Friday, October 21, 2016

पुलिस शहीद दिवस :21 अक्टूबर ------ वी के शेखर

 दूसरों की हिफाजत के लिए 24 घंटे सजग रहने वाले पुलिस कर्मियों की पीड़ाओं का भी आकलन होना चाहिए।
VK Shekhar

21 October 1959 का दिन पुलिस के लिए सर्वाधिक ऐतिहासिक महत्व का है,जब लद्दाख की सीमा पर स्थित भारतीय पुलिस के 20 जवानों की एक टुकडी पर चीन की सेना ने घात लगाकर हमला किया था जिसमें सीआरपीएफ के सब इन्स्पेक्टर करमसिंह और उसके साथियों ने पूरी बहादुरी से मुकाबला किया और 10 पुलिस के जवानों ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहूति दी।
इसी स्मृति को अक्षुण्ण रखने के लिए उनके शहादत को श्रद्धा सुमन अर्पित करने हेतू 21 अक्टूबर को पूरे देश मे पुलिस शहीद दिवस मनाया जाता है। 
21 Oct.1959 से आज तक लगभग 35000 से ज्यादा पुलिस कर्मी शहीद हुए है। 
पुलिस हमारी आंतरिक सुरक्षा की पहली दीवार है।जब भी कोई आतंकी या नक्सली हमला हो या संप्रदायिक दंगे या लूटपाट की घटनाएं, हिसंक भीड से जानमाल की हिफाजत की बात हो या हमला चाहे देश की संसद पर हो,पठानकोट और उड़ी के हमले हों या वीरप्पन की गोलियों से, स्वार्थी नक्सलियों पर लगाम लगाते समय न जाने कितने पुलिस वाले शहीद हुए हैं।
अगर आतंकवाद और नक्सलवाद पर देश की सेना और पुलिस ने अपनी बहादुरी से नियंत्रण रखा है तो इनका श्रेय सेना और पुलिस के जवानों को ही.... मिलना चाहिए। हर रोज ड्यूटी पर इस देश मे पुलिस कर्मी शहीद होते है, बहुत कम होती है वे आंखें, जो नम होती है। इस देश के लिए दी गयी शहादत कमतर नहीं है,और शहादत मे फर्क भी नहीं किया जाना चाहिए।
सरकारी कार्यालय मे मात्र पुलिस थाना ही ऐसा भवन है, जिसके नसीब मे न तो सुबह और न ही शाम को ताला होता है।
साल के 365 दिन 24 घंटे ड्यूटी पर माने जाने वाले पुलिस कर्मी के लिए न तो छुट्टी का दिन मुकर्रर है और न ही ड्यूटी के घंटे।पुलिस की दीवाली इसी में है कि लोगों के दियों की रोशनी न बुझे।
पुलिस की होली भी इसी में है कि लोगों के रंग में खलल न पडे।
किंतु शायद ही कहीं कोई थाने मे धन्यवाद देने आता हो।
अगर कहीं छोटी-सी भी घटना या दुर्घटना हो जाए तो लोग आसमान सिर पर उठा लेते हैं। पुलिस सर्वाधिक विषम परिस्थितियों मे काम करती है,लेकिन उसे बदले मे चारों तरफ से ताने, उपहास, अपमान और आलोचना ही झेलने पडते हैं।
दूसरों की हिफाजत के लिए 24 घंटे सजग रहने वाले पुलिस कर्मियों की पीड़ाओं का भी आकलन होना चाहिए।
''बंद हो थाने के पट,ऐसा कभी होता नहीं, शहर सोए चैन से,बस इसलिए सोता नहीं।कर्मपथ में है मिले, मुझको मगर कांटे बहुत, आदमी हूं कैसे कह दूं,मैं कभी रोता नहीं।''

