व्यक्ति क़े जन्मकालीन ग्रह नक्षत्रों की गणना पर आधारित महादशा व अन्तर्दशा तथा गोचर -ग्रहों क़े चलन क़े आधार पर उस कारण को ज्ञात करके कि ,कोई समस्या या कष्ट क्यों है ? उसका समाधान बताया जाता है.व्यवहार में आजकल अधिकाँश ज्योतिषी जो उपाय बताते हैं,वे शुद्ध आस्था का प्रतीक हैं और उनका न तो कोई वैज्ञानिक महत्त्व है न ही तर्क .उदाहरणस्वरूप शनि से पीड़ित व्यक्ति द्वारा शनि की प्रतिमा पर तिल व तेल चढ़ाना अथवा पीपल वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जलवाना आदि.इस पद्धति से जो भी लाभ प्राप्त होता है ,वह विशुद्ध मनोवैज्ञानिक़ आस्था का परिणाम होता है.
परन्तु इसका वैज्ञानिक समाधान भी है,जैसे शनि मन्त्र क़े सस्वर उच्चारण क़े साथ हवन सामग्री में कला तिल मिलाकर आहुतियाँ देना.इस पूर्ण वैज्ञानिक पद्धति में भी श्रद्धा व विश्वास का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है.ग्रह शान्ति हेतु हवन करने पर अग्नि द्वारा डाले गये पदार्थों को परमाणुओं में विभक्त कर दिया जाता है और वायु द्वारा उन परमाणुओं क़े ५० प्रतिशत भाग को नासिका क़े माध्यम से हवन पर बैठे लोगों क़े रक्त में सीधे घुलनशील कर दिया जाता है.५० प्रतिशत भाग वायु द्वारा (बोले गये मन्त्रों की शक्ति से )सम्बंधित ग्रह लोक तक पहुंचा दिया जाता है और इस प्रकार उस ग्रह क़े प्रकोप से उस व्यक्ति -विशेष को राहत मिल जाती है.अब यदि मन्त्रोच्चारण अथवा आहुतियाँ श्रद्धा व विश्वास क़े साथ नहीं दी गई हैं तो वांछित -अनुकूल परिणाम नहीं मिल सकेगा.जिस प्रकार फोन का नं .डायल करने में जरा सी चूक क़े कारण सही नं .नहीं लग पाता है.उसी प्रकार मन्त्रोच्चारण व आहुतियों में की गई चूक सम्बंधित ग्रह तक संवाद स्थापित करने में विफल रहती है.व्यक्ति को इसे अपनी श्रद्धा व विश्वास में कमी क़े रूप में नहीं लेकर ज्योतिष विज्ञान की कमी या विफलता मानता है जो ज्योतिष - क्षेत्र की एक विकट त्रासदी ही है.कुछ उदाहरणों से आपको स्पष्ट हो जाएगा कि किस प्रकार श्रद्धा व विश्वास -पूर्वक किये गये उपायों द्वारा लोगों ने भरपूर लाभ उठाया है.
लगभग नौ वर्ष पूर्व आगरा में जी .जी .आई .सी.की एक शिक्षिका अपनी एक रिश्तेदार क़े माध्यम से मेरे पास आईं
और टूटने की कगार पर पहुँच चुकी अपनी गृहस्थी का समाधान चाहा. मुझसे पूर्व वह कई स्थापित व विख्यात ज्योतिषियों से मिल चुकी थीं जिन्होंने काफी खर्चीले उपाए बताये थे.एक ने तो २२ हज़ार कीमत क़े रत्न जड्वाकर पहनने को कहा था.परन्तु उन सबसे उक्त शिक्षिका महोदय को निराशा ही हाथ लगी.मेरे द्वारा उन्हें मात्र कुछ मन्त्र पाठ करने को दिए गये व हवन करने को कहा गया.मात्र सप्ताह भर क़े प्रयोग से उन्हें काफी लाभ हुआ और न केवल उनकी गृहस्थी सानन्द चल रही है बल्कि उसके बाद उन्हें एक और कन्या रत्न की प्राप्ति भी हुई है.कम खर्च में सटीक लाभ उन शिक्षिका द्वारा श्रद्धा व विश्वास क़े साथ मन्त्रों का पाठ करने से ही संभव हो सका.हमारे बताये उपायों को अपनाने से उन्हें एक और भी लाभ यह हुआ कि वह पहले एक मकान खरीदने फिर उसके बाद दूसरा मकान बनवाने में कामयाब रहीं.दोनों मकानों का गृह-प्रवेश हवन उन्होंने मुझसे ही करवाए. मेरे आगरा छोड़ने क़े छः माह बाद उन्होंने फोन पर सूचित किया कि अब उन्होंने कार भी ले ली है. उनके पति जो एक मल्टीनेशनल कं .में जू .एकाउंटेन्ट हैं भी मेरे पास अपने भाई -बहनों की समस्याएँ लेकर आते रहते थे.यदि उन लोगों ने नियमतः पालन किया तो निश्चित रूप से लाभ भी उन्हीं लोगों को हुआ .मुझे भी संतोष रहा कि मेरी सलाह कामयाब रही.
