यह लेख २९ दिसंबर ,१९९० (शनिवार)को सप्तदिवा-साप्ताहिक ,आगरा में पूर्व-प्रकाशित है.
गुडगाँव के सेक्टर सात वाले हिमगिरी बाबा उर्फ़ राजेन्द्र पाल चानन द्वारा माँ-बेटी के साथ बलात्कार और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुप्रसिद्ध विधिवेत्ता श्री राम जेठमलानी के अनुरोध पर उनके विरुद्ध मामला चलाये जाने का आदेश देने के बाद एक बार फिर साधू-महात्मा वेशधारी पिशाच जन-चर्चा में आ गए हैं.कहा जाता है कि,बलात्कार की शिकार नमिता चौधरी के शरीर पर नौ और कान्ता चौधरी के शरीर पर बारह निशान चोटों के पाए गए हैं.इससे सिद्ध होता है कि इन महिलाओं के साथ बलात्कार गुरु हिमगिरी द्वारा जबरन किया गया है इनकी स्वेच्छा से नहीं.गुरु महाराज के असरदार शिष्यों द्वारा उन्हें विदेश भाग जाने की सलाह दी गयी है.
अब से इक्कीस (अब ४२ )वर्ष पूर्व प्रेम पाल रावत उर्फ़ बाल योगेश्वर उर्फ़ बाल योगी भी ऐसे ही आरोपों में फंसे थे,वह भी महिलाओं को आकर्षित कर रंग-रेलियाँ मनाया करते थे.पकडे जाने पर उनके 'डिवाईन लाईट मिशन'ने भी पटना में समाचार-पत्र कार्यालयों पर तोड़-फोड़ की थी,जैसा कि हिमगिरी बाबा के अनुयायियों ने भी प्रेस -फोटोग्राफरों और पत्रकारों के साथ मार-पीट की है.
यदा-कदा समाचारों की सुर्खियाँ बनने वाले ये ढोगी-साधू -महात्मा भारत में अपनी मिथ्या माया का जाल बिछा कर महिलाओं को फांसते और उनसे रंग-रेलियाँ मनाने में इसलिए कामयाब हो जाते हैं कि भारतीय महिलायें अधिकांशतः धर्म-भीरु होती हैं.हमारे देश में महिलाओं का शोषण और दमन करने के लिए तथाकथित धर्म के ठेकेदारों ने( विशेष रूप से जिसे हिन्दू कहा जाता है) धर्म में ऐसी अवैज्ञानिक कुरीतियों का समावेश कर दिया है कि,महिलाओं के लिए उनसे उबरना आसान नहीं है और ये ही कुरीतियाँ उन्हें मंगल कल्याण की आस में ढोंगी साधुओं के पास खींच ले जाती हैं.बाल-योगी तो खुले आम-"तन-मन -धन सब गुरु जी के अर्पण" का जाप करवाता था और महिलायें खुशी-खुशी इस आरती का सस्वर गायन करतीं थीं.धन का चढ़ावा तो गुरु जी को चाहिए ही उन्हें महिलाओं का मन और तन भी चाहिए -इसे बखूबी अपने जाल में फंसी महिलाओं के मुख से ही कहला कर 'सहमती का आधार'प्रस्तुत किया गया था जिससे बलात्कार का आरोप न लगे.
आज जब मानव चंद्रमा, मंगल ग्रहों आदि पर चरण रख रहा है भारतीयों विशेष कर महिलाओं को धार्मिक कुरीतिओं और अंधविश्वासों से निकाल कर समृद्धि और विकास के नए आयाम प्रस्तुत करने की आवश्यकता थी;तब 'विश्वहिंदू परिषद् और भाजपा 'ने अंध और अति-धार्मिकता का उन्माद फैलाकर राम जन्म भूमि आन्दोलन चला रखा है.जब श्रीमती किरण बेदी उच्च पुलिस अधिकारी बन सकती हों,जब श्रीमती इंदिरा गांधी १६ वर्ष तक देश की प्रधानमंत्री रह चुकी हों तो महिलाओं की प्रगति और विकास से दुखी पोंगापंथी -वि .हि.प .और भा .ज .पा .मंदिर आन्दोलन की आड़ में महिलाओं को एक हजार (१०००)वर्ष पूर्व धकेल देना चाहते हैं.मंदिर-दंगों की आग में महिलायें ही सर्वाधिक पीड़ित होती रही हैं.चाहे किसी महिला का भाई,पुत्र या पति मारा गया हो ,चाहे किसी महिला से बलात्कार हुआ हो ,नुक्सान हर -हाल में महिलाओं का ही ज्यादा हुआ है.श्रीमती प्रमिला दण्डवते,श्रीमती सुभाषिनी अली आदि विदुषी महिलायें नारी समाज को अंध-धार्मिकता से सचेत कर रही हैं फिर भी 'कान्ता और नमिता चौधरी' हिमगिरी बाबा के चंगुल में फंसी तो स्पष्ट है कि,अभी भी भारतीय नारी 'अबला' के स्तर से उठने में बहुत पीछे है.
आज आवश्यकता है कि,घर-घर में नारी यह व्रत ले कि,वह न तो स्वंय धार्मिक कुरीतियों में धंसेगी और न ही अपनी संतानों को धर्म के ठेकेदारों के जाल में फंसने देगी.तब न तो मंदिर-मस्जिद के झगडे खड़े करके असहाय नारी की अस्मिता लूटना सम्भव हो सकेगा न ही ढोंगी-पाखंडी गुरु-शिष्याओं का शारीरिक शोषण कर सकेंगें.आज फिर एक गौतम-बुद्ध की आवश्यकता है जो सदियों से दमित -पीड़ित नारी समाज को सम्मानित स्थान समाज में दिला सके.आज विश्वहिंदू परिषद् की नेत्रियों -विजया राजे सिंधिया,उमा भारती और रीताम्भ्रा जैसी नारियों ने भारतीय महिला समाज को पतन के गर्त में धकेलने का जो बीड़ा उठा रखा है उससे बचने की आवश्यकता है तभी अंग्रेजों के मित्र सिंधिया को खदेड़ने वाली झांसी की रानी लक्ष्मी बाई पैदा हो सकेंगीं और तभी बुन्देला वीर छत्रसाल की माँ संध्या जैसी महिलायें फिर जन्म ले सकेंगीं जिसने अस्मिता की रक्षा के लिए अपने बीमार पति राजा चम्पत राय के सीने में कटार घोंप कर स्वंय भी आत्म-वीर-गति प्राप्त कर ली थी.तभी कान्ता -नमिता कांडों की पुनरावृति रोकी जा सकेगी.
5 comments:
एक सच कहा आपने महिलाओं को जागरूक होने की आवश्यकता है..... सुंदर सार्थक चिंतन
इन पाखंडी बाबाओं से बचने के लिए अपनी धर्म भीरुता पर नियंत्रण करना होगा । यह समझना होगा कि दुनिया में चमत्कार नहीं होते । अपने कर्मों पर विश्वास होना चाहिए । वर्ना इस तरह के ढोंगी बाबा यूँ ही पनपते रहेंगे ।
अच्छा लिखा आपने...बधाई.
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'पाखी की दुनिया' में 'पाखी बनी क्लास-मानीटर' !!
बढ़िया जागरूकता फैलाती पोस्ट ... आज ऐसे ही पोस्ट कि ज़रूरत है ।
काश इस पोस्ट को कुछ महिलायें भी पढ़ लेती
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