Tuesday, December 27, 2011

परमात्मा पढे-लिखों को बुद्धि प्रदान करें



हिंदुस्तान,लखनऊ के दिनांक 25 दिसंबर 2011 के समपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित ऊपर के स्कैन कापियों को डबल क्लिक करके देखें। अखबार के प्रधान संपादक श्री शशि शेखर जी के लेख का यह अंश भी गौर करने लायक है जिसमे वह कहते हैं-"इस समय हर शहर की सड़कों व गलियों मे हमारे नेताओं के चाल,चरित्र और चेहरे पर सवाल उछल रहे हैं। भ्रष्टाचार ने समूची व्यवस्था को अपनी चपेट मे ले लिया है। यही वजह है कि कुछ गावों मे अपना प्रभाव रखने वाले अन्ना हज़ारे अचानक लोकप्रियता के शिखर पर पहुँच गए। सिर्फ दो दिन बाद लोकसभा लोकपाल पर चर्चा करने जा रही है । क्या यह बिल इस सत्र मे पास हो सकेगा?क्या सरकारी अथवा अन्ना और उनके साथियों द्वारा प्रस्तावित लोकपाल सारी बीमारियों का अकेला इलाज है?क्या हमारे माननीय सांसद अपनी साख पर उठ रहे सवालों पर चर्चा करेंगे?क्या इस बहस के बाद से राजनीतिक दल आत्मशुद्धि के बारे मे भी सोचेंगे?एक तरफ संसद सुलगते सवालों पर चर्चा कर रही होगी ,दूसरी तरफ अन्ना अपने आंदोलन की आग मे घी डाल रहे होंगे। सवाल उठता है कि यह देश संसद से चलेगा या सड़कों से?क्या यह बदगुमानी से शुरू हुये वर्ष का त्रासद अंत है?"

25 दिसंबर को ही प्रकाशित 'लोकसंघर्ष'के इस लेख को भी पढ़ें और मनन करें कि क्या अन्ना आंदोलन जन-हित मे है अथवा अर्द्ध सैनिक तानाशाही स्थापित करने के मंसूबों वाले शोषकों व उतपीडकों के हित मे।

http://loksangharsha.blogspot.com/2011/12/blog-post_25.html

जन पक्ष मे प्रकाशित इस कविता को भी ध्यान से पढ़ें और अन्ना के मंसूबों को समझें-


http://jantakapaksh.blogspot.com/2011/12/blog-post_14.html




अन्ना के वरदान-राष्ट्रध्वज के अपमान पर भी गौर फरमाये जो हिंदुस्तान मे पूर्व प्रकाशित है। और साथ-साथ अन्ना के मौसेरे भाई रामदेव जी की इस गाथा को भी पढ़ें जिसे 'तहलका' ने प्रकाशित किया है-



http://www.tehelkahindi.com/index.php?news=1050

'लोकसंघर्ष','जन पक्ष','समाजवादी जन-परिषद','मानवीय सरोकार','जंतर-मंतर',जैसे इने-गुने ब्लाग्स पर ही इनके संचालकों ने हकीकत बयान की है और अन्ना आंदोलन को आम जनता के शोषण-उत्पीड़न को पुख्ता करने वाला तथा कारपोरेट घरानों के भ्रष्टाचार का पोषण करने वाला बताया है। बाकी ब्लाग जगत झूठ,छल-फरेब ,तिकड़म से ओत -प्रेत ,अन्ना आंदोलन' के गुण गाँन  से रंगा हुआ पाया है। दुखद पहलू यह है कि पढे-लिखे इंटरनेटी शूर-वीर जो रामदेव-अन्ना के पक्षधर हैं बेहद बेहूदी और गंदी तथा भद्दी गलियों के साथ अन्ना/रामदेव  की पोल खोलने वालों के साथ  पेश आते हैंऔर खुद को 'खुदा' समझते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो दोहरा खेल खेलते हुये कहते हैं अन्ना जी ठीक हैं केवल उनका तरीका ही गलत है,उनसे निवेदन है कि वे निम्नलिखित वीडियो जरूर देखें-सुने-




यदि इतनी सब हकीकत जानने के बाद भी हमारे इंटरनेटी विद्वान अन्ना/रामदेव की भक्ति मे तल्लीन रहते हैं तब तो बाबू गोपाल राम गहमरी द्वारा व्यक्त विचार कि -'बुद्धि के रासभ और अक्ल के खोते ' ही उन पर चस्पा होता प्रतीत  होता है।