शहीद पुलिस जन को सादर श्रद्धा सुमन अर्पण।
साभार :

https://www.facebook.com/shekhar.vk/posts/1467431093272318



 ~विजय राजबली माथुर ©

Monday, October 17, 2016

युवा अब सिर्फ़ जोश में नहीं पूरे होश में ------ -मंजुल भारद्वाज



भारत के निर्णायक,जोशीले ,देशभक्त और समग्र युवा चिंतन को नमन !
-मंजुल भारद्वाज

भारत देश दुनिया का युवा देश है . युवा होने का अर्थ है , जोश , सपनों , उमंगों और उर्जा से भरा . पिछले लोकसभा चुनाव में एक पार्टी ने देश के युवाओं को अपने ‘सियासी’ चक्रव्यूह में फंसाया . जिसका जरिया था सोशल मीडिया ...सोशल मीडिया के प्रभाव और युवाओं  के ‘राजनैतिक’ जुड़ाव  का सफल प्रयोग और परिक्षण किया गया “भ्रष्टाचार विरोधी अभियान’ से . इस अभियान में युवाओं ने पूरे जोश के साथ हिस्सा लिया . इस युवा जुड़ाव से ‘सत्ता’ परिवर्तन हुआ एक राज्य स्तर पर ... और दूसरा राष्ट्रीय स्तर पर . दोनों ही फ़ायदेमंद ‘सियासी’ पार्टियां अपने अपने ‘सत्ता’ के लक्ष का ‘मोक्ष’ पा गयीं पर देश का युवा ठगा,ठगा, उदास और बदहवास है .

युवा को ‘विकास’ का सपना बेचा गया था. रोजगार का सपना बेचा गया था. युवा की ये दोनों ‘तात्कालिक’ और बुनियादी ज़रूरते हैं ..इसलिए ‘युवाओं’ ने आँख मूंदकर ‘सोशल’ मीडिया की तकनीक के सहारे स्वयं को प्रोग्रेसिव समझते हुए बिना राजनैतिक पार्टियों की ‘वैचारिक’ प्रतिबद्धता को जाने ..धडा धड ‘विकास’ के जुमले को अपना लिया और एक दक्षिण पंथी पार्टी को ऐतिहासिक बहुमत दिया . जिसका जश्न इस पार्टी ने यह कहकर मनाया की 1000 साल बाद देश में हिन्दुओं का राज आया है यानी संविधान सम्मत 1950 के बाद की सब सरकारें किसकी थी?

हिन्दु राज :

“1000 साल बाद देश में हिन्दुओं का राज” इस ऐलान से ‘युवाओं’ का माथा ठनका लेकिन अपने उदार भाव और जोश में उसने परवाह नहीं की .. पर जैसे जैसे उसके ‘बेरोज़गारी’ का वक्फा बढ़ा उसकी बैचैनी भी बढ़ी ... जिससे ‘सत्ताधारी’ पार्टी को सोचना पड़ा .. अपने भारत विजय रथ पर सवार पार्टी ने जब ‘लोकसभा’ चुनावी वादों को ‘जुमला’ करार दिया तब ‘युवाओं ने उसके विजय रथ को ‘दिल्ली’ और ‘बिहार’ में रोक दिया. युवाओं का ये  क़दम  ‘सत्ताधारी’ पार्टी  को नागवार गुजरा ..उसने  युवाओं से बदला लेना शुरू किया . इस बदले के आयाम है १. संस्थान २ स्कोलरशिप ३ राष्ट्रभक्ति 4 आरक्षण . इस चार सूत्री कार्यक्रम के तहत ‘यूनिवर्सिटी’ में युवाओं के दमन का सिलसिला शुरू हुआ , उनको अलग अलग खेमों में बांटा गया , उनकी आज़ादी की अभिव्यक्ति को ‘राष्ट्रद्रोह’ से नवाज़ा गया . उनकी स्कोलरशिप पर प्रहार किया गया .. यानी जिस युवा के कंधों पर बैठकर ये पार्टी ‘सत्ता’ में आई थी उन्ही का ‘दमन’ किया . उनके  इस दमन के षड्यंत्र में ‘रुपर्ट मर्डोक’ के दर्शन पर चलने वाला मुनाफाखोर मीडिया भी लिप्त है ..जिसके  करोड़ों रूपये की सैलरी पाने वाले टीवी एंकर या ‘खबर बेचू’ प्राणियों ने ‘देश भक्ति का ज़ोरदार ‘तड़का’ मारा और ‘युवाओं’ को देशद्रोही बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी !

