Friday, February 27, 2015

वामपंथी बौद्धिकों की फौज जनता से जुड़े,उनकी भावनाओं को समझे ----- भावेश भारद्वाज

17 Feb.2015
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बेगूसराय भाकपा से सम्बद्ध युवा कामरेड भावेश भारद्वाज साहब द्वारा व्यक्त उपरोक्त विचार वर्तमान परिस्थितियों में नितांत प्रासांगिक हैं। उनका यह कथन कितना सटीक है-" नेक व ईमानदार बने रहने की कोशिश, आज के हालात में ऐसी जीवनशैली कई संकट खड़ा कर देती है। अपने जीवन मूल्यों के साथ ज़िंदा रहने की कोशिश में अक्सर अपने भी बेगाने हो जाते हैं, गलत दोषारोपण, अपमान या असम्मान भी झेलने की नौबत आ जाती है। "

वाकई भावेश जी ने सही आंकलन किया है अभी हाल ही में मैंने कम्युनिस्टों व वामपंथियों द्वारा दिल्ली में केजरीवाल के सत्तासीन होने पर जो खुशी मनाई उसके प्रति आगाह किया था। परंतु बजाए इसे सकारात्मक लिए जाने के नकारात्मक लिया गया और मुझे ही लांछित कर दिया गया जैसा कि प्रस्तुत फोटो टिप्पणी से स्पष्ट है :  

भूमि अधिग्रहण के विरुद्ध वामपंथ के किसान-आंदोलन को RSS की तिकड़म का शिकार होकर हज़ारे के चरणों में रख दिया गया और अब किसी भी सफलता का श्रेय कम्युनिस्टों व वामपंथियों के बजाए हज़ारे/केजरीवाल को मिलेगा । कालांतर में कम्युनिस्टों की जड़ों में मट्ठा डालने वाला ही कदम यह सिद्ध होगा। 

मार्क्स वाद/लेनिनवाद से लैस और यहाँ तक कि 'मास्को रिटर्न' वरिष्ठ कामरेड तक अपने कनिष्ठ साथियों का उत्पीड़न व शोषण करके खुद ही अपनी पीठ ठोंकते रहते हैं। तीन-तिकड़म के सहारे से अपने चहेते-चापलूस लोगों को आगे बढ़ाते व कर्मठ लोगों को पीछे धकेलते हैं। ऐसे में भावेश जी का यह विचार कि -" वामपंथी बौद्धिकों की यह फौज जनता से जुड़े, उनकी भावनाओं को समझे ..." साम्यवाद व वामपंथ को जन-प्रिय बनाने में सहायक हो सकता है। 
---(विजय राजबली माथुर ) 

    ~विजय राजबली माथुर ©
 इस पोस्ट को यहाँ भी पढ़ा जा सकता है। 
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From Facebook :
 
28-02-2017 

Thursday, February 26, 2015

गहरी साज़िश पूंजीवादी व्यवस्था की --- Aquil Ahmed

https://www.facebook.com/aquil.ahmed.7927/posts/458395827647852


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अकील अहमद साहब की उपरोक्त पोस्ट व उस पर आई टिप्पणियों का संदर्भ हैं मेरे ये ताज़ातरीन पोस्ट्स :
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 ठीक ऐसा ही निष्कर्ष है अभिषेक श्रीवास्तव साहब का :



http://www.hastakshep.com/hindi-news/nation/2015/02/25/

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ऐसा नहीं है कि मैंने अचानक इस प्रकार की राय दी हो जिस पर अकील अहमद साहब को यह पोस्ट लिखनी पड़ी। 2011 में जबसे कारपोरेट भ्रष्टाचार के संरक्षण में RSS प्रेरित और मनमोहन सिंह जी के आशीर्वादयुक्त हज़ारे/केजरीवाल/रामदेव आंदोलन चला था मैं लगातार अपने ब्लाग के माध्यम से व फेसबुक पर भी उसके विरुद्ध राय देता आ रहा हूँ---http://krantiswar.blogspot.in/
एक लेख का यह फोटो और उसी से एक अनुच्छेद नीचे दिया जा रहा है जिससे स्पष्ट हो जाएगा कि 1990 में मेरा जो आंकलन था वह आज भी उतना ही सटीक है बल्कि उस पर जिस प्रकार अमल हो रहा है अपनी गफलत के कारण वामपंथ आज भी उसका मुक़ाबला करने में न केवल असमर्थ है वरन हज़ारे/केजरीवाल के RSS प्रेरित उस षड्यंत्र में फँसता नज़र आ रहा है जो कि देश के लिए सुखद स्थिति नहीं है।

http://krantiswar.blogspot.in/2011/09/blog-post_25.html

"संघ की तानाशाही:

डा सुब्रह्मण्यम स्वामी,चंद्रास्वामी और चंद्रशेखर जिस दिशा मे योजनाबद्ध ढंग से आगे बढ़ रहे हैं वह निकट भविष्य मे भारत मे संघ की तानाशाही स्थापित किए जाने का संकेत देते हैं। 'संघ विरोधी शक्तियाँ' अभी तक कागजी पुलाव ही पका रही हैं। शायद तानाशाही आने के बाद उनमे चेतना जाग्रत हो तब तक तो डा स्वामी अपना गुल खिलाते ही रहेंगे।"
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जिस प्रकार सम्पूर्ण वामपंथ हज़ारे/केजरीवाल से सम्मोहित है उसके मद्दे नज़र वह दिन दूर नहीं जब यह कहा जाएगा-'पाछे पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत '। 
(विजय राजबली माथुर )

  ~विजय राजबली माथुर ©
 इस पोस्ट को यहाँ भी पढ़ा जा सकता है। 

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Monday, February 2, 2015

सत्य,ज्योतिष और तामिलनाडु की राजनीति --- विजय राजबली माथुर

ज्योतिष विज्ञान का मूल उद्देश्य है- मानव जीवन को सुंदर,सुखद व समृद्ध बनाने हेतु सम्यक दृष्टिकोण प्रस्तुत करना। यदि राग,द्वेष,भय या पक्षपात के साथ कोई ज्योतिषी गलत दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है तो उसे तो गलत होना ही है लेकिन किसी व्यक्ति-विशेष की गलती को उस ज्ञान-विज्ञान को 'असत्य' सिद्ध करने का प्रमाण-पत्र देने का अभिप्राय क्या हो सकता है?


