Wednesday, May 25, 2011

जीवन-स्वास्थ्य-मृत्यु के ज्योतिषीय चिन्ह

पानी केरा बुदबुदा अस मानुष की जात,
देखत ही छिप जायेंगे जस तारा प्रभात.

इस संत वाणी से बहुत पहले महात्मा बुद्ध भी कह गए हैं-जन्म ही दुःख है,जरा भी दुःख  है,व्याधि भी दुःख है,मरण भी दुःख है.इन सब दुखों में मरण अर्थात मृत्यु का दुःख मनुष्य को बहुत सालता है.कीरो साहब ने इजराईल के प्रसिद्द भक्ति कवि डेविड को उदृधत करते हुए कहा है-"काश कोई मुझे मेरे जीवन का सही समय और दिशा बतला दे तो मेरे लिए उसकी छाया में चलना आसान हो जाए."
अर्थात वह यह जानना चाहता है कि  उसे जीने के लिए कितना समय मिला है .यदि यह मालूम हो जाए तो वह पूरी किफायत से उसे सोच -समझ कर जियेगा.

जीवन रेखा वह 'आधार शिरा' है जिसे 'ग्रेट पामर्स मार्च 'भी कहते हैं.इस रक्त-शिरा का हमारे जीवन के महत्वपूर्ण अंगों जैसे-पेट व ह्रदय से गहरा सम्बन्ध होता है.शरीर के नाजुक अंगों से सम्बन्ध होने के कारण जीवन रेखा द्वारा यह बतलाया जा सकता है कि कोई व्यक्ति कैसा स्वास्थ्य रखेगा और कितनी उम्र तक जियेगा.हमारी हथेली में तथा जन्म -कुंडली में अनेकों प्रतीक चिन्ह होते हैं जिनके आधार पर हम ऐसा विश्लेषण कर सकते हैं.

सबसे पहले मैं १९७६ में तब जब ज्योतिष पर विश्वास नहीं करता था बार्डर सिक्यूरिटी फ़ोर्स से अवकाश प्राप्त सब इन्स्पेक्टर श्री अमर सिंह राठौर (जो खाई -खाल एरिया,नैनीताल निवासी थे और होटल मुग़ल,आगरा में मुख्य ठेकेदार के यहाँ सुपरवाइजर थे) द्वारा बताये सिद्धांतों पर २००१ में चार व्यक्तियों को उनके बारे में सही-सही बताने में कामयाब रहा था ,उस घटना का जिक्र करना चाहूंगा -

सन२००० ई.में जब मैं सरला बाग ,दयाल बाग़,आगरा में अपना ज्योतिष कार्यालय चला रहा था.एक राष्ट्रीयकृत बैंक के अवकाश-प्राप्त मैनेजर श्री भारत भूषण सक्सेना जो अक्सर अपने इंजीनियर  बेटों की शादी के लिए कुंडलियाँ मिलवाने आते रहते थे ,एक दिन अपनी पत्नी,बेटी और दामाद को लेकर आये तथा सबके हाथ दिखवाये.एक -एक को मैं बताता रहा और बाद में आश्चर्य से उनसे पूछा कि आप सब के हाथ में एक से चिन्ह हैं और एक सी घटनाएँ सबके साथ हुईं हैं ,क्या आप सब एक साथ दुर्घटना का शिकार हुए थे?उनका उत्तर हाँ में था.उन्होंने लखनऊ में उनके साथ काफी पहले  घटित उस दुर्घटना का वृत्तांत सुनाया जिसमें से सब के सब मौत के मुंह में से निकल कर आये थे.

सक्सेना साहब ने बताया कि वे चारों कार से एक साथ जा रहे थे रास्ते में अचानक जोरदार बारिश,आंधी -तूफ़ान आया और वे अपनी कार एक वृक्ष के नीचे रोक कर थमने का इन्तजार करने लगे.अचानक पेड़ से भारी गुद्दा टूट कर उनकी कार के ऊपर गिरा और कार समेत  वे चारों कुचल गए जिन्हें ग्रामीणों ने निकाल कर अस्पताल पहुंचाया फिर सबका लखनऊ मेडिकल कालेज में लम्बा इलाज चला . वे सब बच गए थे यदि उन्हें पूर्व में सचेत किया गया होता तब भी घटना घटित तो होती परन्तु उन सब को शारीरिक क्षति न्यूनतम होती-बचाव अपनाने के कारण.

