Thursday, September 20, 2012

फर्जीवाड़ा क्यों ?



 फर्जीवाड़ा क्यों समझने के लिए यह विवरण देखें-



मेरे इस लिंक पर प्रस्तुत लेख- http://vidrohiswar.blogspot.in/2012/09/blog-post_14.html
पर 'एंटी वाइरस' नाम से किसी अज्ञात ने टिप्पणी दी जबकि टिप्पणी बाक्स के साथ स्पष्ट घोषणा है की,-


"ढोंग-पाखंड को बढ़ावा देने वाली और अवैज्ञानिक तथा बेनामी टिप्पणियों के प्राप्त होने के कारण इस ब्लॉग पर मोडरेशन सक्षम कर दिया गया है.असुविधा के लिए खेद है."
जब दिये गए प्रोफाईल को देखा और जो जानकारी मिली वहीं मैंने क्या सूचित किया और उसका क्या जवाब दिया गया(और वही फिर उस ब्लाग पर भी टिप्पणी मे लिखा गया) नीचे प्रस्तुत है-



2 comments:

  1. जनाब एंटी वाइरस साहब आप बिना इंसानी नाम के कमेन्ट लिख कर आए हैं अतः वह बेनामी हुआ और हम उसे नहीं छाप सकेंगे। आपको इंसानी नाम और हुलिये से लिखना होगा तभी छपेगा।
  2. विजय ! इंसानी नाम रखने से ही कोई इन्सान हो जाता है क्या ?
    बात तो बात है . इंसान कहे या कोई अन्य.
    आध्यात्मिक पुरुष कहने वाले को देखने के बजाय यह देखते हैं कि क्या कहा जा रहा है ?
    अपने कमेन्ट के दर्पण में देखो कि तुम अभी नाम व रूप में ही उलझे पड़े हो.
    तुम्हारे अन्दर से जो बाहर आता है, वह बताता है कि अपनी यात्रा में तुम कहाँ तक पहुंचे .

    आगे जाना हो तो यह न कहो कि मैं उचित तथ्य को सामने न आने दूंगा.


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स्पष्ट रूप से इस प्रकार बनाया गया प्रोफाईल और फर्जी नाम से दी गई टिप्पणियाँ 'बेनामी' के अंतर्गत आती हैं और यह ज़िद्द की जाये कि,ऐसी टिप्पणियों को छापा जाए तो उसके क्या निहितार्थ निकलते हैं बताने की आवश्यकता नहीं है।


27 अप्रैल 2012 से IBN 7 के एक पत्रकार अपने ब्लाग द्वारा और अपने 'ठग' एवं उसके 'जासूस' ब्लागर्स द्वारा मेरे विरुद्ध अभियान चलाये हुये हैं। उनका उद्देश्य पोंगा-पंडितवाद का संरक्षण करना,कारपोरेट घरानों के खेल को निर्बाध ढंग से सम्पन्न कराना है और चूंकि मैं 'ढोंग-पाखंड-आडंबर' का विरोध और आलोचना करता  हूँ इसलिए उन्होने मुझे निशाना बना रखा है यह टिप्पणीदाता भी उसी खेल का उनका ही कोई मोहरा प्रतीत होता है। उक्त पत्रकार मुझे अपने परिचितों द्वारा फोन पर सपरिवार उड़ाने की धमकी  भी दे चुके हैं। अतः यदि हमारे यहाँ किसी के साथ कोई 'हादसा' होता है तो IBN 7 के वही पत्रकार और उनके लगगे-बझझे ही उत्तरदाई होंगे।

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