फेसबुक का हाल तो ब्लाग्स से भी ज्यादा बुरा है वहाँ तो अन्ना/रामदेव भक्त गलियों और भद्दी तसवीरों के प्रकाशन के लिए ही जाने जाते हैं। अधिकांश लोग गुमराह ही हैं किन्तु फिर भी अफलातून जी,अरुण प्रकाश मिश्रा जी,पंकज चतुर्वेदी जी,अमलेंदू उपाध्याय जी, ज़ोर शोर से और दबे -दबे स्वरों मे महेंद्र श्रीवास्तव जी
अन्ना और उनकी टीम की कारस्तानिये उजागर करते रहते हैं। हिन्दी साहित्य के जाने माने आलोचक वीरेंद्र यादव जी तो बुलंदगी के साथ कल (26 दिसंबर 2011) भी लिख रहे हैं ,पढ़िये और सोचिए-

अन्ना टीम के प्रमुख सदस्य प्रशांत भूषण को हिमाचल की भाजपा सरकार ने नियमों में विशेष छूट प्रदान कर एक बड़े चाय बागान की जमीन को खरीदने अनुमति प्रदान की . नियमानुसार हिमाचल के बाहर का व्यक्ति वहां जमीन नहीं खरीद सकता . प्रशांतभूषण की भ्रष्टाचार विरोधी मुहीम और भाजपा सरकार द्वारा प्रदान की गयी इस छूट के निहितार्थों को समझा जाना चाहिए . क्या प्रशांत भूषण द्वारा यह छूट प्राप्त करना भ्रष्टाचार की सीमा में नहीं आता ? क्या यह कानून द्वारा स्वीकृत भ्रष्टाचार नहीं है ? ASSEMBLY
Prashant Bhushan’s society bought tea garden land
Tribune News Service

Dharamsala, December 23
A close aide of Anna Hazare, Prashant Bhushan, bought 4-68-28 hectares (122 kanals) of tea garden land in the Palampur area in the name of an educational society.

The information came in response to a question raised by the Congress MLA from Baijnath, Sudhir Sharma, in the Himachal Assembly today.

Sharma had sought details from the government regarding the number of permissions given by the present government under Section 118 of the Land Tenancy Act to purchase tea gardens in the state during a period extending from 2008 to November 2011.

While replying to the query Minister for Revenue Ghulab Singh informed the House that just one permission, to buy tea garden land, had been given during the said period. He said the Kumud Bhushan Educational Society, Kandbari, through Prashant Bhushan, son of Shanti Bhushan, resident of Noida, had been given permission to buy 4-68-28 hectares of tea garden land.

The sale and conversion of status of tea garden land in Himachal is strictly prohibited under the revenue laws. The status of tea garden lands, most of which are located in Kangra district, cannot be changed without permission from the state government

फेसबुक के जनवादी जन मंच और कम्युनिस्ट पार्टी ग्रुप तो खुल कर सच्चाई के साथ और अन्ना-ड्रामे के विरुद्ध हैं। मै लगातार अपने 'क्रांतिस्वर' एवं 'कलम और कुदाल' के माध्यम से अन्ना और उनकी टीम के विरुद्ध कारवाई किए जाने की मांग कर रहा हूँ। इसी ब्लाग मे पहले भी लिख चुका हूँ और 'विद्रोही स्व-स्वर मे' तो विस्तार से लिखा है कि,ईमानदारी के कारण आभावों मे जीवन यापन पिताजी ने भी किया और मै भी कर रहा हूँ। मै तो प्राईवेट लिमिटेड,पब्लिक लिमिटेड ,पार्टनरशिप और प्रोपराइटरशिप कंपनियों द्वारा प्रताड़ित भी इसी ईमानदारती की वजह से हो चुका हूँ। मै बखूबी जानता हूँ कि ये व्यापारी और उद्योगपति किस प्रकार पहले नंबर दो कमाते और फिर उसे कैसे नंबर एक मे बदलते हैं। इसी प्रक्रिया मे NGOs उनके बहुत बड़े सहयोगी हैं,मंदिर आदि चैरिटेबल ट्रस्ट इन व्यापारियों के 'काले धन' को एक मे बदलने के उपकरण हैं। ये सभी अन्ना/रामदेव आंदोलनों की 'रीढ़'हैं। मैंने शुरू से ही अन्ना आंदोलन को भ्रष्टाचार संरक्षण का सबसे बड़ा रक्षा-कवच बताया है। 


