मैं इसे बहुत जोर से नहीं परन्तु धीरे -धीरे अपने आप से कहता हूँ .'हे भगवान् ,जो मुझे चाहिए वो सब मेरे पास है.इसके लिए आपका धन्यवाद .जो मेरे पास नहीं है ,वो मुझे नहीं चाहिए.मेरे कहने का त्तात्पर्य है कृपया मुझे सेहत,समझदारी ,हौसला और सेवा करने की योग्यता प्रदान कीजिये और यह मेरे नज़दीकी प्रियजनों क़े लिए भी कीजिये.मैं अपने दिमाग में हमेशा अच्छे विचार ही रखना चाहता हूँ.ऐसे विचार खुशी और तनाव रहित होने क़े सही साधन हैं.
मैं जानता हूँ कि,मुझे कुछ पाने से पहले योग्य बनना है.मैं यह भी जानता हूँ कि मुझे जो चाहिए उसके लिए कार्य करना पड़ता है.यहाँ मुफ्त में कुछ नहीं मिलता.मैं उन लोगों को जानता हूँ जो 15 से 90 मिनिट तक अपना समय प्रार्थना और धर्म -कर्म में लगते हैं,वे माला क़े मनके फेरते हैं;मगर कबीर दास जी क़े अनुसार -
माला फेरत जुग भया,फिरा न मनका फेर.
कर का मनका डार क़े,मन का मनका फेर..
यह उनके लिए बहुत अच्छा होगा अगर वे "तनाव और गुस्से "को कम करने क़े योग्य हो जाएं.
मैंने यह भी ध्यान दिया कि यह ढंग (ढोंग -पाखण्ड वाला ) कुछ ख़ास मामलों में लागू नहीं होता.मैं जो समय लम्बी प्रार्थनाएं नहीं करके बचाता हूँ उसे "जो मुझे चाहिए "वह प्राप्त करने क़े लिए सोचने पर लगता हूँ.मैं हमेशा अपने दिमाग में परमात्मा प्रदत्त आशीर्वादों को गिन कर अपनी आंतरिक मुस्कराहट पर बल देता हूँ.
अगर मुझे ओपन हार्ट सर्जरी क़े लिए भी जाना पड़ेगा तो मैं अपने तनाव को कम करने क़े लिए ईश्वर क़े आशीर्वादों को गिनूंगा.मेरे लिए यह तरकीब काम करती है.विचार अच्छी चीजें कहने क़े लिए हैं.यह तनाव कम करने में मदद करते हैं.दिन में अक्सर कई बार मैं,परमात्मा द्वारा प्रदत्त आशीषों को गिनता हूँ.उदाहरण क़े लिए मैं कई बार अपने आप भगवान् का धन्यवाद करके खुश होता हूँ कि मुझे दिल का आपरेशन नहीं कराना पड़ा और मुझे करवाना भी पड़ता तो भी मैं भगवान् का ध्यान करूंगा क्योंकि मुझे शुगर नहीं है.यह एक परिदृश्य है.आप भी अपनी स्थिति से सम्बंधित दूसरे परिदृश्यों की कल्पना कर सकते हैं.
विचार यह है कि,आपको तब भी तनावमुक्त होना है जब दिल की सर्जरी कराने जा रहे हैं.चिंतित मत होइए .........खुश रहिए.अब क्या यह सामान्य ज्ञान नहीं है ?
अगर हमारे पास अच्छा स्वास्थ्य ,अधिक खाने को और रहने को एक घर है तो क्या हम फिर भी तनावग्रस्त होंगें ?दुर्भाग्य से हम फिर भी होंगें.अपने पूर्व जनम क़े कर्मफल क़े आधार पर जब मुझे हल्का हार्ट पेन हुआ तो मैंने अपनी सम्पूर्ण जानकारी का भरपूर उपयोग करके चिकित्सकों से अपने को बचाए रखा.मैंने सिर्फ ये उपाए ही किये थे और पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर लिया.:-
१ .काली फास ६ एक्स का ४ T .D .S .सेवन किया.और -
२ .ॐ भू ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ तत्सवितुर्व्रेनियम भर्गो देवस्य धीमही .ॐ धियो यो न प्रचोदयात ..
इस मन्त्र का १०८ बार जाप जिसे करने में डेढ़ घंटे का समय लग जाता था ही केवल किया.सिर्फ ॐ शब्द का उच्चारण जोर से करते थे क्योंकि ॐ क़े उच्चारण से नाभी जो शरीर का केंद्र -बिंदु है की कसरत या वर्जिश हो जाती है जिससे शरीर में रक्त संवहन सुचारू रूप से होने लगता है. हमारे प्राचीन ऋषी -मुनियों ने बड़ी होश्यारी से ॐ शब्द को परमात्मा का मुख्य नाम घोषित किया था ताकि मनुष्य मात्र इसके उच्चारण से अपने शरीर को पूर्ण स्वस्थ रख सकें.यह शब्द आपको तनावमुक्त रखने में पूर्ण सहायक है.
(इस ब्लॉग पर प्रस्तुत आलेख लोगों की सहमति -असहमति पर निर्भर नहीं हैं -यहाँ ढोंग -पाखण्ड का प्रबल विरोध और उनका यथा शीघ्र उन्मूलन करने की अपेक्षा की जाती है)
6 comments:
भगवान् का भजन करना , उसे याद करना और ॐ का उच्चारण करना बेशक लाभदायक रहता है । इससे मन को भी शांति मिलती है ।
लेकिन डॉक्टर की बात सुन लेने में भी कोई हर्ज़ नहीं ।
यक़ीनन यह चीज़ें प्रभावी हैं.....
भगवान को याद करना और ॐ का उच्चारण करना मन में शांति दिलाता है और मन की शांति ही सब से बड़ी चीज है|
डा .दरालसा :,मोनिकाजी ,जोशी जी ,
धन्यवाद आपके सदविचारों के लिए.
विशेष रूप से डा .सा : को स्पष्ट करना चाहता हूँ कि,आगरा में हमारे माकन के पीछे डा .अनिल गुप्ताहार्टस्पेशलिस्ट (गोल्ड मेडलिस्ट और राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित )रहते थे उनकी श्रीमतीजी गायनोलोजिस्ट थीं ,दोनों के पेशेंट्स भी मुझसे ज्योतिष की सलाह लेते थे.खुद डा . सा :की बेटी की पढ़ाई ,एक्जाम की बाबत उन्होंने मुझसे ही पूछा था .ज्योतिष और चिकित्सा में कोई टकराव नहीं है.दोनों एक -दुसरे के पूरक हैं.कृपया अन्यथा न लें.
आपसे सहमत हूँ माथुर साहब ।
saarthak prabhavi aalekh!
saadar!
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