दरअसल डब्लू टी ओ के माध्यम से लागू होने वाली नव उदारवादी आर्थिक ‘नीतियों’ की अंधभक्त है ये सरकार ..यानी पिछली सरकार से एक क़दम आगे ..   नव उदारवादी आर्थिक ‘नीतियों’ के फलस्वरूप सरकारी नौकरियाँ विलुप्त हो रही हैं .. और प्राइवेट नौकरियाँ पहले से ही ऊंट के मुंह में जीरे वाली बात है ..उपर से बेइंतिहा  शोषण .. ऐसे में डब्लू टी ओ के हिमायतियों ने ‘लोकतान्त्रिक व्यवस्था’ वाले देशो के ‘पत्रकारिता’ के किल्ले पर हमला कर उसको ध्वस्त किया और ‘मीडिया शॉपस यानी मीडिया की दुकानों का उदय किया . इन दुकानों को ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ के नाम पर वैधता दी गयी  और इस वैधता को पूंजी से खरीद लिया गया . और जुमला चला ‘जो बिकेगा वो छपेगा या जो बिकेगा वो दिखाया जाएगा’ यही है ‘रुपर्ट मर्डोक’ डॉक्ट्रिन !
‘भ्रष्टाचार ' और ‘युद्ध’ :

इसलिए ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ का  मसीहा मीडिया आज ‘देशभक्ति’ की धुन गा रहा है .. रूठे युवाओं  को बहलाने के लिए उसे एक निश्चित दुश्मन को दिखा ‘युद्ध’ जितने का जोश भर रहा है . दिन रात ‘मीडिया की अदालतें लगती हैं’ जहाँ से देशभक्ति के प्रमाण पत्र बांटे जाते हैं . पर देश का युवा अब सजग हो रहा है . वो अब सोशल मीडिया का विश्लेष्णात्मक उपयोग कर रहा है . अपना पेट भरने वाले फ़िल्मी सत्ता लोलुपों की देशभक्ति उसको समझ आ रही .. ये युवा उनको कह रहा है ..आपकी देशभक्ति आधी है ..कलाकारों को हड्काने वाले फ़िल्मी सत्ता लोलुपों ज़रा ‘इस देश के उधोगपतियों’ को भी देशभक्ति का पाठ पढाओ.. उनको भी टीवी पर करोड़पति ‘खबर बेचूं’ सत्ता दलालों के साथ ललकारो ..की दुश्मन देश से व्यापार बंद करो ... देश का युवा आज जान रहा है की 30 रूपये की झालर बेचने वाले ठेले वाले का धंधा उजाड़ना चीन को सबक सिखाना है और तीन हज़ार करोड़ की ‘सरदार पटेल’ की मूर्ति चीन से बनवाना देश भक्ति !

सामाजिक ताना -  बाना तार तार :

इस ‘सत्ताधारी’ पार्टी ने इस देश के सामाजिक ताने बाने को तार तार करने में अपने सारे संगठन को झोंक रखा है . सारी  मर्यादाओं को तोड़कर “सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का’ के मन्त्र को अमल में ला रहे हैं . सवर्ण युवाओं को रोज़गार नहीं देकर ‘आरक्षण’ के नाम पर बरगलाना की तुम्हारा रोजगार ‘आरक्षण’ वालों ने छिन लिया . गौ रक्षा के नाम पर दलितों पर अत्याचार .... हर सवाल पूछने वाले को दुश्मन देश का एजेंट बताना .... कश्मीर में आग लगवाना ... याद रहे दिसम्बर 2015 तक कश्मीर ( छुट पुट घटनाओं ) के बावजूद शांत था .. पर तब से आज कश्मीर की हालात क्या हो गयी है  .. जब की वहां तथाकथित ‘राष्ट्रवादियों’ की गठबंधन सरकार है .::
 फ़ौज .. फ़ौज है .. उसे फ़ौज ही रहने दें  :

