"खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है"
यह अर्थशास्त्र का एक नियम है जो इसके प्रतिपादक के नाम पर 'ग्रेशम का सिद्धान्त' कहलाता है। क्योंकि हर व्यक्ति खोटा सिक्का या खराब नोट सबसे पहले निकालता है और अच्छे सिक्के या नोट सहेज कर रखता है। लेकिन समाज के हर क्षेत्र मे आज इस नियम को लागू होते देखा जा सकता है। जो खोटे स्वभाव के लोग हैं वे तो तीन तिकड़म से कामयाब हो जाते हैं परंतु सही और ईमानदार लोगों को धक्के खाने पड़ते हैं। काफी अरसा पहले (1974-75 मे ) 'नारद' उपनाम से लिखने वाले एक सज्जन ने 'अमर उजाला',आगरा मे लिखा था-"सच्चे साधक धक्के खाते अब चमचे मज़े उड़ाते हैं" आज भी उतना ही सटीक है।
यों तो आगरा मे भी मैंने सरला बाग,दयाल बाग मे अपना ज्योतिष कार्यालय खोला था -16-11-2000 को क्योंकि ज्योतिष कार्यालय खोलने का सुझाव बाबूजी साहब (पूनम के पिताजी) का था अतः उस कार्यालय का नाम उनकी पुत्री के ही नाम पर 'पूनम ज्योतिष कार्यालय' रखा था। रिशतेदारों मे ही कुछ लोग खार खाने के कारण उसे व्यवसायिक रूप से सफल नहीं होने देने के उपक्रम करते रहते थे। जो पेशेवर पंडित थे उनको तो नागवार लगना ही था। एक वास्तुविद कृष्ण गोपाल शर्मा जी ने तो खुल कर कहा भी था -"आपने कायस्थ होकर ब्राह्मणों के मुंह पर तमाचा मारा है"। स्व्भाविक रूप से ऐसे लोग षडयंत्रों मे लगे रहे।
नेहरू नगर मे एक तथाकथित ब्राह्मण साहब मंदिर के पुजारी तो रु 1000/-माहवार पर थे। किन्तु अपने कंप्यूटर सहायक को तीन दिन का भुगतान रु 500/-कर देते थे ,कैसे?है न चमत्कार!उन साहब ने अपने नाम के आगे शास्त्री लिखना शुरू कर दिया और किसी प्रकार तत्कालीन जिलाधिकारी (पूर्व एम डी,मध्यांचल विद्युत निगम जो अभी 'लंदन' ट्रेनिंग पर गए हैं)को प्रभावित कर लिया। फिर तो मंदिर स्थित उनके कमरे पर प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के वाहन जब तब खड़े देखे जाने लगे। उनकी योग्यता और कार्य का खुलासा मेरे सम्मुख तब हुआ जब उनकी बनाई एक जन्मपत्री मेरे पास विश्लेषण हेतु लाई गई। वह जन्मपत्री कंप्यूटराईज्ड थी। दूसरे मंदिर के ब्राह्मण लेकिन अनपढ़ पुजारी (जो मध्य प्रदेश मे एक मार्बल स्टोर के वाचमेन थे और घपले मे निकाले जाने के बाद आगरा मे रह कर 'भागवत प्रवचन' करते थे)को किसी ने अपनी बच्ची की जन्मपत्री बनाने को कहा था । वह न तो पुजारी के रूप मे कर्मकांड मे पारंगत थे न ज्योतिष का उनको कुछ अता-पता था परंतु जन्मपत्री बनाने के रु 200/- प्राप्त कर लिए थे । वह नेहरू नगर वाले पुजारी साहब के पास गए जो जिलाधिकारी के मुंह लगे थे। वह भी मात्र कर्मकांडी ही थे प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को गुमराह करने मे सफल रहे थे अपनी 'तंत्र विद्या' के दम पर। अतः वह पुजारी उनको रु 100/-देकर जन्मपत्री बनाने को दे आए। एस बी आई के पूर्व कर्मचारी 'पाराशर' गोत्र के ब्राह्मण साहब एक ज्योतिष दफ्तर चलाते थे जिनको रु 30/- देकर उन पुजारी साहब ने कंप्यूटराईज्ड जन्मपत्री बनवा ली थी। और यही जन्मपत्री दूसरे पुजारी साहब विश्लेषण हेतु मेरे पास लाये थे। मैंने उस गलत जन्मपत्री का विश्लेषण करने से स्पष्ट इंकार कर दिया।