Alok Bajpai
जो
लोग यह समझ रहे है की 2019 में सामान्य लोक सभा चुनाव संपन्न होंगे और
भारतीय जनता इस भाजपा सरकार से ऊबकर एक धमनिर्पेक्ष विकल्प चुन लेगी. वे
ग़लतफ़हमी में है।
कुछ लोग समझ रहे कि 2004 का वाकया दुहराया जायेगा,वे भी भूल कर रहे।
मत भूलिए की केंद्र सरकार फासिस्ट संगठन और फ़ासिस्ट तरीको को मानने वाले लोगो के हाथ में है।उनका लोकतंत्र में यकीं ही नहीं।जायज नाजायज तरीके उनकी चेतना का हिस्सा ही नहीं।
यह सरकार साम्राज्यवादी शक्तियो और विश्व कारपोर्टे लॉबी के अनुरूप है।
इसे हराना आसां नहीं।बहुत अधिक तैयारी परिश्रम और त्याग की जरुरत होगी।मुझे शक है कि जो धर्मनिरपेक्ष दल मौजूद है उनमे कोई ऐसी दृढ़ता मौजूद हो।
यह निराशावाद नहीं है ।परिस्थितियों को समझने की कोशिश भर है।यु तो राजनीती में भविष्यवाणियां करना नादानी ही कही जायेगी।परंतु निश्चित ही इसका अंदाज तो किया ही जाना चाहिए।सब कुछ चयन पर निर्भर करता है कि भविष्य की दिशा क्या होगी।
जो लोग इस मुगालते में हो की मात्र मोदी सरकार की आर्थिक नाकामियो को रेखांकि कर उन्हें हराया जा सकेगा,चूक कर रहे है।
लिख दिया ताकि सनद रहे और वक्त जरुरत काम आये।
*****
इस पोस्ट को यहाँ भी पढ़ा जा सकता है। कुछ लोग समझ रहे कि 2004 का वाकया दुहराया जायेगा,वे भी भूल कर रहे।
मत भूलिए की केंद्र सरकार फासिस्ट संगठन और फ़ासिस्ट तरीको को मानने वाले लोगो के हाथ में है।उनका लोकतंत्र में यकीं ही नहीं।जायज नाजायज तरीके उनकी चेतना का हिस्सा ही नहीं।
यह सरकार साम्राज्यवादी शक्तियो और विश्व कारपोर्टे लॉबी के अनुरूप है।
इसे हराना आसां नहीं।बहुत अधिक तैयारी परिश्रम और त्याग की जरुरत होगी।मुझे शक है कि जो धर्मनिरपेक्ष दल मौजूद है उनमे कोई ऐसी दृढ़ता मौजूद हो।
यह निराशावाद नहीं है ।परिस्थितियों को समझने की कोशिश भर है।यु तो राजनीती में भविष्यवाणियां करना नादानी ही कही जायेगी।परंतु निश्चित ही इसका अंदाज तो किया ही जाना चाहिए।सब कुछ चयन पर निर्भर करता है कि भविष्य की दिशा क्या होगी।
जो लोग इस मुगालते में हो की मात्र मोदी सरकार की आर्थिक नाकामियो को रेखांकि कर उन्हें हराया जा सकेगा,चूक कर रहे है।
लिख दिया ताकि सनद रहे और वक्त जरुरत काम आये।
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Ramendra Jenwar बहुत सही आँकलन है...बहुत अच्छा लगा पढकर जैसे जो मेरी सोच मेँ भी है उसे आपके शब्दोँ मेँ पढ रहा हूँ । लडाई बहुआयामी है.....
Virendra Yadav यह संयोग ही है कि कुछ ऐसा विचार आज मेरे जेहन में भी आया था भोर के दुस्वप्न सरीखा .
