दिनांक 01 दिसंबर को साँय 03 बजे 22,क़ैसर बाग,लखनऊ,पार्टी कार्यालय मे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी,ज़िला काउंसिल के तत्वाधान मे 'सांप्रदायिक सद्भाव एवं धर्म निरपेक्षता और राज्य सरकार की नीति'विषय पर सम्पन्न गोष्ठी मे पार्टी कार्यकर्ताओं एवं नगर के गण मान्य बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। गोष्ठी की अध्यक्षता ' डॉ राही मासूम रज़ा एकेडमी ' के मंत्री एवं प्रदेश फारवर्ड ब्लाक के अध्यक्ष कामरेड राम किशोर जी ने की। मुख्य अतिथि थे-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव कामरेड अतुल कुमार 'अंजान'। महिला नेत्री कामरेड कान्ति मिश्रा ने कहा कि,सांप्रदायिक सद्भाव महिलाओं एवं बच्चों हेतु विशेष आवश्यक है क्योंकि वैमनस्य का इन लोगों पर ही सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। कामरेड प्रदीप तिवारी एवं प्रलेस के कामरेड शकील सिद्दीकी ने सांप्रदायिक दंगों पर प्रदेश सरकार की नीति की कड़ी आलोचना की।
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड अतुल कुमार 'अंजान---
कामरेड अतुल अंजान ने इस पुरानी प्रवृति को त्यागने की बात कही उनका मत था कि इन दोनों ने 'दंगों' पर ही ध्यान रखा है जबकि यह भी बताया जाना चाहिए था कि इन दंगों के पीछे देश पारीय शक्तियों का बड़ा हाथ है। पाकिस्तान और बांगला देश के उदाहरण देकर उन्होने कहा कि वहाँ सांप्रदायिकता अपने वीभत्स रूप मे सामने है जबकि हमारे देश की जनता सांप्रदायिकता को ठुकरा देती है।
उन्होने बताया कि,पिछले चार वर्षों मे पाकिस्तान मे लड़कियों के 1850 स्कूल बंद किए जा चुके हैं तथा महिलाओं व लड़कियों को मर्द डाक्टरों से इलाज कराने पर उनको दंडित करने की तालिबानी आतंकवादियों ने घोषणा कर रखी है। एक तरफ लड़कियां जब पढ़ेंगी ही नहीं तो महिला डाक्टर कहाँ से आएंगी?इस दौरान वहाँ की मस्जिदों मे 87 आतंकवादी बम -विस्फोट होने की सूचना कामरेड अंजान ने दी। वहाँ के 500 मौलवियों ने तो मलाला के संघर्ष को समर्थन दिया किन्तु भारत के किसी भी मौलवी ने मलाला का समर्थन नहीं किया जिस पर कामरेड अंजान ने हैरानी जताई है। भारत के मौलवियों द्वारा पाकिस्तानी मस्जिदों मे बम-विस्फोटों की निंदा न करना भी उन्होने हैरत-अंगेज़ बताया है। उन्होने इस प्रकार की सांप्रदायिकता से भी लड़ने की ज़रूरत बताई है।
कामरेड अंजान ने यह भी स्पष्ट किया कि,'हिन्दू सांप्रदायिक शक्तियाँ' तथा 'मुस्लिम सांप्रदायिक शक्तियाँ' परस्पर मिली हुई रहती हैं और केवल जनता को विभाजित करके अपने आर्थिक हितों को साधती रहती हैं। उदाहरण के रूप मे सांप्रदायिकता का नया मसीहा बनी ' पीस पार्टी' को गोरखनाथ धाम के योगी आदित्यनाथ द्वारा धन बल से सज्जित करने की बात उन्होने कही। उनका यह भी सुदृढ़ मत था कि,धार्मिक आधार पर आरक्षण हो ही नहीं सकता कोई भी ऐसा कानून असंवैधानिक घोषित हो जाएगा। ऐसी बातें करना भी सांप्रदायिकता भड़काना है।