मोदी से अधिक प्रभावशाली ग्रह -नक्षत्र 'रेखा' व 'ममता बनर्जी' के थे लेकिन उनको मोदी के मुक़ाबले में प्रस्तुत ही नहीं किया गया था। चाहे CPM- प्रकाश करात की एलर्जी इसका कारण हो या अन्य कुछ। जो लोग मोदी के मुक़ाबले में आए उनसे उनके ग्रह-नक्षत्र अधिक बलशाली निकले और वह जीत गए। लेकिन उनकी जीत को महिला विरोधियों की जीत समझा जाना चाहिए। निकट भविष्य में तीन महत्वपूर्ण राज्यों- तामिलनाडु, बिहार व फिर उत्तर-प्रदेश में भी मोदी की पार्टी यदि जीत गई तो देश से लोकतन्त्र की विदाई की वेला आ जाएगी। तामिलनाडु में करुणानिधि व जयललिता की की डांवाडोल स्थितियों के मद्देनजर सोनिया कांग्रेस से जयंती नटराजन को तोड़ा गया है और वह भाजपा मोर्चे की मुख्यमंत्री प्रत्याशी हो सकती हैं।


यदि देश में  संविधान व लोकतन्त्र की रक्षा करनी है तो तामिलनाडु के आसन्न चुनावों में राज्यसभा सांसद रेखा को मुख्यमंत्री प्रत्याशी के रूप में प्रस्तुत करके कांग्रेस व कम्युनिस्ट पार्टी को प्रगतिशील मोर्चा खड़ा करना चाहिए।  इसी प्रकार के प्रयास बिहार व उत्तर-प्रदेश में करने चाहिए तब ही RSS-भाजपा के नापाक इरादों को चकनाचूर किया जा सकेगा। अन्यथा भ्रम के नशे में चूर रहने से जम्हूरियत का जनाज़ा निकलने में देर न लगेगी। जब राज्यसभा सांसद डी राजा साहब के प्रस्ताव पर प्रतिभा पाटील जी को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनवा कर जितवाया जा सकता है तो उनको तामिलनाडु के मुख्यमंत्री पद हेतु रेखा जी को आगे लाने की पहल भी लोकतन्त्र व संविधान की रक्षा की खातिर करनी ही चाहिए। एथीस्टवाद के नाम पर ज्योतिष को नकारना देश व जनता के लिए बहुत मंहगा पड़ जाएगा।

राज योग :
"दशम भाव मे कन्या राशि का सूर्य 'रेखा' को 'राज्य-भंग ' योग भी प्रदान कर रहा है। इसका अर्थ हुआ कि पहले उन्हें 'राज्य-सुख 'और 'राज्य से धन'प्राप्ति होगी फिर उसके बाद ही वह भंग हो सकता है। लग्न मे बैठा 'राहू' भी उन्हें राजनीति-निपुण बना रहा है। एकादश भाव मे बैठा उच्च का 'शनि' उन्हें 'कुशल प्रशासक' बनने की क्षमता प्रदान कर रहा है। नवम  भाव मे 'सिंह' राशि का होना जीवन के उत्तरार्द्ध मे सफलता का द्योतक है। अभी वह कुंडली के दशम भाव मे 58 वे वर्ष मे चल रही हैं और आगामी जन्मदिन के बाद एकादश भाव मे 59 वे वर्ष मे प्रवेश करेंगी। समय उनके लिए अनुकूल चल रहा है।

राज्येश'बुध' की महादशा मे 12 अगस्त 2010 से 23 फरवरी 2017 तक की अंतर्दशाये भाग्योदय कारक,अनुकूल सुखदायक और उन्नति प्रदान करने वाली हैं। 24 फरवरी 2017 से 29 जून 2017 तक बुध मे 'सूर्य' की अंतर्दशा रहेगी जो लाभदायक राज्योन्नति प्रदान करने वाली होगी।

अभी तक रेखा के किसी भी राजनीतिक रुझान की कोई जानकारी किसी भी माध्यम से प्रकाश मे नहीं आई है ,किन्तु उनकी कुंडली मे प्रबल राज्य-योग हैं। जब ग्रहों के दूसरे परिणाम चरितार्थ हुये हैं तो निश्चित रूप से इस राज्य-योग का भी लाभ मिलना ही चाहिए। हम 'रेखा' के राजनीतिक रूप से भी सफल होने की मंगलकामना करते हैं।
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हिंदुस्तान,लखनऊ के 27-04-2012 अंक मे प्रकाशित सूचना-


 शुभ समय ने अपना असर दिखाया और 'रेखा' जी को राज्य सभा मे पहुंचाया। हम उनकी सम्पूर्ण सफलता की कामना करते है और उम्मीद करते हैं कि वह 'तामिलनाडू' की मुख्य मंत्री पद को भी ज़रूर सुशोभित करेंगी।"
27 अप्रैल,2012  

http://krantiswar.blogspot.in/2012/04/blog-post_19.html

  ~विजय राजबली माथुर ©
 इस पोस्ट को यहाँ भी पढ़ा जा सकता है।