Friday, October 15, 2010

क्रांतिकारी राम --(भाग:1)---विजय राजबली माथुर

(चित्र साभार:गूगल)

महात्मा गांधी ने भारत में राम राज्य का स्वप्न देखा था.राम कोटि-कोटि जनता के आराध्य हैं.प्रतिवर्ष दशहरा और दीपावली पर्व राम कथा से जोड़ कर ही मनाये जाते हैं.परन्तु क्या भारत में राम राज्य आ सका या आ सकेगा राम के चरित्र को सही अर्थों में समझे बगैर?जिस समय राम का जन्म हुआ भारत भूमि छोटे छोटे राज तंत्रों में बंटी हुई थी और ये राजा परस्पर प्रभुत्व के लिए आपस में लड़ते थे.उदहारण के लिए कैकेय (वर्तमान अफगानिस्तान) प्रदेश के राजा और जनक (वर्तमान बिहार के शासक) के राज्य मिथिला से अयोध्या के राजा दशरथ का टकराव था.इसी प्रकार कामरूप (आसाम),ऋक्ष प्रदेश (महाराष्ट्र),वानर प्रदेश (आंध्र)के शासक परस्पर कबीलाई आधार पर बंटे हुए थे.वानरों के शासक बाली ने तो विशेष तौर पर रावण जो दूसरे देश का शासक था,से संधि कर रखी  थी कि वे परस्पर एक दूसरे की रक्षा करेंगे.ऎसी स्थिति में आवश्यकता थी सम्पूर्ण भारत को एकता के सूत्र में पिरोकर साम्राज्यवादी ताकतों जो रावण के नेतृत्व में दुनिया भर  का शोषण कर रही थीं का सफाया करने की.लंका का शासक रावण,पाताल लोक (वर्तमान U S A ) का शासक ऐरावन और साईबेरिया (जहाँ छः माह की रात होती थी)का शासक कुंभकर्ण  सारी दुनिया को घेर कर उसका शोषण कर रहे थे उनमे आपस में भाई चारा था. 

भारतीय राजनीति के तत्कालीन विचारकों ने बड़ी चतुराई के साथ कैकेय प्रदेश की राजकुमारी कैकयी के साथ अयोध्या के राजा दशरथ का विवाह करवाकर दुश्मनी को समाप्त करवाया.समय बीतने के साथ साथ अयोध्या और मिथिला के राज्यों में भी विवाह सम्बन्ध करवाकर सम्पूर्ण उत्तरी भारत की आपसी फूट को दूर कर लिया गया.चूँकि जनक और दशरथ के राज्यों की सीमा नज़दीक होने के कारण दोनों की दुश्मनी भी उतनी ही ज्यादा थी अतः इस बार निराली चतुराई का प्रयोग किया गया.अवकाश प्राप्त राजा विश्वमित्र जो ब्रह्मांड (खगोल) शास्त्र के ज्ञाता और जीव वैज्ञानिक थे और जिनकी  प्रयोगशाला में गौरय्या चिड़िया तथा नारियल वृक्ष का कृत्रिम रूप से उत्पादन करके इस धरती  पर सफल परीक्षण किया जा चुका था,जो त्रिशंकु नामक कृत्रिम उपग्रह (सेटेलाइट) को अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित कर चुके थे जो कि आज भी आकाश में ज्यों का त्यों परिक्रमा कर रहा है,ने विद्वानों का वीर्य एवं रज (ऋषियों का रक्त)ले कर परखनली के माध्यम से एक कन्या को अपनी प्रयोगशाला में उत्पन्न किया जोकि,सीता नाम से जनक की दत्तक पुत्री बनवा दी गयी. वयस्क होने पर इन्हीं सीता को मैग्नेटिक मिसाइल (शिव धनुष) की मैग्नेटिक चाभी एक अंगूठी में मढवा कर दे दी गयी जिसे उन्होंने पुष्पवाटिका में विश्वामित्र के शिष्य के रूप में आये दशरथ पुत्र राम को सप्रेम भेंट कर दिया और जिसके प्रयोग से राम ने उस मैग्नेटिक मिसाइल उर्फ़ शिव धनुष को उठाकर नष्ट कर दिया जिससे  कि इस भारत की धरती पर उसके प्रयोग से होने वाले विनाश से बचा जा सका.इस प्रकार सीता और राम का विवाह उत्तरी भारत के दो दुश्मनों को सगे दोस्तों में बदल कर जनता के लिए वरदान के रूप में आया क्योंकि अब संघर्ष प्रेम में बदल दिया गया था.

कैकेयी के माध्यम से राम को चौदह  वर्ष का वनवास दिलाना राजनीतिक विद्वानों का वह करिश्मा था जिससे साम्राज्यवाद के शत्रु   को साम्राज्यवादी धरती पर सुगमता से पहुंचा कर धीरे धीरे सारे देश में युद्ध की चुपचाप तय्यारी की जा सके और इसकी गोपनीयता भी बनी रह सके.इस दृष्टि से कैकेयी का साहसी कार्य राष्ट्रभक्ति में राम के संघर्ष से भी श्रेष्ठ है क्योंकि कैकेयी ने स्वयं विधवा बन कर जनता की प्रकट नज़रों में गिरकर अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की बलि चढ़ा कर राष्ट्रहित में कठोर निर्णय लिया.निश्चय ही जब राम के क्रांतिकारी क़दमों की वास्तविक गाथा लिखी जायेगी कैकेयी का नाम साम्राज्यवाद के संहारक और राष्ट्रवाद की सजग प्रहरी के रूप में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा.

अगली पोस्ट में जारी.........http://krantiswar.blogspot.in/2010/10/blog-post_16.html

Typist -यश(वन्त)


(इस ब्लॉग पर प्रस्तुत आलेख लोगों की सहमति -असहमति पर निर्भर नहीं हैं -यहाँ ढोंग -पाखण्ड का प्रबल विरोध और उनका यथा शीघ्र उन्मूलन करने की अपेक्षा की जाती है)

4 comments:

ZEAL said...

very informative post..thanks.

महेन्‍द्र वर्मा said...

शोधवृत्तात्मक आलेख के लिए बधाई।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

yeh sab to pata hi nahin tha... bahut achhi jankari.. aabhar

संजय भास्‍कर said...

....आलेख के लिए बधाई।
आपको
दशहरा पर शुभकामनाएँ ..