जो हमारे देश को बुरी नज़र से देखेगा ..हमारी फ़ौज उसको बर्दाश्त नहीं करेगी और देश की जनता, देश का युवा ‘फ़ौज’ के साथ है .. पर ‘विकास’ के जुमले वाली सरकार अब ‘सेना’ का उपयोग अपनी  देशभक्ति की भट्टी में कर रही है ... पैड मीडिया की मदद से रोज़ देशभक्ति के हवन में ‘सेना’ अपनी आहुति दे रही है  .. देश के युवाओं  का आज स्पष्ट मत है ...वो राष्ट्र की सुरक्षा के लिए फ़ौज को नमन करता है  ! फ़ौज की आड़ लेकर राजनीति के गिरते स्तर पर है उसकी नज़र है  .. ये राजनैतिक पार्टियों के पतन के कफन में और एक कील है ..... फ़ौज .. फ़ौज है .. उससे फ़ौज ही रहने दें तो अच्छा है इसी में  राष्ट्र और राजनैतिक बिरादरी की भलाई है ... 

जोश  नहीं  होश :

इस गिरते राजनैतिक स्तर और माहौल में ये युवा अब सिर्फ़ जोश में नहीं पूरे होश में अपने नए ‘राजनैतिक विकल्प’ खोज रहा है. एक ऐसा ‘राजनैतिक विकल्प’ जो इस देश के संविधान के मूल्यों को जतन से संभाले और उसके आदर्शों के आईने में उसके सपनों को पूरा करे .ये देश सही में विकसित  और खुशहाल हो ! भारत के ऐसे निर्णायक,जोशीले ,देशभक्त और समग्र युवा चिंतन को नमन !
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संक्षिप्त परिचय -

“थिएटर ऑफ रेलेवेंस” नाट्य सिद्धांत के सर्जक व प्रयोगकर्त्ता मंजुल भारद्वाज वह थिएटर शख्सियत हैं, जो राष्ट्रीय चुनौतियों को न सिर्फ स्वीकार करते हैं, बल्कि अपने रंग विचार "थिएटर आफ रेलेवेंस" के माध्यम से वह राष्ट्रीय एजेंडा भी तय करते हैं।




एक अभिनेता के रूप में उन्होंने 16000 से ज्यादा बार मंच से पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।लेखक-निर्देशक के तौर पर 28 से अधिक नाटकों का लेखन और निर्देशन किया है। फेसिलिटेटर के तौर पर इन्होंने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर थियेटर ऑफ रेलेवेंस सिद्धांत के तहत 1000 से अधिक नाट्य कार्यशालाओं का संचालन किया है। वे रंगकर्म को जीवन की चुनौतियों के खिलाफ लड़ने वाला हथियार मानते हैं। मंजुल मुंबई में रहते हैं। उन्हें 09820391859 पर संपर्क किया जा सकता है।


  ~विजय राजबली माथुर ©

Sunday, October 9, 2016

ग्रहों की चाल ढालती है जिंदगी की चाल को -प्रेक्टिकल उदाहरण (2 ) ------ विजय राजबली माथुर


यह लेख पूर्व प्रकाशित है :

मंगलवार, 24 अप्रैल 2012:


ग्रहों की चाल ढालती है जिंदगी की चाल को -प्रेक्टिकल उदाहरण


मिसेज X    (09 अक्तूबर 1954,प्रातः 04 बजे,आगरा).....................................................मिसेज Y (07 सितंबर 1979,प्रातः 07-50,आगरा)                             

03 जून 2007 को  हिंदुस्तान,आगरा के अंक मे  प्रकाशित श्रीमती शबाना आज़मी और सुश्री रेखा की जन्मपत्रियों का विश्लेषण उन्हीं को आधार मान कर किया गया था। लेकिन आज यहाँ  प्रस्तुत दोनों कुंडलियाँ मेरे द्वारा ही बनाई गई हैं और ये परस्पर माता-पुत्री की हैं। माता के लिए -मिसेज X और पुत्री के लिए मिसेज Y का प्रयोग किया जा रहा है। इस पूरे परिवार से एक ही कालोनी मे रहने  के कारण जान-पहचान थी। ग्रहों की चाल को प्रेक्टिल रूप से स्पष्ट करने हेतु इन कुंडलियों का सहारा लिया जा रहा है । मिसेज X का जन्म आगरा मे,मद्रास मे जन्मी फिल्म अभिनेत्री 'रेखा' से लगभग 31 घंटे पूर्व हुआ है। रेखा और मिसेज X की राशियाँ एक ही 'कुम्भ' हैं किन्तु लग्न अलग-अलग हैं। मिसेज X की जन्मपत्री का चयन इसी वजह से किया है कि,'रेखा' की जन्मपत्री का जो विवेचन दिया जा चुका है वह इस विश्लेषण की सहायता से आसानी से समझा जा सकता है।

