Saturday, March 3, 2012

ढोंग,पाखंड -भ्रष्टाचार का प्रचार



‎" इसे अगले दिनों असुरता के अनगिनत वार झेलने पड़ेंगे. बडे कुटिल कुचक्रो का सामना करना पड़ेगा, लेकिन इन सबके बीच तुम सबको यह भरोसा रखना पड़ेगा कि धर्म (सत्य) कि विजय, इक्कीसवी सदी के उज्जवल भविष्य का आगमन सुनिश्चित है. तुममे से किसी को इस बात की परवाह नहीं करनी है. आघात कितने हैं, कौन कर रहा है, इन अघातो से मिलने वाली पीड़ा की, अपमान की भी परवाह नहीं करनी है. बस, देखना है कि तुम धर्म-पथ पर अविचल हो या नहीं? अपने गुरु के प्रति तुम्हारी श्रधा, ईस्वर के प्रति तुम्हारी भक्ति तो कहीं कम नहीं हुई है? तुम लोग आपस में ही तो नहीं लड़ने लगे? तुम कही एक दूसरे पर दोषारोपण करने में ही तो समय नहीं गवां रहे?" {श्री श्रीराम शर्मा आचार्य, अखंड ज्योति, फरवरी-२०१२ पृष्ट ३०, पैरा-२}
 ·  ·  · 23 hours ago near Lucknow City · 

यह लेख एक मजबूरी का सौदा है। एक फेसबुकर साहब ने एक ऐसे विषय पर मुझ से कानूनी राय मांगी जिसका मै जानकार तक नहीं हूँ। वह लगातार ढोंग-पाखंड बढ़ाने की बातें लिखते रहते हैं परंतु मै जान-बूझ कर कोई टिप्पणी नाही करता था। क्योंकि अभी हाल ही मे उन्होने मुझसे असम्बद्ध विषय मे मुझे घसीटने का प्रयास किया और उन्होने खुद ही फेसबुक फ्रेंडशिप के लिए कहा था जिसे साधारण तौर पर मैंने स्वीकार कर लिया था। परंतु उनके द्वारा अनावश्यक रूप से 'लेखक और पत्रकार' होने के नाम पर एक ऐसे विषय मे घसीटने से संदेह होता है कि किनही निहित स्वार्थ वालो के उकसावे पर उन्होने ऐसा किया होगा। अतः कुछ लिंक्स का उल्लेख इस पोस्ट मे करते हुये इसका लिंक उनकी ख़्वाहिश के मुताबिक दे रहा हूँ।

उन्हे  मेरे द्वारा व्यक्त विचारो से असहमत होने तथा विरोध करने का पूरा पूरा अधिकार है। परंतु यदि केवल टकराव हेतु आलोचना करते हैं जैसे कि लूट के बटवारे के जीजा-साले के झगड़े की तुलना उन्होने क्रांतिकारियो  और स्वतन्त्रता  सेनानियो से कर दी है तो मेरे पास एकमात्र विकल्प उनकी फ्रेंडशिप को ब्लाक करना ही बचेगा। 

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