पुजारी साहब ने मुझसे कहा आप ब्राह्मण नहीं हैं इसलिए आपको रुपए कमाना नहीं आता है। अरे पहले यजमान को दहशत मे लाओ फिर उसकी जेब टटोलो और मज़े करो।
इससे यह स्पष्ट होता है कि,सदियों से ब्राह्मण किस प्रकार जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ते आ रहे हैं। और जनता को क्या कहे?समाज मे मेरी इसलिए आलोचना है कि लोगों के अनुसार मैंने ब्राह्मणों के क्षेत्र मे अतिक्रमण कर डाला है। जबकि मूल रूप से समाज मे शिक्षा-व्यवस्था का दायित्व कायस्थों ही का था । ( है क्या बला यह--'कायस्थ'?)आगरा कालेज ,आगरा मे जूलाजी विभाग के अवकाश प्राप्त अध्यक्ष डॉ वी के तिवारी साहब,भारत पेट्रोलियम के उच्चाधिकारी डॉ बी एम उपाध्याय जी ,सपा नेता और मर्चेन्ट नेवी के रिटायर्ड उच्चाधिकारी पंडित सुरेश चंद पालीवाल जी आदि अनेकों शिक्षित व समझदार ब्राह्मणों ने न केवल मुझसे जन्म्पत्रियों के विश्लेषण सहर्ष कराये बल्कि अपने-अपने निवास पर 'वास्तु' हवन भी कराये और लाभान्वित भी हुये।'कायस्थ सभा,'आगरा,'अखिल भारतीय कायस्थ महासभा',आगरा और 'माथुर सभा',आगरा के कई पदाधिकार्यों ने भी मुझसे ज्योतिषीय एवं वास्तु परामर्श प्राप्त कर लाभ भी उठाया। परंतु मांगने की आदत न होने के कारण वांछित अर्थ-लाभ मैं न प्राप्त कर सका और अंततः मकान बेच कर छोटा मकान लखनऊ मे लेकर रहने लगा।
14-12-2009 को 'बली वास्तु एवं ज्योतिष कार्यालय' भी निवास पर ही प्रारम्भ कर दिया। यहाँ पूनम का नाम उनके ही सुझाव पर नहीं दिया था किन्तु खानदान का टाईटिल देने पर भी खानदान के ही लोग आर्थिक क्षति पहुंचाने मे अग्रणी हैं। छोटे बहन-बहनोई के मधुर संबंध अशरफाबाद निवासी जिन उमेश से हैं उन्होने कालोनी मे रहने वाले और मूल रूप से अशरफाबाद के बाशिंदे एक बैंक अधिकारी को हमारे विरुद्ध लामबंदी करने को उकसा रखा है। स्थानीय लोगों को निशुल्क परामर्श तो चाहिए होता है किन्तु हमारे वैज्ञानिक उपायों का पालन नहीं करते हैं क्योंकि वे ब्राह्मणों के दक़ियानूसी आडंबरों मे उलझे हुये हैं।पूना निवासी छोटी भांजी जो यशवन्त और मेरे ब्लाग्स पर की गई टिप्पणियों के सहारे ब्लागर्स के प्रोफाईल्स चेक करके ढुलमुल-ढुलमुल ब्लागर्स को हमारे विरुद्ध उकसाती है तथा ऐसे ब्लागर्स भी ब्लाग जगत मे मेरे ज्योतिषीय ज्ञान पर प्रहार करते हैं। उसी के विमान नगर मे उसकी पड़ौसन रही मूल रूप से पटना की -पूना प्रवासी श्रीवास्तव ब्लागर ने चार जन्म्पत्रियों का विश्लेषण निशुल्क मुझसे प्राप्त किया और उसकी पटना स्थित शिष्या ने भी चार जन्म्पत्रियों का विश्लेषण निशुल्क प्राप्त किया किन्तु अब ये लोग ही ब्लाग जगत मे मेरे विरुद्ध घमासान मचाये हुये हैं।
