'विद्रोह' या 'क्रांति' कोई ऐसी चीज़ नहीं है कि,जिसका फिस्फोट एकाएक
-अचानक होता है बल्कि इसके अनन्तर 'अन्तर' के तनाव को बल मिलता रहता है।
'क्रांतिस्वर' ब्लाग का प्रारम्भ 02 जून 2010 को किया गया किन्तु इसमे
प्रकाशित अधिकांश लेख पूर्व मे ही विभिन्न साप्ताहिक ,पाक्षिक और त्रैमासिक
पत्र-पत्रिकाओं मे छ्प चुके थे जिंनका पुनर्प्रकाशन ब्लाग पर किया गया।
'सामाजिक' 'राजनीतिक,' 'आध्यात्मिक ' और 'ज्योतिष' सम्बन्धी विचारों का
संकलन इस ब्लाग मे उपलब्ध है। फेसबुक पर विभिन्न ग्रुप्स मे उनके
प्रवर्तकों ने मुझे भी शामिल किया हुआ है। इनमे से एक 'लाल झण्डा यूनिटी
सेंटर' भी है। इसके प्रवर्तक ने मुझे भी एक एडमिन बनाया था और कुछ और लोगों
को भी। एक अहंकारी एडमिन ने अकारण मेरे विरुद्ध ग्रुप मे पहले तो लिखा फिर
मुझे ग्रुप से हटा दिया। उस पर मैंने यह टिप्पणी दी थी-
''22 जूलाई 2012 ,"
''22 जूलाई 2012 ,"
Rajyashree Tripathi Aap vaise Group se bahara hain... yahi achchh hai. Aapaki pratibha aur nirpekshita ka jahan samman ho, aap unhi ke saath sakriya hon, yah aagraha hai.
15 hours ago · · 4वे क्या पोस्ट्स थीं जिनके कारण 'पोंगा साम्यवादी पंडित जी' ने मुझे ग्रुप से हटाया है उनको संग्रहीत करके ई-बुक के रूप मे प्रकाशित किया जा रहा है। यह पुस्तक 'प्रगतिशील लेखक संघ' के संस्थापक अध्यक्ष और प्रख्यात साहित्यकार 'मुंशी प्रेमचंद' जी के जन्मदिन पर उनको श्रद्धांजली स्वरूप समर्पित है।
1 comment:
कई लेख पढ़े हैं ....... वैचारिक आदान प्रदान बिना क्रांति कहाँ संभव है....
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