दूसरा उदाहरण एक ऐसे शिक्षक महोदय का है जिनका सम्प्रदाय ज्योतिष को मान्यता नहीं देता है.उन्हें समस्या -समाधान हेतु जो पाठ दिए गये थे ,उन्होंने आधे -अधूरे ढंग से और बेमन से किये.परिणामस्वरूप उन्हें लाभ भी अधूरा ही मिल पाया. लगभग ८ वर्ष पूर्व पुत्र -वधु को लेकर लौटती बरात में दूल्हा -दुल्हन क़े वाहन में सामने से टक्कर लगी;वाहन का काँच टूट गया.परन्तु किसी सवारी को खरोंच भी न लगने से उन्हें मन्त्रों पर पूर्ण विश्वास हो गया. वर्ष २००३ क़े प्रारम्भ में उन्होंने हवन क़े माध्यम से अपने पुत्र क़े ग्रहों की हल्की शान्ति करा ली थी,जिसका सुपरिणाम भी उन्हें उसी अनुरूप मिला.३१ मार्च २००३ को उनके पौत्र का जन्म हुआ ,यह प्रीमैच्योर डिलीवरी थी.यदि उस दिन चार घंटे बाद बच्चे का जन्म होता तो वह शनि की ढैय्या क़े प्रभाव में होता. उक्त शिक्षक महोदय द्वारा २६ .१ .२००३ को ही श्रद्धा व विश्वास पूर्वक हवन क़े माध्यम से ग्रहों की शान्ति करने का परिणाम सुखद रहा.
कुछ लोग उपाय तो करते हैं ,परन्तु अस्थिर चित्त से और बगैर पूर्ण श्रद्धा क़े उन्हें समुचित अनुकूल परिणाम भी नहीं मिल पाते.एक प्रख्यात ज्योतिर्विद ने अपने गुरु (अवकाश प्राप्त शिक्षक )की पुत्री क़े विवाह हेतु ऐसे उपाए बताये जिनका कुल खर्च २५ /२६ हज़ार रु .आता था ,जिसे करने में वह असमर्थ थे.परन्तु मेरे बताये पूर्ण वैज्ञानिक हवन -पद्धति द्वारा उपाए करने में उन्हें विश्वास नहीं था.अतः वह मेरे ज्योतिषीय सुझावों का कोई लाभ न उठा सके.उनकी पुत्री को विलम्ब से विवाह क़े अतिरिक्त सुसराल में भी परेशानी का ही सामना करना पड़ा -पोंगा पंडितों क़े चक्कर में पड़ कर.
आगरा क़े एक प्रख्यात चिकित्सक की पुत्री क़े विवाह हेतु भी अन्य जानकारों ने सोलह हज़ार का खर्च वाला नुस्खा बताया था,जिसे शायद वह करते भी.परन्तु मेरे द्वारा तार्किक उपायों की जानकारी दिए जाने पर कम खर्च क़े उपाए उन्होंने पूर्ण श्रद्धा व विश्वास से किये और अब उनकी पुत्री का विवाह हुए ८ वर्ष हो चुके हैं.
