Sunday, May 20, 2018

सुरंग जोजिला से निकला प्लेटिनम का मलवा देश से बाहर तो नहीं जाएगा ? ------ विजय राजबली माथुर



कल दिनांक 19 मई 2018 को 14 km 200 m लंबी 'जोजिला सुरंग ' परियोजना का शिलान्यास हो गया है और इसके भूमि अधिग्रहण पर 1910 करोड़ रु . एवं निर्माण पर 4899 करोड़ रु .कुल मिलाकर 6809 करोड़ रु.व्यय होने का अनुमान घोषित किया गया है। इंदिराजी के प्रधानमंत्रित्व काल में एक कनाडाई फर्म ने न्यूनतम व्यय पर तथा एक जर्मन फर्म ने बिलकुल निशुल्क इस सुरंग निर्माण का प्रस्ताव किया था किन्तु उनकी शर्त थी कि, निकला हुआ सारा मलवा वे ले जाएँगे। मलवा देने की शर्त इंदिराजी को स्वीकार नहीं थी और वह बगैर मलवा दिये शुल्क देने को तैयार थीं किन्तु बगैर मलवा लिए वे फर्म्स सुरंग निर्माण हेतु तैयार न थी। तब तक हमारे देश में इस सुरंग निर्माण हेतु तकनीक उपलब्ध नहीं थी अतः यह सुरंग न बन सकी। 
अब भाजपा नीत  एन डी ए सरकार के पी एम साहब ने इसका शिलान्यास कर दिया है। दिये गए विवरण में यह उल्लेख नहीं है कि यह निर्माण भारतीय सेना करवा रही है अथवा किसी विदेशी फर्म को ठेका दिया जा रहा है। यदि विदेशी फर्म को ठेका दिया जा रहा है तब क्या मलवा भी दिया जा रहा है जो 'प्लेटिनम 'की प्रचुरता से युक्त है। प्लेटिनम स्वर्ण से भी मंहगी धातु है और इसका प्रयोग यूरेनियम निर्माण में भी होता है जिसका प्रयोग परमाणु ऊर्जा व परमाणु बम दोनों के निर्माण में हो सकता है।  कश्मीर के केसर से ज्यादा मूल्यवान है यह प्लेटिनम । 
इस संदर्भ में अपने एक पुराने लेख को यहाँ पुनः प्रस्तुत कर रहा हूँ  ------
मंगलवार, 5 जुलाई 2011 आगरा/१९८०-८१(भाग १)/ एवं कारगिल-प्लेटिनम का मलवा : 
24  मई 1981  को होटल मुग़ल से पांच लोगों ने प्रस्थान किया। छठवें अतुल माथुर, मेरठ से सीधे कारगिल ही पहुंचा था। आगरा कैंट स्टेशन से ट्रेन पकड़ कर दिल्ली पहुंचे और उसी ट्रेन से रिजर्वेशन लेकर जम्मू पहुंचे। जम्मू से बस   द्वारा श्री नगर गए जहाँ एक होटल में हम लोगों को ठहराया गया। हाई लैंड्स के मेनेजर सरदार अरविंदर सिंह चावला साहब -टोनी चावला के नाम से पापुलर थे, उनका सम्बन्ध होटल मौर्या, दिल्ली से था। वह एक अलग होटल में ठहरे थे, उन्होंने पहले 15  हजार रु.में एक सेकिंड हैण्ड जीप खरीदी जिससे ही वह कारगिल पहुंचे थे। 4- 5 रोज श्री नगर से सारा जरूरी सामान खरीद कर दो ट्रकों में लाद कर और उन्हीं ट्रकों से हम पाँचों लोगों को रवाना कर दिया। श्री नगर और कारगिल के बीच 'द्रास ' क्षेत्र में 'जोजीला ' दर्रा पड़ता है। यहाँ बर्फबारी की वजह से रास्ता जाम हो गया और हम लोगों के ट्रक भी तमाम लोगों के साथ 12 घंटे रात भर फंसे रह गए। नार्मल स्थिति में शाम तक हम लोगों को कारगिल पहुँच चुकना था। ( ठीक इसी स्थान पर बाद में किसी वर्ष सेना के जवान और ट्रक भी फंसे थे जिनका बहुत जिक्र अखबारों में हुआ था)। 