19-04-2012 को ''रेखा -राजनीति मे आने की सम्भावना'' शीर्षक से मैंने फिल्म अभिनेत्री 'रेखा जी' का ज्योतिषयात्मक विश्लेषण दिया था जिसका लिंक कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह जी एवं राहुल गांधी साहब के फेसबुक वाल पर भी दिया था। 26-04-2012 को राष्ट्रपति महोदया ने रेखा जी को राज्यसभा मे मनोनीत भी कर दिया। मेरा विश्लेषण एक सप्ताह मे ही सही सिद्ध होना पूना प्रवासी उस ब्लागर को इतना नागवार गुजरा कि उसने IBN7 मे कार्यरत अपने चमचे ब्लागर से 27-04-2012 को 'रेखा जी' के मनोनयन की आलोचना सम्मिलित करते हुये एक लेख लिखवाया और टिप्पणी मे खुद भी मखौल उड़ाया।
(रश्मि प्रभा...Apr 27, 2012 07:21 AM
'ज्योतिष एक मीठा जहर' शीर्षक से एक लेख और उस चमचे ब्लागर से लिखवाया गया था। फेसबुक और ब्लाग्स पर इस उठा-पटक का नतीजा यह हुआ कि जो कम्युनिस्ट ज्योतिष की आलोचना के लिए जाने जाते हैं उन्होने भी अपने निशुल्क ज्योतिषयात्मक विश्लेषण मुझसे करवाए। ऐसे 11 लोगों मे दो एहसान फरामोश रहे बाकी एहसानमंद हैं। जबकि गैर कम्युनिस्ट ब्लागर्स/फेसबुकियों मे 10 निशुल्क विश्लेषण करवाने वालों मे सिर्फ दो ही लोगों ने आठ (8) विश्लेषण प्राप्त किए थे (पूना प्रवासी और उसकी शिष्या ब्लागर्स) ये दोनों ही घोर एहसान फरामोश निकले। चारों एहसान फरामोशों की निंदा करके तीन ब्लाग/फेसबुक के लोगों ने बाद मे अपने विश्लेषण प्राप्त किए थे क्योंकि इन्टरनेट पर परामर्श देने के लिए उन एहसान फरामोशों की निंदा करने को एक शर्त बना दिया है। काफी पहले आगरा के पत्र-पत्रिकाओं मे छपे ज्योतिष संबंधी लेखों को अपने ब्लाग पर पहले भी दिया था और आज-कल उनके पुनर्प्रकाशन भी करता जा रहा हूँ।
एक्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर,वित्त प्रबन्धक स्तर के सरकारी अधिकारी और निजी व्यापारी इन ब्लागर्स के दुष्प्रचार से अप्रभावित रह कर मुझसे ज्योतिषीय परामर्श करते रहते हैं। भूमि पूजन,पुनरुद्धार कार्य और घर के वास्तु दोषों के निवारणार्थ वे मुझसे बेझिझक हवन करवाते हैं। 'जनहित मे' ब्लाग के माध्यम से कुछ स्तुतियों को भी सार्वजनिक किया है जो एक लंबे अरसे से ब्राह्मणों द्वारा गोपनीय बनाए रखी गईं थीं। इनसे भी लोगों को लाभ उठाने का मौका मिला है।