श्रद्धा व विश्वास का अभाव
श्रद्धा और विश्वास का अभाव हो तथा ज्योतिष पर पूर्ण आस्था भी न हो तब ऐसे लोग किस गति को प्राप्त करते हैं;मात्र दो -तीन उदाहरणों से सिद्ध हो जायेगा.सतीश चन्द्र शर्मा ने अपने गृह क़े S . W . में हैण्ड -पम्प लगवा लिया ,उत्तर दिशा में रसोई पहले से थी ही.परिणामस्वरूप शराब का व्यय अत्यधिक बढ़ गया,उसकी पत्नी व बेटा उसे अकेला छोड़ कर भाग गये.यह क्षेत्र रहू -केतु का होता है और यहाँ कूप आदि बनवाने का दुष्परिणाम गृह -स्वामी या उसके ज्येष्ठ पुत्र की मृत्यु क़े रूप में ही सामने आता है.१९९६ में दशहरे पर किडनी बर्स्ट से उसकी मृत्यु हो गई.वेदप्रकाश गुप्ता ने अपने मकान में स्वंय आने क़े बाद दो गलत निर्माण करवा डाले.एक तो ईशान में सीढ़ियों का निर्माण ,दूसरा द.प .में दुकान का खोलना.परिणाम यह रहा कि,इस व्यक्ति का दिवाला पिट गया और इसे मकान बेचना और अन्यत्र जाना पड़ा.इसके उत्तरवर्ती ने भी मकान तोड़ कर दो गलत निर्माण करा डाले. एक तो रसोई उत्तर दिशा में स्थानांतरित करा ली और दूसरे पूर्व दिशा को पश्चिम से ऊंचा करा लिया.फलतः इनके व्यापार में भी कर्मचारियों द्वारा चोरी व लूट की घटनाएं होते -होते साझीदार से अलगाव हो गया.अब इन्होने तेल में मिलावाट बड़े पैमाने पर शुरू की जिस पर डा .बी .पी .अशोक (एस .पी .सिटी ) ने अपने आगरा कार्यकाल क़े दौरान इनकी फर्म पर छापा डाल कर फर्म स्वामी और उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया.ले -देकर छूट तो गये पर मुकदमे में
फंस गये.
अवकाश प्राप्त इ .विनोद बाबू शर्मा ने ऊपरी मंजिल क़े ईशान में रसोई बना दी और उत्तर दिशा बंद करा दी.परिणामस्वरूप उनके पहले किरायेदार व तीसरे किरायेदार क़े पुत्र की मृत्यु हो गई.दूसरे तथा चौथे किरायेदार दिवालिया हो गये.कई साल मकान खाली रहा -कौन जान -बूझ कर मौत को गले लगाना चाहता है?
ये वे लोग हैं जो एक ओर तो अल्ट्रामाडर्न हैं -धनाढ्य हैं और दूसरी ओर पोंगा -पंथी ,दकियानूसीवाद क़े अनुयायी हैं.इनके लिए ज्योतिष क़े वैज्ञानिक सिद्धांतों में विश्वास करना संभव नहीं है.पोंगापंथी इन्हें उलटे उस्तरे से मूढ़ते रहते हैं और वे उसी में प्रसन्न भी रहते हैं.
सुख -दुःख जीवन में यदि सुख आते हैं तो दुःख भी आते है. दुःख आने पर घबराना नहीं चाहिए.ऐसी स्थिति में ज्योतिष आपको वैज्ञानिक कारण व उपाए बताने में सक्षम है ,उनका पालन करके तथा परमात्मा से प्रार्थना करके दुखों को समाप्त अथवा कम तो अवश्य ही किया जा सकता है.श्रद्धा व विश्वास पूर्वक की गई प्रार्थना परमात्मा सुनता है और पीड़ित को प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है अतः ज्योतिष का श्रद्धा व विश्वास क़े साथ अभिन्न सम्बन्ध है और विवेकी व्यक्ति इसका भर -पूर लाभ भी उठाते हैं . क्या आप भी उनमें से एक हैं ?
8 comments:
gyanwardhak post
श्रद्धा और विश्वास के बिना किसी चीज़ का कोई असर नहीं हो सकता..... ज्ञानवर्धक और उपयोगी पोस्ट
bahut badhiya lekha...shraddhaa--vishwas our jyotish ko achhe dhang se link kiya hai.
अत्यंत उपयोगी लगी आपकी पोस्ट आभार.
बहुत उपयोगी है आपकी यह पोस्ट ,,,...बहुत बहुत शुक्रिया
सही कहा आपने ,श्रद्धा और विश्वास ज्योतिष के अभिन्न अंग हैं। श्रद्धा और विश्वास से मनुष्य में आत्मबल उत्पन्न होता है और यही आत्मबल मनोवांछित कार्यसिद्धि में सहायक होता है।
एक महत्वपूर्ण और उपयोगी आलेख के लिए बधाई, माथुर जी।
बेहतरीन प्रस्तुति ।
बेहतरीन उपयोगी लेखन....
सादर....
Post a Comment