डा.नारायण दत्त श्रीमाली का निष्कर्ष है कि जब किसी कुंडली में अष्टम भाव में राहू हो तो वृक्ष पात  एवं जल पात का भय रहता है.इन चारों के मामले में ऐसा ही था .ये बचे कैसे?यह जानना बेहद आवश्यक है.उन चारों के हाथ में शनि पर्वत पर भाग्य रेखा के साथ एक चतुर्भुज बन रहा था.ऐसा चतुर्भुज किसी प्राणघातक दुर्घटना में बचाव का इशारा करता है.परन्तु जब भी ऐसा चतुर्भुज हो तो तय है भीषण दुर्घटना घटित अवश्य होगी ही होगी.अतः ऐसा चतुर्भुज रखने वालों को सदैव सावधानी बरतनी ही चाहिए.

अब आपको कीरो साहब के निष्कर्षों से परिचित कराते हैं-
कीरो के अनुसार यदि जीवन रेखा स्पष्ट व गहरी है तो पाचन शक्ति अच्छी  रहती है.यदि जीवन रेखा छोटे-छोटे टुकड़ों को जोड़ कर किसी जंजीर की तरह बनी हुई हो  तो उससे संकेत मिलता है कि उस व्यक्ति का स्वास्थ्य व पाचन-शक्ति खराब रहेंगें.उसमें शारीरिक दुर्बलता भी रहेगी.(मेरे विचार में यदि अच्छे चिकित्सक हस्त-रेखा की सहायता लें तो रोगी का सही उपचार करने में सफल रहेंगें).चूंकि जीवन-रेखा का सम्बन्ध शरीर व धड से है इस लिए इस रेखा पर मिलने वाले चिन्हों,जालों व कड़ियों से मालूम पड़   जाता है कि शरीर के किस अंग पर उनका सबसे अधिक असर पड़ेगा.

जीवन -रेखा---
तर्जनी उंगली के नीचे वृहस्पति क्षेत्र होता है जिसके उभार की जड़ से आरम्भ होने वाली रेखा जो लगभग पूरी हथेली को चीरते हुए शुक्र के उभार को घेर लेती है वही जीवन रेखा है.अंगूठे के नीचे और मणिबंध के ऊपर का क्षेत्र ही शुक्र क्षेत्र है.

जो लम्बी रेखाएं जीवन रेखाओं से निकल कर विपरीत दिशा की ओर अर्थात चन्द्र पर्वत की दिशा की तरफ जाती हैं वे समुद्री यात्राओं की ओर संकेत करती हैं.यदि जीवन रेखा अंगूठे के नीचे साफ़ हो तो ऐसा व्यक्ति एक न एक दिन अपने देश वापस लौट आता है.लेकिन यदि जीवन रेखा बीच में कहीं टूट गई हो तो इससे पता चलता है की वह व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी का शिकार होगा.यदि इस तरह के संकेत दोनों हाथों में दिखाई पड़े तो उस बीमारी से उस व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है.जीवन-रेखा के समानांतर कोई अन्य रेखा हो तो बीमारी चाहे कितनी भयंकर क्यों न हो वह इस व्यक्ति की प्राण-रक्षा करेगी.

यदि जीवन-रेखा ठीक इसके विपरीत हथेली की उल्टी दिशा में मुडती हुई दिखाई दे तो उसका अर्थ है की उस व्यक्ति की मृत्यु किसी विदेशी भूमि पर होगी.कीरो साहब ने आस्कर वाइल्ड का उदाहरण इस सम्बन्ध में दिया है.वह लिखते हैं कि उनके व्यवसाय के शुरुआती दिनों में उच्च समाज की एक सभ्रांत महिला ने उन्हें अपने घर आमंत्रित किया जहां दुसरे सम्मानित लोग भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे.एक लाल मखमली परदे के पीछे से उन्हें कई हाथ दिखलाए गए जिससे वह यह नहीं पता कर सके कि किस व्यक्ति का वह हाथ है.

