Hindustan-Lucknow-24/01/2012 |
Hindustan-Lucknow-24/01/2012 |
तमाम धार्मिक कहे जाने वाले उत्सवों मे भगदड़ से असंख्य लोगों की जाने जाती रहती है उनको कौन प्रोत्साहित करता है?धर्म के ठेकेदार दलाल जो पुरोहित कहलाते हैं या 'राजनीतिज्ञ'?
मेरा यह सुदृढ़ अभिमत है कि भ्रष्टाचार चाहे वह धार्मिक है या आर्थिक-सामाजिक,जातीय या सांप्रदायिक सबके पीछे इन पुरोहितवादी दलालों की भूमिका है जो 'जोंक' और 'खटमल' की भांति परोपजीवी होते हैं। ऐसे ढ़ोंगी-पाखंडी जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ कर साम्राज्यवादी लुटेरों का खजाना भरते और खुद मौज उड़ाते हैं। जब तक इन परोपजीवी दलालों का आतंक रहेगा न आप भ्रष्टाचार दूर कर सकते हैं न ही निरपराध लोगों की जिंदगियों की रक्षा कर सकते हैं।
आज इस गणतन्त्र दिवस पर यह संकल्प लिए जाने की आवश्यकता है कि आसन्न विधानसभा चुनावों मे साम्राज्यवादियों-शोषकों,उतपीडकों को शिकस्त देने हेतु जहां भी बमपंथी/भाकपा प्रत्याशी हैं उन्हें प्रचंड बहुमत से विजयी बना कर विधानसभाओं मे भेजा जाए तभी 'भ्रष्टाचार' पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा और बेगुनाहों को मौत के मुंह मे जाने से भी रोका जा सकेगा।
आपने देखा 15 अगस्त 2011 को ब्लैक आउट करने का आह्वान करके और राष्ट्रीय झंडे को कारपोरेट दलालों के बचाव मे बाजारू बना कर अन्ना और उसकी टीम ने कितना बड़ा राष्ट्रीय अपराध किया था-शहीदों की कुर्बानियों का उपहास स उड़ाया था । आज इस गणतन्त्र पर उसका हिसाब लेने की सख्त जरूरत है। भविष्य मे कोई सिर-फिरा फिर से राष्ट्रध्वज का अपमान न कर सके यह सुनिश्चित करना आम जनता का दायित्व है।