Tuesday, February 28, 2012

जब दिल ही टूट गया तो ...............







27/02/2012 हिंदुस्तान लखनऊ
मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है -दिल-हृदय -हार्ट। दिल का मुख्य कार्य है सम्पूर्ण शरीर मे शुद्ध रक्त का संचरण बनाए रखना। यह बहुत ही नाजुक अंग है और बड़ी जल्दी इस पर दुष्प्रभाव पड़ जाता है। दिल बड़ा ही दयालू होता है जिस पर रहम आ जाये उस पर जान भी न्योछावर कर सकता है। यदि दिल कठोर हो जाये तो किसी की जान भी ले सकता है। यदि शरीर का कोई अंग क्षतिग्रस्त हो जाये या रुग्ण हो जाये तो दिल उस अंग को अतिरिक्त रक्त-आपूर्ती करता है और उसे स्वस्थ बनाता है।

मशहूर गायक कुन्दन लाल सहगल जी का संलग्न गीत दिल की नाजुकता का वर्णन करता है तो हिंदुस्तान,लखनऊ द्वारा 27 फरवरी 2012 को प्रकाशित यह विशेषज्ञ रिपोर्ट दिल की बीमारियों का बखान करती है। इस रिपोर्ट से काफी ख़र्चीले उपचार का पता चलता है जिसे प्राप्त करना सबके बूते की बात नहीं है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान 'दिल' की बीमारी  फैलने व बढ्ने की वजह 'डायबिटीज़' को बताता है। हम यहाँ 'डायबिटीज़' और 'दिल' की बीमारी का ऐसा उपचार प्रस्तुत करना चाहते हैं जिसके द्वारा कोई खर्च किए बगैर ही इन रोगों से निजात पाई जा सकती है। -

डायबिटीज़ के रोगी यदि शीघ्र स्वास्थ्य लाभ चाहते हैं तो उन्हें चिकित्सा के साथ-साथ यह उपचार भी करना चाहिए-

ॐ ...... भू ....... भुवाः ...... स्वः.... तत्स्वितुर्वरेनियम भर्गों देवस्य धीमहि। ....... धियों यो नः प्रचोदयात। ।

इन खाली स्थान पर 3 या 5 या 7 या 9 अर्थात  विषम संख्या के क्रम मे तालियाँ बजाना है। ये तालियाँ एक्यू प्रेशर का काम करती हैं जिनसे डायबिटीज़ के प्वाइंट्स दबने के कारण शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होता है और दवा का सेवन  भी समाप्त हो जाता है।

मंत्र को कुल 9,18,27 या 108 के क्रम मे पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके किसी ऊनी या लकड़ी के आसन या पोलीथीन शीट पर बैठ कर करें ,नंगी धरती पर नहीं अन्यथा 'अर्थ'-earth होने के कारण ऊर्जा -energy नष्ट हो जाएगी और मंत्र जाप व्यर्थ चला जाएगा।

हृदय रोग मे -

इसी प्रकार हार्ट के मरीज हृदय रोग के उपचार मे खाली स्थानों पर तालियाँ बजाने के बजाए ॐ शब्द का उच्चारण करें। कुल 5 ॐ उच्चारण करने होंगे और इन्हें अतिरिक्त ज़ोर लगा कर बोलना  होगा।

हाई ब्लड प्रेशर,लो ब्लड प्रेशर,हार्ट आदि की तकलीफ मे 5 अतिरिक्त ॐ लगा कर गायत्री मंत्र के सेवन से शीघ्र लाभ होता है। एलोपैथी के साइड इफ़ेक्ट्स और रिएक्शन से बचने हेतु बायोकेमिक KALI PHOS 6 X का 4 tds सेवन करना चाहिए। ज्यादा तकलीफ मे इस दवा का 10-10-10 मिनट के अंतर से सेवन करना जादू सा असर देता है। गुंनगुने पानी मे घोल कर सेवन करें तो और जल्दी लाभ होता है।अर्जुन वृक्ष की छाल से बना आयुर्वेदिक 'अर्जुनासव' और 'अर्जुनारिष्ट' भी दिल की अचूक और हानि - रहित दवा हैं। 'मृग श्रंग भस्म' भी सुरक्षित आयुर्वेदिक औषद्धि है परंतु यह काफी मंहगी है।

