्यक्ति, एक युवा अधिकारी ने मुझे दोपहर से पहले राजधानी में होने के लिए कहा और कहा कि सटीक समय और स्थान बाद में प्रदान किया जाएगा.
मैं 14 अगस्त को फ्लाइट पर सवार होने से पहले, मुझे एक अजीब फोन कॉल मिल गया. यह एक प्रमुख मुस्लिम व्यक्तित्व से था जो pm के करीब माना जाता है । " कर रवाना pm साहब का इंटरव्यू, बड़े, बड़े लग लाइन में bhaithen हैं उनसे मिलने के लिए."
मैं हैरान हो गया था और यह पता नहीं चला कि वह कैसे मेरी बैठक के बारे में पता चला है क्योंकि यह व्यक्ति सरकार का हिस्सा नहीं है.
अगली सुबह दिल्ली में, एक और झटका मुझे इंतजार कर रहा है । मेरे संपर्क अधिकारी ने सूचित किया कि मेरे फोटोग्राफर की अनुमति नहीं होगी और वह तस्वीरें पीएम के आधिकारिक फोटोग्राफर द्वारा ली जाएगी । मैंने अपने पैर को नीचे रखने का निर्णय लिया और उसे बताया कि मैं ऐसा नहीं कर सकता. तनाव वार्तालाप पीछे और बाहर और कुछ घंटे बाद फोटोग्राफर को एक शर्त पर अनुमति दी गई - कि वह केवल पांच मिनट अंदर खर्च करेगा.
हम तीनों -- मेरा ड्राइवर, मेरे भाई Saify और फोटोग्राफर Pankaj ने भारत के सबसे प्रसिद्ध पते को भगा दिया । उस दिन बिल्लियों और कुत्तों की बारिश हो रही थी । 7 rcr पर पहले चेकपॉइंट पर हमने एक और मुसीबत का सामना किया । जब एक रेनकोट में एक भारी सशस्त्र आदमी कार के पास आ गया तो एक विशाल टॉर्च ने हमें लगभग अंधा कर दिया. भारी बारिश की आवाज ने उसे सुनना असंभव बना दिया । वह सब समझ सकता था कि हम " दुबई से " हैं ", शब्द उन्होंने कई बार दोहराया कि वह उन्हें सही सुना है । वह फिर सुरक्षा कार्यालय में वापस चला गया. कुछ मिनट बाद वह वापस आ गया और हमें उस गाड़ी को अवरोध से दूर करने के लिए कहा और मुझे उसका अनुसरण करने के लिए इशारा किया । एक अधिकारी ने फिर से हमारा विवरण लिया और उन्हें कार्यालय-निवास परिसर के अंदर अपने sodium को radioed किया. कई मिनट बाद उन्होंने कहा कि फोटोग्राफर को कोई सुरक्षा निकासी नहीं थी. मैंने फिर से अपने संपर्क अधिकारी से संपर्क किया और समस्या को समझाया. बाद में कई बेचैन पल, हमें अंदर की अनुमति दी गई और विज़िटर पार्किंग के लिए निर्देशित किया गया, रिसेप्शन हॉल से कुछ मीटर दूर.
अंदर तीव्र सुरक्षा जाँच के बाद हमें एक दूसरे कमरे में इंतजार करने के लिए कहा गया था जहां एक सूँघने वाला कुत्ता लाया गया था । जल्द ही, हम एक एसपीजी आदमी द्वारा संचालित शटल कार में मुख्य इमारत के लिए स्थानांतरित किया गया था.
अंदर, हम एक कमरे ग्रीन लॉन को निहार रहे थे, जहां मैं "साक्षात्कार के आदेश" पर लप्पास किया गया था.
" फोटो और दोनों के बाद, प्रधानमंत्री आपको देख लेंगे, और फिर आप अपनी बातचीत शुरू कर देंगे," एक अधिकारी ने मुझे एक स्वर में बताया जो विनम्र था लेकिन दृढ़ है । एक और शॉकर -- कि मैं केवल एक प्रश्न पूछ सकता हूँ और मेरे बाकी प्रश्नों के उत्तर मिलने के बाद लिखने में प्रदान किया जाएगा.
ब्रीफिंग के बाद हम पीएम के टीम के सदस्यों को पेश किया गया, जिसमें बिहार से मुस्लिम अधिकारी शामिल हैं (इस अधिकारी, मुझे बताया गया था, pm का प्रसिद्ध सिलिकॉन वैली भाषण लिखा था).
यह बैठक स्क्रिप्ट के अनुसार चली गई. एक गर्म हाथ से हाथ मिलाने के बाद हमने हिंदी में अपनी देर रात की उड़ान और उसके लाल किले के भाषण के बारे में बात की । एक और पत्रकार जो आगे बोलने के लिए शेड्यूल किया गया था (वह हमारे पास से आया और ड्यूटी मुक्त से पीएम के लिए एक उपहार उठाया) एक अनुवादक के माध्यम से अंग्रेजी में बोले, एक वरिष्ठ महिला अधिकारी प्रचार मंडल से । बैठक के बाद एक घंटे या इसलिए, मैं बातचीत के प्रिंट प्रतिलिपियाँ दिया गया था और मेरे सवालों के जवाब दे दिया था कि मैं पूछ नहीं सका.
आज, मुझे आश्चर्य नहीं था कि जब मैं समय के लिए उस सवाल को पढ़ रहा था, अब इंटरव्यू एडवांस में मांग लिया गया था । मुझे यकीन नहीं है कि यह इस सरकार के लिए सभी पीएमएस या अद्वितीय के लिए एक मानक प्रक्रिया है.

NBT,Lko.,03-01-2019,Page-12





~विजय राजबली माथुर ©