Thursday, June 2, 2016

विश्वास खोने के अनुभव के साथ ब्लाग का 7वें वर्ष में प्रवेश ------ विजय राजबली माथुर

 
पुष्पा अनिल जी से साभार 

वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी जी की यह पोस्ट गंभीर चिंतन की अपेक्षा करती है। 
इसमें मैं इतना और जोड़ना चाहता हूँ कि, पढे-लिखे और विद्वान होने के बावजूद ट्विटर,फेसबुक व ब्लाग्स लेखक अपने में कुछ घोर स्वार्थी एवं दुष्ट लोगों को भी समेटे हुये हैं। एक-दो उदाहरण देना चाहूँगा। 
1- एक उल्टी टोपी वाले साहब खुद को जोशी जी का मित्र कहते हैं और अपने घर पर उनको बासी खाना तक खिलाने का दावा भी करते हैं। मुझसे फेसबुक पर जुड़े थे तब खुद अपनी व अपनी बेटी की जन्म पत्रियों का निशुल्क विश्लेषण प्राप्त कर ले गए थे। फिर बजाए एहसान मानने के मेरे विरुद्ध अभियान चलाने वाले मिश्रा गैंग के गुण गान करने लगे उनको अंफ्रेंड करना पड़ा। 
2- खुद अपनी व अपने दो पुत्रों की जन्म पत्रियों का निशुल्क विश्लेषण प्राप्त करने वाले एक और एफ बी फ्रेंड से जब कुछ उनके व्यवसाय से संबन्धित सलाह मांगी तो उनके द्वारा मौन साध लिया गया है। 
3- एक बुजुर्ग साहब ने खुद अपनी व अपनी एक बेटी की जन्म पत्रियों का निशुल्क विश्लेषण प्राप्त करने के बाद मिश्रा गैंग के प्रभाव में ही मेरे विरुद्ध षडयंत्रों में खुद को शामिल किया तो उनको अंफ्रेंड कर दिया था। 
परंतु बेशर्म इतने हैं कि कार्यक्रमों में मिलने पर लिभड़- लिभड़ करने लगते थे सफाई देते हुये फिर से फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी; उनकी बुज़ुर्गीयत और सफ़ेद बालों को देखते हुये पुन: एफ बी फ्रेंड बना दिया तो फिर से पुरानी रंगत पर ही नहीं आ गए बल्कि मुझे परेशान करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अंफ्रेंड करके उनका सामाजिक बहिष्कार करना ही अब विकल्प शेष है। 

एक-दो लोग भले भी हैं किन्तु प्रतिशत नगण्य है।

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1093189710743004&set=a.154096721318979.33270.100001559562380&type=3



https://www.facebook.com/pramod.joshi/posts/10208150162863434



आज से छह वर्ष पूर्व आज की ही तारीख 02 जून 2010 को इस ब्लाग का प्रारम्भ इस पोस्ट के साथ किया था। आज से यह ब्लाग 7वें वर्ष मे प्रवेश कर गया है।
'आठ और साठ घर में नहीं '

http://krantiswar.blogspot.in/2010/06/blog-post.html


तब से अब तक कुल 457 पोस्ट्स प्रकाशित हो चुकी हैं ।  कुल 132216 बार ब्लाग अवलोकन हो चुका है। 

'क्रांतिस्वर' ब्लाग के अतिरिक्त कुल छह और ब्लाग्स भी चल रहे हैं। 

प्रारम्भ में जिन तीन फेसबुक फ्रेंड्स का ज़िक्र है वैसा ही कुछ ब्लागर्स का भी व्यवहार रहा है कि पहले तो मुझसे निशुल्क जन्म पत्रियों के विश्लेषण प्राप्त कर लिए फिर मेरे ही विरुद्ध षडयंत्रों में लग गए। इसलिए अबसे किसी भी फेसबुक फ्रेंड अथवा ब्लागर साथी का भला न करने का निश्चय किया है। सातवें वर्ष में इस ब्लाग के प्रवेश के साथ यह निर्णय लेना कटु अनुभवों की देन ही है। 

 ~विजय राजबली माथुर ©
 इस पोस्ट को यहाँ भी पढ़ा जा सकता है।

1 comment:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (04-06-2016) को "मन भाग नहीं बादल के पीछे" (चर्चा अंकः2363) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'