मिसेज X

आगरा मे 09 अक्तूबर 1954 की प्रातः 04 बजे X का जन्म हुआ है उस आधार पर जन्म कुंडली बनी है। जन्म लग्न सिंह है,राशि कुम्भ है जो सुश्री रेखा की भी है। समस्त ग्रह रेखा और X की कुंडलियों मे एक ही राशियों मे  हैं। जन्म समय मे अंतर होने के कारण सिर्फ लग्न अलग-अलग हैं। अतः ग्रह जिन भावों मे रेखा के हैं उससे भिन्न भावों मे X के हैं।  X की जन्मपत्री के जिस भाव मे जिस राशि मे ग्रह हैं उनके अनुसार फल लिखा है और प्रेक्टिकल (वास्तविक ) जीवन मे वैसा ही चरितार्थ होता दिखा है अतएव 'रेखा'की कुंडली मे उन्हीं ग्रहों के उन्हीं राशियों मे दूसरे भावों मे होने के कारण जो फल लिखा है वह भी प्रेक्टिकल (वास्तविक )जीवन मे वैसा ही चरितार्थ होना चाहिए । यही वजह X की जन्म कुंडली उदाहरणार्थ लेने का कारण बनी हैं।

X ने अपनी जन्मपत्री बनवाने को जब कहा तो विशिष्ट रूप से यह भी निवेदन किया कि,लिखित मे जो दें उससे अलग हट कर उन्हें ,उनके निगेटिव प्वाईंट्स व्यक्तिगत रूप से ज़रूर बता दें। अमूमन तमाम बातें ऐसी रहती हैं कि नजदीकी से नजदीकी व्यक्ति भी निगेटिव प्वाईंट्स नहीं जान पाता है परंतु ग्रहों का ज्योतिषीय विश्लेषण उन तथ्यों को उजागर कर सकता है। चूंकि X की पुत्री Y को न्यूम्रोलाजी का कुछ ज्ञान था अतः उसने अपनी माँ को उनके अपने निगेटिव प्वाईंट्स बताये थे और उन्हीं का वेरीफिकेशन वह मुझ से कराना चाहती थीं,कि क्या ग्रहों की चाल से इतना सब वाकई ज्ञात हो सकता है ?शायद अपनी पुत्री के ज्योतिषीय ज्ञान पर उन्हें भरोसा न रहा हो किन्तु उन्होने मुझे बताया कुछ नहीं सिर्फ मुझ से बताने को कहा था और बाद मे आत्म-स्वीकृति द्वारा मेरे कथन की परिपुष्टि की थी।

X के शिक्षक पति बेहद सौम्य व्यवहार वाले थे। किन्तु उनकी कुंडली मे स्थित राशि बता रही थी कि वह काफी उग्र स्वभाव के और आक्रामक होंगे। अतः विश्लेषण लिखना शुरू करने से पूर्व X से साफ-साफ पूछा कि क्या मास्टर साहब जैसे दिखाई देते हैं उसके उलट स्वभाव उनका है ,क्या वह वास्तव मे दबंग हैं? X का जवाब प्रश्नवाचक था कि क्या उनकी कुंडली से उनके पति का यह स्वरूप सामने आया है। हाँ कहने पर उन्होने कुबूल किया कि शहर मे तो वह नम्र रहते हैं गाँव मे दबंगी दिखाते हैं कभी वांछित व्यक्ति न मिलने पर उसके घर से भैंस खोल कर अपने घर ले आए थे। समस्त बातें रफ पेपर से पढ़ कर उन्हें सुना दी जिन्हें उन्होने स्वीकार कर लिया परंतु लिखित मे वही दिया जो पॉज़िटिव था। बाद मे X ने अपने हाथ मे भी निगेटिव बातों का ज्ञान होने की बात पूछी थी उन्हें बता दिया था कि जन्मपत्री को गणना मे गलती के आधार पर आप नकार भी दें लेकिन अपनी लकीरों को छिपा या बदल नहीं सकती हैं।