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आलोक बाजपेयी जी बधाई के पात्र हैं जो उनके दृष्टिकोण को वीरेंद्र यादव जी ,वरिष्ठ साहित्यकार व रामेन्द्र जी जैसे वरिष्ठ राजनीतिज्ञों का समर्थन मिल गया है। वैसे इन सब बातों को मैं तो एक लंबे अरसे से कहता व लिखता रहा तथा सबों की उपेक्षा का सामना करता रहा हूँ। दो ब्लाग पोस्ट्स के लिंक निमन्वत हैं :
(विजय राजबली माथुर )
आलोक बाजपेयी जी बधाई के पात्र हैं जो उनके दृष्टिकोण को वीरेंद्र यादव जी ,वरिष्ठ साहित्यकार व रामेन्द्र जी जैसे वरिष्ठ राजनीतिज्ञों का समर्थन मिल गया है। वैसे इन सब बातों को मैं तो एक लंबे अरसे से कहता व लिखता रहा तथा सबों की उपेक्षा का सामना करता रहा हूँ। दो ब्लाग पोस्ट्स के लिंक निमन्वत हैं :
(विजय राजबली माथुर )
Tuesday, May 27, 2014
प्रियंका-राहुल को राजनीति में रहना है तो समझ लें उनके पिता व दादी के कृत्यों का प्रतिफल है नई सरकार का सत्तारोहण:
"16 वीं लोकसभा चुनावों में भाजपा की सफलता का श्रेय RSS को है जिसको राजनीति में मजबूती देने का श्रेय इंदिरा जी व राजीव जी को जाता है।"
http://krantiswar.blogspot.in/2014/05/blog-post_27.html
Sunday, September 25, 2011
डा सुब्रह्मण्यम स्वामी चाहते क्या हैं?
http://krantiswar.blogspot.in/2011/09/blog-post_25.html
इस पोस्ट के कुछ अंश प्रस्तुत हैं :( 'हस्तक्षेप' तथा 'भड़ास फार मीडिया' ने भी इस लेख को अपने यहाँ प्रकाशित किया था )
*अब क्या करेंगे?:
डा सुब्रह्मण्यम स्वामी हर तरह की संदेहास्पद गतिविधियां जारी रख कर 'लोकतान्त्रिक ढांचे की जड़ों को हिलाते रहेंगे' और संघ सिद्धांतों की सिंचाई द्वारा उसे अधिनायकशाही की ओर ले जाने का अनुपम प्रयास करेंगे।
07 नवंबर 1990 को वी पी सरकार के लोकसभा मे गिरते ही चंद्रशेखर ने तुरन्त आडवाणी को गले मिल कर बधाई दी थी और 10 नवंबर को खुद प्रधानमंत्री बन गए। चंद्रशेखर के प्रभाव से मुलायम सिंह यादव जो धर्म निरपेक्षता की लड़ाई के योद्धा बने हुये थे 06 दिसंबर 1990 को विश्व हिन्दू परिषद को सत्याग्रह केलिए बधाई और धन्यवाद देने लगे। राजीव गांधी को भी रिपोर्ट पेश करके मुलायम सिंह जी ने उत्तर-प्रदेश के वर्तमान दंगों से भाजपा,विहिप आदि को बरी कर दिया है।
आगरा मे बजरंग दल कार्यकर्ता से 15 लीटर पेट्रोल और 80 लीटर तेजाब बरामद होने ,संघ कार्यकर्ताओं के यहाँ बम फैक्टरी पकड़े जाने और पुनः शाहगंज पुलिस द्वारा भाजपा प्रतिनिधियों से आग्नेयास्त्र बरामद होनेपर भी सरकार दंगों के लिए भाजपा को उत्तरदाई नहीं ठहरा पा रही है। छावनी विधायक की पत्नी खुल्लम-खुल्ला बलिया का होने का दंभ भरते हुये कह रही हैं प्रधानमंत्री चंद्रशेखर उनके हैं और उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। चंद्रास्वामी भी विहिप की तर्ज पर ही मंदिर निर्माण की बात कह रहे हैं।
संघ की तानाशाही:
डा सुब्रह्मण्यम स्वामी,चंद्रास्वामी और चंद्रशेखर जिस दिशा मे योजनाबद्ध ढंग से आगे बढ़ रहे हैं वह निकट भविष्य मे भारत मे संघ की तानाशाही स्थापित किए जाने का संकेत देते हैं। 'संघ विरोधी शक्तियाँ' अभी तक कागजी पुलाव ही पका रही हैं। शायद तानाशाही आने के बाद उनमे चेतना जाग्रत हो तब तक तो डा स्वामी अपना गुल खिलाते ही रहेंगे।