भोजन करने के बीच मे पानी का सेवन न करें और भोजन करने के तुरंत बाद मूत्र विसर्जन करें तो हार्ट -हृदय मजबूत होता है।

अस्थमा-दमा की बीमारी मे तथा मानसिक चिंता होने पर भी यह 5 अतिरिक्त ॐ वाला गायत्री मंत्र ही 'राम बाण औषधि' है। 



ॐ का प्रयोग क्यों?


ॐ= अ+उ +म ---उच्चारण ध्वनिपूर्वक करने से शरीर का मध्य भाग (center point of the body) जिसकी न कोई कसरत होती है और न ही जिसकी कोई मालिश हो सकती है की वर्जिश हो जाती है। इस वर्जिश से धमनियों मे रक्त संवहन सुचारू और सुव्यवस्थित हो जाता है। फलतः धमनियों मे वसा या कोलस्ट्रेल का जमाव नहीं हो पाता यदि हो तो साफ हो जाता है। अतः ॐ का उच्चारण नियमित करते रहने से 'बैलूनिंग' की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। 


इस सन्दर्भ मे एक व्यक्तिगत उदाहरण दूँ तो अन्यथा नहीं लिया जाना चाहिए। लगभग आठ वर्ष पूर्व मुझे अक्सर सीने मे दर्द रहने लगा और ज्योतिष के आधार पर भी यह 'हृदय रोग' का ही लक्षण सिद्ध हो रहा था । अपने एक फुफेरे भाई डॉ भगवान माथुर जो पास की ही कालोनी बलकेश्वर,आगरा मे प्रेक्टिस करते थे को दिखाया तो उन्होने भी हार्ट प्राब्लम बताते हुये 'कार्डियोग्राम' कराने का सुझाव दिया। हालांकि एक हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ अजीत माथुर जिनसे संपर्क करना था रिश्ते मे हमारे भाञ्जे थे और 'माथुर सभा,आगरा' के अध्यक्ष भी रह चुके थे। काफी सौम्य,मिलनसार और रिश्तेदार चिकित्सक होने के बावजूद मैंने एलोपैथी इलाज न करने का फैसला किया। मैंने 5 ॐ वाला गायत्री मंत्र 108 की संख्या  मे प्रतिदिन सस्वर  करना प्रारम्भ किया जिसमे डेढ़ घंटे का कुल समय लगता था। kali Phos 6 X का 4 tds सेवन भी करता था। भोजनोपरांत पहले मूत्र विसर्जन की प्रक्रिया का नियमित पालन किया।  कुल एक माह मे 'दिल' को मजबूती मिल गई और रोग का उपचार बिना झंझट और परेशानी के स्वतः ही हो गया। तमाम झंजावातो और परेशानियों,दिमागी तनावों से गुजरने के बावजूद दोबारा दिल की तकलीफ नहीं हुई क्योंकि अब प्रतिदिन 9-9 बार 5 ॐ वाला गायत्री मंत्र प्रयोग करता हू। मुझे दीपक जलाने,धूप जलाने या जल रखने की जहमत नहीं करना होता है क्योंकि मै ढोंग व पाखंड को मानता ही नहीं हू। जब तब वैज्ञानिक विधि से हवन अवश्य हमारे यहाँ होता रहता है। 


मै जानता हू की प्रस्तुत जानकारी का सिर्फ एलोपैथी चिकित्सक ही नही तथाकथित प्रगतशील और वैज्ञानिक विशेज्ञ भी मखौल उड़ाएंगे। फिर भी 'जनहित' मे इसे देना मुनासिब समझा। 

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