उन्हें बहुत बाद में पता चल पाया कि उसी रात "दि वुमन आर नो इर्पोटैंस" जो नाटक मंचित हुआ था उसके रचयिता आस्कर वाइल्ड का हाथ भी उन्होंने देखा था जो उस समय लन्दन की एक चर्चित हस्ती थे. कीरो साहब ने उनका हाथ देख कर बतलाया था कि उनके बाएं हाथ में विरासत में मिले गुण थे और दायें में स्व-उपार्जित गुण.कीरो कहते हैं-"जब हम मस्तिष्क के बाएं भाग की क्रियाओं का प्रयोग करते हैं तो उसकी स्नायुतंत्रिकाएं दाहिने हाथ की ओर जाती हैं .इसलिए दाहिने हाथ से किसी के व्यक्तित्व और उसके विकास की सही जानकारी मिलती है."

आस्कर वाइल्ड के बाएं हाथ से असाधारण प्रतिभा व सफलताओं का पता चलता था वहीं उनके दाहिने हाथ में ऐसे संकेत भी थे कि जीवन के एक मोड़ पर पहुँच कर उनकी ये सफलताएं व यश सब चौपट हो जाएगा.अतः उन्होंने आस्कर वाइल्ड को यह निष्कर्ष सुनाया था-"जहां बायाँ हाथ किसी राजा का हाथ है वहीं दाहिना हाथ एक ऐसे राजा का हाथ है जो स्वंय ही अपने आपको निर्वासन में भेज देगा और किसी अनजान जगह पर मित्रों से दूर अकेली मौत मरेगा."

कीरो साहब कहते हैं उनके इतना कहते ही उन लोगों की व्यंग्यपूर्ण हंसी सुनाई पडी जो जानते थे कि जिस व्यक्ति के हाथों को उन्होंने देखा था वे इंग्लैण्ड के सबसे सफल व्यक्ति के हाथ थे.लेकिन जिस व्यक्ति के हाथ थे वह नहीं हंसा और उसने शांति से उनसे पूछा-"किस समय?" उन्होंने उत्तर दिया -"अब से कुछ ही वर्षों बाद,मेरे विचार से आपके इकतालीसवें व बयालीसवें वर्ष के बीच.उसके कुछ वर्षों बाद ही जीवन का अंत भी हो जाएगा."
कीरो साहब लिखते हैं कि आस्कर वाइल्ड परदे से बाहर आये और इस कथन को केवल एक मजाक की तरह लेते हुए गंभीर मुद्रा में उनकी ओर मुड़े तथा वे शब्द दोहराए-"बायाँ हाथ किसी राजा का है लेकिन दायाँ हाथ एक ऐसे राजा का जो स्वंय ही अपने को अपने देश से निष्कासित करेगा." और बिना कुछ कहे वह कमरे से चले गए .तब तक कीरो साहब को उनका परिचय नहीं दिया गया था.

कीरो साहब लिखते हैं कि आस्कर वाइल्ड से उनकी मुलाक़ात उनके द्वारा मार्विक्स आफ क्वीनसवेरी के विरुद्ध शुरू की गई कारवाई से ठीक पहले हुई ,जिसने उनकी सारी प्रतिष्ठा को मिट्टी में मिला दिया.उन्होंने कीरो के नजदीक आकर पूछा कि क्या उनके भाग्य में वह दोष अभी भी बरकरार है और जब कीरो ने कहा कि हां अभी वह है तो खोयी सी आवाज में उन्होंने कीरो से कहा-"मेरे अच्छे दोस्त यदि मेरा भाग्य ही फूट गया है तो मैं क्या कर सकता हूँ.मेरी तरह आप भी जानते हैं कि भाग्य अपनी मुख्य सड़कों  पर सड़क मरम्मत करने वालों को नहीं रखता."

(यह तो कीरो और आस्कर वाइल्ड की बातें हैं,मैं समझता हूँ कि यदि ज्ञात होने के बाद एहतियात बरती जाए और सही प्रार्थना व स्तुतियों का सहारा लिया जाये तो कष्ट की तीव्रता कम हो जाती है,मैंने ऐसे प्रेक्टिकल प्रयोग लोगों से सफलता पूर्वक करवाए हैं,अलग कभी उनका वर्णन दूंगा .)