जो लोग ज्योतिष के नाम पर ठगी करते हैं और जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ते हैं उन्हें तो जनता पूजती है । लेकिन जब मैं वैज्ञानिक उपाय निशुल्क भी बताता हूँ तो आम जन तो आम जन इन्टरनेट पर पढे लिखे लोग भी उसका मखौल उड़ाने मे आगे रहते हैं। जबकि समाज और इन्टरनेट जगत के समझदार लोग मुझसे सहमत रहते हैं। कुछ थोड़े से लोग भी अंधकार मे भटकने से बच जाएँ तो मैं अपने प्रयासो को सार्थक समझ सकता हूँ। आज लखनऊ स्थित अपने ज्योतिष कार्यालय के तीन वर्ष सम्पन्न होने और चतुर्थ वर्ष मे प्रवेश के अवसर पर हम समस्त मानवता के मंगल कल्याण की कामना करते हैं।
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यह अर्थशास्त्र का एक नियम है जो इसके प्रतिपादक के नाम पर 'ग्रेशम का सिद्धान्त' कहलाता है। क्योंकि हर व्यक्ति खोटा सिक्का या खराब नोट सबसे पहले निकालता है और अच्छे सिक्के या नोट सहेज कर रखता है। लेकिन समाज के हर क्षेत्र मे आज इस नियम को लागू होते देखा जा सकता है। जो खोटे स्वभाव के लोग हैं वे तो तीन तिकड़म से कामयाब हो जाते हैं परंतु सही और ईमानदार लोगों को धक्के खाने पड़ते हैं। काफी अरसा पहले (1974-75 मे ) 'नारद' उपनाम से लिखने वाले एक सज्जन ने 'अमर उजाला',आगरा मे लिखा था-"सच्चे साधक धक्के खाते अब चमचे मज़े उड़ाते हैं" आज भी उतना ही सटीक है।
यों तो आगरा मे भी मैंने सरला बाग,दयाल बाग मे अपना ज्योतिष कार्यालय खोला था -16-11-2000 को क्योंकि ज्योतिष कार्यालय खोलने का सुझाव बाबूजी साहब (पूनम के पिताजी) का था अतः उस कार्यालय का नाम उनकी पुत्री के ही नाम पर 'पूनम ज्योतिष कार्यालय' रखा था। रिशतेदारों मे ही कुछ लोग खार खाने के कारण उसे व्यवसायिक रूप से सफल नहीं होने देने के उपक्रम करते रहते थे। जो पेशेवर पंडित थे उनको तो नागवार लगना ही था। एक वास्तुविद कृष्ण गोपाल शर्मा जी ने तो खुल कर कहा भी था -"आपने कायस्थ होकर ब्राह्मणों के मुंह पर तमाचा मारा है"। स्व्भाविक रूप से ऐसे लोग षडयंत्रों मे लगे रहे।
नेहरू नगर मे एक तथाकथित ब्राह्मण साहब मंदिर के पुजारी तो रु 1000/-माहवार पर थे। किन्तु अपने कंप्यूटर सहायक को तीन दिन का भुगतान रु 500/-कर देते थे ,कैसे?है न चमत्कार!उन साहब ने अपने नाम के आगे शास्त्री लिखना शुरू कर दिया और किसी प्रकार तत्कालीन जिलाधिकारी (पूर्व एम डी,मध्यांचल विद्युत निगम जो अभी 'लंदन' ट्रेनिंग पर गए हैं)को प्रभावित कर लिया। फिर तो मंदिर स्थित उनके कमरे पर प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के वाहन जब तब खड़े देखे जाने लगे। उनकी योग्यता और कार्य का खुलासा मेरे सम्मुख तब हुआ जब उनकी बनाई एक जन्मपत्री मेरे पास विश्लेषण हेतु लाई गई। वह जन्मपत्री कंप्यूटराईज्ड थी। दूसरे मंदिर के ब्राह्मण लेकिन अनपढ़ पुजारी (जो मध्य प्रदेश मे एक मार्बल स्टोर के वाचमेन थे और घपले मे निकाले जाने के बाद आगरा मे रह कर 'भागवत प्रवचन' करते थे)को किसी ने अपनी बच्ची की जन्मपत्री बनाने को कहा था । वह न तो पुजारी के रूप मे कर्मकांड