Friday, September 5, 2014

कामरेड हरीश तिवारी का स्मरण जन्म शताब्दी पर ---विजय राजबली माथुर


 जन्म दिवस 05 सितंबर 1915 :
कल दिनांक 04 सितंबर 2014 को राय उमानाथ बली प्रेक्षा गृह  के जय शंकर सभागार में कामरेड हरीश तिवारी  जी का मार्मिक स्मरण समारोह सम्पन्न हुआ। समारोह का आयोजन AITUC द्वारा गठित समिति जिसके अध्यक्ष कनहाई राम जी व मंत्री अल्का तिवारी  मिश्रा जी (सुपुत्री कामरेड हरीश तिवारी ) के तत्वाधान में किया गया था तथा प्रीति भोज का आतिथ्य अल्का जी व उनके बांधवों की ओर से किया गया था। समारोह अध्यक्ष थे कामरेड सदरुद्दीन राणा साहब एवं विशिष्ट अतिथि थे वयोवृद्ध एवं वरिष्ठ कामरेड ए बी वर्द्धन जी एवं लखनऊ के महापौर दिनेश शर्मा जी।भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान साहब की उपस्थिती भी उल्लेखनीय है उनके अतिरिक्त प्रदेश के  वरिष्ठ कम्युनिस्ट एवं मजदूर नेतागण भी मंच पर उपस्थित थे। संचालन इप्टा के प्रदेश सचिव कामरेड राकेश जी ने किया। 

महापौर महोदय ने बताया कि उनके पिताजी व कामरेड हरीश जी में वैचारिक मत भिन्नता के बावजूद घनिष्ठता थी और आज उनके तथा अल्का जी के पति अरुण मिश्रा जी के मध्य मित्रता बरकरार है। दिनेश जी ने कहा कि जब वह छात्र थे  तब बर्द्धन जी के ओजस्वी उद्बोद्धन सुनने के लिए लालायित रहते थे और ज़रूर सुनते थे एवं अतुल अंजान जी के भाषणों से उनके मध्य उल्लास उत्पन्न हुआ करता था और इन दोनों के साथ मंच साझा करके वह खुद को गौरान्वित महसूस कर रहे हैं।   

कामरेड बर्द्धन जी ने अपने भावातिरेक सम्बोधन में कामरेड हरीश तिवारी जी को अपना बड़ा भाई और वरिष्ठ नेता बताया। उन्होने कहा कि हरीश जी स्थापना के साथ ही  1936 से ही AISF के साथ सम्बद्ध थे। जबकि वह खुद 1940 में इससे जुड़े और दोनों साथी राष्ट्रीय ज्वाईंट सेक्रेटरी के पद तक पहुंचे जबकि कामरेड सतपाल डांग AISF के महामंत्री थे। बर्द्धन जी ने अपने पूर्व वक्ता अंजान साहब की इस बात से सहमति व्यक्त की कि कामरेड हरीश तिवारी जी की जन्म शती मनाए जाने का उद्देश्य उस विचार धारा का प्रसार व प्रचार करना होना चाहिए जिसके लिए वह जीवन  भर संघर्षरत रहे । बर्द्धन जी नेअपने लेख में लिखा है -"उन्होने एक तरह से आंदोलन में अपना सब कुछ निचोड़ दिया । अपने छोटे से परिवार के अलावा वह अपने पीछे मजदूरों -कर्मचारियों का एक विशाल परिवार छोड़ गए। पंडित जी  हमेशा एक श्रेष्ठ कम्युनिस्ट,श्रेष्ठ मजदूर नेता और एक श्रेष्ठ आंदोलनकारी के अलावा एक बेहतरीन साधू-पुरुष इंसान के रूप में याद किए जाएँगे। उनके रूप में मैंने एक बड़ा भाई एक सलाहकार एक सच्चा दोस्त खो दिया। उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजली। "

अंजान साहब ने अपने उद्बोधन में कहा था कि सबसे पहले कामरेड हरीश तिवारी जी ने ही विभिन्न मजदूर संगठनों के एकीकरण का प्रयास किया था। उन्होने स्थाई कर्मचारी व ठेका कर्मचारी के मध्य परस्पर एका की वकालत करते हुये कहा  कि यदि आज हरीश जी होते तो वह यही करते। कामरेड अंजान ने अल्का जी की पुस्तक "मजदूर आंदोलन के सजग प्रहरी-कामरेड हरीश तिवारी " के लिए लिखे अपने लेख में वर्णन करते हुये निष्कर्ष दिया है :
"कामरेड हरीश तिवारी ने बिजली कर्मचारी संघ को प्रदेश के बिजली कर्मचारियों का जुझारू और ताकतवर संगठन बनाया। बिजली कर्मचारियों के आंदोलन को मजबूती देने के लिए ही उन्होने उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत अभियंता संघ के नेता एम ए खान के साथ मिल कर कई प्रभावशाली संयुक्त आंदोलन छेड़े। तिवारी जी के नेतृत्व, नीतियों और लगाव से प्रदेश और ज़िले स्तर पर सैंकड़ों समर्पित पार्टी कार्यकर्ता उभर कर आए तथा एटक और   बिजली कर्मचारी संघ में नेतृत्वकारी भूमिका को उन्होने अदा किया और आज भी कर रहे हैं। हरीश तिवारी जी सदैव मजदूर वर्ग को राजनीतिक रूप से लैस करने की कोशिश में लगे रहते थे। जहां एक ओर वह अपने भाषण में मजदूरों की समस्याओं पर बोलते थे वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक समाजवाद और उनकी पार्टी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों को भी बड़ी बेबाकी और मजबूती से श्रोताओं के सामने विशेषकर मजदूरों के सामने रखते थे। आज के दौर में वामपंथी राजनीतिक सोच और मजदूर वर्ग को वैज्ञानिक समाजवाद की नीतियों से लैस करने की मुहिम को चलाना कामरेड हरीश तिवारी को सबसे बेहतर तरीके से श्रद्धा सुमन अर्पित करना होगा। "

कामरेड सूरज लाल जी ने अपने लेख में लिखा है-"उनका पूरा जीवन  शोषण विहीन समाज की स्थापना हेतु वर्ग संघर्ष के लिए समर्पित था। "

कामरेड राम प्रताप त्रिपाठी जी ने अपने लेख में लिखा है -"आज परिस्थितियाँ बड़ी विषम हैं जिसमें मजदूर को मजदूर नहीं रहने दिया और किसान आत्महत्या कर रहे हैं। ............. कामरेड हरीश तिवारी अपने को  किसी कीमत पर रोक नहीं पाते और किसानों व मजदूरों की एकता बना कर नए सवेरे के लिए युद्ध करते होते। "

अध्यक्षीय सम्बोधन से पहले राणा साहब ने कामरेड हरीश तिवारी जी की पुत्र वधू रश्मि तिवारी जी को उनके संबंध में श्री श्रीकांत दीक्षित जी का एक लिखित संदेश पढ़ने का अवसर दिया। राणा साहब ने कई व्यक्तिगत किन्तु अविस्मरणीय संस्मरणों के साथ कामरेड हरीश जी को याद किया। 


  ~विजय राजबली माथुर ©
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