(यह फोटो जब आगरा में थे तब का है) |
जिस कारण आस -पास जब गर्मी या सर्दी क़े प्रकोप से तुलसी का क्षय हो जाता था ;सिर्फ हमारे यहाँ ही तुलसी उपलब्ध रहती थी.वैज्ञानिक विश्लेषणों क़े अनुसार हमारे देश में पायी जाने वाली तुलसी की प्रजातियाँ इस प्रकार हैं:-
- आसीमम अमेरिकेनम -इसे काली तुलसी,गंभीरा या भामरी कहते हैं.
- आसीमम वेसोलिकम -मरुआ तुलसी,मुजरिकी या सुरसा भी कहते हैं.
- आसीमम ग्रेटिसिकम -राम तुलसी ,वन तुलसी भी कहलाती है.
- आसीमम किलिमंडचर्रिकम-कर्पूर तुलसी कहलाती है.
- आसीमम सैंटकम -यह प्रधान या पवित्र तुलसी है .इसकी भी दो प्रधान जातियां हैं -(अ )श्री तुलसी जिसकी पत्तियां हरी होती हैं तथा (ब )कृष्णा तुलसी जिसकी पत्तियां निलाभ कुछ बैंगनी रंग लिए हुए होती हैं.इसे श्यामा तुलसी भी कहते हैं.
- असीमम विरीडि -यह थोडा कम मात्रा में पायी जाती है.
(फोटो साभार:गूगल इमेज सर्च) |
तुलसी एक गुण अनेक
शरीर की विद्युतीय संरचना -को तुलसी सीधे प्रभावित करती है .तुलसी काष्ठ क़े दानों की माला गले में पहनने से शरीर में विद्युत् शक्ति का प्रभाव बढ़ता है तथा जीवकोषों द्वारा उनको धारण करने की सामर्थ्य में वृद्धि होती है.इसके प्रभाव से अनेकों रोग आक्रमण करने से पूर्व ही समाप्त हो जाते हैं और आयु में वृद्धि होती है.फिर भी यदि कोई माला न धारण कर सके तो तुलसी क़े निम्न -लिखित प्रयोगों द्वारा व्याधियों का शमन तो कर ही सकता है:-
चंद्रोदय ग्रन्थ क़े अनुसार
आँतों क़े अन्दर तुलसी पत्र स्वरस का प्रभाव कृमिनाशक एवं वातनाशक होता है.इसके प्रयोग से वमन(उल्टी )बंद होता है और पुराना कब्ज दूर होता है.दाद पर रस चुपड़ने से ठीक हो जाता है.वृणों (फोड़ों )पर स्वरस से मर्जित करने पर उनमे संक्रमण नहीं बढ़ता तथा वे जल्दी ठीक हो जाते हैं.
तुलसी बीज का चूर्ण - मूत्र दाह व विसर्जन में कठिनाई होने तथा ब्लड प्रेशर की सूजन होने व पथरी में तुरन्त लाभ करता है.
राजयक्ष्मा (T .B .)-में तुलसी जीवनी शक्ति बढ़ा कर T .B .क़े जीवाणुओं को पलने नहीं देती.
मलेरिया -तुलसी एन्टी मलेरिया है.घर क़े आस -पास लगाने से मच्छर समीप नहीं आते .इसके स्वरस का लेप करने से वे काटते नहीं तथा मुख द्वारा ग्रहण किये जाने पर उन्हें इसके सक्रिय संघटक नष्ट कर देते हैं.परन्तु याद रखें तुलसी पत्र दांतों से न चबाएं क्योंकि तुलसी में पारा (MERCURRY )होता है जो दांतों की पालिश को नष्ट कर डालता है.तुलसी पत्र स देव निगलें या जल में लें.
गर्भ -निरोधक -तुलसी पत्र क़े क्वाथ (काढ़े )की यदि एक प्याली प्रतिमास रजोदर्शन क़े बाद तीन दिन तक नियमित रूप से सेवन कराएं तो गर्भ की स्थापना नहीं होती .
बालकों क़े रोग -श्वेत तुलसी उष्ण व पाचक होने क़े कारण बालकों क़े रोगों में प्रयुक्त करते हैं.
कफ़ ज्वर -काली तुलसी ,काली मिर्च और अदरक का काढ़ा बना कर सोते समय पिलाने से कफ़ व ज्वर का नाश होता है.
काढ़ा बनाने क़े लिए तुलसी पत्र ३ ,५ ,७ , ९ ,११ आदि विषम क्रम में लें और छोटे टुकड़े कर लें व ऐसे ही काली मिर्च लें तथा अंदाज़ से अदरक लेकर साथ में कूट लें -इस सब को एक कप पानी में भिगोएँ और सोते समय पकाकर जब शश चौथाई कप रह जाये तो मीठा मिलाकर पिलायें.
सईनोसाईटिस -पीनस रोग में तुलसी क़े सूखे पत्तों का चूर्ण प्रयोग किया जाता है.
कर्ण शूल -तुलसी से सिद्ध किया हुआ तेल कान -दर्द में डालें तो तुरन्त आराम होता है.
कमजोरी -तुलसी की जड़ का चूर्ण प्रातः -साँय घी क़े साथ लें तो ओज व बल बढ़ता है.
प्रवाही पदार्थों में तुलसी पत्र डालकर पीने से उनकी जीवनी शक्ति में विशेष वृद्धि हो जाती हैऔर हानिप्रद कीटाणु नष्ट हो जाते हैं. इसी लिए शास्त्रों में विधान बनाया गया है कि ,पंचामृत ,चरणामृत में तुलसी दल अवश्य डालें और इसी लिए कार्तिक मास में तुलसी क़े पुष्पित होने पर इसकी पूजा ,अनुष्ठान,उदयापन,अर्चन किया जाता है.तुलसी मानव जीवन क़े लिए अमृत है.
हमारे ऋषी -मुनियों का आशय तुलसी पूजा से यह था कि हम मनुष्य अपनी मानव -जाति क़े लिए बहुउपयोगी इस औषद्धि का संरक्षण,संवर्धन करें न कि आज प्रचलित ढोंग -पाखण्ड से था;कि वृक्ष का पत्थर से विवाह कराकर व्यर्थ पैसा और समय बर्बाद करके फिर उसे सड़ने ,पाले में गलने क़े लिए खुले आसमान में छोड़ दें.तुलसी को कपडे से ढक कर पाले से उसकी रक्षा करना था न कि चुनरी किसी ढोंगी को दान करके नाहक भक्त कहलाना था.काश हम अपने पूर्वजों की भावना को समझ कर अपना कल्याण कर सकें ?
मैं जानता हूँ अधार्मिक लोग इस सच्चाई का मखौल उड़ायेंगे और ढोंग व पाखण्ड को तिलांजली नहीं देंगे.फिर भी अपना कर्त्तव्य पूर्ण किया.
(इस ब्लॉग पर प्रस्तुत आलेख लोगों की सहमति -असहमति पर निर्भर नहीं हैं -यहाँ ढोंग -पाखण्ड का प्रबल विरोध और उनका यथा शीघ्र उन्मूलन करने की अपेक्षा की जाती है)
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3 comments:
आपने बहुत अच्छी जानकरी दी है ..हमने भी घर में तुलसी लगा राखी है
आपके आलेख से पूरी तरह से सहमत हूँ। ....
मैं भी उपयोग में लेती रहती हूँ
सादर
अच्छी जानकारी देती रचना |
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