कुछ ब्लाग्स को रामदेव और कुछ को अन्ना के चलते अनफालों करना पड़ा एवं फेसबुक से करीब एक दर्जन लोगों को अपनी फ्रेंड लिस्ट से हटाना पड़ा। मेरी सुस्पष्ट एवं सुदृढ़ अवधारणा है कि जो लोग अन्ना/रामदेव के समर्थक हैं वे सब राष्ट्र -भक्त नहीं हैं और आम जनता के हितैषी तो कतई नहीं हैं । इसी ब्लाग मे लेखों के माध्यम से बताया है कि आर एस एस की नीति है कि शहरों का 3 प्रतिशत व गावों का 2 प्रतिशत जन समर्थन हासिल करके वह अपनी अर्द्ध-सैनिक तानाशाही स्थापित कर सकता है। उसी की कड़ी हैं ये अन्ना/रामदेव आंदोलन जो 'संसदीय लोकतन्त्र ' को नष्ट-भ्रष्ट करने हेतु चलाये गए हैं और महाराष्ट्र हाई कोर्ट की फटकार के बावजूद रुके नहीं हैं। अब इन लोगों ने न्यायपालिका को भी चुनौती देनी शुरू कर दी है। सरकारी सर्जन,डाक्टर, इंजीनियर ,अफसर जो कहीं न कहीं भ्रष्टाचार मे संलिप्त रहे हैं  बड़ी ही बेशर्मी से अन्ना का समर्थन अपने-अपने ब्लाग्स मे कर रहे हैं। 21 वर्षों से जिनकी 'उदारवादी' नीतियों का स्व्भाविक परिणाम भ्रष्टाचार मे द्रुत-वृद्धि है वह पी एम साहब अन्ना की पीठ पर हैं ,इसलिए सरकारी मैनुयल्स का उल्लंघन करने वाले इन ब्लागर्स एवं फेसबुकियों के विरुद्ध कोई कारवाई नहीं हो सकी है।

मै सन 2011 की समाप्ती से पूर्व 'परमात्मा' से प्रार्थना करता हूँ कि 'पढे-लिखे' किन्तु घोर अज्ञानी इन इंटरनेटी विद्वानों को सद्बुद्धि प्रदान करें जिससे कि आने वाले वर्ष 2012 मे हमारे देश और इसकी बहुसंख्यक गरीब -उत्पीड़ित जनता के पक्ष मे ये इंटरनेटी शूर-वीर भी खड़े हो सकें और देश तथा देश की जनता का कल्याण हो सके। धनाढ्यो के 'रक्षस आंदोलनो' को इन विद्वानों का समर्थन समाप्त हो सके।क्योंकि जिसके पीछे वे भाग रहे हैं वह तो 21 सैनिकों की  बे-मौत जिंदगी छीनने का जिम्मेदार है जैसा कि प्रोफेसर अरुण प्रकाश मिश्रा जी ने कल फेसबुक पर सूचित किया है-


एक आदमी पूरे देश की आम जनता को गुमराह कर रहा है, उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहा है, दिवा-स्वप्न दिखा रहा है और पढ़े-लिखे लोग चुप देखते रहें, यह इतिहास के साथ विश्वासघात है | ज़रुरत हरेक पल इसके मसूबों के पर्दाफाश करने की है |

२१ बहादुर जवानों से भरे ट्रक को छोड़कर जो ड्राईवर भागकर अपनी जान बचा ले और बहादुर जवान उस के भागने से मारे जाएँ, उसे 'भगोड़ा' नहीं तो क्या 'भारत-रत्न' कहेंगे !! कृष्ण अगर रथ को छोड़कर भाग गए होते तो क्या अर्जुन जीवित बचते???

देखिये पूर्व फौजी जेनरल के विचार-http://vijaimathur.blogspot.com/2011/12/blog-post_27.html


2 comments:

मनोज कुमार said...

हमारे चुने प्रतिनिधि इस पर आज मंथन कर रहे हैं।

Bharat Bhushan said...

अन्ना के आंदोलन के साथ मैं पूरी तरह सहमत नहीं हूँ. हाँ यह बात तो है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक सशक्त आवाज़ उठती दिखी है- पहली बार. लोकपाल बिल संभवतः बीजेपी की मिलीभगत से पास हो जाएगा.