इस वर्ष 2017 में भाजपा के छात्र संगठन ए बी वी पी ने JNU में भी छात्र यूनियन पर कब्जा करने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन व केंद्र सरकार के माध्यम से भरसक कोशिश की थी। किन्तु वहाँ तो दाल तब भी न गली बल्कि, दिल्ली यूनिवर्सिटी में जहां कि, चार वर्षों से उनका अध्यक्ष था वहाँ भी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI ने जीत हासिल की है। ज्वाइंट सेक्रेटरी पद पर भी पहले NSUI को विजित घोषित करके अब ए बी वी पी को निर्वाचित कर दिया जिसके लिए कोर्ट में मामला जा सकता है। ग्वाहाटी , पंजाब और रास्थान आदि में भी ए बी वी पी को को हरा कर NSUI के छात्र जीते हैं।
यही कारण है कि, कारपोरेट अखबार NBT के समपादकीय में भी भाजपा की धौंस की नीति की आलोचना हुई है। उनके एक संवाददाता को अलग से JNU के छात्र चुनावों पर रिपोर्ट देनी पड़ती है और द वायर हिन्दी पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ साहब को इस पर चर्चा के लिए पर्याप्त समय देना पड़ता है।
अभी 05 सितंबर 2017 को सबसे पुराने छात्र संगठन AISF ( स्थापित 1936 ) के कन्याकुमारी से हुसैनीवाला तक जा रहे लाँग मार्च को उत्तर - प्रदेश की भाजपा सरकार ने अनावश्यक रूप से बाधित किया था क्योंकि उसमें देश की एकता, सांप्रदायिक सौहार्द, रोजगार, समान शिक्षा आदि की मांग की जा रही थी जबकि, भाजपा विभाजनकारी उत्पीड़न की पक्षधर है । छात्र काफी समय से मोदी और उनकी भाजपा के छलावे में फंसे हुये थे अब यदि उनका भ्रम टूट रहा है तो यह देश के लिए आने वाले समय की सुखद सूचना ही है।
~विजय राजबली माथुर ©
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