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कामरेड
बर्धन 25 सितम्बर को 90 वर्ष के हो रहे हैं। भाकपा की राष्ट्रीय परिषद की
दिल्ली में आयोजित बैठक के दौरान आज 5 दिन पहले ही परिषद ने उनका जन्म दिन
मनाया। कामरेड बर्धन हम जैसे लोगों के लिए सदा सहज ही उपलब्ध रहे हैं और
उनकी उम्र और अनुभव के कारण हम उन्हें उनकी अनुपस्थिति में अक्सर ‘पापा जी‘
अथवा ‘बापू जी‘ कहते रहें हैं। मगर आज जब उन्हें जब भाकपा महासचिव ने
फूलों का गुलदस्ता भेंट किया तो मन ना जाने
क्यों ज्यादा ही भावुक हो गया। संभवतया अपने वरिष्ठ साथी के साथ मजाक में
कहे गये संबोधनों के कारण ही सही एक भावनात्मक रिश्ता तो बना ही रहा है,
शायद इसीलिए जीवन के कहे अनकहे तमाम मतांतरों के बावजूद कुछ भावनाएं भी
उमड़ी, आदर और प्रेम भी।
वैसे कामरेड बर्धन निसंदेह वाम आंदोलन के इस दौर के राजनीतिक और वैचारिक रूप में सबसे समृद्ध और सशक्त नेता हैं। इसके अलावा 90 साल के हो जाने के बाद भी वह अभी भी भाकपा के सबसे अधिक सक्रिय नेता हैं और उनकी भाषण शैली और वाकपटुता आज भी लाजवाब है। ताम्र पत्रधारी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में हमारे बीच वह एक ऐसे जीवंत साक्ष्य की तरह हैं जिनका वामपंथी आंदोलन से 1940 से भी पहले जुड़ाव हो गया था और उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर 1947 में देश की आजादी को अपने सामने देखा है। देश के और वाम आंदोलन के तमाम उन नेताओं को उन्होंने अपनी आंखों से देखा है जिन्हें हम आज किसी कहावत की तरह ही जानते हैं। चलिए 25 सितम्बर को हम उनके साथ मिलकर अजय भवन में उनका 90वां जन्मदिन दोबारा मनायेंगे।
वैसे कामरेड बर्धन निसंदेह वाम आंदोलन के इस दौर के राजनीतिक और वैचारिक रूप में सबसे समृद्ध और सशक्त नेता हैं। इसके अलावा 90 साल के हो जाने के बाद भी वह अभी भी भाकपा के सबसे अधिक सक्रिय नेता हैं और उनकी भाषण शैली और वाकपटुता आज भी लाजवाब है। ताम्र पत्रधारी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में हमारे बीच वह एक ऐसे जीवंत साक्ष्य की तरह हैं जिनका वामपंथी आंदोलन से 1940 से भी पहले जुड़ाव हो गया था और उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर 1947 में देश की आजादी को अपने सामने देखा है। देश के और वाम आंदोलन के तमाम उन नेताओं को उन्होंने अपनी आंखों से देखा है जिन्हें हम आज किसी कहावत की तरह ही जानते हैं। चलिए 25 सितम्बर को हम उनके साथ मिलकर अजय भवन में उनका 90वां जन्मदिन दोबारा मनायेंगे।
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' मजदूर आंदोलन के सजग प्रहरी:कामरेड हरीश तिवारी ' पुस्तक के लिए लिखे कामरेड ए बी बर्द्धन के एक लेख से उनके खुद के संबंध में भी कुछ जानकारी मिलती है। यथा---
1940 में नागपुर में बर्द्धन जी ए आई एस एफ में शामिल हुये और इस छात्र संगठन के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव के ओहदे तक कार्य किया। छात्र जीवन में ही वह कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े तथा 1947 से मजदूर मोर्चे पर सक्रिय हो गए। उत्तर प्रदेश के कामरेड हरीश तिवारी जी तथा तामिलनाडु के कामरेड एस सी कृष्णन साहब के साथ मिल कर 'आल इंडिया फेडरेशन आफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाईज़' को पुनर्जीवित किया जिसकी स्थापना वयोवृद्ध मजदूर नेता श्री वी वी गिरी ने की थी और जो निष्क्रिय चल रहा था।