X के पति भाव मे बैठा 'चंद्र' उनके पति को ऊपर से सौम्य बनाए हुये था और लग्न पर पूर्ण सप्तम दृष्टि के कारण खुद X के चेहरे को लावण्य मय रूप  प्रदान कर रखा था ,लग्न ने कमर तक उनके शरीर को आकर्षकत्व प्रदान किया था। उनकी कुंडली मे पति का कारक ग्रह ब्रहस्पति द्वादश भाव मे उच्च का है और नवम  दृष्टि से आयु के  20 वे भाव को देख रहा है जहां  'मीन' राशि स्थित है जो खुद ब्रहस्पति की ही राशि है । अतः  जीवन के 20वे वर्ष मे उनका विवाह तय हो गया और 08 दिसंबर 1974 को विवाह बंधन मे बंध गईं।उस समय वह ब्रहस्पति की महादशा के अंतर्गत 'चंद्र' की अंतर्दशा मे थीं जिसका प्रभाव बाधापूर्ण होता है। तृतीय भाव मे उच्च का शनि है जिसने उनके बाद भाई नहीं उत्पन्न होने दिये। उनके बाद दो बहने और हुई तब ही भाई हुये। शनि की स्थिति उन्हें निम्न -स्तर के कार्यों हेतु प्रेरित करने वाली है। सुख भाव मे मंगल की वृश्चिक राशि मे शुक्र स्थित है जो यह दर्शाता है कि विपरीत योनि के लोग उनमे आकर्षण रखते होंगे और वह उनमे ,उनके जीवन मे उनके प्रेमियों का भी हस्तक्षेप होगा। हाथ की लकीरों से रिश्ता भी स्पष्ट था और उन्हें बता दिया कि छोटे देवर व छोटे बहनोई से उनका शारीरिक संबंध होना चाहिए जिसे यह कह कर उन्होने कुबूल किया कि इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। पंचम संतान भाव मे 'मंगल' व 'राहू' की स्थिति से उन्होने बचपन मे अपनी पुत्री Y के अनुत्तीर्ण होने की ही बात नहीं स्वीकारी बल्कि हँसते हुये यह भी स्वीकार किया कि 'एबार्शन' तो जान-बूझ कर करवाए -कितने बच्चे पैदा करते? उन्होने यह भी स्वीकार किया कि पैदा करने पर पहचान का भी भय था।उनकी प्रथम संतान पुत्र है जो ग्रह योगों के अनुरूप ही पूर्ण आज्ञाकारी है।  मिसेज Y उनकी दूसरी संतान है और उससे एक वर्ष छोटी दूसरी पुत्री है। उच्च के ब्रहस्पति ने धन-दौलत,मान-सम्मान,उच्च वाहन सुख सभी प्रदान किए हैं।


मिसेज Y

Y की राशि भी अपनी माँ वाली 'कुम्भ'ही है परंतु लग्न-'कन्या' है जो 'प्रेम' मे असफलता प्रदान करती है। और इस कुंडली मे लग्नेश,पंचमेश व सप्तमेश सभी 'द्वादश'भाव मे बैठे है जो 'व्यय भाव' होता है। अतः Y को प्रेम के मामले मे सावधानी की आवश्यकता थी जो बात  उसने अपनी माँ के माध्यम से पुछवाई थी। X को स्पष्ट रूप से बता दिया गया था कि यदि विवाह करना हो तो 'एरेंज्ड मेरेज' के जरिये ही हो वरना 'प्रेम-विवाह' सफल  नहीं हो सकता। यह बात Y के 2003  मे जाब पर बेंगलोर जाते समय X ने पूछी थी और 2008 मे जब Y ने अंतरजातीय प्रेम विवाह की बात उठाई तो मास्टर साहब ने बेटी और उसके प्रेमी को गोली से उड़ा देने की धमकी दी। X ने पूर्व जानकारी के आधार पर कोई नाटक खेला जिसमे उनका बी पी भी काफी लो हो गया और मास्टर साहब की पूर्व शिष्या लेडी डॉ के मुताबिक दिमाग पर भी झटके का असर था। लिहाजा अपनी शिष्या रही डॉ की सलाह पर मास्टर साहब 'एरेंज्ड मेरेज' करने को राजी हो गए। 15 दिन की तड़ापड़ी मे तैयारी करके 29 जनवरी 2008 को Y का विवाह किया गया।