मे पारंगत थे न ज्योतिष का उनको कुछ अता-पता था परंतु जन्मपत्री बनाने के रु 200/- प्राप्त कर लिए थे । वह नेहरू नगर वाले पुजारी साहब के पास गए जो जिलाधिकारी के मुंह लगे थे। वह भी मात्र कर्मकांडी ही थे प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को गुमराह करने मे सफल रहे थे अपनी 'तंत्र विद्या' के दम पर। अतः वह पुजारी उनको रु 100/-देकर जन्मपत्री बनाने को दे आए। एस बी आई के पूर्व कर्मचारी 'पाराशर' गोत्र के ब्राह्मण साहब एक ज्योतिष दफ्तर चलाते थे जिनको रु 30/- देकर उन पुजारी साहब ने कंप्यूटराईज्ड जन्मपत्री बनवा ली थी। और यही जन्मपत्री दूसरे पुजारी साहब विश्लेषण हेतु मेरे पास लाये थे। मैंने उस गलत जन्मपत्री का विश्लेषण करने से स्पष्ट इंकार कर दिया।पुजारी साहब ने मुझसे कहा आप ब्राह्मण नहीं हैं इसलिए आपको रुपए कमाना नहीं आता है। अरे पहले यजमान को दहशत मे लाओ फिर उसकी जेब टटोलो और मज़े करो।
इससे यह स्पष्ट होता है कि,सदियों से ब्राह्मण किस प्रकार जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ते आ रहे हैं। और जनता को क्या कहे?समाज मे मेरी इसलिए आलोचना है कि लोगों के अनुसार मैंने ब्राह्मणों के क्षेत्र मे अतिक्रमण कर डाला है। जबकि मूल रूप से समाज मे शिक्षा-व्यवस्था का दायित्व कायस्थों ही का था । ( है क्या बला यह--'कायस्थ'?)आगरा कालेज ,आगरा मे जूलाजी विभाग के अवकाश प्राप्त अध्यक्ष डॉ वी के तिवारी साहब,भारत पेट्रोलियम के उच्चाधिकारी डॉ बी एम उपाध्याय जी ,सपा नेता और मर्चेन्ट नेवी के रिटायर्ड उच्चाधिकारी पंडित सुरेश चंद पालीवाल जी आदि अनेकों शिक्षित व समझदार ब्राह्मणों ने न केवल मुझसे जन्म्पत्रियों के विश्लेषण सहर्ष कराये बल्कि अपने-अपने निवास पर 'वास्तु' हवन भी कराये और लाभान्वित भी हुये।'कायस्थ सभा,'आगरा,'अखिल भारतीय कायस्थ महासभा',आगरा और 'माथुर सभा',आगरा के कई पदाधिकार्यों ने भी मुझसे ज्योतिषीय एवं वास्तु परामर्श प्राप्त कर लाभ भी उठाया। परंतु मांगने की आदत न होने के कारण वांछित अर्थ-लाभ मैं न प्राप्त कर सका और अंततः मकान बेच कर छोटा मकान लखनऊ मे लेकर रहने लगा।
14-12-2009 को 'बली वास्तु एवं ज्योतिष कार्यालय' भी निवास पर ही प्रारम्भ कर दिया। यहाँ पूनम का नाम उनके ही सुझाव पर नहीं दिया था किन्तु खानदान का टाईटिल देने पर भी खानदान के ही लोग आर्थिक क्षति पहुंचाने मे अग्रणी हैं। छोटे बहन-बहनोई के मधुर संबंध अशरफाबाद निवासी जिन उमेश से हैं उन्होने कालोनी मे रहने वाले और मूल रूप से अशरफाबाद के बाशिंदे एक बैंक अधिकारी को हमारे विरुद्ध लामबंदी करने को उकसा रखा है। स्थानीय लोगों को निशुल्क परामर्श तो चाहिए होता है किन्तु हमारे वैज्ञानिक उपायों का पालन नहीं करते हैं क्योंकि वे ब्राह्मणों के दक़ियानूसी आडंबरों मे उलझे हुये हैं।