कामरेड अंजान ने बांग्ला देश और म्यामार मे 'रोम्या मुसलमानों' के साथ हो रही ज़्यादतियों का ज़िक्र करते हुये कहा कि उनके नाम पर अपने देश मे अव्यवस्था फैलाना भी सांप्रदायिकता है। उन्होने आन्क्ड़े देते हुये बताया कि भारत मे दो-ढाई लाख रोम्या मुसलमान शरण लिए हुये हैं अकेले राजधानी दिल्ली के 'वसंत विहार' क्षेत्र मे 'सुल्तानपुरी मस्जिद'के आस-पास 3500 ऐसे रोम्या मुसलमान हैं। उनका कहना था कि ऐसी विदेशी शक्तियों के कारण भी हमारे देश मे सांप्रदायिक तनाव व्याप्त हो जाता है और हमे उनसे सतर्क रह कर अपने सौहार्द की रक्षा अवश्यमेव करनी चाहिए।
अंजान साहब का यह भी मत था कि यदि भारत के इर्द-गिर्द के देशों मे लोकतन्त्र जीवित रहेगा तभी हमारा लोकतन्त्र भी अक्षुण्ण रह सकेगा अन्यथा हमारे देश मे भी लोकतन्त्र खतरे मे पड़ जाएगा। अंजान साहब ने कम्युनिस्ट और बामपंथी कार्यकर्ताओं को सलाह दी कि अब पुरानी शैली मे धर्म की आलोचना करने से काम नहीं चलेगा,सभी धर्मों मे समरसता की बातें होती हैं अतः अब आपको धर्म की अच्छी बातों को आगे लाने और खराब बातों का प्रतिकार करने की बात कहनी होगी तभी आप सफल हो सकते हैं।
एडवोकेट लोहित साहब ने धर्म निरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष पर प्रकाश डाला। लखनऊ ज़िला काउंसिल के सदस्य कामरेड विजय माथुर ने दिनांक 30-11-2012 को प्रकाशित अपने 'क्रांतिस्वर' के लेख का वाचन किया। http://krantiswar.blogspot.in/2012/11/sampradayikta-dharam-nirpexeta.html
उन्होने यह भी बताया कि वह पहले ही से अपने क्रांतिस्वर मे अंजान साहब के बताए दृष्टिकोण के अनुसार अपना लेखन जारी रखे हुये हैं। गोष्ठी अध्यक्ष कामरेड राम किशोर जी ने भी अपने सम्बोधन मे कामरेड विजय माथुर द्वारा 1857 की क्रांति के बाद से सांप्रदायिकता को ब्रिटिश साम्राज्यवादियो द्वारा उभारे जाने की बात को सत्य ठहराया। उन्होने भी कहा कि मंहगाई आदि जन समस्याओं से ध्यान हटाने हेतु अंतर राष्ट्रीय शक्तियों के षड्यंत्र पर सरकारें सांप्रदायिकता को लुटेरों से मिल कर बढ़ावा देती हैं। उन्होने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सिद्धांतों को आज के नेताओं द्वारा छोड़ दिये जाने को सांप्रदायिक संकट का हेतु बताया।
ज़िला मंत्री कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़ ने उपस्थित साथियों का भाग लेने हेतु धन्यवाद ज्ञापन किया एवं विशेष रूप से कामरेड अतुल अंजान तथा कामरेड राम किशोर जी का आभार व्यक्त किया। उन्होने पूर्व कामरेड एवं पूर्व प्रधानमंत्री इंदर कुमार गुजराल तथा बांदा के दिवंगत कामरेड बिहारी लाल के निधन पर दो मिनट का मौन भी धारण करवाया।
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1 comment:
फेसबुक पर प्राप्त टिप्पणी---
Bharat Bhushan आपने जिन लक्षणों को बारीकी से पकड़ा है उससे कौन इंकार कर सकता है.
9 hours ago · Unlike · 1
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