कीरो साहब की अगली मुलाक़ात काफी समय बाद जब वह दुनिया का आधा चक्कर लगाकर सन १९०० ई. में पेरिस पहुंचे तभी आस्कर वाइल्ड से एक रेस्टोरेंट की छत पर खाना खाते समय अचानक हुई थी.कीरो साहब लिखते हैं उन्होंने आस्कर वाइल्ड को नहीं पहचाना था जो भारी डील-डौल के साथ उधर से गुजर कर भीड़ से दूर एक कुर्सी पर बैठ गए थे,उनके मित्र ने जब यह कहा "कि अरे !ये तो आस्कर वाइल्ड हैं." कीरो साहब उठे और बोले-"मुझे उनके पास जाकर उनसे बात करनी चाहिए." कीरो साहब के मेजबान मित्र ने तुरंत कहा-"यदि आप ऐसा करेंगे तो आपको यहाँ लौटने की जरूरत नहीं."

कीरो  लिखते  हैं  उस  बदनाम  मसीहा  के  प्रति  अब  लोगों  के  दिलों  में  घृणा   व कडवाहट भर गई थी.कीरो ने अपने मित्र की चुनौती को स्वीकार किया और आस्कर वाइल्ड के पास जाकर अपना हाथ बढ़ा दिया .अपने भयंकर अकेलेपन में वह कुछ समय तक कीरो के हाथ को थामे रहे और फिर उनकी आँखों से आंसू बह निकले."मेरे अच्छे दोस्त,आपकी महानता है .वरना आजकल तो हर आदमी मुझसे बच कर निकलने लगा है.मेरे पास आकर आपने सचमुच बहुत उदारता दिखलाई."

उन्होंने कीरो से अपने मुक़दमे के विषय में चर्चा की .उन गलतियों के बारे में जो उनसे हुईं थी.जेल में बीते दिन निराशा व कडवाहट और पुराणी जिन्दगी में न लौट पाने की उनकी असमर्थता."ओह ,कीरो कितनी बार मुझे उस रात की याद आई है जब आपने मुझे मेरे भाग्य के बारे में बताया था.कितनी बार मैंने अपनी हथेली पर जीवन-रेखा व भाग्य रेखा पर उस दुर्भाग्य के चिन्ह को देखा है जो बतलाती है कि मेरे भाग्य में किसी अनजान जगह पर किसी अनजान आदमी की तरह मरना लिखा है."

कीरो लिखते हैं इसके कुछ ही माह बाद होटल में उन्हें मृत पाया गया.कीरो भी उन गिने-चुने लोगों में से एक थे जो उनकी अर्थी के साथ पेरिस के एक कब्रिस्तान में उनकी कब्र तक गए थे.बाद में जेकब एतसटीन द्वारा उनकी कब्र पर एक स्मारक बनवा दिया गया.

वस्तुतः जीवन-रेखा जहाँ पर भी टूटती है जीवन के उस समय में उस व्यक्ति की मृत्यु होती है.यद्यपि मृत्यु को तो ताला नहीं जा सकता है परन्तु मेरे खुद के विचार से होने वाले कष्टों को कम अवश्य ही किया जा सकता है.इस सम्बन्ध में और कुछ अगले अंक में............

5 comments:

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

ज्ञान वर्धक और विश्लेषण से भरा आलेख !
ज्योतिष को व्यवहारिक जीवन से जोड़कर आपकी प्रस्तुति एक नए आयाम पैदा करती है !

डॉ टी एस दराल said...

बहुत दिलचस्प जानकारी रही ।
लेकिन भविष्य की जानकारी होने पर मन की शांति भंग हो सकती है ।

मनोज कुमार said...

ज्ञानवर्धक आलेख।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

गहन विवेचन ...हर पोस्ट में आपकी बात तर्कों पर आधरित होती है....

Patali-The-Village said...

बहुत दिलचस्प जानकारी रही |धन्यवाद|