समय करे,नर क्या करे,समय बड़ा बलवान;असर ग्रह सब पर करें ,परिंदा-पशु-इंसान
"Man is the product of his/her environment controlled by his/her Stars & Planets".
ज्योतिष=ज्योत + इष=प्रकाश का ज्ञान ।
ज्योतिष का उद्देश्य मानव जीवन को सुंदर,सुखद और समृद्ध बनाना है।
कुछ अति प्रगतिशील वैज्ञानिक 'ग्रह-नक्षत्रों'के प्रभाव को ही नहीं मानते हैं वैसे लोगों की मूर्खता के ही परिणाम हैं विभिन्न प्राकृतिक-प्रकोप।
आशीष मेहता साहब ने जो बातें कही हैं ठीक हैं ऋद्धि बहल जी भी वैसा ही कह रही हैं। इनके अतिरिक्त कुछ अपने मेरे विचार भी हैं। इस संबंध में थोड़ा वह बता देता हूँ जो इन दोनों ने नहीं बताया है। वस्तुतः राहू - केतु ग्रह नहीं हैं ये दोनों पृथ्वी के उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव हैं जिनको ज्योतिष में छाया ग्रह के रूप में गणना करते हैं और हमारी पृथ्वी अपनी धुरी पर साढ़े 23 डिग्री झुकी हुई है अतः इनका भी प्रभाव हम पृथ्वी वासियों पर पड़ता है। क्योंकि विभिन्न ग्रहों से आने वाली रश्मियाँ इनसे परावर्तित होकर ही पृथिवी पर आती हैं। ब्रहस्पति वस्तुतः गैसों से भरा ग्रह है और सूर्य पर लगातार हीलियम व हाईडरोजन के विस्फोट होते रहते हैं जिनसे निकली ऊर्जा से सम्पूर्ण ब्रह्मांड आलोकित हो रहा है। सूर्य जब धनु राशि में 16 दिसंबर को आया था जो ब्रहस्पति की है और वहीं केतु होने से यह प्रकोप फैला था 17 दिसंबर 2019 को चीन देश से । उस समय राहू मिथुन राशि और आद्रा नक्षत्र के तृतीय चरण में तथा केतु धनु राशि और पूर्वाषाढ़ नक्षत्र के प्रथम चरण में था। अभी इस वक्त सूर्य ब्रहस्पति की मीन राशि में है जो 13 अप्रैल को मेष में जाएगा। इसलिए पूर्ण नियंत्रण तो तभी होगा किन्तु जो मेहता साहब 24 व 30 मार्च की बात कर रहे हैं वह हमारे नए संवत की वर्ष कुंडली से सुधार की बात है जिसको ऋद्धि जी ने नहीं बताया है। इसके अतिरिक्त 24 -03-2020 को राहू आद्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण में तथा केतु मूल नक्षत्र के चतुर्थ चरण में उलटे चलते हुए होंगे। राहू - केतु का परिभ्रमण उलटी गति से ही चलता है।
ब्रहस्पति 29-03-2020 को धनु राशि से मकर में आ रहा है अर्थात उसका केतु से विच्छेद हो रहा है जो अवश्य ही राहत दिलाएगा।
13-04-2020 को सूर्य भी मीन राशि छोड़ कर मेष राशि में आ जाएगा जबकि राहू आद्रा नक्षत्र के प्रथम चरण में व केतु मूल नक्षत्र के तृतीय चरण में रहेगा। उस समय से विश्व को कोरोना संकट से छुटकारा मिल जाएगा।
~विजय राजबली माथुर ©