महाराष्ट्र ए आई टी यू सी के वह अध्यक्ष भी रहे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पहले उप महासचिव और फिर 1996 से 2012 तक राष्ट्रीय महासचिव भी रहे तथा वर्तमान में राष्ट्रीय सचिव के रूप में जुड़े हुये हैं। अभी इसी 4 सितंबर को लखनऊ के राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में बर्द्धन जी के मार्मिक उद्बोधन को प्रत्यक्ष सुना व काफी ज्ञानवर्द्धक जानकारी हासिल की हैं।इससे पूर्व आगरा में उनको निकट से सुनने के कई अवसर प्राप्त हुये हैं। बर्द्धन जी का स्वभाव काफी सरल है -एक बार सुंदर होटल, राजा-की -मंडी वाले भाकपा कार्यालय में जब बर्द्धन जी ने प्रवेश किया वहाँ उस समय और कोई नहीं था व मैं कुछ लिखने में व्यस्त था उनको अंदर आते देख न सका तो बर्द्धन जी ने खुद ही मुझको 'प्रणाम' कह कर संबोधित किया था। तब मैंने खड़े होकर उनको अभिवादन किया और यथोचित स्थान पर बैठने का आग्रह किया मेरे बारे में प्रारम्भिक जानकारी लेकर उन्होने मुझे यथावत अपना काम जारी रखने को कहा व जिलामंत्री महोदय के आने तक खुद अखबार पढ़ते रहे। उनका आचरण अनुकरणीय है किन्तु और दूसरे नेताओं में दिखाई नहीं देता।
बर्द्धन जी का यह जन्मदिन आप सबको मुबारक हो। हम उनके सुंदर,स्वस्थ,सुखद,समृद्ध उज्ज्वल भविष्य एवं दीर्घायुष्य की मंगल कामना करते हैं।
1940 में नागपुर में बर्द्धन जी ए आई एस एफ में शामिल हुये और इस छात्र संगठन के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव के ओहदे तक कार्य किया। छात्र जीवन में ही वह कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े तथा 1947 से मजदूर मोर्चे पर सक्रिय हो गए। उत्तर प्रदेश के कामरेड हरीश तिवारी जी तथा तामिलनाडु के कामरेड एस सी कृष्णन साहब के साथ मिल कर 'आल इंडिया फेडरेशन आफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाईज़' को पुनर्जीवित किया जिसकी स्थापना वयोवृद्ध मजदूर नेता श्री वी वी गिरी ने की थी और जो निष्क्रिय चल रहा था।
महाराष्ट्र ए आई टी यू सी के वह अध्यक्ष भी रहे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पहले उप महासचिव और फिर 1996 से 2012 तक राष्ट्रीय महासचिव भी रहे तथा वर्तमान में राष्ट्रीय सचिव के रूप में जुड़े हुये हैं। अभी इसी 4 सितंबर को लखनऊ के राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में बर्द्धन जी के मार्मिक उद्बोधन को प्रत्यक्ष सुना व काफी ज्ञानवर्द्धक जानकारी हासिल की हैं।इससे पूर्व आगरा में उनको निकट से सुनने के कई अवसर प्राप्त हुये हैं। बर्द्धन जी का स्वभाव काफी सरल है -एक बार सुंदर होटल, राजा-की -मंडी वाले भाकपा कार्यालय में जब बर्द्धन जी ने प्रवेश किया वहाँ उस समय और कोई नहीं था व मैं कुछ लिखने में व्यस्त था उनको अंदर आते देख न सका तो बर्द्धन जी ने खुद ही मुझको 'प्रणाम' कह कर संबोधित किया था। तब मैंने खड़े होकर उनको अभिवादन किया और यथोचित स्थान पर बैठने का आग्रह किया मेरे बारे में प्रारम्भिक जानकारी लेकर उन्होने मुझे यथावत अपना काम जारी रखने को कहा व जिलामंत्री महोदय के आने तक खुद अखबार पढ़ते रहे। उनका आचरण अनुकरणीय है किन्तु और दूसरे नेताओं में दिखाई नहीं देता।
बर्द्धन जी का यह जन्मदिन आप सबको मुबारक हो। हम उनके सुंदर,स्वस्थ,सुखद,समृद्ध उज्ज्वल भविष्य एवं दीर्घायुष्य की मंगल कामना करते हैं।
~विजय राजबली माथुर ©
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