मलवा न देने का कारण : 

तमाम राजनीतिक विरोध के बावजूद इंदिरा जी की इस बात के लिए तो प्रशंसा करनी ही पड़ेगी कि उन्होंने अपार राष्ट्र-भक्ति के कारण कनाडाई, जर्मन या किसी भी विदेशी कं. को वह मलवा देने से इनकार कर दिया क्योंकि उसमें 'प्लेटिनम 'की प्रचुरता है। सभी जानते हैं कि प्लेटिनम स्वर्ण से भी मंहगी धातु है और इसका प्रयोग यूरेनियम निर्माण में भी होता है। कश्मीर के केसर से ज्यादा मूल्यवान है यह प्लेटिनम। सम्पूर्ण द्रास क्षेत्र प्लेटिनम का अपार भण्डार है। अगर संविधान में सरदार पटेल और रफ़ी अहमद किदवई ने धारा '370 ' न रखवाई होती तो कब का यह प्लेटिनम विदेशियों के हाथ पड़ चूका होता क्योंकि लालच आदि के वशीभूत होकर लोग भूमि बेच डालते और हमारे देश को अपार क्षति पहुंचाते। धारा 370 को हटाने का आन्दोलन चलाने वाले भी छः वर्ष सत्ता में रह लिए परन्तु इतना बड़ा देश-द्रोह करने का साहस नहीं कर सके, क्योंकि उनके समर्थक दल सरकार गिरा देते, फिर नेशनल कान्फरेन्स भी उनके साथ थी जिसके नेता शेख अब्दुल्ला साहब ने ही तो महाराजा हरी सिंह के खड़यंत्र  का भंडाफोड़ करके कश्मीर को भारत में मिलाने पर मजबूर किया था । तो समझिये जनाब कि धारा 370  है 'भारतीय एकता व अक्षुणता ' को बनाये रखने की गारंटी और इसे हटाने की मांग है -साम्राज्यवादियों की गहरी साजिश। और यही वजह है कश्मीर समस्या की । साम्राज्यवादी शक्तियां नहीं चाहतीं कि भारत अपने इस खनिज भण्डार का खुद प्रयोग कर सके इसी लिए पाकिस्तान के माध्यम से विवाद खड़ा कराया गया है। इसी लिए इसी क्षेत्र में चीन की भी दिलचस्पी है। इसी लिए ब्रिटिश साम्राज्यवाद की रक्षा हेतु गठित आर.एस.एस.उनके स्वर को मुखरित करने हेतु 'धारा 370 ' हटाने का राग अलापता रहता है। इस राग को साम्प्रदायिक रंगत में पेश किया जाता है। साम्प्रदायिकता साम्राज्यवाद की ही सहोदरी है। यह हमारे देश की जनता का परम -पुनीत कर्तव्य है कि भविष्य में कभी भी आर.एस.एस. प्रभावित सरकार न बन सके इसका पूर्ण ख्याल रखें अन्यथा देश से काश्मीर टूट कर अलग हो जाएगा जो भारत का मस्तक है । 

मंगलवार, 5 जुलाई 2011 आगरा/१९८०-८१(भाग १)/ एवं कारगिल-प्लेटिनम का मलवा




अनुच्छेद 370 को समाप्त कराने की मांग उठाते रहे लोग जब सत्ता में मजबूती से आ गए हैं तब बिना पाकिस्तान के अस्तित्व के ही 'जोजीला'दर्रे में स्थित 'प्लेटिनम' जो 'यूरेनियम' के उत्पादन में सहायक है यू एस ए को देर सबेर हासिल होता दीख रहा है । 
 ~विजय राजबली माथुर ©
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1 comment:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-05-2017) को "आम और लीची का उदगम" (चर्चा अंक-2978) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'