पूना निवासी छोटी भांजी जो यशवन्त और मेरे ब्लाग्स पर की गई टिप्पणियों के सहारे ब्लागर्स के प्रोफाईल्स चेक करके ढुलमुल-ढुलमुल ब्लागर्स को हमारे विरुद्ध उकसाती है तथा ऐसे ब्लागर्स भी ब्लाग जगत मे मेरे ज्योतिषीय ज्ञान पर प्रहार करते हैं। उसी के विमान नगर मे उसकी पड़ौसन रही मूल रूप से पटना की -पूना प्रवासी श्रीवास्तव ब्लागर ने चार जन्म्पत्रियों का विश्लेषण निशुल्क मुझसे प्राप्त किया और उसकी पटना स्थित शिष्या ने भी चार जन्म्पत्रियों का विश्लेषण निशुल्क प्राप्त किया किन्तु अब ये लोग ही ब्लाग जगत मे मेरे विरुद्ध घमासान मचाये हुये हैं।
19-04-2012 को ''रेखा -राजनीति मे आने की सम्भावना'' शीर्षक से मैंने फिल्म अभिनेत्री 'रेखा जी' का ज्योतिषयात्मक विश्लेषण दिया था जिसका लिंक कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह जी एवं राहुल गांधी साहब के फेसबुक वाल पर भी दिया था। 26-04-2012 को राष्ट्रपति महोदया ने रेखा जी को राज्यसभा मे मनोनीत भी कर दिया। मेरा विश्लेषण एक सप्ताह मे ही सही सिद्ध होना पूना प्रवासी उस ब्लागर को इतना नागवार गुजरा कि उसने IBN7 मे कार्यरत अपने चमचे ब्लागर से 27-04-2012 को 'रेखा जी' के मनोनयन की आलोचना सम्मिलित करते हुये एक लेख लिखवाया और टिप्पणी मे खुद भी मखौल उड़ाया।
(रश्मि प्रभा...Apr 27, 2012 07:21 AM
कब मैं हिट होउंगी ... और राज्य सभा की सदस्य बनूँगी - आईला
आप जल्दी राज्यसभा में पहुंचें,
मेरी भी शुभकामना है)
मेरी भी शुभकामना है)
एक्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर,वित्त प्रबन्धक स्तर के सरकारी अधिकारी और निजी व्यापारी इन ब्लागर्स के दुष्प्रचार से अप्रभावित रह कर मुझसे ज्योतिषीय परामर्श करते रहते हैं। भूमि पूजन,पुनरुद्धार कार्य और घर के वास्तु दोषों के निवारणार्थ वे मुझसे बेझिझक हवन करवाते हैं। 'जनहित मे' ब्लाग के माध्यम से कुछ स्तुतियों को भी सार्वजनिक किया है जो एक लंबे अरसे से ब्राह्मणों द्वारा गोपनीय बनाए रखी गईं थीं। इनसे भी लोगों को लाभ उठाने का मौका मिला है।
जो लोग ज्योतिष के नाम पर ठगी करते हैं और जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ते हैं उन्हें तो जनता पूजती है । लेकिन जब मैं वैज्ञानिक उपाय निशुल्क भी बताता हूँ तो आम जन तो आम जन इन्टरनेट पर पढे लिखे लोग भी उसका मखौल उड़ाने मे आगे रहते हैं। जबकि समाज और इन्टरनेट जगत के समझदार लोग मुझसे सहमत रहते हैं। कुछ थोड़े से लोग भी अंधकार मे भटकने से बच जाएँ तो मैं अपने प्रयासो को सार्थक समझ सकता हूँ। आज लखनऊ स्थित अपने ज्योतिष कार्यालय के तीन वर्ष सम्पन्न होने और चतुर्थ वर्ष मे प्रवेश के अवसर पर हम समस्त मानवता के मंगल कल्याण की कामना करते हैं।
इस पोस्ट को यहाँ भी पढ़ा जा सकता है।