कामरेड राकेश ,महासचिव इप्टा,उत्तर प्रदेश (फोटो संतोष त्रिवेदी जी से साभार ) |
सोमवार,27 अगस्त 2012 को लखनऊ के राय उमनाथ बली प्रेक्षागृह मे अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन सम्पन्न हुआ था। कुछ स्वार्थी-ज्वलनशील ब्लागर्स ने इस आयोजन की कड़ी निंदा की है। इस उठा-पटक मे काफी महत्वपूर्ण बातों की चर्चा प्रकाश मे आने से वंचित रही। यों तो लगभग सभी वक्ताओं ने बहुत अच्छी -अच्छी बातों पर प्रकाश डाला था ,किन्तु डॉ राकेश ,डॉ वीरेंद्र यादव एवं मुद्रा राक्षस जी ने आम आदमी से संबन्धित मुद्दों को उस ब्लागर सम्मेलन मे मजबूत तर्कों के साथ रखा था जिन पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए थी। मुद्रा राक्षस जी ने कहा था कि हमारे देश मे अभी करोड़ों लोगों ने रेल गाड़ी की ही शक्ल नहीं देखी है उन पर ब्लाग-लेखन क्या प्रभाव डालेगा इस पर भी विचार होना चाहिए। वीरेंद्र यादव जी ने ग्रामीण पृष्ठ-भूमि और किसानों को ब्लाग-लेखन मे महत्व दिये जाने की चर्चा की थी।
मुझे इप्टा,उत्तर प्रदेश के महासचिव डॉ राकेश के विचार श्रेष्ठ एवं उत्तम लगे क्योंकि उन्होने तमाम प्रकार की चिंताओं को दरकिनार करते हुये बताया कि 'इन्टरनेट' हमारे देश के लिए नई चीज़ नहीं है। पहले भी यह ज्ञान हमारे देश मे रहा है जो किन्ही कारणों से विलुप्त हो गया था और अब पुनः पश्चिम की मार्फत हम तक पहुंचा है। राकेश जी ने बताया कि 'Read, Re read &Unread' की प्रक्रियाएं सतत चलनी चाहिए जिससे ज्ञान प्राप्ति उसका परिमार्जन एवं परिष्करण होता रहे। ऐसा न होने पर ज्ञान कुंठित होकर समाप्त या विलुप्त हो जाता है। इसी कारण हमारा प्राचीन ज्ञान विलुप्त हुआ था कि हमारे पूर्वज इस सतत प्रक्रिया का सम्यक निर्वहन न कर सके थे।
राकेश जी ने बताया कि महाभारत युद्ध की घटना का विवरण संजय द्वारा धृत राष्ट्र को सजीव सुनाया जाना इसी इन्टरनेट और टेलीविज़न के माध्यम से संभव हुआ था। उस समय तक हमारा ज्ञान-विज्ञान उन्नत दशा मे था। बाद मे धीरे-धीरे पतन होता गया और ज्ञान-विज्ञान का क्षरण होता गया।अब हमने पुनः इस ज्ञान को अर्जित किया है तब इसका लाभ समस्त जनता को मिल सके ऐसी व्यवस्था किए जाने की आवश्यकता है।
विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि दूसरे बामपंथी-साम्यवादी विद्वानों की तरह राकेश जी संकीर्ण दृष्टिकोण मे नहीं बंधे व उन्होने स्पष्ट स्वीकार किया कि आधुनिक विज्ञान से अधिक समृद्ध था हमारा प्राचीन विज्ञान और जहां तक अभी भी आधुनिक विज्ञान पहुँच ही नहीं पाया है।
मैं तो एक लंबे अरसे से इस ब्लाग के माध्यम से ऐसे ही विचारों को व्यक्त करता रहा था। 'साम्यवाद' के संबंध मे भी मेरा दृष्टिकोण सुदृढ़ है कि यह हमारे प्राचीन 'समष्टिवाद' का आधुनिक पाश्चात्य रूप है। परंतु उसी रूप मे जैसा समष्टिवाद हमारे यहाँ था पाश्चात्य साम्यवाद न होना ही वह कारण रहा कि सोवियत रूस से साम्यवादी व्यवस्था छिन्न -भिन्न हो गई। रूस मे विदेशी पूंजीपति नहीं आ गए बल्कि पूर्व के भ्रष्ट नेता और अधिकारी ही आज के सम्पन्न उद्योगपति-पूंजीपति हैं। इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड जितेंद्र रघुवंशी जी ने रूस के वर्तमान राष्ट्रपति 'पुतिन' से संबन्धित एक पुस्तक का ब्यौरा शेयर किया था उसे हम नीचे उद्धृत कर रहे हैं जिससे यह बात आसानी से समझ आ जाएगी। -
31 अगस्त 2012 के जितेंद्र रघुवंशी जी के टाईम लाईन से-
Jitendra Raghuvanshi
2000 Crore Dollar ki sampatti hai unke paas!Democratic Russia!
2000 Crore Dollar ki sampatti hai unke paas!Democratic Russia!
अतः यदि हम 27 अगस्त को लखनऊ मे सम्पन्न हुये अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन मे व्यक्त श्रेष्ठ वक्ता राकेश जी के सुझाए विचारों को अपना कर उन पर अमल करें तो अपने ज्ञान-विज्ञान को न केवल समृद्ध कर सकेंगे वरन आम जनता का कल्याण भी 'ब्लाग-जगत' के माध्यम से कर सकेंगे। 27 तारीख का ब्लागर सम्मेलन जिस भवन मे हुआ था उसका नामकरण हमारे ही खानदानी राय उमानाथ बली के नाम पर हुआ है। इसलिए उस स्थल से भावनात्मक लगाव तो था ही आयोजकों मे से एक कामरेड रणधीर सिंह सुमन हमारे ही ज़िले बाराबंकी मे हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। उनका व्यक्तिगत आग्रह मेरे वहाँ उपस्थित रहने के बारे मे था। उन्होने इप्टा के प्रदेश महासचिव कामरेड राकेश जी को मुझसे ही स्मृति चिन्ह व पुष्प गुच्छ भेंट कराये थे।बाद मे उनका वक्तव्य और विचार ही मुझे सर्व-श्रेष्ठ प्रतीत हुये अतः उनको सार्वजनिक करना मैंने अपना कर्तव्य समझा ।
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