डा सुब्रह्मण्यम स्वामी हर तरह की संदेहास्पद गतिविधियां जारी रख कर 'लोकतान्त्रिक ढांचे की जड़ों को हिलाते रहेंगे' और संघ सिद्धांतों की सिंचाई द्वारा उसे अधिनायकशाही की ओर ले जाने का अनुपम प्रयास करेंगे।
07 नवंबर 1990 को वी पी सरकार के लोकसभा मे गिरते ही चंद्रशेखर ने तुरन्त आडवाणी को गले मिल कर बधाई दी थी और 10 नवंबर को खुद प्रधानमंत्री बन गए। चंद्रशेखर के प्रभाव से मुलायम सिंह यादव जो धर्म निरपेक्षता की लड़ाई के योद्धा बने हुये थे 06 दिसंबर 1990 को विश्व हिन्दू परिषद को सत्याग्रह केलिए बधाई और धन्यवाद देने लगे। राजीव गांधी को भी रिपोर्ट पेश करके मुलायम सिंह जी ने उत्तर-प्रदेश के वर्तमान दंगों से भाजपा,विहिप आदि को बरी कर दिया है।
आगरा मे बजरंग दल कार्यकर्ता से 15 लीटर पेट्रोल और 80 लीटर तेजाब बरामद होने ,संघ कार्यकर्ताओं के यहाँ बम फैक्टरी पकड़े जाने और पुनः शाहगंज पुलिस द्वारा भाजपा प्रतिनिधियों से आग्नेयास्त्र बरामद होनेपर भी सरकार दंगों के लिए भाजपा को उत्तरदाई नहीं ठहरा पा रही है। छावनी विधायक की पत्नी खुल्लम-खुल्ला बलिया का होने का दंभ भरते हुये कह रही हैं प्रधानमंत्री चंद्रशेखर उनके हैं और उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। चंद्रास्वामी भी विहिप की तर्ज पर ही मंदिर निर्माण की बात कह रहे हैं।
संघ की तानाशाही:
डा सुब्रह्मण्यम स्वामी,चंद्रास्वामी और चंद्रशेखर जिस दिशा मे योजनाबद्ध ढंग से आगे बढ़ रहे हैं वह निकट भविष्य मे भारत मे संघ की तानाशाही स्थापित किए जाने का संकेत देते हैं। 'संघ विरोधी शक्तियाँ' अभी तक कागजी पुलाव ही पका रही हैं। शायद तानाशाही आने के बाद उनमे चेतना जाग्रत हो तब तक तो डा स्वामी अपना गुल खिलाते ही रहेंगे।
** आज ब्लाग के माध्यम से इसे सार्वजनिक करने का उद्देश्य यह आगाह करना
है कि 'संघ' अपनी योजना के अनुसार आज केवल एक दल भाजपा पर निर्भर नहीं है
30 वर्षों(पहली बार संघ समर्थन से इंदिरा जी की सरकार 1980 मे बनने से)
मे उसने कांग्रेस मे भी अपनी लाबी सुदृढ़ कर ली है और दूसरे दलों मे भी ।
अभी -अभी अन्ना के माध्यम से एक रिहर्सल भी संसदीय लोकतन्त्र की चूलें
हिलाने का सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया है।(हिंदुस्तान,लखनऊ ,25 सितंबर 2011
के पृष्ठ 13 पर प्रकाशित समाचार मे विशेज्ञ विद्व जनों द्वारा अन्ना के जन
लोकपाल बिल को संविधान विरोधी बताया है। ) जिन्होने अन्ना के
राष्ट्रद्रोही आंदोलन की पोल खोली उन्हें गालियां दी गई ब्लाग्स मे भी
फेस बुक पर भी और विभिन्न मंचों से भी और जो उसके साथ रहे उन्हें सराहा गया
है। यह स्थिति देश की आजादी और इसके लोकतन्त्र के लिए खतरे की घंटी है।
समस्त भारत वासियों का कर्तव्य है कि विदेशी साजिश को समय रहते समझ कर
परास्त करें अन्यथा अतीत की भांति उन्हें एक बार फिर रंजो-गम के साथ गाना
पड़ेगा-'मरसिया है एक का,नौहा है सारी कौम का '।
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फेसबुक पर प्राप्त टिप्पणी :
09-05-2016 |
4 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (25-05-2015) को "जरूरी कितना जरूरी और कितनी मजबूरी" {चर्चा - 1986} पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
अभी देखिये गिरगिट के आने हैं और भी कई रंग ।
भविष्य के गर्त में क्या छुपा है कोई नहीं जानता।
देखते हैं आगे आगे होता है क्या!!!
सार्थक लेखन
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