दोनों कटिंग-हिंदुस्तान-लखनऊ-29/03/2012 |
भारतीय संसद ने इंदिरा जी की 'एमर्जेंसी' को भी देखा और उनके कटु आलोचक एवं उन्हें अपदस्थ करने वाले (जिन्हें प्रो . गुप्ता पढ़ाते समय 'राजनीतिक दार्शनिक'-Political Philosphar बताते थे) मोरार जी देसाई ने स्पष्ट कहा था कि इंदिरा जी तानाशाह नहीं थीं। लेकिन आजकल अन्ना/रामदेव आंदोलन के नाम पर RSS/NGOs/देशी-विदेशी कारपोरेट घराने 'भारतीय संसद' और संसदीय लोकतन्त्र के लिए गंभीर खतरा बन कर उभरे हैं। नकसलवादी( जो संसदीय लोकतन्त्र को नहीं मानते और अमेरिकी धन के बल पर संसद के लिए चुनौती बने हुये हैं )से कम खतरनाक नहीं हैं ये एन जी ओ आंदोलनकारी। अन्ना/रामदेव का एक खतरनाक नारा है-सभी राजनीतिज्ञ भ्रष्ट हैं',इन लोगों ने आम जनता को राजनीति से विरक्त रखने का एक सुनियोजित षड्यंत्र चला रखा है। साम्राज्यवादियों के ये पिट्ठू अच्छी तरह जानते हैं कि जनता को राजनीति से दूर कर दो तो जनतंत्र स्वतः ही विफल हो जाएगा।
दुर्भाग्य यह है कि पढे-लिखे और खुद को खुदा समझने वाले इंटरनेटी वीर भी इस नापाक अभियान मे शामिल हैं। ये वे लोग हैं जो खाते-पीते,सम्पन्न परिवारों से आते हैं और सरकारी नौकरी मे ऊंचे-ऊंचे पदों पर आसीन है या उद्योग-धंधे,व्यापार मे लगे हुये हैं। ये लोग कभी भी अपना 'मत'-Vote देने नहीं जाते और एयर कंडीशंड कमरों मे बैठ कर राजनीति और राजनीतिज्ञों को कोसते रहते हैं। इस प्रकार के लोगों ने आज भारतीय संसद के सम्मुख गंभीर चुनौती संसदीय लोकतन्त्र को नष्ट करने की उपस्थित कर रखी हैं।लेकिन भारत की जनता इन सरमायेदारों और सकारी नौकरशाहों के नापाक मंसूबों को भलीभाँति समझती है और उन्हें करारी शिकस्त देती रहती है। अतः भारत की जनता अपने संसदीय जनतंत्र और संसद की रक्षा करने मे सदैव सफल रहेगी।