Tuesday, November 27, 2018
Monday, November 26, 2018
लोकतान्त्रिक प्रक्रिया का आभाव आतंकवाद को मदद पहुंचाता है ------ अनिल सिन्हा
नवभारत टाईम्स, लखनऊ, 26-11-2018, पृष्ठ- 12 |
अनिल सिन्हा साहब का कहना है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक साहब ने अपने दिलाये भरोसे का ही पालन नहीं किया ।
वस्तुतः राज्यपाल के रूप में सत्यपाल मलिक और मेरठ कालेज छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे सत्यपाल मलिक का अंतर ही इस भरोसे को तोड़ने का कारण है। जब मलिक साहब छात्र नेता थे तब SYS - समाजवादी युवजन सभा से जुड़े थे तब उनके आदर्श नेता थे मधु लिमये और राजनारायन। छात्र संसद में उनके द्वारा निभाई गई राजनारायन जी की भूमिका की तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सरदार हुकुम सिंह द्वारा भूरी - भूरी प्रशंसा की गई थी। चौधरी चरण सिंह द्वारा छात्र संघों की सदस्यता को ऐच्छिक किए जाने का पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष के नाते उनके द्वारा प्रबल विरोध किया गया था।
अब बिहार का राज्यपाल बनने से पूर्व तक वह भाजपा के उपाध्यक्ष रहे थे। 180 डिग्री का परिवर्तन उनकी राजनीतिक सोच में हो चुका था। अब उनके अपने पारिवारिक व्यापारिक हितों का संरक्षण केंद्र की मोदी सरकार के हितों के संरक्षण पर आधारित था अतः उसी अनुरूप कदम उठाया न की देश व प्रदेश के हितार्थ।
~विजय राजबली माथुर ©
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