Monday, September 3, 2012

भर्त्सना की भर्तस्ना


श्री अरुण चंद्र राय साहब के एक से दो निवेदन प्राप्त हुये हैं जिनमे उन्होने एक ही बात को दोहराते हुये कहा है कि,इस शीर्षक की पोस्ट का प्रारम्भ उनकी टिप्पणी से हुआ है और वह टिप्पणी किसी दूसरे उद्देश्य से है अतः वह पोस्ट मैं हटा दूँ। 

अरुण जी का सम्मान करते हुये उस पोस्ट को हटा लिया गया है। 

उस पोस्ट को लिखने का जो उद्देश्य यह था कि हमारे विरुद्ध कौन-कौन लोग हैं और उनके समर्थक कौन-कौन हैं?इन सब बातों का पूर्ण खुलासा हो गया है। किसके दिल मे क्या है और वह कहता क्या है?सब कुछ शीशे की तरह साफ हो चुका है। 




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