X और Y की जब तुलना की जाये तो ग्रहों की चाल का असर साफ-साफ समझ आ जाएगा। इंटर पास X को सफलता और क्वालिफ़ाईड इंजीनियर Y को असफलता अपने-अपने ग्रहों के अनुरूप ही मिल रही थी। यदि पूर्व मे ज्योतिषीय ज्ञान से खतरे का आंकलन न होता तो निश्चय ही Y को अपने प्रेमी सहित मौत का सामना करना पड़ता क्योंकि कुंडली मे चंद्रमा षष्ट भाव मे राहू के साथ 'ग्रहण योग' बना रहा है। X की कुंडली मे लग्नेश सूर्य बुध की राशि मे है और बुध शुक्र की राशि मे शनि के साथ जो कि सप्तमेश है ,पंचम 'प्रेम' भाव मे शनि सरीखा राहू तो है ही पंचमेश ब्रहस्पति 'चंद्र' की राशि मे है और 'चंद्र' सप्तम भाव मे शनि की राशि मे। इस प्रकार लग्नेश,पंचमेश और सप्तमेश मे अच्छा तालमेल होने के कारण X विवाहोपरांत भी प्रेमियों से सफल संपर्क कायम रख सकीं जबकि Y को फजीहत और झगड़े के बाद ही X की तिकड़म और हस्तक्षेप से मन की  मुराद पूरी करानी पड़ी। X के हाथ मे विवाह रेखा के समानान्तर दो और सफल रेखाएँ स्पष्ट रूप से स्थित हैं जबकि Y के हाथ मे एक ही रेखा भी जटिल संकेत देती है।
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'रेखा',X और Y के विश्लेषणों द्वारा माता-पिता और संतान के अंतर सम्बन्धों का भी परिचय स्पष्ट मिलता है। अतः कोई तिकड़मी और फितरती ब्लागर यदि मुझे प्रोफेशनली गलत(मूर्ख-अज्ञानी) साबित करने हेतु छल का सहारा लेता है जो पकड़ा भी गया है  तो उसे समझ लेना चाहिए कि उसकी संतानों की कुंडलियों के विश्लेषण से उसका खुद का भी पर्दाफाश आसानी से किया जा सकता है। किसी भी चालाक से चालाक ब्लागर /व्यक्ति को जिस प्रकार अपने वकील और डॉ से नहीं भिड़ना चाहिए उसी प्रकार किसी ज्योतिष के मामूली से जानकार को भी जलील करने से पहले सभी पहलुओं पर विचार करना और अपने गिरेबान मे झांक लेना चाहिए। अन्यथा इन्टरनेट के चौराहे पर उसे खुद का भंडाफोड़ कराना पड़ेगा।वर्तमान मे जिस शहर मे वह ब्लागर प्रवास कर रहा है उसी शहर मे कम से कम दो लोग मेरे विरुद्ध लंबे समय से साज़िशों मे लगे हैं। उक्त ब्लागर ने मुझे छलने मे असमर्थ होने पर मेरे पुत्र को छलने का प्रयास किया है जो अभी जारी है। यह विश्लेषण उक्त ब्लागर के लिए चेतावनी भी है कि वह तत्काल मेरे पुत्र के साथ छल-कपट बंद करें और भविष्य मे भी  न मुझे न मेरे पुत्र को छलने का कोई भी कुप्रयास करे।



उक्त ब्लागर की इच्छा पर गलत सलाह न देने के कारण उक्त ब्लागर ने मेरे पुत्र के साथ भी झूठ-छल का प्रयोग किया ,जिस कारण-शबाना आज़मी,रेखा और प्रस्तुत विश्लेषण सार्वजनिक रूप से देने पड़े हैं।